Bharat Mandapam भव्य दिव्य और अतुल्य भारत दर्शनम, धन्य धन्य हो मोदी जी - अरविन्द सिसोदिया

भव्य दिव्य और अतुल्य भारत दर्शनम, धन्य धन्य हो मोदी जी - अरविन्द सिसोदिया
जी 20 देशों की बैठक भारत की राजधानी दिल्ली में हो रही है। दुनिया भर के वे देश जो बड़ी अर्थव्यवस्था कहलाते हैं, उनके प्रमुख भारत आये हैं। रूस के पुतिन युद्ध कारणों से और चीन के जिनपिंग कांग्रेस के साथ एम ओ यू के कारण नहीं आये, किन्तु इनकी जगह इनका कोई प्रतिनिधि आया ही है, इससे भारत को कोई नुकसान नहीं है।

चीन के राष्ट्रपति का नहीं आना, भारत को चीन विरोधी ताकतों के बीच और मजबूती प्रदान करेगा।

सबसे महत्वपूर्ण है की भारत की और से हो रहे स्वागत एवं महमान नवाजी में, भारतीय संस्कृति और लोक पराँपराओं का जो सम्मान मिला है, वह अद्भुत है, विविधताओं से युक्त रंगबिरंगी भारतीय संस्कृति के दर्शन दिल्ली में हो रहे हैं।

भारत मंडपम अपने आप में लघु भारत बन गया है, इसमें दिव्य भव्य और अतुल्य भारत के दर्शन आंगनतुको को होरहे हैँ।

भारत में पहले भी कई विश्वस्तरीय आयोजन हुए मगर, भारतीय संस्कृति को कभी भी स्थान नहीं मिलता था। बल्कि भारतीय संस्कृति को ढक दिया जाता था कि कोई इसे देख न ले। कोई हमें पिछड़ा और दकियानूस न समझले। तब कि सरकारें भारतीय संस्कृति में हीन भावना दर्शाती थी व छुपाती थीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भारतीय संस्कृति को पूरे विश्व को दिखा रही है, उसके गौरवान्वित पक्ष को बेहतर उजागर कर रही है।

इस महान अवसर पर प्रधानमंत्री मोदीजी व उनकी सरकार को धन्यवाद बनता है।
कोटि कोटि धन्यवाद मोदीजी...
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सबसे बड़ा इनडोर हॉल: G-20...
सबसे बड़ा इनडोर हॉल: G-20 शिखर सम्मेलन के लिए तैयार भारत मंडपम, दुनिया की सबसे ऊंची नटराज की प्रतिमा

सबसे बड़ा इनडोर हॉल : 
G-20 शिखर सम्मेलन के लिए तैयार भारत मंडपम,
दुनिया की सबसे ऊंची नटराज की प्रतिमा

देश की राजधानी दिल्ली G20 समिट (G20 Summit 2023) के लिए तैयार है. 9 और 10 सितंबर को प्रगति मैदान के आईटीपीओ सेंटर (Bharat Mandapam) में इस समिट का आयोजन होगा.देश का सबसे बड़ा इनडोर हॉल यानी भारत मंडपम दुनिया की महाशक्तियों को एक मंच पर लाने के लिए तैयार है. ये पहली बार होगा, जब दुनिया के शक्तिशाली देश के राष्ट्राध्यक्ष दिल्ली में एक साथ एक वक्त पर होंगे. 48 घंटे के लिए भारत की राजधानी दिल्ली दुनिया का सबसे हॉट सेंटर होगा. दिल्ली दुनिया का सबसे सेफ जोन होगा. पूरी दुनिया की नजरें भारत मंडपम पर होंगी, क्योंकि जी-20 समिट में बड़े-बड़े राष्ट्राध्यक्ष मौजूद रहेंगे. जी-20 में शामिल होने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कुछ ही घंटों के बाद दिल्ली पहुंच रहे हैं. ठीक ऐसे ही दुनिया के तमाम बडे़ मुल्कों के मुखिया दिल्ली आ रहे हैं.


भारत आने वाले नेताओं की लिस्ट में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक पीएम बनने के बाद पहली बार भारत की यात्रा पर होंगे. बता दें कि ऋषि सुनक भारतीय मूल के हैं. इनके अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी आ रहे हैं. वहीं जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज भी जी-20 में शामिल होने आ रहे हैं. जी-20 में चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग नहीं आ रहे हैं, लेकिन चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग शामिल होने भारत आ रहे हैं. वहीं रूस के राष्ट्रपति पुतिन जी-20 में नहीं रहेंगे. उनकी जगह रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव मौजूद होंगे. जापान के प्रधानमंत्री फिमियो किशिदो, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति Yoon Suk Yeol, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीज, यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज समेत सभी राष्ट्राध्यक्ष मौजूद रहेंगे.
भारत मंडपम देश का सबसे बड़ा इंडोर हॉल है. G-20 से जुड़े सारे कार्यक्रम यहीं होने जा रहे हैं. भारत मंडपम की भव्यता देखते ही बन रही है. इसे शानदार तरीके से सजाया गया है, क्योंकि ये पूरे विश्व में भारत का गौरव गान करेगा. ये नया कॉम्प्लेक्स दुनिया के शीर्ष 10 कन्वेंशन सेंटर्स में शामिल है, जो जर्मनी के हनोवर और चीन के शंघाई जैसे विख्यात कन्वेंशन सेंटर को टक्कर देता है.
भारत मंडपम 123 एकड़ में बना है. इसके निर्माण में 750 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. देश के सबसे बड़े कन्‍वेंशन सेंटर में 10,000 लोगों के एक साथ बैठने की क्षमता है. इसमें कई वीआईपी लॉन्ज और कई आधुनिक टेक्नॉलॉजी वाले कॉन्फ्रेंस रूम भी हैं.

भारत मंडपम में एक हॉल ऐसा भी है, जिसमें एक साथ 7 हजार लोग आराम से बैठ सकते हैं. भारत मंडपम का कुल एरिया फुटबॉल स्टेडियम से करीब 26 गुना बड़ा है. ये दुनिया के सबसे बड़े हॉल में से एक है और सिडनी (ऑस्‍ट्रेलिया) के ओपेरा हाउस से कहीं अधिक बड़ा है. समिट हॉल में जो झूमर लगा है, उसमें 3500 क्रिस्टल बॉल हैं. इसे चेक रिपब्लिक की राजधानी प्राग से मंगवाया गया है. इसका हर क्रिस्टल हैंडक्राफ्टेड है. भारत मंडपम परिसर में नटराज की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. इसकी ऊंचाई 27 फीट और चौड़ाई 21 फीट है. वहीं इस मूर्ति का वजन लगभग 18 टन है. इस मूर्ति को लॉस्ट वैक्स तकनीक के माध्यम से अष्टधातु से बनाया गया है.

जी-20 के लिए भारत मंडपम में 26 पैनल की डिजिटल दीवार बनाई गई है. बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में आने वाले मेहमानों का एआई एंकर स्वागत करेगी. एआई एंकर कॉरिडोर की थीम के बारे में भी जानकारी देगी, साथ ही इस पैनल पर भारतीय लोकतंत्र की कहानी को दिखाया जाएगा. भारत मंडपम में राष्ट्राध्यक्षों का ग्रैंड वेलकम होगा. इसके बाद अगले दो दिनों तक जी-20 के एजेंडे पर मंथन और चिंतन होगा. इस बार एक बड़ा मुद्दा जी-20 में अफ्रीकी संघ को स्थायी तौर पर जी-20 में शामिल करने का है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफ्रीकी संघ की सदस्यता के मुद्दे की अगुवाई कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने सभी सदस्य देशों को चिट्ठी लिखकर अपील की थी कि जी-20 में अफ्रीकी संघ के 54 देशों को स्थायी सदस्यता दी जाए. अमेरिका समेत तमाम मुल्क राजी हैं और अब चीन ने भी बैठक शुरू होने से पहले समर्थन कर दिया है. सम्मेलन में इस प्रस्ताव पर फाइनल मुहर लग सकती है. भारत ने जी-20 के सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है.
सबसे ऊंची नटराज की प्रतिमा भारत मंडपम में
ऐतिहासिक जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे दिल्ली के भव्य भारत मंडपम में विस्मयकारी दुनिया की सबसे ऊंची नटराज प्रतिमा प्रदर्शित की गई है, जो 28 फीट ऊंची है, जो भारतीय धरती पर इस स्मारकीय आयोजन की भव्यता का प्रतीक है. दुनिया की सबसे ऊंची नटराज की प्रतिमा को लेकर केंद्र ने एक्स पर कहा, 28 फीट ऊंची, 18 टन वजनी यह प्रतिमा अष्टधातु से बनी सबसे ऊंची प्रतिमा है.
तमिलनाडु के स्वामी मलाई के प्रसिद्ध मूर्तिकार राधाकृष्णन स्थापति और उनकी टीम ने रिकॉर्ड सात महीनों में इस भव्य और विस्मयकारी दुनिया की सबसे ऊंची नटराज प्रतिमा को गढ़ा है. तमिलनाडु के स्वामी मलाई के प्रसिद्ध मूर्तिकार राधाकृष्णन की 34 पीढ़ियां चोल साम्राज्य काल से मूर्तियां बनाती आ रही हैं. चोल राजवंश 9वीं13वीं शताब्दी तक यानी 400 वर्षों तक, दक्षिण भारत में प्रमुख सांस्कृतिक, कलात्मक, धार्मिक और राजनीतिक शक्ति था.


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