देश के दुश्मन के साथ सौदा करने का मतलब क्या है? - पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस


 


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महाराष्ट्र की शरद पंवार की पार्टी एन सी पी के विधायक एवं महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक मामलात मंत्री नवाब मलिक को 3 मार्च 2022 तक सेशंस कोर्ट ने ईडी की हिरासत में भेजा दिया है, यह गिरफतारी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई है। नवाब मलिक को 14 दिनों की कस्टडी की मांग की गई थी. लेकिन कोर्ट ने उन्हें आठ दिनों की कस्टडी दी गई।

नवाब मलिक को गिरफ्तार करने के बाद ईडी की टीम ने उन्हें विशेष कोर्ट में पेश किया था।

 सेशंस कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है कि “ ईडी कस्टडी में उन्हें घर का खाना मंगवाने की इजाजत दी रहेगी। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से संबंधित लोगों के साथ आर्थिक लेनदेन के मामले में  उन्हे हिरासत में भेजा गया है।

ईडी के पक्ष में दलील देते हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने 14 दिन की कस्टडी की मांग की थी, उन्होंने नवाब मलिक के खिलाफ दो तरह की दलील दी, कि मलिक के दाऊद इब्राहिम कनेक्शन और टेरर फंडिंग  से कनेक्शन के आरेप है। उन्होंने इस आधार पर पीएमएलए के ऐक्ट 19 के तहत कार्रवाई की मांग की ।

इसके जवाब में नवाब मलिक के वकील अमित देसाई ने सारे आरोपों को गलत बताया और टेरर फंडिंग और दाऊद कनेक्शन के आरोप पर आपत्ति जताई है।

‘डील के पैसे हसीना पारकर को गए, दाऊद के साथ सौदा करने वाले का साथ दे रही सरकार ’

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले पर कहा कि, ‘ईडी ने कोर्ट में पूरी सत्यता सामने रखी है। करोडों रुपए की जमीन अंडरवर्ल्ड के माध्यम से नवाब मलिक ने खरीदी । जमीन की मालकिन को एक रुपया नहीं दिया गया। उनसे जमीन पॉवर ऑफ अटॉर्नी के तहत ट्रांसफर करवाई गई जिन लोगों के नाम ये जमीन ट्रांसफर की गई उनमें से एक शाह वली खान मुंबई बम ब्लास्ट का आरोपी और दूसरा सलीम पटेल डी कंपनी का आदमी है और वो दाऊद की बहन हसीना पारकर के लिए यहां रियल इस्टेट का काम देख रहा था। इस पूरी डील में हसीना पारकर को 55 लाख रुपए दिए गए, यानी देश के दुश्मन के साथ आर्थिक लेन-देन करने का कारण क्या है?’

आगे देवेंद्र फडणवीस ने कहा,  ‘ ईडी ने 9 जगहों पर सर्च किए जिससे कई लिंक्स सामने आए, उनमें से एक नवाब मलिक का भी पाया गया । इस आर्थिक व्यवहार के बाद देश में तीन बड़े विस्फोट और हमले हुए। तो हसीना पारकर को जो पैसे गए वो किस लिए गए । सीधा-सीधा टेरर फंडिंग का मामला बनता है । यह बहुत संगीन मामला है। यह राजनीतिक मामला नहीं है । देश के दुश्मन के साथ सौदा करने का मतलब क्या है? इस डील के बाद यह पैसा सीधा हसीना पारकर और दाऊद को जाता है तो कड़ी कार्रवाई होनी ही चाहिए ।  दाऊद ने भले ही आईएसआई की मदद से भारत में हमले करवाए। विस्फोट करवाए उसकी टेरर फंडिंग इंडिया में ही हुई । पैसे यहीं से जुटाए गए। इस तरह की डील से जुटाए गए। अफसोस तो यह है कि देश के साथ धोखा करने वालों का साथ दे रही है महाराष्ट्र सरकार। ’

महा विकास आघाडी सरकार का फैसला, नहीं लिया जाएगा नवाब मलिक का इस्तीफा

इस बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सरकारी आवास ‘वर्षा’ पर कैबिनेट मीटिंग की गई। इस मीटिंग में यह फैसला किया गया कि नवाब मलिक का इस्तीफा नहीं लिया जाएगा। जब तक नवाब मलिक पर दोष सिद्ध नहीं हो जाता तब तक वे मंत्री बने रहेंगे। नारायण राणे को अरेस्ट किया तो इस्तीफा लिया था क्या ?

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 अदालत में ऐसे चली सुनवाई, किसने क्या कहा

    अदालत में सुनवाई के दौरान नवाब मलिक ने बताया कि सुबह-सुबह समन देने के बहाने घर पर ED की टीम आई और हिरासत में लिया। इसके बाद समन की प्रति पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा और अब जबरन उठाकर यहां ले आई है।

    इसके बाद अदालत में ED की ओर से एडिशनल सोलिसिटर जनरल ने बताया कि 3 फरवरी, 2022 को दाऊद इब्राहिम कासकर के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। वह विभिन्न आतंकी गतिविधियों और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है। वह आतंक पैदा करने के लिए धन जुटाकर संपत्तियों के अनधिकृत अधिग्रहण में भी शामिल है।

    ASG ने आगे बताया कि दाऊद की बहन हसीना पारकर का निधन हो गया है। वह यहां दाऊद की गतिविधियों को नियंत्रित कर रही थी। उसने धन जुटाकर बहुत सारी संपत्ति अर्जित की थी। उसने कुर्ला में गोवावाला कंपाउंड में एक संपत्ति का अधिग्रहण किया था।

    ASG ने आगे कहा कि ED यह साबित करेगी कि उसने संपत्ति कैसे हासिल की। मुनीरा और मरियम इस संपत्ति के वास्तविक मालिक हैं। ASG ने आगे कहा कि यह संपत्ति एक पुश्तैनी संपत्ति थी। माता-पिता की मृत्यु के बाद मुनीरा और मरिया संपत्ति की एकमात्र मालिक थीं।

    ASG ने आगे कहा, हसीना पारकर के सहयोगी सलीम पटेल को अतिक्रमण हटाने और जमीन न बेचने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी दी गई थी। इसमें 1993 धमाके का आरोपी सरदार खान भी शामिल था।
    ASG ने आगे कहा मुनीरा और उनकी बहन ने संपत्ति में अपने अधिकार बेचने की कोई पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी नहीं दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स से उन्हें पता चला कि सरदार खान ने यह संपत्ति बेच दी थी। सरदार खान इस जमीन का किराया लेने वाले का भाई है।

    ASG: मुनीरा और उनकी बहन को पता चला कि संपत्ति नवाब मलिक को उसकी एक कंपनी के माध्यम से बेची गई थी।

    ASG: मुनीरा ने ईडी को बताया कि उन्हें संपत्ति के लिए कोई पैसा नहीं मिला है। यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि संपत्ति के वास्तविक मालिकों को एक रुपये का भुगतान किया गया था। सलीम पटेल ने अवैध रूप से संपत्ति बेची।

    ASG: हसीना पार्कर ने बाद में 55 लाख रुपए के लिए संपत्ति के अधिकार नवाब मलिक को हस्तांतरित कर दिए। हमारे पास पीएमएलए एक्ट की धारा 19 की शर्त को पूरा करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद है।

    ASG: हसीना पार्कर ने बाद में 55 लाख रुपए के लिए संपत्ति के अधिकार नवाब मलिक को हस्तांतरित कर दिए। इस प्रॉपर्टी की वास्तविक कीमत 3.3 करोड़ थी, लेकिन इसे सिर्फ 50 लाख रुपये में खरीदा गया था। संपत्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से अवैध तरीके से खरीदा गया था। वे अब इस प्रॉपर्टी को डेवलपमेंट करना चाहते हैं। हमारे पास मलिक के खिलाफ पीएमएलए एक्ट की धारा 19 की शर्त को पूरा करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद है।

    ASG: सलीन पटेल, जिनके पास पावर ऑफ अटॉर्नी थी और जो हसीना पार्कर के नियंत्रण में थे ने संपत्ति को आरोपी के स्वामित्व वाली कंपनियों में से एक को बेच दिया।

    ASG: मलिक के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने की बात कह अनिल सिंह ने अदालत से उनकी 14 दिन की कस्टडी मांगी है।

    नवाब मलिक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा कि वे (ASG)अधिनियम के लागू होने से छह साल पहले 1999 से पावर ऑफ अटॉर्नी की बात कर रहे हैं।

    देसाई: दाऊद इब्राहिम पिछले 30 साल से अपने अपराध के लिए जाना जाता है, लेकिन उसके खिलाफ 3 फरवरी 2022 को ही FIR दर्ज की जाती है। मलिक का इस केस से कुछ भी लेना-देना नहीं है। जब आप गिरफ्तारी की शक्तियों का प्रयोग करते हैं तो इसे साबित करना पड़ता है। पीएमएलए के तहत सीमा बहुत अधिक है, यह एक कठोर कानून है। मैं पूछता हूं 1999 और 2003 में पीएमएलए अधिनियम के लागू होने के 6 साल पहले के केस की हम बात कर रहे हैं। आप 20 साल इंतजार करें और फिर कहें कि मुझे 14 दिन का रिमांड दे दो।

    देसाई: इस गिरफ्तारी के माध्यम से एक धारणा पैदा करने का प्रयास है कि महाराष्ट्र राज्य का एक निर्वाचित प्रतिनिधि राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल है।

    देसाई: हमारा दाऊद गैंग से कोई सरोकार नहीं है। हम इस सलीम पटेल से कंफ्यूज हो रहे हैं।

    देसाई: हमारा दाऊद गैंग से कोई सरोकार नहीं है। हम इस सलीम पटेल से कंफ्यूज हो रहे हैं। सलीम फ्रूट अब ड्राइवर सलीम पटेल के बारे में बयान दे रहा है। यह ड्राइवर हसीना पार्कर का करीबी है। सलीम फ्रूट का कहना है कि सलीम पटेल उन्होंने कहा कि हसीना पारकर ने इसे नवाब मलिक को बेच दिया। मुनीरा की संपत्ति हड़प ली गई थी। आप अंग्रेजी शब्दकोश से कोई शव्द उठा सकते, उसे रिमांड बुक में डाल सकते हैं और किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता छीन सकते हैं। कोर्ट तथ्यों पर काम करता है।

    देसाई: PMLA की धारा कहती है कि इसमें एक पीड़ित होना चाहिए। अगर मुनीरा कहती है कि उसे पता नहीं था कि जमीन को नवाब मलिक को कौन बेचा गया था, तो इसमें कोई अपराध नहीं है। अगर मुनीरा को सलीम पटेल से कोई शिकायत है तो इस सब में नवाब मलिक कहां हैं? नवाब मलिक खुद पीड़ित हैं क्योंकि जिस व्यक्ति के पास संपत्ति का मालिकाना हक नहीं था, उसने उन्हें संपत्ति बेच दी।

    देसाई: अर्धसत्य के साथ चतुराई से रिमांड का मसौदा तैयार किया गया है। पीएमएलए के तहत अपराध कहां है?, जिसके लिए यह सज्जन यहां बैठे हैं?

    देसाई - 2022 में बयान देना बहुत सुविधाजनक है और 'मुझे नहीं पता था' यह कहते हुए 20 साल बीत गए। 15 साल तक आपको किराया नहीं मिलता, लेकिन आप कुछ नहीं करते। इसके अलावा मलिक के खिलाफ कार्रवाई क्यों? वह गिरोह का सदस्य नहीं हैं।

    देसाई - इस मामले में कोई अन्य आरोपी गिरफ्तार नहीं हुआ है। इकबाल कासकर भी इस मामले में गिरफ्तार नहीं है।
    देसाई - इस मामले में कोई अन्य आरोपी गिरफ्तार नहीं हुआ है। इकबाल कासकर भी इस मामले में गिरफ्तार नहीं है। क्या जज साहब को कोई सबूत मिला है मलिक ने हसीना पारकर से कोई जमीन खरीदी हैं। यह सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट था।
    देसाई - इस मामले में वास्तव में क्या हो रहा है, इसका आकलन करना आपके(अदालत/जज) सम्मान की बात है। मुझे नहीं पता कि 2005 में कौन सी संपत्ति रु. 300 करोड़ की थी। देसाई ने रिमांड में टेरर फंडिंग शब्द पर कड़ी आपत्ति जताई है। रिमांड अर्जी में भाषा में थोड़ा संयम होना चाहिए। यह हिंदी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है, यह कोर्ट है। कोई अदालत होनी चाहिए जिसके दरवाजे हम खटखटा सकें। कहीं न कहीं कोर्ट को इससे ऊपर उठना ही होगा। तो कल की हेडलाइन होगी टेरर फंडिंग। पिछले 25 वर्षों से यह व्यक्ति लोक सेवा में है। मुझे विश्वास है कि हमारी जनता जानती है कि वे किसे वोट दे रहे हैं।
    देसाई: आप सबूत जमा करें और उसे दोषी ठहराएं लेकिन केवल ये बयान न दें। आप सुबह आए तो गिरफ्तार कर लिया और अब टेरर फंडिंग कहते हो?
    देसाई ने अरेस्ट ऑर्डर में 'दोषी' शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सिर्फ 3 घंटे में 20 साल को समाहित कर दिया। अदालत को आरोपी का दोष तय करने में सालों लग जाते हैं और यहां अधिकारी ने उसे दोषी करार दिया है।
    देसाई: मेरा ईडी अधिकारी नीरज कुमार के लिए कोई अनादर नहीं है, लेकिन अगर यह वरिष्ठ अधिकारियों के लिए अपराध निर्धारित करने की सीमा है, तो हमें आपके सम्मान की आवश्यकता नहीं है। दोषी को अभी जेल भी जाना पड़ सकता है।
    देसाई - यह देश कानून के राज से ही बच हुआ है। अगर हम इसमें असफल हो जाते हैं, तो हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है। अगर वह(नवाब मलिक) आज जेल जाते हैं तो यह अनुचित होगा।
    देसाई: यह देश कानून के राज से ही बच हुआ है। अगर हम इसमें असफल हो जाते हैं, तो हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है। अगर वह(नवाब मलिक) आज जेल जाते हैं तो यह अनुचित होगा।
    देसाई: वह एक सिटिंग मंत्री हैं, अगर उनसे दस्तावेज मांगे जाते तो वे दे देते। उनकी गिरफ्तारी से क्या हासिल होगा? उनका इस अपराध से कोई लेना-देना नहीं है।
    एएसजी: मेरे पास 3 सबमिशन हैं। यह एक रिमांड चर्चा है न कि डिस्चार्ज आवेदन।

    पीएमएलए के तहत यह एक प्रिडिक्ट गुनाह है। यह एक कंटीन्यूइंग अपराध है, क्योंकि मलिक अभी भी कस्टडी में है।
    दूसरा सबमिशन PMLA की धारा 19 है। मुझे केवल पीएमएलए की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी पर संतोष दिखाने की जरूरत है।

    अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर एएसजी : जांच एजेंसी का अपना काम करने का तरीका है। हम किसे गिरफ्तार करें या नहीं यह आप तय नहीं करेंगे। मैंने कहा है कि पैसा हसीना के पास गया है और उसके पास से दाऊद के पास गया है।

नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद मुंबई में ED के सहायक निदेशक, नीरज कुमार द्वारा जारी अरेस्ट आर्डर में कहा गया,'नवाब मलिक को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराध का दोषी पाया गया है। इसलिए, Prevention of Money Laundering Act, 2002 (2003 का 15) की धारा 19 की उप-धारा (1) के तहत मुझे प्रदान की गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए, मैं मोहम्मद नवाब मोहम्मद इस्लाम मलिक को गिरफ्तार करता हूं। 23 फरवरी 2022 की 14.45 बजे नवाब मलिक को गिरफ्तार किया गया है।"

गिरफ्तारी के बावजूद मलिक का अंदाज नवाबों वाला, बोले- डरेंगे नहीं, लड़ेंगे और जीतेंगे
नवाब मलिक को जब ED पूछताछ के लिए घर से दफ्तर ले जा रही थी, तब उनकी बॉडी लैंग्वेज अचीवर वाली थी। इसके बाद जब उन्हें गिरफ्तारी के बाद ED दफ्तर के बाहर लाया गया तो उन्होंने बाहर निकलते हुए हाथ उठाकर मुक्का बांधा और जोरदार पंच के साथ हवा में लहराया।

घर के गेट से गाड़ी तक मलिक ने चेहरे पर बड़ी मुस्कान बनाए रखी। इस दौरान वे मीडिया की तरफ हाथ उठाकर लहराते भी रहे। मेडिकल जांच के लिए अस्पताल जाने के दौरान मलिक ने मीडिया से कहा कि डरेंगे नहीं, लड़ेंगे और जीतेंगे।


नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद उनके ऑफिस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से 'पुष्पा' फिल्म के चर्चित डायलॉग के साथ यह ट्वीट किया गया है।

गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक गलियारे में भी गर्मी
नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे में भी गहमागहमी शुरू हो गई है। इस कार्रवाई पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री व कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि ये निचले स्तर की राजनीति है। केंद्रीय एजेंसी जानबूझकर लोगों को परेशान कर रही है।

उधर, भाजपा ने उद्धव सरकार पर हमला बोला है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा है कि मलिक महाराष्ट्र कैबिनेट से इस्तीफा दें। उन्होंने गिरफ्तारी के सवाल पर कहा कि जैसी करनी, वैसी भरनी।

 

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