आत्मघाती कांग्रेस, सपा को ही बेकअप करती प्रतीत हो रही है - अरविन्द सिसौदिया

आत्मघाती कांग्रेस, सपा को ही बेकअप करती प्रतीत हो रही है - अरविन्द सिसौदिया

 

 Suicidal Congress seems to be backing UP Election the SP itself
         आत्मघाती कांग्रेस, सपा को ही बेकअप करती प्रतीत हो रही है

        जिस तरह कांग्रेस दिल्ली में, बंगाल में मात्र औपचारिकता पूरी करने चुनाव लडनें की नौटंकी कर रही थी। वही वह यूपी में भी कर रही है। वास्तविक रूप से कांग्रेस यूपी में चुनाव नहीं  लड रही है, बल्कि मात्र खानापूरी कर रही है। वह जानती है कि उसके ताकत से चुनाव लडने पर समाजवादी पार्टी को नुकसान होगा और भाजपा को फायदा होगा। यूं भी अभी यूपी में अखिलेश की छवी एक अखड्ड और घमंडी युवराज की है। कांग्रेस ने जब देखा कि भाजपा ने अखिलेश यादव के विरूद्ध मजबूत प्रत्याशी उतारा है तो सबसे पहले उन्होने कांग्रेस प्रत्याशी को बिड्रा कर लिया इतना ही नहीं घोषणा की कि वे शिवपाल यादव के खिलाफ भी प्रत्याशी नहीं उतारेंगे। हलांकी कहा यह जा रहा है कि गांधी परिवार एवं यादव परिवार की यह आपसी व्यवहार है कि वे एक दूसरे के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारते हैं।

 यह भी तय है कि कांग्रेस सपा सरकार बनानें में समर्थन भी करेगी । किन्तु अभी तो सपा पिछली सरकार के समय की गुण्डागर्दी के बोझ के नीचे दबी हुई है और उसकी सरकार फिलहाल बहुत दूर है। 

 
आम चुनावों में कई दलीय प्रत्याशी, एकाध प्रत्याशी इस तरह का उतारते हैं जो वोट तो नहीं काटता मगर उसके जर्ये से मतदान केन्द्र में, मतगणना केन्द्र में एवं चुनाव अभियान में एक्सट्रा कार्यर्ताओं को खफा दिया जाता है। वे अपरोक्ष सपार्टर का काम करते है। कांग्रेस सपा के लिये अपरोक्ष सपोर्टर का काम करने के लिये यूपी में उतरी महसूस हो रही है। यही उन्होनें दिल्ली में और यही उन्होनें बंगाल में किया भी था।

 हलांकी राजनैतिक समीक्षक पहले ही यह खेल समझ चुके थे अब जनता भी समझ गई है। हलांकी यह आत्मघाती राजनीति ही है। इससे कांग्रेस खुद स्वयं को खत्म किये जा रही है। कांग्रेस को उन दलों से ही लडना पडेगा जो उसके वोट बैंक को खा रहे है। भाजपा कांग्रेस का वोट बैंक कभी नहीं खा सकती, उसका वोट बैंक तो ममता, सपा, लालू और इसी प्रकृति के दल खा रहे हैं ।

   कांग्रेस यदी दमदारी से चुनाव लडती तो दिल्ली और बंगाल में वह महाराष्ट्र की ही तरह सरकार में पार्टनर होती । किन्तु उसकी दूसरे दल को वोट दिलानें की पालिशी उसे ले डूबी। यूपी में भी वह खाली हाथ ही रहने वाली है। अब यह भी लगनें लगा है कि बंगाल कांग्रेस जैसा ही हस्र यूपी में भी कांग्रेस का होनें जा रहा है।

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