कांग्रेस अगले लोकसभा आम चुनाव 2024 के लिये,चाक चौबंद होनें में जुट गई Congress chintan baithak

कांग्रेस अगले लोकसभा आम चुनाव 2024 के लिये,

चाक चौबंद होनें में जुट गई
Congress gets ready for the next Lok Sabha general election 2024

Congress chintan baithak

कांग्रेस चिन्तन बैठक
कांग्रेस नेता तैयार करेंगे चिंतन शिविर  के एजेंडे की रूपरेखा
कांग्रेस,लोकसभा चुनाव 2024 के लिये,अपने को चाक चौबंद करने में जुटी
 

हाल ही में कांग्रेस पांच राज्यों में बुरी तरह चुनाव हार गई, उसके हाथ से पंजाब राज्य भी निकल गया। इस तरह से कांग्रेस लगभग हांसिये पर आ गई है। अब उसके पास दो राज्यों राजस्थान व छतीसगढ़ में पार्टी की एवं महाराष्ट्र और झारखण्ड में गठबंधन की सरकारें बची हैं । 2024 के अप्रैल - मई में लोकसभा का आम चुनाव है। इससे पहले गुजरात , हिमाचल प्रदेश,कर्नाटक,राजस्थान, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़ के विधानसभा चुनाव भी है।

कांग्रेस पार्टी को वर्तमान स्थिती में कांग्रेस को कार्यकर्ताओं, नेताओं और वोट बैंक संभाले रखना मुस्किल हो गया है।उसके भीतर एक भयंकर असंतोष पनप चुका है। जी - 23 के नाम से कांग्रेस के बडे नेता गांधी परिवार की नीतियों और तौर तरीकों के विरूद्ध मुखर है।

असंतुष्टों ने पार्टी के मौजूदा कामकाज के खिलाफ आवाज उठाई है, इसलिए चिंतन शिविर जरूरी हो गया है। जी-23 को राहुल गांधी और उनकी टीम के खिलाफ खड़ा किया गया है, यहां तक कि पार्टी की अंतरिम नेता सोनिया गांधी ने भी असंतुष्टों से मुलाकात कर विवाद को ठीक करने की कोशिश की है।

सोनिया गांधी ने संसदीय दल से बात करते हुए कहा था कि पार्टी का पुनरुत्थान लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण था और चुनाव परिणाम “ चौंकाने वाले “ और “दर्दनाक“ थे। “ हमारा समर्पण और दृढ़ संकल्प, हमारी लचीलापन की भावना गंभीर परीक्षा में है।“ उनने अपने सम्बोधन में था कि “ हमारे विशाल संगठन के सभी स्तरों पर एकता महत्वपूर्ण है, और मैं इसे सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हूं। हमारा पुनर्जन्म न केवल हमारे लिए महत्वपूर्ण है, यह हमारे लोकतंत्र के लिए और विस्तार से, हमारे समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है।“

इससे लगता है कि कांग्रेस अगले लोकसभा आम चुनाव 2024 के लिये जाग चुकी है और चाक चौबंद होनें में जुट गई है। चिन्तन शिविर, उसका एजेंडा और सीडब्ल्यूसी सत्र से पहले बुलानें की चर्चा इसी उपक्रम की पायदानें हैं। इस पर काम करने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य नियमित आधार पर बैठक करते रहे हैं, इस हेतु पुरानी कांग्रेस नेता अंबिका सोनी और मुकुल वासनिक को अंतिम रूप देने का काम सौंपा दिया है।

कुल मिला कर भविष्य की रणनीति को लेकर कांग्रेस का चिंतन शिविर राजस्थान में होगा। संभवतः ये चिंतन शिविर मई 2022 में उदयपुर में आयोजित किया जा सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को संदेश भेजा है तथा बुला कर भी चर्चा की है।

अभी कहा यह जा रहा है कि तीन दिन तक चलने वाले इस शिविर में नेताओं और कार्यकर्ताओं से हार के कारण जानने की कोशिश की जाएगी। साथ ही कांग्रेस गुजरात, हिमाचल प्रदेश के साथ ही अगले साल होने वाले कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति बनाएगी। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के मुकाबले के लिए गठबंधन की नई सियासत शुरू करने पर भी चर्चा हो सकेगी। इस शिविर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता और महासचिव भाग लेंगे। हालांकि, इस शिविर पर अंतिम फैसला कांग्रेस आलाकमान का ही होगा।

प्रशांत किशोर फेक्टर

 कांग्रेस स्वयं की सोच व रणनीतियों के कारण लगातार पराजित हो रही है। उसने राजनैतिक रणनीतिकार के तौर पर प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुके प्रशांत किशोर की तरफ अपना हाथ बढ़ाया है। प्रशांतकिशोर नये नारे बनानें और नये तरीके से कार्यक्रमों की रचना करने के लिये मशहूर हैं।उनकी सेवायें कांग्रेस लेनें की इच्छुक लग  रही है।माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के इस चिंतन शिविर में राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी मौजूद रहेंगे। हालांकि, उनके कांग्रेस में शामिल होने को लेकर अब तक तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। पार्टी के कुछ नेता अन्य राजनीतिक दलों से उनके करीबी संबंध होने के चलते इसका विरोध कर रहे हैं।

राजस्थान में पहले भी आयोजित हुआ था शिविर

लोकसभा आम चुनाव 2014 के ठीक पहले 2013 में भी कांग्रेस में इसी तरह का चिंतन शिविर राजस्थान के जयपुर में आयोजित हुआ था। उस समय शिविर में 2014 के लोकसभा चुनाव में जाने की तैयारियों और रणनीति को लेकर चर्चा की गई थी। तब राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष भी बनाया गया था। संयोग है कि तब भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही थे। इसके साथ ही राजस्थान में एक अन्य चिंतन शिविर का आयोजन किया गया था। इस दौरान माउंट आबू में आठ से नौ नवंबर 2002 को 14 कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई थी।
 

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