भारत शब्द ही असली आजादी का स्वाभिमान - अरविन्द सिसौदिया President of Bharat

हमारा देश आजादी के 75 वर्ष पूर्ण कर अमृतकाल मना रहा है, इस अमृत काल में हम सभी गुलामी की तमाम मौजूद दासताओं से मुक्त होनें की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारी प्रयत्न कर रहे है। । देश इण्डिया शब्द से मुक्त होता है तो यह असली आजादी का सम्मान होगा । - अरविन्द सिसौदिया

लगभग 5000 वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध और उस समय का महान धर्म ग्रंथ महाभारत इस बात का सबूत है कि हम तो भारत ही हैं और भारत ही रहेंगे। जिनकी विदेशी गुलामी की सोच रही , जिन्होने ब्रिटेन से गुप्त संधि की थी वे ही इण्डिया शब्द के खैर ख्वाह थे , इसका विरोध संबिधान सभा में तब भी हुआ था और आज भी कोई स्विकार्यता नहीं है। महज संबिधान में होनें से मजबूरी मात्र है.... - अरविन्द सिसौदिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार हिंदी हमारे देश की राजभाषा है। इस अनुच्छेद में यह व्यवस्था है कि संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। और इसी भाषा में देश का नाम भारत है, इसलिए भारत ही अधिकृत नाम है।  संविधान में अंग्रेजी अस्थाई भाषा है और इसलिए अंग्रेजी नाम इण्डिया भी अस्थाई ही है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भी हम यही कहते हैं कि " हम भारत के लोग....।"

इसी तरह हमारा द्वारा दिया जानें वाला सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न है, इण्डिया रत्न नहीं है।

फिर यह देश जब महाभारत युद्ध लड़ा हो तो इसके भारत होनें पर आपत्ति क्या हो सकती है।

जिन लोगों को विदेशों की गुलामी की    आदत रही है अथवा उनसे कोई गुप्त सन्धि है, वे ही इंडिया शब्द के साथ हो सकते हैं। - अरविन्द सिसोदिया 


मेरे इसी ब्लाग में 2010 में एक आलेख था ....इंडिया शब्द हटे, भारत के संविधान से....!  हाल ही में महामहिम राष्ट्रपति महोदय के द्वारा जारी आमंत्रण में प्रसिडेंट ऑफ़ भारत ... लिखा होनें के बाद बहुत बल मिला है कि में सही था...



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मेरे इसी ब्लाग में एक आलेख है ....हमारा देश श् भारतवर्ष श् रू जम्बू दीपे भरत खण्डे... यह मेरे ब्लाग का लोकप्रिय आलेख है इसे अभी अभी ही 2 हजार से ज्यादा बार देखा गया है।


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इंडिया शब्द और सोच दोनों ही विदेशी गुलामी की निशानी, इनसे मुक्ति ही असली आजादी...

इंडिया शब्द और सोच दोनों ही विदेशी गुलामी की निशानी, इनसे मुक्ति ही असली आजादी है ... इसमें कोई इफ एंड बट नहीं है।
महामहिम राष्ट्रपति के आमंत्रण पर प्रसिडेंट ऑफ़ भारत लिखा जाना प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव की बात है, इसका स्वागत होना चाहिए, भारत के चिरपुरातन वनवासी समाज से आनें वाली महिला नें राष्ट्रधर्म को सर्वोच्चता प्रदान की है। जिस तरह रामायुग में आदिवासी महिला शबरी नें भगवान श्रीराम का स्वागत और उनके निमित्त कार्य को करके, नवधाभक्ति का ज्ञान प्राप्त कर संस्कृति को महान प्रेरणा प्रदान की थी, उसी तरह महामहिम राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू नें आमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ़ भारत प्रकाशित कर, भारतीय संस्कृति के गौरव को विश्वस्तर पर प्रतिबिंबित करने का महान कार्य किया है, उनके इस पुरुषार्थ के देश के सवा सौ करोड़ से अधिक भारतीय उनके साथ खड़े हैं अड़े हैं। अंग्रेजी में भारत लिखा जाना असली स्वतंत्रता भी है और संवैधानिकता भी है।

 इंडिया शब्द गुलामी का ही प्रतीक है, भारत में ब्रिटेन की कंपनी ईस्ट इंडिया कंपनी जब भारत आई तब यह शब्द इण्डिया पहली बार हमारे यहां आया था। विश्व के दूसरे देश हमें किस नाम से पुकारते थे इस बात का हमें कोई लेना देना नहीं है, हमारे देश का नाम कभी भी इंडिया शब्द नहीं था, ना ही होना चाहिए।

समान्यतौर पर हमारा दूसरा नाम हिंदुस्तान भी रहा है, हिमालय पर्वत श्रंखला के पश्चिमी छोर पर हिन्दुकुश पर्वत है, हिन्दुकुश पर्वत के हम हिन्दू कहलाते हैं।

यूं तो हमारी संस्कृति लाखों करोड़ो वर्ष पूर्व की सभ्यता हैं, हमारा यह एशिया महाद्वीप अनादिकाल से जम्मू दीप कहलाता है, जम्मू दीप यानी जामुन के आकार वाला महादीप। तब इस संपूर्ण दीप पर सनातन संस्कृति के लोग ही रहते थे। जो हमारे पूर्वज थे और हम उसी संस्कृति की संताने हैं। चाहे वे तमिलनाडु और श्रीलंका में हों या इंडोनेसिया, मयमार, नेपाल, तिब्बत में हों। 

अर्थात भारत ही हमारा असली नाम है कोई दूसरा नाम होनें का हक किसी शब्द को है तो वह हिंदुस्तान शब्द को है। भारत के संबिधान में इण्डिया शब्द और अंग्रेजी भाषा सहित बहुत से प्रावधान मूलरूप से ब्रिटिश ईसाई सत्ताधारियों को संतुष्ट करने के लिए किए थे जो लगातार चले आरहे हैं।

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यह आलेख मुझे सोशल मीडिया पर मिला जो कि ज्यों का त्यों.... प्रस्तुत है......


आखिर इस "Indian” शब्द का क्या अर्थ है...

“Indian” शब्द का अर्थ है हरामी संतान, आपने पढ़ा होगा अंग्रेजोँ के समय मेँ सिनेमाघरोँ और कई सार्वजनिक जगहोँ पर “Dogs and Indians are not allowed” का बोर्ड लगा रहता था इसी से आप समझ सकते हैँ, अंग्रेज के लिये इंडियन्स की क्या औकात या मूल्य था।

लेकिन यदि आप ऑक्सफ़ोर्ड की पुरानी डिक्शनरी (Oxford Dictionary) खोलें तो पृष्ठ नं० 789 पर लिखा है Indian जिसका मतलब बताया गया है कि “old fashioned & criminal peoples” अर्थात् पिछडे और घिसे पिटे विचारों वाले अपराधी लोग तथा india का एक और अर्थ है “वह व्यक्ति या दंपत्ति जिसके माता पिता का विवाह चर्च में नहीं हुआ हो।”

अर्थात “Indian” शब्द का अर्थ है उस दंपत्ति से पैदा संतानें जो की चर्च में विवाह न होने के कारण नाजायज हैं मतलब कि बास्टर्ड या फिर हरामी संतान। ब्रिटेन में वहां के नागरिकों को “इंडियन” कहना क़ानूनी अपराध है।

“भारत” या “इंडिया” इस देश का क्या नाम है? भूतकाल में सरकार से यही सवाल लखनऊ के सामाजिक कार्यकर्ता ने पूछ कर केंद्र सरकार को मुश्किल में डाल दिया था सूचना के अधिकार क़ानून यानी आरटीआई के तहत पूछा है कि सरकारी तौर पर भारत का क्या नाम है?

उन्होंने बीबीसी को बताया, “इस बारे में हमारे बीच काफी असमंजस है। बच्चे पूछते हैं कि जापान का एक नाम है, चीन का एक नाम है लेकिन अपने देश के दो नाम क्यूं हैं।” उनके इस सवाल ने सरकारी दफ्तरों में हलचल मचा दी है क्योंकि सरकार के पास फिलहाल इसका कोई जवाब नहीं है।

जबाब में आवेदक चाहता है कि “हमें सुबूत चाहिए कि किसने और कब इस देश का नाम “इंडिया” रखा? या भारत को “इंडिया” कहने का फैसला कब किसके द्वारा लिया गया?”

उक्त आवेदन पर प्रधानमंत्री कार्यालय से उन्हें जवाब मिला था जिसमें कहा गया था कि “उनके आवेदन को गृह मंत्रालय के पास भेजा गया है।”

गृह मंत्रालय में भी इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था अतः इसे “संस्कृति विभाग” और फिर वहां से “राष्ट्रीय अभिलेखागार” भेजा गया जहां जानकारी ख़ोज ने का प्रयास आज तक जारी रहा...

राष्ट्रीय अभिलेखागार 300 वर्षों के सरकारी दस्तावेज़ों का संग्रह है। वहां के एक अधिकारी ने बताया था कि “हम इसका जवाब ढूंढ रहे हैं। जवाब शीघ्र ही भेजा जाएगा।”

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखा है, 'इंडिया दैट इज़ भारत'। इसका मतलब यह हुआ है कि देश के दो नाम हैं। सरकारी तौर पर 'गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया' भी कहते हैं और 'भारत सरकार' भी कहते हैं।

सरकारी कार्यवाही में भारत और इंडिया दोनों का इस्तेमाल किया जाता है जबकि हमारे संविधान में भी कहा गया है "इंडिया दैट इज भारत"।

शोधकर्ता...

कुछ विद्वान मानते हैं कि “इंड” शब्द की उत्पत्ति “सिंध” शब्द से हुई है। इसी “इंड” से इंडिया बना। किन्तु यह विचार गलत है क्योंकि जिन स्थानों पर सिंध नदी नहीं थी वहाँ के निवासियों के लिए भी अंग्रेज “इंड” शब्द का प्रयोग करते थे। जैसेकि अमेरिका के मूल निवासियों को “रेड इंडियन” कहा जाता था इसके अलाव इंडोचीन, इंडोनेशिया, वेस्टइंडीज़, ईस्टइंडीज़ आदि शब्दों के प्रयोग में सिंधु से कोई लेना देना नहीं है।

अर्थात “इंडियन” शब्द शतप्रतिशत गुलामी का प्रतीक है नफरत भरा शब्द है क्योंकि जो लोग ईसाई चर्चों की मान्यताओं के अनुसार विवाह नहीं करते थे उन्हें 'इंडियन' कहा जाता है ।

जाग्रत लोगों को इंडिया नहीं बल्कि भारत, भारतवर्ष, आर्यावर्त शब्द प्रयोग करने चाहिए चाहे हम किसी भी भाषा का प्रयोग कर रहे हों जैसे कि Make in Bharat आदि।

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