कैंसर के उपचार में हरड़ / त्रिफला कारगर



यह खबर राजस्थान के प्रसिद्ध राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र में प्रकाशित हुई है। इसलिये मुझे लगा कि इसके बारे में आम जन को बताया जाना चाहिये। इस खबर का कितना असर है, यह मुझे नहीं पता मगर हरण का नित्यप्रति सेवन में कोई नुकसान नहीं है। इसे आयुर्वेद में अमृत माना गया है त्रिफला के नाम से बहुत मसहूर यह दवा सभी जगह मिलती है।त्रिफला को आंवला, बहेड़ा और हरड़ को मिलाकर बनाया जाता है। यह तीन देशी दवाओं का मिश्रण होता है। अकेले हरड भी सभी देशी दवाओं के विक्रतोओं के यहां मिलती है।
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कैंसर पर कारगर है त्रिफला : एम्स ने 18 लाख सेल पर किया अध्ययन, अब ब्लड कैंसर के मरीजों पर चल रहा है ट्रायल

सार
कैंसर मरीजों पर त्रिफला के प्रभाव को जानने के लिए अध्ययन का स्तर बढ़ेगा। अभी 10 मरीजों पर अध्ययन किया जा रहा है। इसमें एक ग्रुप को केवल दवाई दी जा रही है, जबकि दूसरे ग्रुप को दवाई के साथ त्रिफला भी दिया जा रहा है। 

Triphala is effective on cancer AIIMS studied on 18 lakh cells Now trial is going on on blood cancer patients 

कैंसर के उपचार में त्रिफला कारगर है। दवाई के साथ इसके सेवन से कीमोथेरेपी से होने वाले साइड इफेक्ट से राहत मिलती है। वहीं, कैंसर से उबरने की गति भी तेज होती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के बायोकेमिस्ट्री विभाग की तरफ से 18 लाख कृत्रिम कोशिकाओं पर किए गए अध्ययन से इसका पता चला है। नतीजे उत्साहवर्धक मिलने पर अगले चरण में अब विभाग ब्लड कैंसर के मरीजों पर इसका अध्ययन कर रहा है। इसके लिए पांच -पांच मरीजों के दो समूह बनाए गए हैं। 

पहले समूह के मरीजों को केवल कैंसर की दवाई दी जा रही है। जबकि दूसरे समूह के मरीजों को दवाई के साथ त्रिफला भी दिया जाता है। यह अध्ययन लंबे समय तक चलेगा, लेकिन शुरूआती दौर में ही देखा गया है कि जिन मरीजों को दवाई के साथ त्रिफला भी दिया गया, उनमें तेजी से सुधार हो रहा है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के दूसरे रिसर्च डे के अवसर पर बायोकेमेस्ट्री विभाग की सीनियर रेजिडेंट डॉ. निधी गुप्ता ने जानकारी दी कि विभाग ने त्रिफला के अध्ययन के लिए लैब में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से बनाई गई कोशिकाओं के नौ ग्रुप बनाए। सभी ग्रुप में दो-दो लाख कोशिकाओं को रखा गया। 

पहले ग्रुप की कोशिकाओं को केवल त्रिफला के साथ रखा गया। दूसरे ग्रुप को कैंसर की दवाई और तीसरे ग्रुप को दवाई के साथ त्रिफला में रखा गया। इन तीनों की तरह ही डोज को कम-ज्यादा कर छह और ग्रुप बनाए गए। करीब दो माह तक लैब में यह अध्ययन चला। 

इस दौरान पता चला कि दो दिन तक तय किए गए डोज के साथ रखे गए कोशिकाओं में अंतर आ रहा है। जिन कोशिकाओं को दवाई और त्रिफला के साथ दो दिन तक रखा गया उनमें मृत कोशिकाओं की संख्या कम रहीं, उनमें ज्यादा सुधार था।

क्या दिखा फायदा

दवाई के साथ त्रिफला देने से मरीज में कीमोथेरेपी के बाद उल्टी स्वाद में बदलाव, कब्ज की शिकायत, धूप से परेशानी, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, तनाव आदि साइड इफेक्ट में काफी सुधार पाया गया। साथ ही कैंसर से रिकवरी की गति में तेजी देखी गई है।

बढ़ेगा अध्ययन का दायरा
कैंसर मरीजों पर त्रिफला के प्रभाव को जानने के लिए अध्ययन का स्तर बढ़ेगा। अभी 10 मरीजों पर अध्ययन किया जा रहा है। इसमें एक ग्रुप को केवल दवाई दी जा रही है, जबकि दूसरे ग्रुप को दवाई के साथ त्रिफला भी दिया जा रहा है। सूत्रों की माने तो अध्ययन में मरीजों की संख्या बढ़ाई जाएगी। अभी तक परिणाम काफी बेहतर मिले है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत चल रहे इस अध्ययन को विस्तार देने की तैयारी की जा रही है। आने वाले दिनों में अध्ययन के बाद बड़े स्तर पर जांच की जा सकेगी।

यह है त्रिफला
त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ॉर्मूला है। इसमें अमलकी (आंवला), बिभीतक (बहेडा) और हरितकी (हरड़ के बीज निकाल कर) मिश्रण तैयार किया जाता है। इसमें एक भाग हरड का, दो भाग बहेड़ा का और तीन भाग आंवला का होता है। इसे उक्त मात्रा में मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है।
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यह जानकारी मुझे मिली है, मुझे सच झूठ पता नहीं, जनहित में यह जानकारी यहाँ दर्ज की जाती है... आप अपने विवेक का इस्तेमाल करें....
जय श्री राम / जय श्री हनुमान

मध्यप्रदेश में एक जिला हे शाजापुर और शाजापुर जिले में एक गांव हे मकोड़ी इस गांव की तहसील हे पोलायकलां और इस मकोड़ी गांव में 1 साल पहले से (केंसर) से पीड़ित लोगो को दवाई दी जाती हे लेकिन पहले केवल गांव के आसपास के गांवों में  ही दवाई दी जाती थी जिससे बहुत लोग ठीक हुए और दवाई पूरी तरह से लाभ दायक साबित हुई इसलिए अब दिनांक 22/05/2024 से हर राज्य और हर गांव के केंसर रोगियों को दवाई दी जाती हे दवाई लेने के लिए आप सप्ताह के किसी भी दिन आ सकते हो दवाई देने का समय सुबह 7 बजे से शाम 8 बजे तक 
नियम व शर्ते ___
1*शराब पीकर आने वाले को दवाई नही दी जाएगी
2*दवाई पीड़ित के घर के सदस्य को ही दी जाएगी 
3*पीड़ित व्यक्ति को साथ में नही लाना हे
4* पीड़ित का जो भी इलाज चल रहा है उसे बंद नही करना हे
5*यह दवाई खिलाने या पिलाने की नही दी जाती हे सिर्फ गले में या हाथ में बांधने के लिए दी जाती हे
6* इस दवाई का कोई परहेज नहीं हे सिर्फ 5 दिन के लिए पीड़ित को और पीड़ित के परिवार को शराब, मांस, दाह संस्कार इन सब से दूर रहना होगा
7*दवाई का कोई चार्ज नही लिया जाता है यह पूरी तरह से नी शुल्क हे
8*साथ में आपको कुछ भी नही लाना हे खाली हाथ आना
 9*बाकी की बात दवाई लेने आयेंगे तब समझा दी जाएगी

दवाई देने वाले का नाम व पता
धनसिंग जी पाटीदार(सेठ)
ग्राम मकोड़ी जिला शाजापुर(मध्यप्रदेश) मोबाइल नंबर 8966913714
फोन व्यस्त मिलने पर आप दुबारा ट्राई कर सकते हे

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