Mahabhart ki siikh महाभारत की सीखें

महाभारत से सबक

   ( सार वाक्य )


युधिष्ठिर- की तरह जुआ मत खेलो!


कर्ण- की तरह दुष्ट का अहसान मत लो!


थृतराष्ट्र- की तरह पुत्र के मोह में मत पड़ो!


कुन्ती- की तरह लोकाचारों के विरुद्ध अनुचित प्रयोग मत करो!


कुन्ती- की तरह बिना देखे जानें अनुचित मत बोलो !


द्रोपदी- की तरह किसी की हंसी मत उडाओ !


पाण्डु- की तरह काम के वशीभूत मत बनो!


दुर्योधन- की तरह अनधिकार हठ मत पालो!


भीष्म-  की तरह अनुचित प्रतिज्ञाओं में मत बँधो!


दुःशासन- की तरह नारी का अपमान मत करो!


अश्वत्थामा- की तरह अनियन्त्रित मत हो जाओ!


शान्तनु- की तरह काम में आसक्त मत हो जाओ!


गान्धारी- की तरह नेत्रहीन का अनुसरण मत करो!


परीक्षित- की तरह क्रोध में अनुचित कार्य मत कर बैठो!


द्रोणाचार्य- की तरह अर्धसत्य पर विश्वास मत करो!


शल्य- की तरह हतोत्साहित करने वाले की संगति में मत रहो!


अवश्य करो :-


अभिमन्यु- की तरह वीर बनो!


कृष्ण- की तरह धर्म का साथ दो!


विदुर- की तरह स्पष्टवादी और शुभचिंतक बनो!


घटोत्कच- की तरह धर्मकार्य में सहर्ष बलिदान दो!


अर्जुन- की तरह अपनी बागडोर भगवान के हाथों में सोंप लो!

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महाभारत के पांडवों से सीखें जिंदगी जीने और जीत के सूत्र

पारिवारिक एकता : आपने पांडवों का जीवन तो देखा ही होगा। ...

सभी के प्रति विनम्रता : पांचों पांडव अपने से बड़ों के प्रति विनम्र थे। ...

विषम परिस्थिति को बनाएं अपने अनुकूल : जब पांडवों को वनवास हुआ तो उन्होंने वनवास की विषम परिस्थिति में भी समय को व्यर्थ नहीं गवांया।


        हरि ऊँ तत् सत्।।।


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