आतंकवादियों पर कडी कार्यवाही की मांग क्यों नहीं कर रही कांग्रेस
आतंकवादियों पर कडी कार्यवाही की मांग क्यों नहीं कर रही कांग्रेस , बयान बहादुर के बयान भी वोट बैंक को खुश करनें के .....?
Why is Congress not demanding strict action against terrorists? Even Bayan Bahadur's statements are just to please his vote bank?
कांग्रेस की सिर्फ 99 सीटें आनें पर ही आजंकवादियों के हौंसले इतने बड गये कि 4 दिन में 4 आतंकी हमले कर दिये । और इन हमलों को उजागर करने के लिए तत्काल राहुल गांधी मीडिया में उपस्थित हुये। इंडी गठबंधन के भी कुछ नेता सामनें आये मगर सब की प्रतिक्रिया सिर्फ वोट बैंक से जुडी देखी गई! इन सबनें प्रधानमंत्री मोदी जी की निंदा की, उनसे जबाव मांगा मगर आतंकवादियों की निंदा नहीं की , उन पर कडी कार्यवाही की मांग नहीं की । सर्जिकल स्ट्राईक की मांग नहीं की !!
देश को यह देखना होगा कि आतंकवादियों और प्रतिपक्ष गठबंधन के बीच कितनी अण्डस्टेंडिंग है कि विपक्ष को खुश करने आतंकी हमला तब हो रहा है। जब प्रधानमंत्री शपथ ले रहे हैं। आतंकी हमलों का सिलसिला तब चल रहा है जब मंत्रीमण्डल को विभाग बांटे जा रहे है। प्रदेशों में मुख्यमंत्री शपथ ले रहे हैं। और इन हमलों को ताकत देनें , उन्हे बल देनें कबर फायर की तरह कांग्रेस राजकुमार उन्हे हाईट दे रहे हैं। आतंकवादियों की निंदा करते और उनके विरूद्ध कडी कार्यवाही की बात करते यह तो नहीं किया बल्कि इसकी ओट में वे 370 समाप्ती का विरोध / विफलता ढूंढ रहे है। कुल मिला कर यह वही शब्द हैं जिन्हे कल पाकिस्तान को राहुल गांधी का उदाहरण देकर बोलना है। प्रश्न यही उत्पन्न होता है कि आतंकवाद और कांग्रेस की आपस में क्या जुगलबंदी है ?
जम्मू और कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों में से दो पर भाजपा , दो पर नेशनल कांफ्रेंस और एक निर्दलीय की जीत हुई अर्थात कांग्रेस 0 पर रही है और यही लद्दाख में एक निर्दलीय जीता है कांग्रेस वहां भी 0 पर है। जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में भारी मतदान हुआ है , जो 370 हटाये जानें का स्वागत ही माना जायेगा। जबकि इंडी गठबंधन ने यहां पर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस नें तीन तीन सीटों पर मिल कर चुनाव लडा था। कांग्रेस तीनों सीटें हार गई है, नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह भी चुनाव हार गये। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा भी चुनाव हार गईं हैं। इस तरह 370 का विरोध करनें वाले वहां चुनाव हारे भी हैं। इससे कांग्रेस और आतंकवादियों में खीज उत्पन्न हुई वे नहीं चाहते कि जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव न हों, इसलिये आतंकवाद को नये सिरे से फिर लाया जा रहा है। ताकि विश्वस्तर पर यह फैलाया जाये कि जम्मू और कश्मीर जल रहा है।
भले ही यह सबूत नहीं है कि आतंकवाद और कांग्रेस एण्ड कंपनी एक दूसरे के पूरक हैं किन्तु टाईमिंग और उभर कर आरहे संदेश यही है। कि जिस तरह चीन की बात को भारत में कांग्रेस उठाती है उसी तरह पाकिस्तान की नियत को भारत में कांग्रेस साथ देती है।
The terrorists got so emboldened when Congress won only 99 seats that they carried out 4 terrorist attacks in 4 days. And to highlight these attacks, Rahul Gandhi immediately appeared in the media. Some leaders of the Indy alliance also came forward but everyone's reaction was seen to be related to vote bank only! All of them condemned Prime Minister Modi, demanded an answer from him but did not condemn the terrorists, did not demand strict action against them. Did not demand surgical strike!!
The country will have to see how much understanding there is between the terrorists and the opposition alliance that to please the opposition, terrorist attacks are taking place when the Prime Minister is taking oath. The series of terrorist attacks is going on when departments are being distributed to the cabinet. Chief Ministers are taking oath in the states. And to give strength to these attacks, to give them strength, the Congress prince is giving them height like grave fire. They did not condemn the terrorists and talk about strict action against them, rather under its cover they are looking for opposition / failure of the abolition of 370. Overall, these are the same words that Pakistan will have to say tomorrow citing the example of Rahul Gandhi. The question arises that what is the jugalbandi between terrorism and Congress?
Out of the five Lok Sabha seats in Jammu and Kashmir, BJP won two, National Conference won two and an independent won one, that is, Congress remained at 0 and in Ladakh, an independent won, Congress is at 0 there too. There has been heavy voting in Jammu and Kashmir and Ladakh, which will be considered as a welcome to the removal of 370. Whereas in the Indi alliance, Congress and National Conference fought the election together on three seats each. Congress has lost all three seats, National Conference Vice President and former Chief Minister Omar Abdullah also lost the election. Former Chief Minister Mehbooba also lost the election. In this way, those who opposed 370 have also lost the elections there. This has created resentment in Congress and terrorists, they do not want that assembly elections should not be held in Jammu and Kashmir, so terrorism is being brought again. So that it can be spread at the global level that Jammu and Kashmir is burning.
Even though this is not proof that terrorism and Congress and Company complement each other, but the timing and the message that is emerging is that just as Congress raises China's issue in India, in the same way Congress supports Pakistan's intentions in India.
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कांग्रेस पार्टी का जन्म उस नेता ने दिया जिसका वंश हिंदू नहीं था। जैसा कि दावा किया जाता है, और इसी पार्टी के नेतृत्व में भारत के दो टुकड़े कर दिए गये। इसी पार्टी ने अब्दुल्ला को प्रोत्साहित किया और उन्हें बिना किसी चर्चा के, थाली में परोसे जाने वाली रियायतें दीं। यही पार्टी हमेशा पाकिस्तान परस्तों की समर्थक रही हैं।
वे हमेशा पाकिस्तान के प्रति नरम रहे हैं, मानो बड़े भाई की तरह व्यवहार कर रहे हों, जबकि यही पाकिस्तान आजादी के बाद से भारत को घायल कर रहा है। यही परिवार और पार्टी जानती है कि एक बार उनका असली चेहरा सामने आ गया, तो हिंदू बहुल भारत में उनके चुने जाने की कोई संभावना नहीं रहेगी। इसी वजह से वे आतंकवादियों को, अगर संभव हो तो, कार्रवाई के दृश्य से भागने में मदद करते रहे हैं।
हम कैसे समझ सकते हैं कि 26/11 के हमलों के खिलाफ कोई कडी कार्रवाई नहीं की गई ?
हम कैसे समझ सकते हैं कि गोधरा दंगों की शुरुआत कांग्रेस से जुडे मुसलमानों के द्वारा अंजाम दी गई थी, लेकिन मूल अपराध को ढंक दिया गया और उसके परिणामस्वरूप हुए दंगों को प्रकाश में लाया गया।
कांग्रेस जानती है कि अगर वे उनका समर्थन करते हैं, भले ही वे आतंकवादी और राष्ट्रविरोधी ही क्यों न हों, तो उन्हें वोटों का पक्का भरोसा हो सकता है, जिससे वे सत्ता तक पहुंच सकते हैं।
कांग्रेस ने जाकिर नाइक को प्रोत्साहित किया और सम्मान दिया, जो अपने धर्म की प्रशंसा करने के बजाय दूसरे धर्मों की आलोचना करने के आदी थे।
कांग्रेस ने मदरसों, लव जिहाद और धर्मांतरण में डूबे मुखौटाधारी गैर सरकारी संगठनों की गतिविधियों में कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
पार्टी की दिलचस्पी केवल हिंदू बहुल भारत को टुकड़ों में बांटने और कमजोर करने में है और हम कह सकते हैं कि यह अपनी योजनाओं में सफल भी हो रही है।
The Congress party was born of a leader whose lineage was not Hindu, as claimed, and it was under its leadership that India was split into two. It was the same party that encouraged Abdullah and gave him concessions on a platter, without any discussion. It was the same party that had always been the supporter of Pakistan-lovers.
They have always been soft on Pakistan, as if behaving like an elder brother, even though it is Pakistan that has been wounding India since Independence. It is this family and party that knows that once their true face is exposed, they will have no chance of getting elected in Hindu-dominated India. That is why they have been helping terrorists escape the scene of action, if possible.
How can we understand that no strong action was taken against the 26/11 attacks?
How can we understand that the Godhra riots were initiated by Congress-affiliated Muslims, but the original crime was covered up and the resulting riots brought to light.
Congress knows that if they support them, even if they are terrorists and anti-nationals, they can be sure of votes that will take them to power.
Congress encouraged and honoured Zakir Naik, who was used to criticising other religions rather than praising his own.
Congress never showed any interest in the activities of madrassas, love jihad and masked NGOs involved in conversions.
The party is only interested in dividing and weakening Hindu majority India and we can say that it is succeeding in its plans.
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नरेश
भारत की सिविल सेवा परीक्षा में पढ़ाई की है लेखक के पास 131उत्तर और 992.6Kव्यू हैं 3 साल
पाकिस्तान से पनप रहे आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में कांग्रेस पाकिस्तान का समर्थन क्यों कर रही है? कांग्रेस क्या साबित करना चाहती है?
कांग्रेस को एक इटालियन महिला चलाती है जो भारत से नफरत करती है एंटोनिया माइनो एक गोल्ड डिगर क्रिस्टियन के मुसलमान अल्पसंख्यक हैं इसलिए यह स्पष्ट है कि वे अल्पसंख्यकों का समर्थन करेंगे उन्हें पाकिस्तान आईएसआई और कश्मीर के अलगाववादियों से धन मिलता है, अधिकांश अलगाववादी राजनेता भारत गणराज्य के खिलाफ हैं। मैं आपको कांग्रेस का असली चेहरा दिखाऊंगा
आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री के साथ यह बदसूरत दाढ़ी वाला आदमी यासीन मलिक है, जो एक पूर्व आतंकवादी सह राजनीतिज्ञ है, जिसने 3 भारतीय वायु सेना अधिकारियों की हत्या कर दी थी और भारतीय सेना के सैनिकों को मार डाला था और वह कश्मीरी पंडित नरसंहार में शामिल था। और देखिए कांग्रेस क्या कर रही है, यह 2006 की बात है, मैं हैरान हूं कि लोग इन कमीनों को कैसे वोट दे सकते हैं जो निर्दोष हिंदुओं को मारना चाहते हैं, मुझ पर भरोसा मत कीजिए, इसे देखिए।
दाईं ओर वाला व्यक्ति 26/11 का मास्टरमाइंड हाफिज सईद है जो लश्कर का मुखिया है। देखिए अगर कांग्रेस यासीन मलिक को आमंत्रित कर सकती है तो वे हाफिज सईद को भी आमंत्रित कर सकते हैं।
एक और महिलावादी डिग्गी, देशद्रोही मनोरोगी जाकिर नाइक के साथ, जो इस्लाम को प्रदूषित कर रहा है और देशद्रोही है
आइए 2006 से शुरू करते हैं निम्नलिखित आतंकी हमलों और सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर नजर डालते हैं
2006 समझौता ट्रेन विस्फोट परिणाम का आरोपी आरएसएस
2007 मुंबई ट्रेन विस्फोट 300 मरे नतीजा कुछ नहीं
2008 जयपुर बम विस्फोट 100 लोग मारे गए हम हमलों की निंदा करते हैं पाकिस्तान हमारा सहयोग करेगा
2008 26/11 - 166 मरे 300 घायल विश्व भर में शर्मनाक परिणाम हम पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलेंगे दिग्विजय और कांग्रेस ने RSS और मोसाद पर 26/11 को अंजाम देने का आरोप लगाया हिंदू आतंकवाद लेकिन आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।
2010 जर्मन बेकरी ब्लास्ट 40 मरे मनमोहन सिंह गद्दार ने कहा "आतंकवादियों के पास सरप्राइज का फायदा है रा गा" हम 100% आतंकी हमलों को नहीं रोक सकते आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता हम धर्मनिरपेक्ष हैं
2010 कनॉट प्लेस विस्फोट 12 मरे, कोई कार्रवाई नहीं
2011 दिल्ली हाई कोर्ट ब्लास्ट 15 मरे कोई कार्रवाई नहीं
2013 में लांच हुए जिंदगी चैनल ने पाकिस्तानी अभिनेताओं को बढ़ावा दिया, भारतीय सेना पर तख्तापलट का आरोप लगाया, सेना प्रमुख को गुंडा कहा, पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सैनिकों का सिर कलम किया गया।
ढेर सारे घोटाले, कोयला, राष्ट्रमंडल खेल, अंततः लोग तंग आ गए और मोदी सत्ता में आए
2014 भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था, लोग अधिक राष्ट्रवादी हो गए, लेकिन कांग्रेस के समय में अति आत्मविश्वास के कारण आतंकवादी अभी भी जारी रहे
2015 म्यांमार में जब विद्रोहियों ने भारतीय सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला किया तो हमारे सैनिक मारे गए, परिणामस्वरूप पैरा स्पेशल फोर्स के कमांडो म्यांमार के अंदर गए और एनएससीएन के पूरे शिविर को नष्ट कर दिया, उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया और पैरा एसएफ ने 90 आतंकवादियों को मार गिराया, जिसमें कोई हताहत नहीं हुआ, यह शुरुआत थी
2016 पठानकोट एयरबेस हमले में 3 लोग मारे गए, एनएसजी कमांडो ने सभी आतंकवादियों को मार गिराया और भाजपा ने एनडीटीवी पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि वे सूचना लीक कर रहे थे, जैसा उन्होंने 26/11 में किया था
हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी को भारतीय सेना ने मार गिराया।
2017 उरी हमले में हमारे 17 भारतीय सैनिक मारे गए लेकिन फिर परिणाम - भाजपा सरकार ने पाकिस्तानी अभिनेताओं पर प्रतिबंध लगा दिया, जिंदगी चैनल पर प्रतिबंध लगा दिया और पैरा कमांडो पीओके के अंदर गए और आतंकवादी शिविरों को नष्ट कर दिया, जिसमें 100 लोग मारे गए, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ (अब उन्हें ऐसा होने की उम्मीद नहीं थी)।
2018 भारत ने पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा छीन लिया।
यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया।
२०१९ प्रतिबंधित ट्रिपल तलाक पुलवामा हमला जिसमें ४० सीआरपीएफ जवान शहीद हुए, परिणाम बालाकोट आतंकी शिविरों पर हवाई हमला जिसमें ४०० आतंकवादी मारे गए।
2020 कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और अब कश्मीर में शांति देखें, कश्मीरी पंडितों को न्याय मिले ऐतिहासिक निर्णय भले ही कांग्रेस ने इसका 40% भी किया हो, वे चुनाव नहीं हारेंगे।
हाँ, मैं जानता हूँ कि भाजपा हिंदू समर्थक है, लेकिन क्या वे मुसलमानों को मारते हैं, क्या आपने मुसलमानों के पलायन के बारे में सुना है। और हाँ, वे भ्रष्टाचार भी करते हैं, लेकिन मुझे उनकी एक बात पसंद है कि वे देशभक्त हैं, अपने देश से प्यार करते हैं, पाकिस्तान के आतंकवाद के प्रति उनका रुख सख्त है, 2014 के बाद प्रमुख मेट्रो शहरों में एक भी बम विस्फोट नहीं हुआ, यह भाजपा की क्षमता को साबित करता है। मैं भाजपा को वोट दूंगा क्योंकि मैं कांग्रेस जैसे देशद्रोहियों से नफरत करता हूँ जो देश को बेच सकते हैं।
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Rahul Gandhi on Terrorist Attack in Jammu: जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों को लेकर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने हमलों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर अपना गुस्सा जाहिर किया.
राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, “बधाई संदेशों का जवाब देने में व्यस्त नरेंद्र मोदी को जम्मू-कश्मीर में निर्ममता से मौत के घाट उतार दिए गए श्रद्धालुओं के परिवारों की चीखें तक नहीं सुनाई दे रही हैं.”
'प्रधानमंत्री अब भी जश्न में डूबे हैं'....!
राहुल गांधी ने आगे लिखा, “रियासी, कठुआ और डोडा में पिछले 3 दिनों में 3 अलग-अलग आतंकी घटनाएं हुई हैं ,लेकिन प्रधानमंत्री अब भी जश्न में मग्न हैं. देश जवाब मांग रहा है… आखिर भाजपा सरकार में आतंकी हमलों की साजिश रचने वाले पकड़े क्यों नहीं जाते.”
पीएम की चुप्पी पर कांग्रेस ने उठाए सवाल..!
दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी बढ़ते आतंकवादी हमलों और पीएम की चुप्पी पर सवाल उठाया है. कांग्रेस का कहना है कि पीएम मोदी ने पाकिस्तानी नेताओं को एक्स पर खूब जवाब दिया, लेकिन क्रूर आतंकी हमलों की निंदा करने का उन्हें समय नहीं मिला! पिछले 10 साल में मोदी सरकार की झूठी छाती ठोकने की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा है, जबकि निर्दोष लोग कायरतापूर्ण आतंकी हमलों के शिकार हुए हैं, लेकिन सबकुछ पहले जैसा ही चल रहा है.
'जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की आई बाढ़'....?
नरेंद्र मोदी के शपथ को लेकर कई राष्ट्राध्यक्ष देश के दौरे पर थे, तभी जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में एक भयानक और वीभत्स आतंकी हमला देखने को मिला, लेकिन पीड़ितों को स्वयंभू "परमात्मा" प्रधानमंत्री से सहानुभूति के एक शब्द भी नहीं मिले! क्यों? इसके बाद, कठुआ में एक और आतंकी हमला हुआ, जिसमें एक नागरिक घायल हो गया. 11 जून को जम्मू के डोडा के छत्रकला में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में 6 सुरक्षाकर्मी और एक नागरिक घायल हो गए. अधिकारियों के अनुसार, आतंकवादियों ने भद्रवाह-पठानकोट के साथ चत्तरगल्ला इलाके में 4 राष्ट्रीय राइफल्स और पुलिस की ओर से संचालित एक संयुक्त चौकी पर गोलीबारी की. पिछले तीन दिनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की बाढ़ आ गई है, जबकि पीएम मोदी पाकिस्तानी नेताओं - नवाज शरीफ और पाक पीएम शाहबाज शरीफ के बधाई पोस्ट पर प्रतिक्रिया देने में व्यस्त हैं. उन्होंने नृशंस आतंकी हमलों पर एक भी शब्द क्यों नहीं बोला? उन्होंने चुप्पी क्यों साध रखी है...?
विफल रही है नया कश्मीर पॉलिसी....?
जम्मू-कश्मीर में शांति और सामान्य स्थिति की वापसी के भाजपा के बड़बोलेपन और खोखले दावों की पूरी तरह से पोल खुल गई है. यह तथ्य कि भाजपा ने कश्मीर घाटी में चुनाव लड़ने की भी जहमत नहीं उठाई, इस बात का प्रमाण है कि उनकी "नया कश्मीर" नीति पूरी तरह विफल रही है.
कांग्रेस ने पूछे ये सवाल ?
1. क्या यह सच नहीं है कि पिछले 2 साल में पीर पंजाल रेंज - राजौरी और पुंछ, अब सीमा पार आतंकवाद का गढ़ बन गया है. क्योंकि पिछले दो साल में इन इलाकों में हुए आतंकी हमलों में 35 से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं और अब आतंक पड़ोसी रियासी जिले में भी फैल गया है, जिसे अपेक्षाकृत शांत माना जाता था?
2. क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में हमारे सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर कम से कम 19 बड़े आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें सीआरपीएफ कैंप, आर्मी कैंप, एयरफोर्स स्टेशन और मिलिट्री स्टेशन- पुलवामा, पंपोर, उरी, पठानकोट, गुरदासपुर, अमरनाथ यात्रा हमला, सुंजवान आर्मी कैंप, पुंछ आतंकी हमले (अप्रैल और दिसंबर 2023) शामिल हैं, जिनमें हमारे कई कीमती जीवन खो गए हैं?
3. क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार ने हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है, जबकि जम्मू-कश्मीर में 2,262 आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें 363 नागरिक मारे गए और 596 जवान शहीद हुए हैं? (स्रोत: SATP)
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