पाकिस्तान में अस्थिरता से भारत को सर्तक रहना होगा - अरविन्द सिसौदिया

पाकिस्तान में अस्थिरता से भारत को सर्तक रहना होगा - अरविन्द सिसौदिया

 

अरविन्द सिसौदिया


- अरविन्द सिसौदिया 9414180151

यूं तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अभी तक बोनस में ही कुर्सी का सुख भोगा है, क्यों कि उनकी पार्टी को स्पष्ट बहूमत तो कभी मिला नहीं था कुछ छोटे छोटे दलों के सहयोग से बहूमत जुटा कर ही वे सरकार का नेतृत्व कर रहे थे । उन्होन सरकार जाते देख अगले चुनाव की तैयारी भी प्रारम्भ कर दी है एक सार्वजनिक सभा सम्बोधित की, राष्ट्र के नाम सम्बोधन से अपनी चिकनी चुपडी बातें रखीं। मगर न तो उन्हे जनता का मेन्डेड था,न ही विपक्ष को जनता ने मेन्डेड दिया हुआ है। त्रिशंकु स्थिती से पाकिस्तान नये चुनाव में ही निकल पायेगा।

किन्तु पाकिस्तान में लोकतंत्र मात्र नकाब की तरह होता है ताकी उसे विदेशों से अरबों डालर मिलते रहें वह सभ्य देश दिखाई देता रहे । अन्यथा वहां शासन से सभी संसाधनों पर सेना का कब्जा है। 

 यह वह सेना नहीं है जो पाकिस्तान का भला चाहती हो बल्कि पाकिस्तान में सेना मात्र आतंकवाद के उत्पादन एवं विक्रय पर काम करती है,विश्व में अस्थिरता का ठेका लेनें वाली फर्म पाकिस्तानी सेना है। उसके सम्बंध चीन से होते हुये भी अमरीका से हमेशा ही रहते हैं। याद रहे कि विश्व का सबसे बडा आतंकी ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में ही शरण लिये हुये था और वहीं मारा गया था, यह भी याद रहे कि अमरीका नें  अफगानिस्तान को पाक परस्त तालिबानों के हाथों ही सौंपा है। इसलिय यह माना जाता है कि पाकिस्तान की सेना अमरिका की भी उतनी ही खास है, जितनी चीन की । पाकिस्तानी  सेना  का बजूद भी इसलिये होता है कि पाकिस्तान के सभी प्रमुख पदों पर सेना का प्यादा ही रहता है।

अभी तक देखनें में यह आ रहा है कि इमरान के पास संसद के सदन में मतों की कमी हो सकती है, उसके कुछ साथी दल और उसकी पार्टी के सासंद विपक्ष के साथ मिल गये है। इमरान सरकार के विरूद्ध जो हो रहा है वह सेना के प्रमुख के इशारे पर हो रहा है येशा कहा जा रहा है। अब दूसरा मैदान सेना का भी है, यदि सेना के अन्दर भी सत्ता का संघर्ष होता है, बगावत होती है जो बाजी इमरान के तरफ भी जा सकती है। शतरंज का खेल चल रहा है, पलडा कभी इधर कभी उधर उठ गिर रहा है। मगर इसमें सबसे ज्यादा दिलचस्पी चीन और अमरीका को ही है। दुनिया के बांकी के देशों को कोई फर्क नहीं पडता है कि पाकिस्तान का प्रधानमंत्री कौन रहे । भारत की स्थिती स्पष्ट है कि उसे तो पाकिस्तान से हर हाल में भिडते ही रहना है।

कुल मिला कर पाकिस्तान में जब भी सत्ता संघर्ष होता है तब भारत की चिन्तायें बढ़ जातीं हैं , उसका कारण भी है कि पाकिस्तान न केबल भारत विरोधी देश है बल्कि वह सीमा से सटा पडौसी देश है। पाकिस्तान की पोलिटिक्स पब्लिक केयर पर डिपेण्ड नहीं है, बल्कि कश्मीर के बहानें भारत को गाली देनें पर निर्भर रहती है। वहां के सत्ताधारियों को यह दिखाना पडता है कि वे कश्मीर में कितना उत्पात मचा रहे है, कश्मीर में कितना नुकसान कर रहे हैं। यही नहीं भारत में आंतरिक एवं साम्प्रदायिक वर्ग संघर्ष की सारी योजनायें एवं फंडिंग व्यवस्थाओं में भी पाकिस्तान की प्रमुख भूमिका रहती है। इसके पीछे वे देश भी होते हैं, जो बाहर भारत से मित्रता रखते हैं एवं अन्दर वे उसे कमजोर करना चाहते है। पाकिस्तान को उससी इसी काबलियत पर संसाधन,दान और आर्थिक सहायता मिलती है। निश्चित ही भारत को सतर्क रहना होगा।

जब से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केन्द्र की सरकार में है तब से भारत ने पाकिस्तान को उसके घर के अन्दर घुस कर मारना प्रारम्भ कर दिया है। एक भी आतंकी बच नहीं पाये इस तरह की योजना पर काम हो रहा है। आतंकी हो या आतंकी को साथ देने वाला अब भारत की सेना उन्हे सीधा जबाव देती है। भारत नें बडी ही दृडता से जम्मू और कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया और इस क्षैत्र के दो संघ शासित क्षेत्र बना दिये। जो ताकतें पाकिस्तान के भरोषे भारत में खून की नदियां बहा देना चाहतीं थीं । वे कुछ भी नहीं कर पाईं कहीं कोई पत्ता तक नहीं खडका।

 
दूसरी सबसे बडी बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्थिती सम्पूर्ण विश्व में दबंग और सही नेतृत्वकर्ता की बन गई है, वे कई सर्वेक्षणों में प्रथम आये हैं। अब भारत को विश्व के प्रमुख पांच देशों में से एक माना जाता है। वह अपनी बात मनवानें में भी सक्षम है। चीन से भी आंख में आंख डाल कर बात होती है।

यह भी सच है कि हिंसा, उत्पात एवं कपटपूर्ण कार्यों की ठेकेदारी लेनें वाले पाकिस्तान के लिये इमरान खान की उपयोगिता अत्यंत नाकाम रूप में ही सामनें आती है। इसलिये पाकिस्तान के अदृष्य विदेशी हितचिन्तकों ने भी हाथ खींच लिये हों और वे भी कोई नया उत्पाती बिठाना चाहते हों। इमरान स्वयं पुतिन से मिले थे और उनका विदेश मंत्री चीन के पैरों में पडा हुआ है। मगर पाकिस्तान से सम्बंध बनानें वाले उसकी सेना की मंसा पर ज्यादा भरोषा करते है।

देखिये खेल और खेला, मगर भारत की सेना का अब अधिक सर्तक रहना ही होगा । वह सर्तक है भी ।
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पाकिस्तान में अर्न्तकलह

पाकिस्तान में पांच साल पी एम कार्यकाल पूरा करने वाला एक भी नाम लिस्ट में नहीं है।
चार साल से अधिक समय सरकार चलानें में
1- लियाकत अली     4 साल 65 दिन
2- युसूफ रजा गिलानी 4 साल 86 दिन
3- नमाज शरीफ        4 साल 53 दिन
प्रधानमंत्री रहे है।

वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान साडे 3 साल पूरे करके 4 थे साल की ओर बड़ रहे है। उन्होने 18 अगस्त 2018 को पद ग्रहण किया था। इमरान खान 22 वें प्रधानमंत्री है।
इससे पूर्व में 3 बार नमाज शरीफ और 2 बार बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री रह चुके है। बांकी सभी मात्र एक बार ही प्रधानमंत्री बन सके हैं।

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