संसद में गतिरोध, कांग्रेसी अहंकार की सामन्तशाही - अरविन्द सिसोदिया

संसद में गतिरोध, कांग्रेसी अहंकार की सामन्तशाही - अरविन्द सिसोदिया 

- देश की सत्ता पर नेहरू वंश के अलावा कोई स्वीकार नहीं की कांग्रेसी भावना ही असली समस्या है, यही असहिष्णुता भारत की मुख्य समस्या है।
- समस्या यह है कि चाटुकार नेहरूवंश के बड़े नेताओं को समझाते ही यह हैँ कि भारत पर सत्ता का अधिकार, शासन का अधिकार केवल नेहरूवंश को है, इसलिए राहुल गाँधी अपने आपको सुप्रीम प्रधानमंत्री समझते हैँ और पीएम के विरुद्ध गाली जैसे शब्दों को बोलते हैँ, झूठ और भ्रामक बोलनें के तो सभी रिकार्ड टूट चुके हैँ।
- राहुल गाँधी नेता प्रतिपक्ष बने हैँ किन्तु वे समझ रहे हैँ कि वे सुपर प्रधानमंत्री बन गये हैँ। सदन को भी अपने तरीके से चलाने पर आमादा हैँ। उनकी मुख्य समस्या उनका अपरिपक्व होना  है।
- कांग्रेस को भारत में पुनः स्थापित करने में विदेशी रूचि अधिक है, कांग्रेस को सैम पेट्रोदा और जॉर्ज सोरस इसीलिए महत्वपूर्ण हैँ कि वे कांग्रेस को विदेशी बैकअप दिलाते हैँ।
- राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में गतिरोध करना मूलतः महामहिम राष्ट्रपति के प्रति अवमानना है। अघोषित अपमान है यह भारतीय लोकतंत्र और एक आदिवासी राष्ट्रपति के प्रति गंभीर गेरजिम्मेवारी है।

देश की संसद में गतिरोध और मनमानी, सामने आ रही है। यह कांग्रेस की उस मानसिकता के कारण है, जिसमें वह देश को, देश के नागरिकों को, देश की चुनी हुई सरकार को, अपनी संपत्ति, अपनी जायदाद, अपनी जागीर जैसा मानती है अर्थात अपने अधीनस्थ मानती है या गुलाम जैसा मानती है, कुल मिला कर भारत का स्वामी नेहरू वंश है येशा वह मानती है और करती भी है। कुल मिलाकर कांग्रेस के नेहरू वंश परिवार देश को अपने उपभोग का क्षेत्र मानती है। उसकी इस स्वयंभू मान्यता के कारण ही वह देश पर किसी अन्य भारतीय को शासन करते सहन नहीं कर पाती, और हमेशा ही उन्हें अपदस्थ करने की कोशिश करती रहती है। विफल करने के सभी हथकंडे अपनाती है। उनकी यही ज्यादती कांग्रेस को देश विरोधी बनाती है, लोकतंत्र विरोधी बनाती है।

कांग्रेस के नेहरूवंश के द्वारा भारत को अपनी जागीर अपना राज्य क्षेत्र मानने की प्रवृत्ति के कारण ही देश में निरंतर अनेकानेक विभ्रम उत्पन्न होते रहते हैं।


नेहरूवंश कांग्रेस की मानसिकता अन्य किसी दल को शासन के योग्य नहीं मानने या नहीं स्वीकार करने की प्रवृत्ति के कारण अथवा इसी अहंकार के कारण भारत का लोकतंत्र अनेक अनेक प्रकार के संकट झेलता रहा है और कमजोर होता रहा है।

उदाहरण के लिए 
1- नेहरूजी नें देश के विभाजन को पूरे देश में विरोध के बावजूद स्वीकार किया।
2- जम्मू-कश्मीर को सह राष्ट्र जैसा दर्जा देशहित को ताक पर रख कर दिया। जहां उनका संविधान, उनका विधान, प्रधानमंत्री, झंडा तक अलग था और प्रवेश हेतु परमिट लेना पड़ता था।
3- पाकिस्तान से युद्ध में भारतीय सेना को रोक कर, पी ओ के पाकिस्तान में रहने दिया। और इसे भारत के लिए वापस लेंने का प्रयत्न कभी नहीं किया। अवसर होते हुए भी वापस नहीं लिया।
4- कांग्रेस नें अपनी मनमानी के लिए संविधान की प्रस्तावना से लेकर विभिन्न संविधान संसोधन कर, संविधान की मौलिकता को समाप्त किया। जब चाहा तब संविधान को बदला।
5- कांग्रेस ने जनता द्वारा चुनी सरकारों को जब चाहा तब गिरा दिया, एक दो नहीं लगभग सौ बार चुनी हुईं सरकारों को गिराया।

6- कांग्रेस पार्टी के संगठन को सबक सिखाने राष्ट्रपति तक का समाननंतर चुनाव लड़वा दिया। कांग्रेस का विभाजन करवा दिया। कांग्रेस में हमेशा अपने आपको सर्वे सर्वा रखा और राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम केसरी को टांगा टोली कर पार्टी ऑफिस से बाहर फिकवा दिया। विदेशी मूल के प्रश्न पर शरद पँवार को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

7- स्वयं को सत्ता में बनाये रखने के लिए आपातकाल लगा दिया, निर्दोष विपक्ष को जेल में डाल दिया, प्रेस की आजादी छीनली, लोगों की जबरिया नसबंदी तक कर डाली।

8- कांग्रेस नें देशहित से ज्यादा हमेशा वोट बैंक की चिंता की और देश के बहूमत को अपरोक्ष बंधक बना दिया और तुष्टिकरण की मीनारें बना डाली। जब पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद नें मुंबई को खून से नहला दिया था, तब भी राहुल गाँधी अमेरिकी राजनायिक को खतरा हिन्दुओं से बता रहे थे।

9- कांग्रेस के नेहरूवंश के द्वारा चीन के साथ एम ओ यू करना, किसी दूसरे देश के साथ संविधान विरोधी समझौता था, जिसके बदले में कांग्रेस नें चीन से राशि भी चंदे में प्राप्त की।
10- जब मनमोहन सिंह सरकार बनी तो सुपरप्रधान अपने आपको सोनिया गाँधी नें बनाया और सांम्प्रदायिक हिंसा प्रतिषेध बिल के द्वारा हिन्दुओं को गुलाम बनाने में कोई कसर नहीं छोडी। कांग्रेस पूर्ण बहूमत होती तो हिन्दू आज अघोषित गुलाम होता।

11-Justice Baharul Islam : राज्यसभा में बीजेपी के सांसद बृज लाल ने न्याय पालिका में हस्तक्षेप को लेकर कांग्रेस पर तंज कसा है. बृज लाल ने कांग्रेस को याद दिलाया कि किस तरह राज्यसभा सदस्य बहारुल इस्लाम को इस्तीफा दिलाकर हाईकोर्ट का जज बनाया. फिर वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने. जगन्नाथ मिश्रा के पक्ष में फैसला देने के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया और फिर राज्यसभा के सदस्य बन गए.

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