ममता की हेंकड़ी पर नकेल,विधानसभा का सत्र स्थगित किया राज्यपाल महोदय ने
ममता की हेंकड़ी पर नकेल,विधानसभा का सत्र स्थगित किया राज्यपाल महोदय ने
Tackling Mamta's arrogance, the Governor adjourned the assembly session
ममता की हेंकड़ी पर नकेल,विधानसभा सत्र स्थगित
Tackling Mamta's arrogance, Assembly session postponed
- अरविन्द सिसौदिया
जब भारत का संबिधान बन रहा था तब उसमें भारत के हित में क्या हो इसकी रूचि बहुत कम ही थी, ज्यादा से ज्यादा भारत शासन अधिनियम की धाराओं को ही यथावत रख, ब्रिटिश मनोकामना पूरी करने पर ध्यान केन्द्रित था। तब भी मजबूत राष्ट्र के बजाये टुकडे टुकडे गेंग को ही सन्तुष्ट करने पर जोर दिया गया था। जिसका उदाहरण अनुच्छेद 370 था तथा और भी बहुत से प्रावधान रहे। इसी कारण संबिधान बनने के बाद से लगातार संशोधन होनें प्रारम्भ हो गये थे एवं राज्य सरकारों से विवाद भी प्रारम्भ हो गये थे। आज भी यह संबिधान भारत के संघीय ढ़ाचें को वह पूरी मजबूती नहीं दे पाता है, जिसकी जरूरत है। हलांकि उस दौरान सरदार वल्लभभाई पटेल सर्तक हो गये थे और उन्होनें कोशिश की थी की मजबूत केन्द्र सरकार बनें ताकि राज्य सरकारें मनमानी न कर पायें। इसी कारण भारत की केन्द्र सरकार कुछ हद तक मजबूत स्थिती में भी दिखाई देती है। लेकिन अभी भी कुछ राज्य सरकारें संबैधानिक जिम्मेवारी के बजाये दलगत हितों एवं मानसिकताओं को ऊपर रखती है। इसका उदाहरण हल्के स्तर के रूप में पश्चिम बंगाल, दिल्ली और हाल ही में पंजाब में देखनें को मिला।
राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति,सर्वोच्च न्यायालय, निर्वाचन आयोग, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्री, राज्यपाल,मुख्यमंत्री ये पद विशिष्टता से स्थापित होते और देश के होतेे है, किसी दल के नहीं। इसके साथ देश की गरिमा एवं सम्मान खडा होता है। जिसकी रक्षा करना सभी का कर्त्तव्य बनता है। इस देश में रहने की शर्त है। देश को गाली दे कर देश को नीचा दिख कर आप किस तरह देशवासी मानें जा सकते है।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का अपमानित करने वाले व्यवहार से सभी पीढ़ित हुये है। चाहे वह पीएम हों, केन्द्रीय मंत्री हों,निर्वाचन आयोग हो या महामहिम राज्यपाल महोदय हों। पश्चिम बंगाल की समस्या ममता बनर्जी हैं ? यह नेहरू या इन्दिरा युग में हुआ होाता तो वे सरकार में नहीं होतीं, कभी की सरकार भंग करदी गई होती। यह एक सहनशील युग पुरूष नरेन्द्र मोदी युग है जिसमें बदतमीजी सर से ऊपर होनें के बाद भी सहन की जा रही है। क्यों कि वे लोकतंत्र में विश्वास तो रखते ही है, साथ ही वे लोकतंत्र का जिन्दा रखना चाहते हैं ।
हाल ही में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बंगाल विधानसभा का सत्र स्थगित कर दिया है, इसे ममता की हेंकडी के विरूद्ध महामहिम राज्यपाल का उठाया गया कदम भी माना जा सकता है।
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पश्चिम बंगाल विधानसभा अधिवेशन स्थिगित
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बंगाल विधानसभा का सत्र किया स्थगित,
टीएमसी ने कहा- अभूतपूर्व घटना
कोलकाता। लम्बे समय से पंश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के साथ विभिन्न मुद्दों पर टकराव के बीच राज्यपाल महामहिम जगदीप धनखड़ ने शनिवार 12 फरवरी 2022 को बड़ा कदम उठाते हुए,राज्य विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित (सत्रावसान) कर दिया। संसद या विधानसभा के एक सत्र को भंग किए बिना सत्रावसान किया जाता है।
लगातार बदतमीजी कर रही ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से कई मुद्दों पर उलझ चुके धनखड़ ने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने 12 फरवरी से विधानसभा का सत्रावसान किया है। धनखड़ ने ट्वीट किया, संविधान के अनुच्छेद 174 के खंड (2) के उप-खंड (ए) द्वारा मुझे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मैं 12 फरवरी से पश्चिम बंगाल विधान सभा का सत्रावसान कर रहा हूं।
दरअसल, इस आदेश का सीधा अर्थ है कि अब राज्य विधानसभा का सत्र बिना राज्यपाल की अनुमति या उनके अभिभाषण के बिना नहीं बुलाया जा सकता है। ममता सरकार को अब बजट सत्र की शुरुआत के लिए राज्यपाल से अनुमति लेनी होगी और इसकी शुरुआत उनके अभिभाषण से ही होगी।
वहीं, इस घटनाक्रम पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया कि राज्यपाल ने राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश पर यह निर्णय लिया है। इसमें कोई भ्रम नहीं है। हालांकि दूसरी तरफ राज्यपाल ने ट्वीट कर इस दावे का खंडन किया है। वहीं, कुणाल के बयान से पहले तृणमूल के वरिष्ठ सांसद व प्रवक्ता सौगत राय ने कहा कि यह अभूतपूर्व घटना है। राज्य सरकार को राज्यपाल के इस निर्णय के खिलाफ कोर्ट जाना चाहिए।
वहीं, इस फैसले का बचाव करते हुए बंगाल भाजपा अध्यक्ष डा सुकांत मजूमदार ने कहा, राज्यपाल के पास ऐसा करने का अधिकार है। उन्होंने अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया है। ऐसा राज्य सरकार के कुशासन और प्रशासन द्वारा लगातार उठाए जा रहे अडिय़ल रुख के कारण किया गया है।
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