सुप्रीम कोर्ट से महापौर डॉ.सौम्या गुर्जर को फिर से कुर्सी मिली

कांग्रेस सरकार के राजनीतिक भेदभाव से किए गए निलंबन को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे कर दिया

भाजपा महापौर सौम्या गुर्जर ने फिर से पद को संभाला

ज्ञातव्य रहे कि जयपुर नगर निगम ग्रेटर कि भाजपा महापौर सौम्या गुर्जर को राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक भेदभाव करते हुए उनके कार्य में बाधा डालने के लिए उन्हें निलंबित कर दिया था भल्ला की हाईकोर्ट ने सौम्या गुर्जर प्रकरण में स्थगन आदेश देने से मना कर दिया किंतु सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान सरकार के आदेश को स्थगित कर दिया है इस प्रकार से निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर को पुनः महापौर पद पर कार्य करने का अवसर प्राप्त हो गया है।

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सुप्रीम कोर्ट से डॉ.सौम्या गुर्जर को अंतरिम राहत मिल गयी है और कोर्ट ने सात महीने बाद गुर्जर के निलंबन पर न्यायिक जांच पूरी होने तक रोक लगा दी है। 

सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस संजय किशन कोल और जस्टिस एमएम सुंदरेष की बैंच ने निलंबन आदेश स्टे कर दिया है । अब डॉ.सौम्या दोबारा मेयर की कुर्सी पुनः संभालेंगी।


   जयपुर नगर निगम ग्रेटर की निलंबित  भाजपा मेयर सौम्या गुर्जर के मामले में राज्य की कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट में  इस मामले में हुई सुनवाई के बाद  राजस्थान सरकार के आदेश पर स्टे दे दिया है ।

 सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से अब सौम्या गुर्जर के वापस नगर निगम मेयर का पद सँभाल लिया है ।

सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में कोर्ट ने तमाम दलीले सुनने के बाद राज्य सरकार के 6 जून के निलंबन के आदेश को स्टे कर दिया.

सत्य परेशान हो सकता हैं. लेकिन पराजित नहीं. ये कहना हैं डॉक्टर सौम्या गुर्जर का करीब सात माह बाद निलंबित मेयर डॉक्टर सौम्या गुर्जर की मेयर पर कुर्सी पर बैठने की राह खुल गई हैं।

 सुप्रीम कोर्ट में मामले में हुई सुनवाई के बाद राज्य सरकार के 6 जून के निलंबन आदेश पर स्टे दे दिया हैं।

 जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एमएम सुंदरेष की खंडपीठ के समक्ष ये सुनवाई हुई थी। 

इसमें राजस्थान सरकार की तरफ़ से अति.महाधिवक्ता डॉ.मनीष सिंघवी ने रखा पक्ष था, जबकि सौम्या की तरफ से अधिवक्ता अमन पेश हुए थे। उधर सरकार की ओर से कोर्ट के आदेशों की कॉपी मिलने के बाद इसका रिव्यू किया जाएगा। उसके बाद ही आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। 

इस मामले में भाजपा पार्टी की तरफ से पूरे मामले की निगरानी कर रहे पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के अनैतिक और असंवैधानिक निर्णय को गलत मानते हुए यह स्टे दिया। यह लोकतंत्र की एक बड़ी जीत है। सुप्रीम कोर्ट के स्टे आदेश आने के बाद डॉक्टर सौम्या के आवास पर बधाई देने वालों का तांता रहा...साथ में निलंबित पार्षद भी अब अपने फैसले का इंतजार कर रहे हैं। 

दरअसल राज्य सरकार ने 6 जून को सौम्या गुर्जर को मेयर पद से और अन्य तीन पार्षदों को आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के साथ हुए विवाद के बाद निलंबित कर दिया था। इस निलंबन के बाद राज्य सरकार ने इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच भी शुरू करवा दी। सरकार के निलंबन के फैसले को सौम्या गुर्जर ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पूरे प्रकरण में न्यायिक जांच होने तक दखल देने और निलंबन के आदेशों पर स्टे देने से इंकार कर दिया।

 हाईकोर्ट के राहत नहीं मिलने के बाद सौम्या गुर्जर के समर्थन में भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में पहले 4 बार सुनवाई हो गई, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ. 

इधर 31 जनवरी को ही राज्य सरकार ने कार्यवाहक मेयर शील धाबाई के कार्यकाल को अगले 60 दिन के लिए बढ़ा दिया है। सरकार ने धाबाई का कार्यकाल चौथी बार बढ़ा दिया। इससे पहले सरकार ने दिसंबर में आदेश जारी करके हुए 60 दिन के लिए कार्यकाल बढ़ाया था, जो आज एक फरवरी को पूरा हो रहा था। निलंबित 

पार्षदों का कहना हैं की डॉक्टर सौम्या गुर्जर को हटाने की पटकथा लिखी गई और षडयंत्रकारी कामयाब भी हो गए। आखिरकार सात माह बाद सत्य की जीत हुई।

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