राजस्थान सरकार का,अपनी पीठ थपथपाना गलत - अरविन्द सिसौदिया

 

अरविन्द सिसौदिया

राजस्थान सरकार का,अपनी पीठ थपथपाना गलत - अरविन्द सिसौदिया

- अरविन्द सिसौदिया


यूं तो महामहिम राज्यपाल कलराज मिश्र का अभिभाषण,राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार द्वारा ही बनाया गया था, इसे सदन में पढ़नें की रश्मी भूमिका महामहिम ने अदा की , यह एक सम्बैधानिक व्यवस्था है। कोई भी सरकार अपने स्वयं की आलोचना कभी करती भी नहीं है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक सतीश पूनिया ने टिविट कर इसे झूठ का पुलंदा बताया है। मेरा भी मानना है कि अन्य मुद्दों को छोड भी दिया जाये तो भी कोरोना -2 के दौरान हुई मौतों एवं अव्यवस्था में राजस्थान सहित कई राज्य सरकारों की नेगलेंजेंसी को नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिये । बल्कि उसकी समीक्षा होकर भविष्य में इस तरह की नेगलेजेंसी न हो इस पर गंभीर विचार होना चाहिये। 


मेनें तब एक पत्र प्रधानमंत्री जी को इस उद्देश्य से लिख था कि कोरोना 3 की वेब आनें से पहले इनमें सुधार किया जाना चाहिये। जिसमें राजस्थान के अनुभव साझा किये थे। जो कि प्रधानमंत्री कार्यालय के डाक सेक्सन में 2 जुलाई 2021 को पहुंची थी। जिसे पीएमओपीजी-डी-2021-0162003 क्रमांक दिया गया था ।

संझिप्त में इसमें इतना ही कहा जाना पर्याप्त है कि
राजस्थान सरकार नें , केन्द्र सरकार के द्वारा भेजे गये सुझावों और भेजे गये उपकरणों का संवेदनशीलता से उपयोग किया होता तो हम बहुत सी जानें बचा सकते थे । राजनैतिक भेदभाव एवं राजनैतिक दबावों का जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पढ़ना चाहिये। यह सभी दलों के लिये सुझाव है।

यूं तो अभिभाषण में कहा गया है कि आनन्द ही आनन्द है किन्तु जनता तो आम चुनाव के इंतजार में बैठी है। लगभग ज्यादातर मुद्दों पर झूठ बोला गया है। जो कि तीन दिनों में सामनें भी आयेगा।



 


टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

मेरी कवितायें My poems - Arvind Sisodia

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

कविता "कोटि कोटि धन्यवाद मोदीजी,देश के उत्थान के लिए "

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

कविता - युग परिवर्तन करता हिंदुस्तान देखा है Have seen India changing era

आत्मा की इच्छा पूर्ति का साधन होता है शरीर - अरविन्द सिसोदिया

वक़्फ़ पर बहस में चुप रहा गाँधी परिवार, कांग्रेस से ईसाई - मुस्लिम दोनों नाराज

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग