कांग्रेस अर्बन नक्सल ( शहरी नक्सलवाद ) के जाल में फंस गई है - प्रधानमंत्री मोदी


कांग्रेस की सोच पर अर्बन नक्सलियों ने कब्जा - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 

कांग्रेस अर्बन नक्सल ( शहरी नक्सलवाद ) के जाल में फंस गई है - प्रधानमंत्री मोदी


 

पीएम मोदी ने कहा कि यहां ये भी चर्चा हो रही है कि हम इतिहास बदल रहे हैं। कांग्रेस एक प्रकार से अर्बन नक्सल के जाल में फंस गई है। उनकी सारी सोच गतिविधि ऐसी हो गई है। ये देश के लिए चिंता की बात हो गई है। अर्बन नक्सल ने कांग्रेस की इस दुर्दशा का फायदा उठाकर उनके मन पर कब्जा कर लिया है। इसलिए वे बार-बार बोल रहे हैं कि इतिहास बदल रहा है। हम केवल कुछ लोगों के इतिहास को ठीक कर रहे हैं।

 कांग्रेस की सोच पर अर्बन नक्सलियों ने कब्जा - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
Urban Naxalites captured the thinking of Congress - Prime Minister Narendra Modi
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 दैनिक भास्कर में प्रकाशित रिपोर्ट
संसद में नमो का भाषण :-
https://www.bhaskar.com
कांग्रेस के दिमाग पर अर्बन नक्सलियों का कब्जा,
यह पार्टी न होती तो इमरजेंसी न झेलनी पड़ती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब दिया। मोदी के निशाने पर कांग्रेस रही। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जिन्होंने देश में इमरजेंसी लगाई, वे लोकतंत्र पर चर्चा कर रहे हैं। इमरजेंसी में लोकतंत्र का गला घोंटा गया। उधर, राज्य सभा में सभी संशोधन खारिज होने के बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है।

PM ने अपने जवाब में कहा, 'अगर कांग्रेस न होती, तो देश पर इमरजेंसी का कलंक न लगता। कांग्रेस न होती, तो जातिवाद की खाई न होती। कांग्रेस न होती, तो सिखों का नरसंहार न होता।' मोदी यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सोच पर अर्बन नक्सलियों ने कब्जा कर लिया है।

उन्होंने कहा, 'परिवारवाद लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। कांग्रेस की परेशानी ये है कि उन्होंने डायनेस्टी के आगे कुछ सोचा ही नहीं। जब टेलेंट पर परिवार हावी होता है, तो यह दिखाई देता है। कांग्रेस न होती, तो राजनीति परिवारवाद से मुक्त होती। कांग्रेस न होती, तो भारत विदेशी चश्मे के बजाए स्वदेशी संकल्पों के रास्ते पर चलता। कांग्रेस न होती, तो दशकों तक भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाकर नहीं रखा जाता।'

कोरोना पर बोले- संकट में हम गरीबों के साथ
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के समय देश के 80 करोड़ से ज्यादा देशवासियों को मुफ्त राशन की व्यवस्था की गई। गरीबों का चूल्हा कभी बंद न हो ऐसा करके भारत ने पूरी दुनिया के सामने उदाहरण पेश किया। यह बड़ी कामयाबी है कि महामारी की रुकावट के बाद भी लाखों परिवारों को गरीबों को पक्का घर देने की दिशा में हम लगातार चलते रहे। जब तक महामारी रहेगी, तब तक सरकार गरीब का जीवन बचाने के लिए जितना खर्च करना पड़ेगा, उतना करेगी। कांग्रेस पर तंज कसते हुए PM ने कहा- कोरोना पर भारत की कोशिशों की दुनियाभर में तारीफ हो रही है। बेहतर होता कि कांग्रेस के लोग इसका यश लेने की कोशिश करते।

देश के सामर्थ्य पर अटल जी की कविता सुनाई
PM ने कहा- इस कोरोना काल में दुनिया को दवाई पहुंचाने की बात हो या पर्यावरण संरक्षण की बात हो, भारत की लीडरशिप की दुनिया में चर्चा है। जब संकट का काल होता है, तो चुनौतियां बहुत होती हैं। उस समय दुनिया की पूरी ताकत अपने बचाव में जुटी होती है। ऐसे में मुझे अटल बिहारी जी कविता की पंक्तियां याद आ रही हैं:

व्याप्त हुआ बर्बर अंधियारा
किंतु चीर कर तम की छाती
चमका हिंदुस्तान हमारा।

शत-शत आघातों को सहकर
जीवित हिंदुस्तान हमारा।

जग के मस्तक पर रोली सा
शोभित हिंदुस्तान हमारा।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए PM मोदी ने कोरोना, किसान, MSME जैसे अहम सैक्टर्स के लिए सरकार की योजनाएं गिनाईं।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए PM मोदी ने कोरोना, किसान, MSME जैसे अहम सैक्टर्स के लिए सरकार की योजनाएं गिनाईं।
राज्यसभा में PM के भाषण के मुख्य बिंदु

आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। पिछले 75 साल में कई स्तर पर देश के विकास को गति देने की कोशिश हुई। अगले 25 साल में हमें देश को कैसे आगे ले जाना है, इस पर फोकस करना होगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण में इसका संक्षिप्त खाका पेश किया गया था। इसमें जो अच्छा है, उसे आगे बढ़ाना और जहां नई कोशिश करने की जरूरत है, उसका लेखाजोखा शामिल था।

जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, उस समय तक हमें देश को कहां पहुंचाना है, कैसे पहुंचाना है इस पर विचार करने के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण समय है। हम सभी राजनेताओं को भी 25 साल में देश का विकास कैसे हो, इस पर ध्यान केंद्रित करना है।

कोरोना एक वैश्विक बीमारी है। मानवजाति ने पिछले 100 सालों में कभी ऐसी आपदा का सामना नहीं किया है। जब कोरोना शुरू हुआ था, तब पूरी दुनिया में चर्चा थी कि इससे भारत का क्या होगा, लेकिन हम इससे लड़े और दुनिया के सामने आदर्श स्थिति रखी। आज देश में वैक्सीन को लेकर कई अभियान चल रहे हैं। इसने देश के 130 करोड़ लोगों को वैक्सीन लेने के लिए प्रेरित किया।

कोरोना में गरीबों के सशक्तिकरण पर काम हुआ। भारत ने वैक्सीन बनाने और वैक्सीनेशन करने की कोशिश शुरू की। आज हम शत प्रतिशत पहले डोज के लक्ष्य की ओर तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स, हेल्थ वर्कर्स और वैज्ञानिक ने जो काम किया है उससे भारत की प्रतिभा तो बढ़ेगी ही, साथ ही हौसला भी बुलंद होगा। यह सदन अपने फ्रंटलाइन वर्कर्स का गौरव के साथ अभिनंदन करता है।

कोरोना के समय में 80 करोड़ से ज्यादा देशवासियों को मुफ्त राशन की व्यवस्था की गई। गरीबों का चूल्हा कभी बंद न हो ऐसा करके भारत ने पूरी दुनिया के सामने उदाहरण पेश किया। यह बड़ी कामयाबी है कि महामारी की रुकावट के बाद भी लाखों परिवारों को गरीबों को पक्का घर देने की दिशा में हम लगातार चलते रहे।

5 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल से जल पहुंचाने का रिकॉर्ड बना है। कोरोनाकाल में जब पहला लॉकडाउन लगाया गया, तब बहुत समझदारी और साहस के साथ गांव में किसानों को लॉकडाउन से मुक्त रखा गया। इसका परिणाम यह हुआ कि हमारे किसानों ने कोरोना कालखंड में बंपर पैदावार की। इस दौरान MSP पर भी रिकॉर्ड खरीदारी की गई। इसी कोरोना काल में इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कई प्रोजेक्ट पूरे किए गए।

UP और तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर बन रहे हैं, जिस तरह से MSME क्षेत्र के लोग डिफेंस सेक्टर में आ रहे हैं, ये उत्साहवर्धक है और दिखाता है कि देश के लोगों में सामर्थ्य है। देश को डिफेंस के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए MSME के लोग बहुत साहस जुटा रहे हैं।

कोरोना काल में MSME सेक्टर और खेती-किसानी पर सरकार ने विशेष फोकस किया। किसानों को ज्यादा MSP मिला, पैसा सीधा बैंक खातों में जमा हुआ। पंजाब के लोगों के मैंने कई वीडियो भी देखे, उन्होंने कहा कि हमारी मेहनत तो उतनी ही है, लेकिन खाते में इतना पैसा एक साथ आता है, ये पहली बार देखा है।

2021 में एक करोड़ 20 लाख लोग EPFO से जुड़े हैं, ये सब फॉर्मल जॉब हैं। इनमें से भी 65 लाख 18-25 आयु के हैं, यानी इन लोगों की पहली बार जॉब मार्केट में एंट्री हुई है। कोविड प्रतिबंध खुलने के बाद हायरिंग दोगुनी हो गई हैं। भारत में बीते साल जितने यूनिकॉर्न बढ़े हैं, ये बीते कई सालों की तुलना में ज्यादा हैं।
अमेरिका 40 साल में सबसे ज्यादा महंगाई का दौर झेल रहा है, ब्रिटेन 30 साल की रिकॉर्ड महंगाई झेल रहा है, ऐसे माहौल में भी हमने महंगाई को एक लेवल पर रोकने का बहुत प्रयास किया है। 2014 से 2020 तक ये दर 4 से 5 प्रतिशत के पास थी। इसकी तुलना UPA के दौर से करें, तो पता चलेगा महंगाई क्या होती है? UPA के समय महंगाई डबल डिजिट छू रही थी। हम दुनिया की एक मात्र एक ऐसी इकोनॉमी हैं जो डबल डिजिट ग्रोथ की ओर बढ़ रहे हैं। दुनिया की अर्थव्यवस्था को देखें तो वहां की अर्थव्यवस्था में या तो ग्रोथ स्लो हुई है या फिर महंगाई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ रही है।

जनप्रतिनिधि अपने आप में लीडर होता है। लोग उसे देखते हैं, उसे फॉलो करते हैं। ऐसा नहीं हैं कि आप यहां बैठ गए तो आप लीडर हो गए, लेकिन वहां बैठ गए तो आप लीडर नहीं रहे। लीडर के लिए इस तरह निराश होना सही नहीं है। अगर आप इस तरह करेंगे, तो आपके मानने वालों पर इसका क्या असर होगा?
सत्ता किसी की भी हो, देश के सामर्थ्य को कम नहीं आंकना चाहिए। सदन में हमारे साथी ने कहा- वैक्सिनेशन इज नॉट अ बिग डील। कोरोना जब से मानव जाति के लिए संकट पैदा कर रहा है, देश ने हरसंभव संसाधन जुटाने की कोशिश की है। जब तक महामारी रहेगी, हम देश की गरीब जनता के लिए जितना खर्च करना पड़ेगा, करेंगे।


जब लगा कि कुछ लोगों के साथ अत्मचिंतन किया जाए, तो कोरोना को लेकर सभी दलों की मीटिंग बुलाई गई। कई लोगों ने इसके लिए भी मना कर किया।
आयुष्मान भारत के तहत देश में 80 हजार से ज्यादा हेल्थ सेंटर चल रहे हैं। यहां शुगर जैसी कई बीमारियों को पहले ही पकड़ा जा सकता है। इस हेल्थ सेंटर को और बढ़ाने का काम किया जा रहा है।
UPA सरकार ने विकास की नींव डाली और भाजपा सरकार ने उस पर झंडा गाड़ दिया। ये डेमोक्रेसी आपकी मेहरबानी नहीं है। 1973 में डेमोक्रेसी का गला घोंटने वाले आज डेमोक्रेसी की बात कर रहे हैं।

डायनेस्टी के आगे कांग्रेस ने कभी कुछ सीखा ही नहीं। देश को सबसे बड़ा खतरा उन पार्टियों से हैं, जहां परिवारवाद चल रहा है। देश ने पहले इससे भी बहुत नुकसान उठाया है। सभी पार्टियों में परिवारवाद खत्म होना चाहिए और इसे खत्म करने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी कांग्रेस की है।
महात्मा गांधी कर इच्छा अनुसार अगर कांग्रेस न होती तो क्या होता? इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा कहने वाली कांग्रेस नहीं होती, तो देश पर इमरजेंसी की कालिख नहीं होती।
अगर कांग्रेस न होती तो दशकों तक करप्शन को संस्थागत न बनाकर रखा होता, जातिवाद और क्षेत्रवाद की खाई इतनी गहरी नहीं होती। अगर कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार न होता, सालों-साल पंजाब आतंक की आग में न जलता। अगर कांग्रेस न होती, तो कश्मीर के पंडितों को कश्मीर छोड़ने की नौबत न आती।
अगर कांग्रेस न होती तो लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता, भारत विदेशी चस्पे के बजाय स्वदेशी संकल्पों के रास्ते पर चलता।
अगर कांग्रेस न होती तो बेटियों को तंदूर में जलाने की घटनाएं न होतीं। अगर कांग्रेस न होती तो देश के सामान्य आदमी को मूल बिजली पानी जैसी सुविधाओं के लिए इतने साल इंतजार न करना होता।
जब राज्य प्रगति करते हैं, तब देश की तरक्की होती है। मैं गुजरात में था, मुझ पर क्या-क्या जुल्म हुए दिल्ली की सरकार द्वारा। इतिहास गवाह है, क्या कुछ नहीं हुआ मेरे साथ, गुजरात के साथ क्या नहीं हुआ, लेकिन उस कालखंड में भी मैं एक ही बात कहता था कि देश के विकास के लिए गुजरात का विकास। दिल्ली में किसकी सरकार है, ये सोचकर नहीं चलते थे। कांग्रेस ने किसी को नहीं छोड़ा, अपने नेताओं तक को नहीं छोड़ा।

कांग्रेस जब सत्ता में रही, तो देश विकास नहीं होने दिया, अब जब विपक्ष में है, तो देश के विकास में अदासा डाल रही है। कांग्रेस को नेशन पर भी आपत्ति है।
यदि नेशन, इसकी कल्पना गैरसंवैधानिक है, तो आपकी पार्टी का नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस क्यों रखा गया? अगर अब आपकी नई सोच आई है, तो पार्टी का नाम बदल लीजिए और फेडरेशन ऑफ कांग्रेस कर दीजिए। अपने पुरखों की गलती सुधार लीजिए।


कल लोकसभा में 100 मिनट बोले थे मोदी
कल PM मोदी ने लोकसभा में 100 मिनट का मैराथन भाषण दिया था। मोदी लोकसभा में सोमवार शाम 5 बजकर 26 मिनट पर बोलने खड़े हुए और 7 बजकर 6 मिनट तक बोले। अपने भाषण में नरेंद्र मोदी ने विष्णु पुराण का श्लोक पढ़ा था। वहीं, तमिल महाकवि सुब्रमण्यम भारती की कविता के जरिए राष्ट्रीय एकता पर बात की, तो कांग्रेस को टुकड़े-टुकड़े गैंग की लीडर कहा था।


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