पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 72 फ़ीट ऊँची भव्य प्रतिमा अनावरण Deendayal Upadhyaya

 


आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा दीनदयाल उपाध्याय पार्क, नई दिल्ली में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 72 फ़ीट ऊँची भव्य प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु 


आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज मंगलवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर भाजपा के केंद्रीय कार्यालय के सामने दीनदयाल उपाध्याय पार्क में उनकी 72 फ़ीट ऊँची भव्य प्रतिमा का अनावरण किया और उनके जीवन से प्रेरणा लेने की सीख दी। कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा जी, केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी सहित पार्टी के तमाम वरिष्ठ पदाधिकारी, कई सांसद, विधायक एवं बड़ी संख्या में जनता एवं पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

 आदरणीय प्रधानमंत्री जी के संबोधन के मुख्य बिंदु -

●       पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जीवन हम सभी को प्रेरणा देते हैं। गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों की अत्यंत करुणा के साथ सेवा करने का उनका संदेश हमारी मार्गदर्शक शक्ति है। 

●       यह कितना सुखद और अद्भुत संयोग है कि कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा इस पार्क में लगी है और पार्क के सामने ही भाजपा का कार्यालय है। पंडित दीनदयाल जी के रोपे हुए बीज से आज वह बटवृक्ष बन चुकी है। हमें देश में राजनीतिक शुचिता को हमेशा बनाए रखना है। मैं उनके चरणों में नमन करता हूं। 

●       मुझे हमेशा एक बात का गर्व होता है कि जिन पंडित दीनदयाल उपाध्‍यायजी के विचारों को लेकर हम जी रहे हैं, मेरे लिए उनके चरणों में बैठने का सौभाग्‍य मिलना अपने आप में बहुत ही बड़ी बात है। 

●       पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा हम सबके लिए ऊर्जा का स्रोत बनेगी, राष्ट्र प्रथम के कण की प्रतीक बनेगी, एकात्म मानव दर्शन की प्रेरणा बनेगी और अंत्योदय के संकल्प को याद दिलाएगी। 

●       केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार के नेतृत्व में संसद में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पास हुआ है। दीनदयाल जी ने एकात्म मानववाद का, इंटीग्रल ह्यूमनिज्म का जो मंत्र राजनीति को दिया था, ये उसी विचार का विस्तार है। राजनीति में महिलाओं की उचित भागीदारी के बिना समावेशी समाज और डेमोक्रेटिक इंटिग्रिटी की बात नहीं कर सकते। नारी शक्ति वंदन अधिनियम का पास होना लोकतंत्र की जीत के साथ-साथ हमारी वैचारिक जीत भी है। 

●       पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने हमेशा समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की बात की थी। यही उनके अंत्योदय का संकल्प था।

●       मैं आप सबसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के सात सूत्रों को जीवन में उतारने का आग्रह करता हूँ। ये सूत्र हैं - सेवा भाव, संतुलन, संयम, समन्वय, सकारात्मक, संवेदना और संवाद।

●       आज मुझे जयपुर में धानक्या रेलवे स्टेशन जाने का सौभाग्य मिला। मैं सुबह उस पवित्र स्‍थान (जयपुर जिले के धानक्या गांव जहाँ पंडित दीनदयाल जी ने अपने बचपन के दिन बिताए थे) पर से आज सीधा यहां आया हूं और ये शाम मुझे दिल्‍ली में पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय पार्क में उनकी प्रतिमा का लोकार्पण करने का अवसर मिला है। यह अद्भुत और सुखद है।

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