जम्मू और कश्मीर, युगों - युगों से भारत का - अरविन्द सिसौदिया Speech On 370 And 35a In Hindi

  राज्यसभा में सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने का प्रस्ताव रखा. (फोटो: आरएसटीवी/पीटीआई)

 जम्मू और कश्मीर जिसमें लद्दाख का क्षैत्र भी था यह सभी क्षैत्र युगों युगों से भारतीय ही थे और भारतीय सभ्यता और संस्कृति के अभिन्न अंग रहे हे। जबरिया मुस्लिमीकरण के धर्मान्तरण से न तो डीएनए बदलता न ही मूल सच्चाई । कोई भी तर्क,विर्तक और कुतर्क गढ़ते रहो । यह क्षैत्र भारतीय ही था और अब पूर्ण भारतीय हो गया है।

       सवाल यही है कि जवाहरलाल नेहरू जी के नृतत्व में कश्मीर को लेकर गलत नीति ब्रिटिश सरकार को विशेषकर लार्ड माउन्टेवेटन को खुश करने की थी और बाद में इसे मुस्लिम वोट बैंक से जोड कर जारी रखा । जिसे वर्तमान सरकार के महानायक श्री नरेन्द्र मोदी ती के नेतृत्व वाली सरकार ने रद्द कर दिया । अब यह क्षैत्र भारत का पूर्ण अंग बन गेया है। यह उपब्धिता मूल रूप से भारत की अखण्डता के प्रति समर्पित भारतीय जनता पार्टी को मिले बहूतम से ही संभव हुआ है। आम जनता देशहित को वोट करेंगे तो देशहित होगा । कांग्रेस ने कांग्रेस हित के अलावा क्या किया यह प्रश्न आज भी सब दूर गूंजता हे।

 

 2 - जम्मू कश्‍मीर को केन्द्रशासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद वहां रह रहे बाहरी नागरिकोंं को भी विधान सभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार मिल चुका है। अभी तक अनुच्‍छेद 35 के प्रवधानों के कारण जम्मू कश्‍मीर में बाहर से आकर बसे नागरिकों के पास यह अधिकार नहीं था। उन्हें केवल लोकसभा में वोट डालने का अधिकार था। माना जा रहा है कि नई वोटर लिस्ट में यहां बसे नागरिकों के नाम शामिल होने से जम्मू कश्‍मीर में वोटरों की संख्‍या में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो जाएगी।

3-  जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केन्द्र शासित प्रदेश बनने के बाद देश में अब 28 राज्य और 9 केन्द्र शासित प्रदेश होंगे , जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के स्थाई निवासियों के अधिकार वाले 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम 7 कानूनों में बदलाव होगा.  राज्य पुनर्गठन कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य के स्तर पर बनाया गया था. 

 

राष्ट्रवाद की विचारधारा के अग्रदूत: जम्मू-कश्मीर की समस्या के निस्तारण के लिए पुरजोर आवाज उठाने वाले श्यामाप्रसाद मुखर्जी ही थे

देश की एकता और अखंडता के लिए मुखर्जी का बलिदान तब फलीभूत हुआ जब देश ने अनुच्छेद 370 को निर्मूल होते देखा। वह इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही थे जिन्होंने सबसे पहले एक देश, एक विधान, एक प्रधान का नारा बुलंद किया। डॉ. मुखर्जी ने कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट का विरोध किया और वहां गिरफ्तारी के बाद जेल में रहने के दौरान ही संदिग्ध परिस्थितियों में जान गंवा दी।डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही थे जिन्होंने सबसे पहले एक देश, एक विधान, एक प्रधान का नारा बुलंद किया। डॉ. मुखर्जी ने कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट का विरोध किया और वहां गिरफ्तारी के बाद जेल में रहने के दौरान ही संदिग्ध परिस्थितियों में जान गंवा दी। भारत माता के ऐसे महान सपूत के सर्वोच्च बलिदान को नमन करता हूं।



जयंती पर विशेष : क्या श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत की वजह राजनीतिक थी?


बीजेपी ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाकर अपना नारा पूरा किया- जहां हुए बलिदान श्यामा प्रसाद मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है
Jammu Kashmir Article 370 Revoked BJP Tribute Shyama Prasad Mukharjee: बीजेपी के लिए धारा 370 हटाना आज की नहीं लगभग 70 साल पुरानी मांग है. जनसंघ के पितृ पुरुष माने जाने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1952 में देश की संसद में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के लिए पुरजोर भाषण दिया था. इसके बाद वह जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर निकल गए. जहां उन्हें बिना परमिट यात्रा करने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई. उस वक्त से ही बीजेपी में यह नारा चलता था, जहां हुए बलिदान मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है. आज इस नारे को हकीकत का रूप दे दिया गया है. बीजेपी महासचिव और कश्मीर प्रभारी राम माधव ने ट्वीट किया है कि आखिरकार श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना पूरा हुआ.
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अनुच्छेद 370 ख़त्म, जम्मू कश्मीर और लद्दाख बनेंगे केंद्र शासित प्रदेश

    संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर को विशेष स्वायत्त दर्जा देता था. इसके अलावा अनुच्छेद 35ए को भी ख़त्म करने का भी प्रस्ताव पेश किया गया है. केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा.


नई दिल्ली | केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की सिफारिश की. शाह ने कहा कि इस आदेश से अनुच्छेद 370 का सिर्फ एक खंड बचा रहेगा, बाकी सारे खंड खत्म हो जाएंगे. इसे लेकर राज्यसभा में विपक्षी पार्टियों का व्यापक विरोध देखने को मिला.

संविधान का अनुच्छेद 370 एक ‘अस्थायी प्रावधान’ है जो जम्मू कश्मीर को विशेष स्वायत्त दर्जा देता है. अनुच्छेद 370 के अलावा अनुच्छेद 35ए को भी खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया गया है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संकल्प पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान के अनुच्छेद 370 (1) के अलावा सभी खंडों को हटाने और राज्य का विभाजन- जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया है.

खास बात ये है कि सरकार के इस फैसले को लेकर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर वाला भारत का राजपत्र भी प्रकाशित हो चुका है. इस आदेश का नाम संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू) आदेश, 2019 है.

अमित शाह ने कहा कि वे विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सभी सवालों का जवाब देने को तैयार हैं.

शाह ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के कारण ये फैसला लिया गया है. इस तरह इस फैसले से अब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा दी गई है.

सत्ता पक्ष ने जहां इस फैसले को बहुप्रतीक्षित एवं आवश्यक बताया, वहीं जम्मू कश्मीर के मुख्य राजनीतिक दलों नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी सहित कई विपक्षी सदस्यों ने इसकी कड़ी आलोचना की.

वहीं, बहुजन समाज पार्टी ने इस आदेश के प्रति समर्थन जताया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी इनका पूरा समर्थन करती है. हम चाहते हैं कि ये विधेयक पास किया जाए. हमारी पार्टी अनुच्छेद 370 विधेयक और अन्य विधेयक के विरोध में नहीं है.’

जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र की अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायिका वाला केंद्रशासित क्षेत्र होगा. जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने का वादा भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी किया था.

अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर का अपना अलग संविधान था. इस अनुच्छेद के समाप्त करने के बाद यह आशंका भी उठ रही है कि क्या सरकार के फैसले के बाद राज्य का ‘डेमोग्राफिक प्रोफाइल’ बदलेगा?

पीडीपी प्रमुख और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट के जरिये यह आशंका जाहिर की है. उन्होंने कहा है, ‘यह फैसला उपमहाद्वीप के लिए विनाशकारी परिणाम लेकर आएगा. भारत सरकार की मंशा साफ है. वे जम्मू कश्मीर के लोगों को आतंकित कर इस पर अपना अधिकार चाहते हैं. भारत कश्मीर के साथ किए गए वादों को निभाने में विफल रहा.’

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार की मंशा साफ एवं बेईमान हैं. वे भारत में केवल मुस्लिम बहुल राज्यों की आबादी की संरचना को बदलना चाहती है. मुस्लिमों को इस हद तक बेबस बना देना चाहते हैं कि वे अपने ही राज्य के दोयम दर्जे के नागरिक बन जाएं.’

मुफ्ती के एक अन्य ट्वीट के अनुसार, ‘भारत सरकार ने एक बार फिर कश्मीरियों को हाशिये की ओर ढकेल दिया है. हमारे सम्मान पर किए गए इस अवैध और असंवैधानिक हमले का विरोध करना ही एकमात्र चारा है.’

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 पर सरकार के कदम को एकतरफा एवं चौंकाने वाला करार दिया और कहा कि यह राज्य की जनता के साथ विश्वासघात है.

उन्होंने कहा, ‘आज किया गया भारत सरकार का एक तरफा एवं चौंकाने वाला निर्णय उस भरोसे के साथ पूरी तरह धोखा है जो जम्मू कश्मीर के लोगों ने भारत में जताया था जब राज्य का 1947 में इसके साथ विलय हुआ था. ये फैसले दूरगामी एवं भयंकर परिणाम देने वाले होंगे. यह राज्य के लोगों के प्रति दिखाई गई आक्रामकता है जिसकी कल (रविवार को) श्रीनगर में सर्वदलीय बैठक में आशंका जताई गई थी.’

उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार ने इन विनाशकारी फैसलों की जमीन तैयार करने के लिए हाल के हफ्तों में धोखे एवं गोपनीयता का सहारा लिया. हमारी आशंकाएं दुर्भाग्यवश सच साबित हुईं जब भारत सरकार और जम्मू कश्मीर में उसके प्रतिनिधियों ने हमसे झूठ बोला कि कुछ भी बड़ा करने की योजना नहीं है.’

मोदी सरकार के इस फैसले के विरोध में पीडीपी के दो सांसद मीर फैयाज और नाजिर अहमद ने भारतीय संविधान को फाड़ने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को जम्मू कश्मीर की जनता के साथ धोखा है.

पीडीपी सांसदों के इस कृत्य की आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दो-तीन सांसदों ने संविधान को फाड़ने की कोशिश की, मैं इसकी निंदा करता हूं.

उन्होंने कहा, ‘हम भारत के संविधान के साथ खड़े हैं. हम हिंदुस्तान के संविधान की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा देंगे, लेकिन आज भाजपा ने संविधान की हत्या कर दी है.’


पीडीपी सांसदों के इस कृत्य की आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दो-तीन सांसदों ने संविधान को फाड़ने की कोशिश की, मैं इसकी निंदा करता हूं.

उन्होंने कहा, ‘हम भारत के संविधान के साथ खड़े हैं. हम हिंदुस्तान के संविधान की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा देंगे, लेकिन आज भाजपा ने संविधान की हत्या कर दी है.’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, ‘सरकार ने जो किया है वह अप्रत्याशित और जोखिम भरा कदम है. सरकार ने संविधान के अनुच्छेदों की गलत व्याख्या की है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं सभी राजनीतिक दलों, राज्यों और देश की जनता से कहना चाहता हूं कि ‘भारत का विचार’ गंभीर खतरे में है. यह भारत के संवैधानिक इतिहास में एक काला दिन है.’

वामदलों ने भी जम्मू कश्मीर से जुड़े संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के मोदी सरकार के फैसले को जनविरोधी बताते हुए कहा है कि सरकार के इस कदम से लोकतंत्र और संघीय ढांचे की हत्या हुई है.

माकपा पोलित ब्यूरो द्वारा सोमवार को जारी बयान के अनुसार, ‘मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 खत्म कर लोकतंत्र और संविधान पर कुठाराघात किया है.’ पार्टी ने कहा कि कश्मीर के लोगों ने इस विश्वास के साथ खुद को भारत के साथ हमेशा एकजुट रखा कि उनके राज्य को मिली स्वायत्तता और विशेष राज्य का दर्जा बरकरार रहेगा.

भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता शुरू से ही सभी प्रकार की विषम परिस्थितियों के बावजूद भारत के साथ एकजुटता से खड़ी रही. जम्मू कश्मीर का इस प्रकार से बंटवारा करना वहां की जनता पर जालिमाना हमला है.

बहरहाल, सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए सोमवार को भाजपा ने इसे जोखिम भरा लेकिन साहसिक और अविस्मरणीय करार दिया. राज्य के अलग दर्जे को अलगाववाद बढ़ाने वाला बताते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा कि कोई भी राष्ट्र इस स्थिति को जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकता है.

उन्होंने कहा, ‘एक ऐतिहासिक गलती को आज ठीक किया गया है. अनुच्छेद 35ए को पिछले दरवाजे से संविधान के अनुच्छेद 368 की प्रक्रिया का पालन किए बिना लाया गया. इसे जाना ही था.’

भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि उन्हें संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के सरकार के निर्णय से प्रसन्नता है. उन्होंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि यह राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाने की दिशा में साहसी कदम है.’

पूर्व विदेश मंत्री एवं भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया, ‘बहुत साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय. श्रेष्ठ भारत-एक भारत का अभिनंदन.’

भाजपा नेता राम माधव ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का भारत में इस राज्य के पूर्ण एकीकरण के लिए किए गए बलिदान का सम्मान हुआ है.

भाजपा प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा, ‘इससे जम्मू कश्मीर के विकास का मार्ग खुल गया है.’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर सहित पूरे देश के हित के लिए यह अत्यधिक आवश्यक था और सभी को इसका समर्थन करना चाहिए.

सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह सुरेश (भय्याजी) जोशी ने संयुक्त बयान में कहा, ‘सरकार के साहसपूर्ण कदम का हम हार्दिक अभिनंदन करते हैं. यह जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश के हित के लिए अत्यधिक आवश्यक था.’

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी केंद्र के जम्मू कश्मीर पर फैसले का समर्थन करती है. मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट कर कहा, ‘हमें आशा है कि इससे राज्य में शांति आयेगी और विकास होगा.’

बीजू जनता दल ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के संकल्प का स्वागत करते हुए कहा, ‘जम्मू कश्मीर सही मायनों में आज भारत का अभिन्न अंग बना है.’

अन्नाद्रमुक ने भी अनुच्छेद 370 हटाने संबंधी संकल्प तथा राज्य पुनर्गठन विधेयक का समर्थन किया. शिवसेना ने संविधान के अनुच्छेद 370 पर लिए गए केंद्र के फैसले की सराहना की.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)


 
 धारा 370 हटने के बाद अब लद्दाख में घर खरीद पाएंगे आप
Patrika 08-05
नई दिल्ली। क्या आपने कभी लद्दाख और कश्मीर जैसी संदर जगह पर घर खरीदने के बारे में विचार किया है। अगर हां, तो आज आपके लिए बड़ा दिन हैं क्योंकि जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। मोदी सरकार के इस कदम के बाद जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। इसके साथ ही कश्मीर के लोगों को धारा 370 के जरिए जो विशेषाधिकार मिले हुए थे, वह भी खत्म हो गए हैं।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया है, यानी लद्दाख अब एक अलग राज्य होगा। यानी जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली की तरह विधानसभा वाला और लद्दाख, चंडीगढ़ की तरह व‍िधानसभा व‍िहीन केंद्रशासित प्रदेश होगा। सरकार के इस कदम से लद्दाख और कश्मीर के बाहर रहने वाले लोग भी अब यहां घर खरीद पाएंगे।


खत्म होगी दोहरी नागरिकता

धारा 370 के हटाए जाने से राज्य के स्थायी निवासियों की दोहरी नागरिकता खत्म हो जाएगी इसके साथ ही अब वह भारत के नागरिक होंगे। इसके अलावा जम्मू कश्मीर से बाहर रहने वाले लोगों को लद्दाख और कश्मीर में संपत्ति खरीदने का अधिकार नहीं था, लेकिन आज से आप लद्दाख और कश्मीर जैसी जगहों पर भी आसानी से घर खरीद पाएंगे। साथ ही बाहरी लोगों को राज्य सरकार की नौकरी करने का अधिकार मिल जाएगा। इस अनुच्छेद के समाप्त होने के बाद राज्य के बाहर के लोग भी जम्मू कश्मीर में स्थायी तौर निवास कर सकते हैं।

नहीं कर सकते थे वहां सरकारी नौकरी

जब तक कश्मीर में धारा 370 लागू थी तब तक वहां के नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार मिले हुए थे, जिसके कारण सिर्फ कश्मीर में रहने वाले लोग ही वहां का हिस्सा थे। यानी देश के अन्य राज्यों में रहने वाले लोग न तो वहां पर सरकारी नौकरी कर सकते थे और न ही वहां पर घर खरीदने के बारे में विचार कर सकते ते। इसके अलावा वहां का संविधान भारत से अलग था, जिसके कारण वहां के चुनाव में किसी अन्य़ राज्य के लोग भाग नहीं ले सकते थे। सिर्फ कश्मीर में रहने वाले लोग ही वहां के चुनाव में हिस्सा ले सकते थे।


खत्म हुए कश्मीर के विशेष अधिकार

मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होगा। जम्मू-कश्मीर का अब अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर ने 17 नवंबर 1956 को अपना संविधान पारित किया था, वह पूरी तरह से खत्म हो गई है।

अब कर सकेंगे ये काम-

1. देश के किसी हिस्से का नागरिक वहां जमीन खरीद सकता है यानि वहां बस सकता है।

2. देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर का स्थाई नागरिक बन सकता है।

3. स्थाई नागरिक बनने का मतलब हुआ कि वो निवेश कर सकेगा, कारोबार कर सकेगा।

4. जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है।

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 जम्मू कश्मीर अनुच्छेद पर भाषण Speech On 370 And 35a In Hindi
November 1, 2020
पिछले वर्ष हमारे देश में कई ऐतिहासिक कार्य हुए जिनमें एक जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 35A और 370 को हटाना भी एक था. 5 अगस्त 2019 की तिथि को सात दशक बाद भारत के जम्मू कश्मीर प्रान्त को देश के अन्य राज्यों की भांति बराबरी का अधिकार मिला तथा वहां के नागरिको को मूलभूत अधिकार मिले जिनसे वे आज तक वंचित थे. आज के जम्मू कश्मीर अनुच्छेद भाषण स्पीच में हम अनुच्छेद 35A और 370 के बारे में विस्तार से बताएगे.

जादी के बाद से जम्मू कश्मीर को हम एक शब्द अर्थात भारत का अटूट अंग कहने को विवश थे. हमने कभी पंजाब,गुजरात  राजस्थान, हरियाणा यहाँ तक कि किसी राज्य के सन्दर्भ में इस पंक्ति का उपयोग नहीं किया. हमें यह साबित करने की जरूरत ही नहीं पड़ी कि यूपी भारत का अंग हैं. मगर क्या आपने कभी इस पर विचार किया हैं कि हमें जम्मू कश्मीर राज्य के सन्दर्भ में ही ऐसा क्यों कहना पड़ता हैं. क्योंकि हम जब से समझने लगे है हमने यही पढ़ा हैं यही सुना हैं. सदा से जम्मू कश्मीर को भारत का विवादित राज्य बना दिया गया था. इसके पीछे उस समय के राजनेताओं की नासमझी थी. भारत के संविधान में डाले गये दो कानून जिन्हें हम धारा 370 और 35 A के रूप में जानते हैं, यही कानून इस समूचे षड्यंत्र की जड़ रही.


बेकडोर से संविधान की प्रतियों में ये धाराएं जोड़ी गई, हो सकता है उस समय के भारतीय शासक इस सच्चाई से परिचित थे, मगर उन्होंने इसे चुपचाप स्वीकार कर लिया था, जो आगे चलकर भारत की शान्ति और जम्मू कश्मीर राज्य की प्रगति के लिए राह का रोड़ा बन गई थी. एक आम भारतीय ही नहीं बल्कि कानून के जानकार भी 370 और 35A इन एक्ट का नाम तक कभी नहीं सुना था. ये दो कानून जम्मू कश्मीर को न केवल एक विशेष राज्य का दर्जा दिया गया बल्कि राज्य के लिए अलग कानून, अलग झंडा, भारतीय संसद के सभी कानून, उच्चतम न्यायालय के क्षेत्राधिकार से भी राज्य को बाहर रखा गया था. इस कानून की बदौलत राज्य के लोगों को शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, चुनाव आयोग के दायरे से भी मुक्त रखा गया था. आपने कई कानूनों के बारे में पढ़ा गया. अमुक कानून अमूक तिथि को जम्मू कश्मीर राज्य को छोडकर शेष भारत में लागू हुआ, ये लाइन स्पष्ट कर देती हैं कि भारतीय विधायिका द्वारा बनाये गये कानून जब तक जम्मू कश्मीर में लागू नही किये जाते तब तक वहां की विधानसभा उसे स्वीकृति नहीं देती हैं. राज्य में पंचायतीराज एक्ट भी नहीं था. वहां का मुख्यमंत्री जिसे पहले जम्मू कश्मीर के सदर यानी प्रधानमंत्री कहा जाता था. वही पंचायतो के सम्पूर्ण अधिकारों का उपयोग करते थे.

जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35A के चलते शेष भारत से पुर्णतः अलग कर दिया गया. जहाँ देश की अधिकतर केन्द्रीय संस्थाएं काम नही कर सकती थी. यहाँ तक कि अन्य राज्यों से जाने वाले लोगो को परमिट लेना पड़ता था. कोई बाहरी व्यक्ति मकान तक नही ले पाता. ऐसे में इस कानून की मदद से शेख अब्दुल्ला और मुफ़्ती परिवार ने कश्मीर के लोगों के हित की बजाय अपने को मजबूत बनाया. राज्य में इस्लामिक अलगावाद, कट्टरवाद, आतंकवाद को प्रश्रय दिया जाने लगा. वहां की अल्प संख्यक हिन्दू, सिख आबादी का नरसंहार कर दिया गया, जो भी वहां थे उन्हें अपनी जमीन जायदाद छोड़ने के लिए विवश किया गया.

जब से भारतीय जनता पार्टी अस्तित्व में आई उन्होंने अपने एजेंडे में जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाना अपना प्रमुख मुद्दा बनाया, धीरे धीरे यह एक आमजन की आवाज बन गई, आखिरकार 5 अगस्त 2019 नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में इस ऐतिहासिक कार्य करते हुए जम्मू कश्मीर राज्य से धारा 370 और 35A को हटा लिया गया. जब इस कानून को हमारे संविधान में जोड़ा गया तब एक शब्द उसके आगे लिखा गया था, टेम्परेरी एंड ट्रांजियट यानी यह उस समय के हालत के अनुसार संविधान में किया गया संशोधन था जो अस्थायी था. आखिरकार अनुच्छेद 370 की एक धारा को छोडकर सभी धाराओं को हटा दिया गया, इसके साथ ही राज्य को दिए गये समस्त विशेषाधिकार समाप्त हो गये. जम्मू कश्मीर को अब एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बनाया गया तथा समूचे प्रदेश को दो हिस्सों जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में बांटा गया.

जब हम अनुच्छेद 370 की बात करते है तो स्वतः ही 35A की बात भी आ जाती हैं. भारतीय संविधान में यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर राज्य को एक विशेष दर्जा (स्पेशल स्टेट्स) देता था. राज्य के शासन को अनुच्छेद 35A वह शक्ति दिलाता था जिससे राज्य के स्थायी निवासी को परिभाषित किया जा सके. यह वहां के लोगों को स्पेशल स्टेट्स दिलाती थी. राज्य के बाहर का कोई व्यक्ति यहाँ तक कि जम्मू कश्मीर से बाहर विवाह करने पर उनकी संतानों को राज्य में सम्पति के अधिकार से बेदखल कर दिया गया. भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत राष्ट्रपति के आदेश द्वारा 14 मई 1954 को यह 35A की धारा को जोड़ा गया था.

शेष भारत से जब जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 को रिवोक / एब्रोगेशन की बात आई, तब तब वहा के स्थानीय राजनेताओं द्वारा इसका विरोध किया जाता रहा हैं. कश्मीरी नेता इस कानून की मदद से अनेक सुविधाओं के स्वयंभू बने हुए थे. भारत के अन्य राज्यों की तुलना में जम्मू और कश्मीर को चार गुना अधिक वित्तीय सुविधाएं दी जाती थी. इसके बावजूद वहां की जनता गरीबी में जीवन जीने के लिए मजबूर थी. घर घर बिजली न होना, संचार सुविधाओं की कमी आदि का कारण वहां के शासक ही रहे थे. भारत सरकार द्वारा बनाये गये रक्षा, विदेश एवं संचार विषय के कानून केवल जम्मू कश्मीर में लागू होते थे.

जम्मू कश्मीर के नागरिकों को धारा 370 द्वारा दोहरी नागरिकता प्रदान की गई. राज्य का अपना राष्ट्रध्वज था. शेष भारत के राज्य की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष हैं, जबकि जम्मू कश्मीर में यह 6 वर्ष था. राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होते थे. वहां की पुलिस भी राज्य शासन के आदेश पर काम करती थी. कई बार भारतीय ध्वज और प्रतिको के अपमान होता था, मगर यह अनुच्छेद अपराधियों को कार्यवाही से बचाता रहा हैं.

17 अक्तूबर, 1949 को संविधान में शामिल, अनुच्छेद 370 भारत के संविधान में जोड़ा गया था, जिसे संविधान संशोधन (जम्मू कश्मीर) संशोधन आदेश 2019 द्वारा निरस्त कर दिया गया था. भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत अन्य देशी रियासतों की तरह जम्मू कश्मीर का भी भारत में विलय हुआ था.

इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन डोक्युमेंट पर हरिसिंह और माउंट बेटन के मध्य हस्ताक्षर हुए थे. राज्य की वे समस्त मांगे मानी गई थी. जो कथित रूप से राज्य के लोगों के हितो के लिए केंद्र सरकार के समक्ष रखी गई थी. इन सबके बावजूद राज्य के हालात बद से बदतर होते नये इन्ही के परिणामस्वरूप मोदी सरकार ने राज्य की नई व्यवस्था बनाई, 72 वर्षों से चली आ रही व्यवस्था को आखिर भंग करना पड़ा. आम भारतीय जो लम्बे समय तक कश्मीर मुद्दे पर उदासीन था अपना पेट काटकर कश्मीरी भाइयों के लिए मदद करने के लिए सदैव आगे आता था. मगर कट्टरवाद और आतंकवाद के समर्थन के कारण देश के लोगो ने भी सरकार के इस फैसले को सही ठहराया.

 

 

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