अजान azaan

 

अजान का हिन्दी अनुवाद

 
Note - उपरोक्त में कोई सुधार हो या त्रुटी हो तो टिप्पणी के माध्यम से बतायें ताकि ठीक की जा सके।

दरअसल 'अज़ान' अरबी ज़बान का लफ्ज़ है और 'उज़्न' शब्द की जमा (प्लूरल, बहुवचन) है. अज़ान लफ्ज़ का मतलब है ' ऐलान '. यानी किसी चीज के बारे में लोगों को अगाह करना, खबरदार करना है. मतलब: मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं.

नई दिल्ली: इस्लाम की 5 बुनियादी चीजों में नमाज़ का बहुत बड़ा दर्जा है. इसीलिए सभी मुसलमानों को 24 घंटे में 5 वक्त की नमाज पढ़ना फर्ज़ बताया गया है. हर मुसलमान का फर्ज़ है कि वो 5 वक्त की नमाज़ हर हालत में अदा करे. हर फर्ज़ नमाज से पहले मस्जिदों से अजान दी जाती है. अज़ान के ज़रिए सभी लोगों को मस्जिदों में नमाज के लिए इकट्ठा किया जाता है.

लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि वो अज़ान जिसकी सदाएं 24 घंटे में 5 बार सुनने को मिलती हैं उसका मतलब क्या है. अगर आप नहीं जानते हैं तो फिर आज हम आपको बताने जा रहे हैं. सबसे पहले तो यह है कि 'अज़ान' शब्द क्या है और इसका मतलब क्या है? दरअसल 'अज़ान' अरबी ज़बान का लफ्ज़ है और 'उज़्न' शब्द की जमा (प्लूरल, बहुवचन) है. अज़ान लफ्ज़ का मतलब है 'ऐलान'. यानी किसी चीज के बारे में लोगों को अगाह करना, खबरदार करना है.

अल्लाहु अकबर-अल्लाहु अकबर (दो बार)
मतलब: अल्लाह सबसे बड़ा है

अश्हदुअल्ला इलाहा इल्लल्लाह (दो बार)
मतलब: मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं.


अश्हदुअन्न मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह (दो बार)
मतलब: मैं गवाही देता हूं कि (हज़रत) मुहम्मद (स.) अल्लाह के रसूल (नबी, Prophet) हैं.

हय्या अलस्सलाह (दो बार)
मतलब: (लोगों) आओ नमाज़ के लिए.

हय्या अलल फ़लाह (दो बार)
मतलब: (लोगों) आओ कामयाबी के लिए.

अस्सलातु ख़ैरूम-मिनन्नौम (दो बार, सिर्फ़ सुबह वाली नमाज़ की अज़ान में)
मतलब: नींद से बेहतर नमाज़ है


अल्लाहु अकबर-अल्लाहु अकबर (एक बार),  
मतलब: अल्लाह सबसे बड़ा है.

ला इलाहा इल्लल्लाह (एक बार)
मतलब: कोई इबादत के लायक नहीं सिवाय अल्लाह के.


-----------------------------------

अज़ान (उर्दू ) या अदान। इस्लाम में मुस्लिम समुदाय अपने दिन भर की पांचों नमाज़ों के लिए बुलाने के लिए ऊँचे स्वर में जो शब्द कहते हैं, उसे अज़ान कहते हैं।

अज़ान कह कर लोगों को [मस्ज़िद] की तरफ़ बुलाने वाले को मुअज़्ज़िन कहते हैं।

शुरूआत
मदीना तैयबा में जब नमाज़ बाजमात के लिए मस्जिद बनाई गई तो जरूरत महसूस हुई कि लोगों को जमात (इकटठे नमाज पढने) का समय करीब होने की सूचना देने का कोई तरीका तय किया जाए। रसूलुल्‍लाह ने जब इस बारे में सहाबा इकराम ( मुहम्मद साहिब के अनुयायी ) से परामर्श किया तो इस बारे में चार प्रस्ताव सामने आए :

1-प्रार्थना के समय कोई झंडा बुलंद किया जाए।
2-किसी उच्च स्थान पर आग जला दी जाए।
3-यहूदियों की तरह बिगुल बजाया जाए।
4-ईसाइयों की तरह घंटियाँ बजाई जाएं।

उपरोक्त सभी प्रस्ताव हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को गैर मुस्लिमों से मिलते जुलते होने के कारण पसंद नहीं आए। इस समस्या में हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा इकराम चिंतित थे कि उसी रात एक अंसारी सहाबी हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ैद ने स्वप्न में देखा कि फरिश्ते ने उन्हें अज़ान और इक़ामत के शब्द सिखाए हैं। उन्होंने सुबह सवेरे हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सेवा में हाज़िर होकर अपना सपना बताया तो हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इसे पसंद किया और उस सपने को अल्लाह की ओर से सच्चा सपना बताया।

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ैद से कहा कि तुम हज़रत बिलाल को अज़ान इन शब्‍दों में पढने की हिदायत कर दो, उनकी आवाज़ बुलंद है इसलिए वह हर नमाज़ के लिए इसी तरह अज़ान दिया करेंगे। इसलिए उसी दिन से अज़ान की प्रणाली स्थापित हुई और इस तरह हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु इस्लाम के पहले अज़ान देने वाले के रूप में प्रसिद्ध हुए।




 

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

संघ नें हिंदुत्व को नई प्राणशक्ति दी हैँ - अरविन्द सिसोदिया

रामराज के सिद्धांत को जिला प्रशासन को अपनाना ही चाहिए - अरविन्द सिसोदिया

हिन्दु भूमि की हम संतान नित्य करेंगे उसका ध्यान

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी

"जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है"।