चलो कांग्रेस को सत्य नजर आया कि वह तीसरीबार भी हारी है - अरविन्द सिसोदिया
चलो कांग्रेस को सत्य नजर आया कि वह तीसरीबार भी हारी है - अरविन्द सिसोदिया
चुनाव परिणामों में लगातार तीसरीबार जनता द्वारा ठुकरा दिये जानें के बाद भी कांग्रेस और राहुल गाँधी इतने उत्साहित थे कि मानो उन्होंने दो तिहाई बहूमत से केंद्र सरकार बनाली और भाजपा तीसरीबार सरकार बना कर भी शांत थी, ख़ुशी नहीं थी, सन्नाटा था। कांग्रेस के बड़बोलेपन को अहंकार और बदतमीजी भी कह सकते हैँ का प्रदर्शन हो रहा था, जबकि यही लोग अहंकार का आरोप मोदीजी पर लगाते हैँ।
कांग्रेस ने हार की वास्तविकताओं को जान - समझकर 6 समितियों के माध्यम से लगभग 8 राज्यों की जानकारी जुटाने जा रही है कि वह कांग्रेस शासित राज्यों सहित अनुकूल राज्यों में हारे क्यों? इन प्रदेशों के आलावा भी कांग्रेस की हालत तो अन्य कई राज्यों में भी निराशाजनक है जैसे 80 सीटों वाले उत्तरप्रदेश में वह मात्र 6 सीट पर है, आंध्र प्रदेश में शून्य पर है। राजस्थान में 25 में से मात्र 8 सीटें हैँ, बंगाल, आसाम और बिहार में भी उसका प्रदर्शन नगण्य है।कई सारी जगह वह शून्य है।
अब कांग्रेस नें अपने खराब प्रदर्शन को लेकर जाँच समितियाँ की गठित की हैँ। जो उन्हें बताएंगी कि मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, ओड़िसा, दिल्ली, हिमाचल, उत्तराखंड, तेलंगाना, कर्नाटक आदि में कांग्रेस के कमजोर और खराब प्रदर्शन के क्या कारण रहे ।
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के अनुसार चुनाव में कमजोर प्रदर्शन की पड़ताल कर सभी समितियां अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपेंगी।
लोकसभा चुनाव में कुछ बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद कुछ राज्यों के निराशाजनक परिणाम के कारण कांग्रेस सत्ता की दौड़ से काफी दूर है, कांग्रेस ने इन राज्यों में पार्टी के लचर चुनावी प्रदर्शन की पड़ताल इन छह अलग-अलग समितियों के माध्यम से कर रही है।
1- मध्यप्रदेश में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली है और यहां तीन सदस्यीय पड़ताल समिति महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की अगुवाई में गठित किया गया है। इसमें चव्हाण के साथ सांसद सप्तागिरि उलाका और गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी शामिल हैं।
2- छत्तीसगढ में भी कांग्रेस 11 में से केवल एक लोकसभा सीट जीत पायी और यहां पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के लिए वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली और हरीश चौधरी की दो सदस्यीय समिति बनाई गई है।
3- ओडिसा में पार्टी की चुनावी कमजोरी का जायजा लेने का जिम्मा कोषाध्यक्ष अजय माकन और वरिष्ठ नेता तारिक अनवर को सौंपा है।
4- दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के नतीजों की समीक्षा एक ही समिति करेगी जिसमें पीएल पुनिया और रजनी पाटिल शामिल की गई हैं।
5- कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है मगर पार्टी को वहां केवल नौ सीटें ही लोकसभा में मिल पायी और यहां के नतीजों की समीक्षा के लिए मधुसूदन मिस्त्री, गौरव गोगोई के साथ सांसद हिबी इडेन की तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है।
6- तेलंगाना में भी कांग्रेस को उम्मीद से कम आठ सीटें मिली और यहां के चुनावी प्रदर्शन की जमीनी पड़ताल के लिए पीजे कुरियन, सांसद रकीबुल हसन और परगट सिंह की समिति पार्टी ने गठित की है।
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के अनुसार चुनाव में इन राज्यों में कमजोर प्रदर्शन की पड़ताल कर सभी समितियां अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपेंगी जिसके आधार पर आगे जरूरी सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
कुछ समय और कांग्रेस उछलकूद मचाएगी, क्योंकि इस चुनाव में उन्हें नेता प्रतिपक्ष पद क़ी उपलब्धि हांसिल हुईं है और नेता प्रतिपक्ष भी राहुल गाँधी ही होंगे। इसलिए छोटी ही सही मगर ख़ुशी बनती है।
यह अच्छी बात है कि कांग्रेस हार की समीक्षा कर रही है। जिस पार्टी नें कई कई दशक देश पर राज किया, उसकी इतनी कमजोर हालत क्यों, यह समीक्षा तो उन्हें ही करनी चाहिए और कर भी रहे हैँ तो अच्छा है।
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