दिल्ली में आप पार्टी का सत्ता परिवर्तन तय useless AAP party is changed



 दिल्ली में आप पार्टी का सत्ता परिवर्तन तय

Change of power of AAP party is certain in Delhi 

दिल्ली : पानी बिजली दे न सके वह सरकार निकम्मी है

             जो सरकार निकम्मी है वह सरकार बदलनी है।

इस तरह के नारे हम बचपन से लगाते आ रहे हैं और आज भी इनका बजूद है। क्यों कि बिजली पानी व्यक्ति की प्रथम जरूरी आवश्यकता बन गये हैं, इनके बिना जीवन बहुत मुस्किल हो गया है। दिल्ली आप पार्टी के लगातार दस साल से ज्यादा के शासन के बावजूद इस गंभीर परिस्थिती को भुगत रही है। जबकि गर्मी आना, मांग बढना और पूर्ती करना एक सतत प्रक्रिया है, इसका ध्यान रखना सरका की नैतिक और प्रशासनिक जिम्मेवारी थी और है। दिलली में आप पार्टी की सरकार पानी के इंतजाम में पूरी तरह विफल रही है और आने वाले विधानसभा चुनावों में उसकी हार ओडीसा की तरह हो सकती है। क्यों कि भाजपा ने दिल्ली के सभी सात सांसदों को सीटों को जीता है। इससे पहले दिल्ली नगर निगम में भी आप पार्टी को भाजपा ही टक्कर दे रही है। अगले साल फरवरी 2025 में दिल्ली के विधानसभा चुनाव होनें हैं। यह चुनाव आप कांग्रेस मिल कर लडे या अलग रह कर लडे मगर उसकी सत्ता से बिदाई दिख रही है।


आप पार्टी के काम करने का तरीका है कमियों के लिये केन्द्र सरकार को जिम्मेवार ठहरा कर स्वयं की जिम्मेवारी से बचना । कोर्ट जाना , प्रेस वार्ता करना , बडे बडे विज्ञापन देना और झूठ फैलाना प्राथमिकता में रहता है। इसी कारण अब आप पार्टी लोकप्रियता खो रही है।


दिल्ली की सत्ता पर काबिज आप पार्टी दोषी इसलिये है कि वह एक दो दिन से नहीं बल्कि पूरे एक दसक से अधिक से दिल्ली विधानसभा में काबिज है उनकी सरकार है, अरविन्द केजरीवाल लगातार तीसरीबार मुख्यमंत्री हैं। वे भारत के एकमात्र जेलसुदा मुख्यमंत्री का अतिरिक्त तगमा रखते है। उन्होनें जेल में रहते हुये भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है।


आम आदमी पार्टी, संक्षेप में आप(।।च्), सामाजिक कार्यकर्ता एवं मैग्ससे पुरस्कार विजेता अरविंद केजरीवाल एवं अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन से जुड़े बहुत से सहयोगियों द्वारा गठित एक भारतीय राजनीतिक दल है। इसके गठन की आधिकारिक घोषणा २६ नवम्बर २०१२ को भारतीय संविधान अधिनियम की ६३ वीं वर्षगाँठ के अवसर पर जंतर मंतर, दिल्ली में की गयी थी।


सन् 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन नामक संगठन ने अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए जन लोकपाल आंदोलन के दौरान भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा जनहित की उपेक्षा एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। तब मूलतः कांग्रेस की मनमोहनसिंह सरकार आये दिन होनें वाले घाटालों के कारण जनविश्वास खो चुकी थी। 

अन्ना भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे, जबकि अरविन्द केजरीवाल और उनके सहयोगियों की यह राय थी कि पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाये। इसी उद्देश्य के तहत पार्टी पहली बार दिसम्बर 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में झाड़ू चुनाव चिह्न के साथ चुनावी मैदान में उतरी।


पार्टी ने चुनाव में 28 सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनायी। अरविन्द केजरीवाल ने 28 दिसम्बर 2013 को दिल्ली के 7वें मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली। 49 दिनों के बाद 14 फ़रवरी 2014 को विधान सभा द्वारा जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को समर्थन न मिल पाने के कारण अरविंद केजरीवाल की सरकार ने त्यागपत्र दे दिया। बाद में हुये चुनावों में वे भारी बहूमत से विजयी होते रहे।


वर्तमान सरकार कई कारणों से जनता में विश्वास खो रही है क्यों कि अरविन्द केजरीवाल उन सभी मुद्दों से हट गये जिनके बल पर उन्हे लोकप्रियता एवं सत्ता मिली थी । उनका रहनें का मुंख्यमंत्री निवास मीडिया के द्वारा शीशमहल कहा जाता है। पार्टी के राष्ट्रीय विस्तार की जल्दबाजी में उनकी सरकार के फैसले घेटाले की शक्ल में उजागर हुये हैं। शराब घोटाले में स्वंय मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके प्रथम साथी मनीष सीसोदिया जेल में हैं।


Delhi: A government that cannot provide water and electricity is useless.


              The government that is useless has to be changed.


We have been raising such slogans since childhood and they still exist today. Because electricity and water have become the primary needs of a person, life has become very difficult without them. Delhi is suffering from this serious situation despite the continuous rule of AAP for more than ten years. While the arrival of heat, increasing demand and fulfillment is a continuous process, it was and is the moral and administrative responsibility of the government to take care of this. The AAP government in Delhi has completely failed in arranging water and it may lose in the upcoming assembly elections like Odisha. Because BJP has won all the seven MP seats of Delhi. Before this, BJP is giving tough competition to AAP in Delhi Municipal Corporation as well. Delhi assembly elections are to be held in February 2025 next year. Whether AAP and Congress fight this election together or separately, it seems that they will be separated from power.


The way of working of AAP is to hold the central government responsible for the shortcomings and avoid its own responsibility. Going to court, holding press conferences, giving big advertisements and spreading lies are the priority. This is the reason why AAP is losing popularity now.


The AAP party, which is in power in Delhi, is guilty because it has been in power in Delhi Assembly not for a day or two but for more than a decade. It is their government, Arvind Kejriwal is the Chief Minister for the third consecutive time. He holds the additional title of the only jailed Chief Minister of India. He has not resigned from the post of Chief Minister even while being in jail.


Aam Aadmi Party, in short AAP (AAP), is an Indian political party formed by social activist and Magsaysay Award winner Arvind Kejriwal and many associates of Anna Hazare's Lokpal movement. Its formation was officially announced on 26 November 2012 at Jantar Mantar, Delhi on the occasion of the 63rd anniversary of the Indian Constitution Act.


In 2011, an organization called India Against Corruption raised its voice against the neglect of public interest and corruption by Indian political parties during the Jan Lokpal movement led by Anna Hazare. At that time, the Manmohan Singh government of Congress had lost public confidence due to the frequent scams.


Anna wanted to keep the anti-corruption Jan Lokpal movement away from politics, while Arvind Kejriwal and his colleagues were of the opinion that a party should be formed and elections should be contested. With this objective, the party contested the Delhi Assembly elections for the first time in December 2013 with the broom election symbol.


The party won 28 seats in the elections and formed the government in Delhi with the support of Congress. Arvind Kejriwal took oath as the 7th Chief Minister of Delhi on 28 December 2013. After 49 days, on 14 February 2014, Arvind Kejriwal's government resigned due to the lack of support from the Legislative Assembly for the proposal to introduce the Jan Lokpal Bill. In the subsequent elections, he continued to win with a huge majority.


The present government is losing public confidence due to many reasons because Arvind Kejriwal has deviated from all the issues on the basis of which he got popularity and power. His residence in the Chief Minister's residence is called Sheeshmahal by the media. In the hurry to expand the party nationally, the decisions of his government have been exposed in the form of scams. Chief Minister Kejriwal himself and his first partner Manish Sisodia are in jail in the liquor scam.

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