संयुक्त राष्ट्रसंघ कनाडा को आतंकी देश घोषित करे - अरविन्द सिसोदिया Canada,safe haven for terrorism

Canada,safe haven for terrorism


संयुक्त राष्ट्र संघ कनाडा को आतंकी देश घोषित करे 
- अरविन्द सिसोदिया

United Nations should declare Canada a terrorist country
- Arvind Sisodia

अब समय आ चुका है कि संयुक्त राष्ट्र संघ कनाडा को आतंकवादी देश घोषित करे, क्यों कि कुछ खालिस्तान समर्थकों के द्वारा कनाडा में भय और आतंक का माहौल पैदा किया जाता है, जिससे वहाँ के हिन्दुओं सहित अन्य निवासियों को परेशानी हो रही है, किन्तु वोट बैंक और सरकार को समर्थन कि जरूरत के कारण, वहाँ की ट्रूड़ो सरकार उन्हें लगातार प्रोत्साहन दे रही है। कनाडा आतंकवाद की फैक्ट्री बन गया है और इसे वहाँ की सरकार स्वयं नियंत्रित भी नहीं करना चाहती ।  

Now the time has come that the United Nations should declare Canada as a terrorist country, because an atmosphere of fear and terror is being created in Canada by some Khalistan supporters, due to which the residents including Hindus are facing problems, but vote Due to the need for vote bank and government support, the Trudeau government there is continuously encouraging them. Canada has become a factory of terrorism and the government there does not even want to control it.

भारत के अलावा बांग्लादेश, श्री लंका और बलूच मानवाधिकार परिषद  नें इस तरह के खुले आम आरोप लगाये हैं। कई देश मिल कर यह कह रहे हैं बता रहे हें कि कनाडा विष्व के प्रति हिंसा औद दुर्भावना से जुडे आतंकवाद का संरक्षण केन्द्र बन गया है। पाकिस्तान के बाद पूरे विश्व में कनाडा दूसरा देश है जहां आतंकवाद का उत्पादन, निर्यात और आयात हो रहा है। इससे भारत सहित पूरे विश्व में हिंसक दुराचार फैल रहा है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ को कनाडा को एक आतंकवादी देश घोषित करना चाहिए।

Apart from India, Bangladesh, Sri Lanka and Baloch Human Rights Council have made such open allegations. Many countries are saying together that Canada has become a safe haven for terrorism associated with violence and malice towards the world. After Pakistan, Canada is the second country in the world where terrorism is being produced, exported and imported. Due to this, violent misconduct is spreading all over the world including India. Therefore the United Nations should declare Canada a terrorist country.

अमरीका ने आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में घुस कर मारा है। इसलिए अमरीका भारत क्या , किसी भी देश को उसके यहां बांछित आतंकवादी के इस तरह के मसले में ज्ञान देनें का कोई अधिकार नहीं रखता है। मानवता के हत्यारों का न तो काई मानव अधिकार होता न ही संरक्षण देनें की कोई बजह होती । सच्चा और अच्छा तो यह है कि जो आतंकवादी जिस देश में बांछनीय है, उसे उस देश को सौंपना चाहिये। इस तरह के मसलों को लेकर दोहरी नीति कतई स्विकार नहीं की जा सकती। इसलिए भी संयुक्त राष्ट्र संघ को कनाडा को आतंकवादी देश घोषित करना चाहिये। 

America has killed terrorist Osama Bin Laden by entering Pakistan. Therefore, America, let alone India, has no right to give any information to any country regarding such issue of terrorists wanted there. Killers of humanity neither have any human rights nor any reason to protect them. The true and good thing is that the terrorist who is desirable in that country should be handed over to that country. Dual policy regarding such issues cannot be accepted at all. That is why the United Nations should declare Canada a terrorist country.

भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ रहा है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वॉशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने कहा- भारत को अभिव्यक्ति की आजादी पर किसी और से सीखने की जरूरत नहीं है। अभिव्यक्ति की आजादी को इस हद तक बढ़ावा नहीं दिया जा सकता कि वो हिंसा भड़काने के लिए इस्तेमाल होने लगे। ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

 विदेशमंत्री  जयशंकर ने कहा- हमारे मिशन्स पर स्मोक बॉम्ब फेंके जाते हैं। डिप्लोमैट्स को धमकाया जाता है और उनके खिलाफ जगह-जगह पोस्टर लगाए जाते हैं। क्या ये आम बात है? अभी ये भारत के खिलाफ हुआ है, अगर ये किसी और देश के खिलाफ किया गया होता तब भी क्या इस मामले को इतना ही सामान्य समझा जाता? कनाडा में जो कुछ भी हुआ वो कोई छोटी या आम बात नहीं है।

Tension is increasing between India and Canada. Meanwhile, External Affairs Minister S Jaishankar addressed a press conference in Washington. He said- India does not need to learn from anyone else on freedom of expression. Freedom of expression cannot be promoted to such an extent that it is used to incite violence. This will not be tolerated.

  Foreign Minister Jaishankar said- Smoke bombs are thrown on our missions. Diplomats are threatened and posters are put up against them at various places. Is this a common thing? Now this has happened against India, if it had been done against any other country then would this matter be considered so normal? Whatever happened in Canada is not a small or common thing.

इससे पहले भी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा को चेताया था ...
’चरमपंथियों के लिए जगह’
मंत्री ने 5 जून को ऑपरेशन ब्लूस्टार की दुखद बरसी मनाने के लिए ब्रैम्पटन शहर में आयोजित परेड के संबंध में कनाडाई सरकार के लिए तीखे शब्द कहे। परेड में एक झांकी में इंदिरा गांधी की हत्या का जश्न मनाया गया, जिसमें एक पुतला दिखाया गया था। तत्कालीन प्रधान मंत्री की उनके अंगरक्षकों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई।

श्री जयशंकर ने कहा कि कनाडा सरकार को कनाडा के इतिहास से सीखना चाहिए, और आरोप लगाया कि ओटावा ने “वोट बैंक की राजनीति“ के कारण खालिस्तानी अलगाववादियों को जगह दी है। “मुझे लगता है कि यह एक घटना के बारे में नहीं है, चाहे वह कितनी भी गंभीर क्यों न हो। मुझे लगता है कि अलगाववादियों, चरमपंथियों और हिंसा की वकालत करने वाले लोगों को जो स्थान दिया गया है, उसके बारे में एक बड़ा अंतर्निहित मुद्दा है, ”उन्होंने कहा। फ्लोट की कई हलकों से निंदा हुई थी, जिसमें विपक्षी कांग्रेस के नेता जैसे जयराम रमेश भी शामिल थे, जिन्होंने श्री जयशंकर से इस मामले को कनाडा के उच्चायुक्त के साथ उठाने का आग्रह किया था। कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, जिन्होंने भारत को “कनाडा में विदेशी हस्तक्षेप के शीर्ष स्रोतों“ में से एक बताया था, को जवाब देते हुए, श्री जयशंकर ने जोरदार ढंग से कहा कि अगर किसी को शिकायत है, तो वह भारत है। उन्होंने कहा, ’’हमें कनाडा से शिकायत है।’’
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हत्यारे कनाडा जाकर मौज करते हैं - बांग्लादेश 
भारत और कनाडा में के संबंधों में तनाव के बीच बांग्लादेश ने पश्चिमी देश पर बड़ी टिप्पणी की है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमेन ने कहा कि हत्यारे कनाडा जा सकते हैं, वहां आश्रय ले सकते हैं और वहां बेहतर जीवन जी सकते हैं।
उन्होने बताया कि - 
बांग्लादेशी विदेश मंत्री ने कनाडा को बताया हत्यारों का हब
मोमेन ने शेख मुजीबुर रहमान के हत्यारों का भी किया जिक्र
मंत्री ने बंगबंधु के हत्यारों को वापस भेजने की मांग भी की

नई दिल्ली : खालिस्तान नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर भारत-कनाडा के बीच टकराव के बीच, बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कनाडा को आईना दिखाया है। बांग्लादेशी विदेश मंत्री मोमेन ने कहा कि कनाडा को सभी हत्यारों का गढ़ नहीं बनना चाहिए। मोमेन ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि हत्यारे कनाडा जा सकते हैं। वहां आश्रय ले सकते हैं। साथ ही वे एक शानदार जीवन जी सकते हैं। विदेश मंत्री से बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के हत्यारे के उस हत्यारे के बारे में पूछा गया था जो कनाडा में रहता है।

हत्यारों के खिलाफ कोर्ट भी गए
बंगबंधु के हत्यारे को लेकर विदेश मंत्री मोमेन ने कहा कि कनाडा में उनका जीवन अच्छा चल रहा है। वह वहां रहे हैं। हम कनाडा सरकार से हमारे राष्ट्रपिता बंगबंधु के स्वयंभू हत्यारे को वापस भेजने का अनुरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से, कनाडा हमारी बात नहीं सुन रहा है। मोमेन ने कहा कि वे तरह-तरह के बहानों बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए, हम यह समझने के लिए कनाडाई अदालत में भी गए। चूंकि वह लंबे समय से कनाडा में रह रहे हैं तो स्थिति क्या है।

कनाडा तो बात ही नहीं सुन रहा
विदेश मंत्री ने कहा कि तो हम कह रहे हैं कि कनाडा की सरकार कानून के शासन की सरकार है, वे कानूनी व्यवस्था में विश्वास करते हैं। कनाडा को सभी हत्यारों का केंद्र नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम कनाडाई सरकार से उन्हें निर्वासित करने के लिए कह रहे हैं। वे इसे जानते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से, वर्तमान में वे इस मुद्दे पर हमसे बात तक नहीं करते हैं।

कनाडा आतंकियों का पनाहगार है - श्रीलंका

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की मौत का आरोप भारत पर लगाने वाले कनाडा पर अब श्रीलंका ने भी सवाल उठाए हैं। इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए श्रीलंका ने कहा है कि कनाडा आतंकियों का पनाहगार है। वहां आतंकियों को शरण दी जाती है। साथ ही भारत पर बेतूका आरोप लगाने वाले कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो को भी श्रीलंका ने जमकर लताड़ लगाई है। 
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा है कि ’ट्रूडो ने बिना किसी सबूत के भारत पर आरोप लगाए हैं। सच तो यह है कि कनाडा में कुछ आंतकवादियों को शरण मिली हुई है।’ उन्होंने कहा, ’वो यह देखकर जरा भी हैरान नहीं हुए हैं, क्योंकि ट्रूडो हमारे साथ भी पहले ऐसा कर चुके हैं।’ 

श्रीलंका के विदेश मंत्री ने बताया, ’कनाडा के पीएम ने पर भी बेबुनियाद बयान देते हुए कहा था कि श्रीलंका में नरसंहार हुआ है, जबकि सभी जानते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।’ अली सबरी ने आगे कहा, मैंने कल देखा कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाजियों से जुड़े एक शख्स का स्वागत करने के लिए ट्रूडो गए थे। ऐसे में यह सब संदिग्ध है और हम पहले इसका सामना कर चुके हैं। कनाडा के पीएम कई बार अपमानजनक आरोपों के साथ सामने आते हैं, जिनका कोई आधार नहीं होता है। श्रीलंका पर ट्रूडो ने दिया था ये बयान अली सबरी ने ट्रूडो के जिस बयान का जिक्र करते हुए उन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था वह उन्होंने इसी साल मई में श्रीलंकाई गृह युद्ध की 14वीं वर्षी पर दिया था। 
दरअसल, ट्रूडो ने कहा था कि गृहयुद्ध के दौरान हजारों तमिलों ने अपनी जान गंवाई थी, कई लापता और हजारों घायल हुए थे। कनाडा के पीएम ने कहा था कि इसमें मुलिवाइकल में हुआ नरसंहार भी शामिल था। ट्रूडो ने कहा था कि कनाडा की संसद ने सर्वसम्मति से 18 मई के दिन को तमिल नरसंहार स्मृति दिवस घोषित करने के प्रस्ताव को पारित किया था। कनाडाई पीएम के इस बयान का श्रीलंका ने विरोध किया था। उसने इसे अपमानजनक और बेतुका बताते हुए कहा था कि किसी भी दूसरे देश के मामले में दखल नहीं देना चाहिए। साथ ही उसे ये भी न बताने की हिमाकत करनी चाहिए कि देश को कैसे चलाया जाए।
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बलूच मानवाधिकार परिषद ने ट्रूडो पर उठाए सवाल
कनाडा नें मानवअधिकार कार्यकर्ता करीमा के अपहरण और हत्या पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की - बलूचिस्तान परिषद

निज्जर की हत्या पर भारत (Canada India Row )  से सवाल करने वाले ट्रूडो से ही अब सवाल पूछे जा रहे हैं। कनाडा की बलूच मानवाधिकार परिषद (बीएचआरसी) ने कनाडाई पीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि वो निज्जर की हत्या पर तो दर्द बयां कर रहे हैं, लेकिन कनाडा में बसी बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच की तीन साल पहले हुई कथित हत्या पर आज तक एक शब्द नहीं बोले। परिषद ने उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए और कहा कि उन्होंने करीमा के अपहरण और कथित हत्या में कोई कार्रवाई न करने की भी बात कही।

करीमा बलूच कौन है?
करीमा बलूच को पाकिस्तान की सरकार और सेना से लोहा लेने वाली लड़की कहा जाता है। करीमा ने कई बार पाक सरकार की पोल खोलने का भी काम किया। करीमा बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करवाना चाहती थी और बलूच आंदोलन का मुख्य चेहरा थी।

करीमा पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई के भी खिलाफत करती थी और इसी के चलते वो उसके निशाने पर थी। करीमा आईएसआई से बचकर कनाडा आ गई थी, लेकिन यहां भी उसके कई रिश्तेदारों को मार दिया गया। 

टोरंटो में मृत मिली थी करीमा
करीमा को आईएसआई से धमकियां तो मिल रही थी। इसी बीच उसे 2020 में टोरंटो में मृत पाया गया। परिजनों ने पाक का इसमें हाथ होने की बात कही, लेकिन कनाडा सरकार ने उनकी एक न सुनी और पुलिस ने आत्महत्या बताकर केस बंद कर दिया। 

बीएचआरसी का ट्रूडो को पत्र
बीएचआरसी ने अब ट्रूडो को पत्र लिख पूछा है कि जब करीमा मामले में पाक एजेंसियों का हाथ होने की बात स्पष्ट थी, तो कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। बीएचआरसी ने कहा कि निज्जर मामले में सीधा प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाती है और करीमा केस में पाक से कोई सवाल नहीं किया जाता है।
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पूरे विश्व में फैला हुआ है खालिस्तान का आतंकी नेटवर्क
मालूम हो कि खालिस्तान का आतंकी नेटवर्क पूरे विश्व में फैला हुआ है। यहां तक की अमेरिका भी इससे अछुता नहीं है। वहीं, अकेले कनाडा की बात करें तो वह करीब चार दशकों से खालिस्तानी आतंकवादियों की पनाहगाह बना हुआ है। वही, सालों से खालिस्तान आंदोलन को पाकिस्तान का भी सीधा सपोर्ट हासिल रहा है, वहीं चीन भी कनाडा के आंतरिक मामलों में लगातार दिलचस्पी लेता आया है। विश्व के अलग-अलग देशों में रह रहे खालिस्तारी आतंकी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं।

खालिस्तान टाइ टाइगर फोर्सः-
13 मार्च, 2011 बीकेआइ आतंकवादी जगतार सिंह तारा ने खालिस्तान टाइ टाइगर फोर्स (KTF) बनाइ थी, जो पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में से एक था।
बब्बर खालसा इंटरनेशनलः-
1980 बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) का गठन 1980 के शुरुआत में किया गया था। पाकिस्तान में रह रहे बाधवा सिंह चाचा उर्फ बब्बर ने इसका गठन किया था।

इन देशों में खालिस्तान का आतंकी नेटवर्क :-

कनाडा
केटीएफ: अर्शदीप सिंह, हरदीप सिंह निज्जर
बीकेआई: लखबीर सिंह (लांडा)

अमेरिका
बीकेआइ हरजोत सिंह

यूरोपीय संघ
बीकेआइ: सतनाम सट्टा, परमिदर खैरा

पाकिस्तान
केटीएफ: बिलाल
बीकेअइ: हरिवंदर सिंह रिंदा, वाधवा सिंह बब्बर

यूएई
बीकेआइ: तरसेन सिंह संधू

नेपाल
बीकेआई : कश्मीर सिंह गलवड्डी

फिलीपींस

केटीएफ : मनप्रीत सिंह पीता, मनदीप सिंह, विक्रमजीत सिंह
बीकेआइः यदविंदर सिंह

भारत
केटीएफः लकी खोखरा, गगनदीप सिंह

आस्ट्रेलिया
केटीएफः गुरजंतर सिंह


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