भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के देशवासियों के नाम पत्र का विश्लेषण

 भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के देशवासियों के नाम पत्र का विश्लेषण
Analysis of the letter to the countrymen of BJP National President JP Nadda

 


 भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी ने एक बड़ी महत्वपूर्ण चिट्ठी
राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी ने एक बड़ी महत्वपूर्ण चिट्ठी देशवासियों के नाम लिखी है। इसमें प्रमुखता से कुछ मुद्दे उठाए गए हैं। ये सवाल केवल भाजपा के लिए नहीं है बल्कि आज ये सवाल देशवासियों के मन में हैं जिनका जवाब विपक्षी पार्टियों को देना चाहिए.

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विश्व में कईं ऐसे देश हैं जो कोविड़ महामारी के दौर में कईं परेशानियों का सामना करते हुए कमजोर हुए। वहीं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत इस महामारी के संकट में भी सिर्फ मजबूत होकर ही नहीं उभरा बल्कि पूरे विश्व को दिशा देने का काम भी भारत ने किया है।

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विगत 8 वर्षों में, भारतीय राजनीति में तेजी से बदलाव आए हैं. अब भारतीय राजनीति में वोट बैंक और विभाजनकारी राजनीति की कोई जगह नहीं बची है.

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माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत देश ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, जिससे न केवल हर भारतीय सशक्त हो रहा है बल्कि वो सफलता की नई उड़ान भी भर रहा है.

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माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विगत 8 वर्षों में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है कि देश के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को कैसे विकास की मुख्यधारा से जोड़कर उसके सम्मान की रक्षा की जाए.

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पहले जो वोट बैंक की तोड़ो राजनीति होती थी अब उस पर जोड़ो राजनीति हावी हो चुकी है. धर्म-जाति के नाम पर विपक्षी पार्टियाँ खासकर कांग्रेस पार्टी तोड़ने का काम करती थी लेकिन अब आम नागरिक को इस बात का पूरा विश्वास हो चुका है कि उन्हें कोई मजबूत कर सकता है तो वह माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ही कर सकती है.

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दो दिन पहले विपक्षी पार्टियों ने एक चिट्ठी जारी की थी जिसके लिए ये कहना गलत नहीं होगा- 'खोटी अपील, खोटी नियत, खोटी कांग्रेस और खोटा विपक्ष'.

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उस चिट्ठी में यदि किसी का अपमान किया गया है तो भारत के नागरिकों का अपमान किया गया है।

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माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी अपनी चिट्ठी में प्रमुखता से विपक्षी पार्टियों से ये सवाल पूछा है कि आप करौली, राजस्थान पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?

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ये देश भी पूछ रहा है कि ऐसी क्या है मजबूरी कि मतलूब अहमद है जरूरी। एफआईआर में नामजद मुख्य आरोपी मतलूब अहमद है जिसकी  करौली घटना के 16 दिन बाद भी अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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पश्चिम बंगाल, झारखंड, राजस्थान या फिर महाराष्ट्र में भी हम देख रहे हैं कि क्या हो रहा है। ये विपक्षी दल अपील तो करते हैं, लेकिन जो प्रमुख सवाल है, उसका उत्तर नहीं देते हैं।

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हद तो तब हो जाती है जब जिन सरकारों को कटघरे में खड़ा होना चाहिए मसलन, पश्चिम बंगाल, जहां की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है, विपक्ष द्वारा लिखे पत्र में ममता जी के भी हस्ताक्षर हैं. जिनकी जवाबदेही होनी चाहिए, वे आरोप लगा रहे हैं.

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इस प्रकार नकारात्मक और सौहार्द बिगाड़ने वाली राजनीति देश के विपक्षी पार्टियों द्वारा की जा रही है.

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अगर सत्ता में आने के लिए दंगाईयों के साथ खड़ा होना पड़े तो वो भी करेंगे. अगर किसी दंगाई पर कार्रवाई न करके कोई राजनीतिक लाभ होता है तो वह भी करेंगे. यही देश की विपक्षी पार्टियों का मूलमंत्र बन चुका है.

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लेकिन इन्हें मालूम होना चाहिए की देश अब बदल चुका है. माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में चलने वाली वाली जोड़ो राजनीति के समक्ष विपक्ष की तोड़ो राजनीति अब बौनी साबित हो चुकी है. अब वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति देश के नागरिकों को स्वीकार नहीं है.

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एक तरफ माननीय प्रधानमंत्री जी की एक दूरदर्शी सोच है कि देश का हित कैसे हो, देश आगे कैसे बढ़े। दूसरी तरफ तुच्छ राजनीति करने वाली कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की सोच है कि उनका भला कैसे हो, हमें देश से कोई लेना-देना नहीं लेकिन हम सत्ता में कैसे आएं।

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विकास की राजनीति का विरोध उन विपक्षी पार्टियों द्वारा किया जा रहा है जिन्हें जनता सिरे से ख़ारिज कर चुकी है.

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कांग्रेस पार्टी भूल जाती है कि सबसे ज्यादा दंगे अगर किसी के शासन में हुए तो वो कांग्रेस पार्टी के शासन में हुए हैं।

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पीछे मुड़कर देखें तो नवंबर 1966 की वो घटना कैसे कोई भूल सकता है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने संसद के बाहर बैठे निहत्थे हिंदू साधुओं पर गोलियां चलवा दी थीं, जिनकी मात्र यही मांग थी कि भारत में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया जाए.

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राजीव गाँधी के उन पीड़ादायी शब्दों को कौन भूल सकता है जब इंदिरा गाँधी की मौत के बाद हजारों निर्दोष सिखों के कत्लेआम पर उन्होंने कहा था कि-‘जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है.’

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1969 में गुजरात, दंगा, 1980 में मुरादाबाद दंगा, 1984 में भिवंडी दंगा, 1987 में मेरठ दंगा, 1980 के दशक में कश्मीर घाटी में हिंदुओं के खिलाफ विभिन्न घटनाएं, 1989 में भागलपुर दंगा, 1994 में हुबली दंगा- इस प्रकार कांग्रेस शासन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा की लंबी सूचि है.

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2013 में मुजफ्फरपुर दंगे या 2012 में असम दंगे किस सरकार के तहत हुए? 2013 के दंगे के लिए तो सुप्रीम कोर्ट ने फटकार भी लगाई थी.

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देश में आज आत्मविश्वास, प्रगति और नई ऊर्जा का माहौल है। लेकिन विपक्षी दल डरे हुए हैं, क्योंकि उनकी साम्प्रदायिक राजनीति का अंत हो गया है। वो इसलिए डरे हुए हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वो जो भ्रष्टाचार करते थे, उस राजनीति का अंत हो चुका है। बांटने और तुष्टिकरण की राजनीति, जो देश के विपक्षी पार्टियों के डीएनए में है, उसका अब खात्मा हो चुका है.

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हाल में, देश के विभिन्न हिस्सों में हुए चुनावों में जिस प्रकार जनता ने अपना आशीर्वाद देते हुए भाजपा को प्रचंड जीत दिलाई, वह इंगित करती है कि माननीय प्रधानमंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के काम काज से जनता कितनी संतुष्ट है. इसी का नतीजा है कि पहले देश जहां एंटी इन्केम्बेंसी महसूस कर रहा था, वह अब प्रो- इन्केम्बेंसी में तब्दील हो चुका है.

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माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश विकास के पथ पर अग्रसर है. देश के पास युवा है, ऊर्जा है, सोच है, ईमानदारी है और कुशल नेतृत्व है और देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. अगर विपक्ष इस विकास की राह में रोड़े अटकाने की कोशिश करेगा तो जनता उसे करारा जवाब देगी. भारत देश अब रुकने वाला नहीं है.

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स्वच्छ भारत मिशन महज एक सोच नहीं बल्कि भारत को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाने का माध्यम भी है. माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने बापू जी के सपनों को साकार करते हुए करोड़ों भारतीयों का जीवन बदला और उन्हें सम्मान दिया.

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2 अक्टूबर, 2014 को परम श्रद्धेय महात्मा गांधी जी के जन्मदिन पर स्वच्छ भारत मिशन को प्रधानमंत्री मोदी जी ने आगे बढ़ाया और देश को समर्पित किया।

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मिशन के तहत, भारत में सभी गांवों, ग्राम पंचायतों, जिलों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण करके 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर स्वयं को "खुले में शौच से मुक्त" (ओडीएफ) घोषित किया।

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यह सुनिश्चित करने के लिए कि खुले में शौच न करने की प्रथा स्थायी रहे, कोई भी वंचित न रह जाए, मिशन अब अगले चरण ओडीएफ-प्लस की ओर अग्रसर है।

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स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत देश में अब तक 11.5 करोड़ से ज्यादा घरों को शौचालय मिल चुके हैं जबकि  58 हजार गांव और 3,300 से अधिक शहर ओडीएफ प्लस योजना से लाभान्वित हुए हैं।

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घरों तक ही नहीं बल्कि सार्वजनिक स्थलों पर सामुदायिक स्वच्छता परिसर बनाना भी सुनिश्चित किया गया. गाँवों और शहरों में 8.2 लाख से ज्यादा सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के निर्माण हो चुका है.

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स्वतंत्रता के बाद से 2014 तक जितने शौचालय और सार्वजनिक स्वच्छता परिसर देश में नहीं बने, उससे ज्यादा विगत 8 वर्षों में बनाये गए हैं, जो अपने आप में अभूतपूर्व है. यह इसलिए भी संभव हो पाया कि विपक्ष ने जिस मिशन का मजाक उड़ाया, वह मिशन जन-आन्दोलन बन गया.

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शौचालय निर्माण के माध्यम से, जिसे इज्जत घर भी कहते हैं, देश की महिलाओं को सम्मान देने का काम किया गया.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वच्छ भारत अभियान के लिए बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से ‘ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने पुरस्कार को 130 करोड़ भारतीयों को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि ये सम्मान उन भारतीयों को समर्पित है जिन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को एक जनआंदोलन में बदला।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ की है। ‘स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)’ के स्वास्थ्य लाभों पर अपने अध्ययन में डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस कार्यक्रम से तीन लाख से अधिक लोगों की जिंदगियां बच सकती हैं।

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डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2014 में स्वच्छ भारत मिशन शुरू होने से पहले स्वच्छता नहीं होने से हर साल डायरिया के 19.9 करोड़ मामले सामने आते थे। ये धीरे-धीरे अब घट रहे हैं। अध्ययन में पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता सेवाओं, व्यक्तिगत स्वच्छता में सुधार का सबूत मिला जिसका सकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव रहा।

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स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के लिए 2022-23 के बजट में 7,192 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। स्वच्छ भारत मिशन शहरी के लिए 2021 से 2026 यानि 5 साल की अवधि में 1,41,678 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे जो माननीय प्रधानमंत्री जी की स्वच्छ भारत मिशन के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

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माननीय प्रधानमंत्री जी का मूल मंत्र यही है कि आम नागरिक किस तरह सम्मानपूर्वक समाज की मुख्यधारा से जुड़कर देश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाये.

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स्वच्छ भारत मिशन देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाने वाला मिशन है. इसलिए नहीं कि करोड़ों घरों में शौचालय बने, सार्वजनिक स्वच्छता परिसर बने या फिर  हर घर नल से जल पहुंचा बल्कि इसलिए कि इन मूलभूत सुविधाओं के पहुँचने से लोगों का जीवन बेहतर हुआ.

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया ने आज पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी द्वारा राष्ट्र के नाम लिखे पत्र में उठाये गए विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की. साथ ही, 7 अप्रैल से 20 अप्रैल तक भारतीय जनता पार्टी द्वारा मनाई जा रही सामाजिक न्याय पखवाड़ा दिवस के तहत आज समर्पित स्वच्छ भारत मिशन के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं पर व्यापक प्रकाश डाला ।

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी ने एक बड़ी महत्वपूर्ण चिट्ठी देशवासियों के नाम लिखी है। इसमें प्रमुखता से कुछ मुद्दे उठाए गए हैं। ये सवाल केवल भाजपा के लिए नहीं है बल्कि आज ये सवाल देशवासियों के मन में हैं जिनका जवाब विपक्षी पार्टियों को देना चाहिए. विश्व में कईं ऐसे देश हैं जो कोविड़ महामारी के दौर में कईं परेशानियों का सामना करते हुए कमजोर हुए। वहीं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत इस महामारी के संकट में भी सिर्फ मजबूत होकर ही नहीं उभरा बल्कि पूरे विश्व को दिशा देने का काम भी भारत ने किया है।

 

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष के पत्र को उद्धरित करते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि विगत 8 वर्षों में, भारतीय राजनीति में तेजी से बदलाव आए हैं. अब भारतीय राजनीति में वोट बैंक और विभाजनकारी राजनीति की कोई जगह नहीं बची है. माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत देश ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, जिससे न केवल हर भारतीय सशक्त हो रहा है बल्कि वो सफलता की नई उड़ान भी भर रहा है. माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विगत 8 वर्षों में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है कि देश के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को कैसे विकास की मुख्यधारा से जोड़कर उसके सम्मान की रक्षा की जाए. पहले जो वोट बैंक की तोड़ो राजनीति होती थी अब उस पर जोड़ो राजनीति हावी हो चुकी है. धर्म-जाति के नाम पर विपक्षी पार्टियाँ खासकर कांग्रेस पार्टी तोड़ने का काम करती थी लेकिन अब आम नागरिक को इस बात का पूरा विश्वास हो चुका है कि उन्हें कोई मजबूत कर सकता है तो वह माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ही कर सकती है.

 

अभी दो दिन पहले विपक्षी पार्टियों ने एक चिट्ठी जारी की थी जिसके लिए ये कहना गलत नहीं होगा- 'खोटी अपील, खोटी नियत, खोटी कांग्रेस और खोटा विपक्ष'. उस चिट्ठी में यदि किसी का अपमान किया गया है तो भारत के नागरिकों का अपमान किया गया है। माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी अपनी चिट्ठी में प्रमुखता से विपक्षी पार्टियों से ये सवाल पूछा है कि आप करौली, राजस्थान पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?  ये देश भी पूछ रहा है कि ऐसी क्या है मजबूरी कि मतलूब अहमद है जरूरी। एफआईआर में नामजद मुख्य आरोपी मतलूब अहमद है जिसकी  करौली घटना के 16 दिन बाद भी अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।

 

पश्चिम बंगाल, झारखंड, राजस्थान और महाराष्ट्र में भी हम देख रहे हैं कि क्या हो रहा है। ये विपक्षी दल अपील तो करते हैं, लेकिन जो प्रमुख सवाल है उसका उत्तर नहीं देते हैं। हद तो तब हो जाती है जब जिन सरकारों को कटघरे में खड़ा होना चाहिए मसलन, पश्चिम बंगाल, जहां की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है, विपक्ष द्वारा लिखे पत्र में ममता जी के भी हस्ताक्षर हैं. जिनकी जवाबदेही होनी चाहिए, वे आरोप लगा रहे हैं. इस प्रकार नकारात्मक और सौहार्द बिगाड़ने वाली राजनीति देश के विपक्षी पार्टियों द्वारा की जा रही है. अगर सत्ता में आने के लिए दंगाईयों के साथ खड़ा होना पड़े तो वो भी करेंगे. अगर किसी दंगाई पर कार्रवाई न करके कोई राजनीतिक लाभ होता है तो वह भी करेंगे. यही देश की विपक्षी पार्टियों का मूलमंत्र बन चुका है. लेकिन इन्हें मालूम होना चाहिए की देश अब बदल चुका है. माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में चलने वाली वाली जोड़ो राजनीति के समक्ष विपक्ष की तोड़ो राजनीति अब बौनी साबित हो चुकी है. अब वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति देश के नागरिकों को स्वीकार नहीं है.

 

एक तरफ माननीय प्रधानमंत्री जी की एक दूरदर्शी सोच है कि देश का हित कैसे हो, देश आगे कैसे बढ़े। दूसरी तरफ तुच्छ राजनीति करने वाली कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की सोच है कि उनका भला कैसे हो, हमें देश से कोई लेना-देना नहीं लेकिन हम सत्ता में कैसे आएं। विकास की राजनीति का विरोध उन विपक्षी पार्टियों द्वारा किया जा रहा है जिन्हें जनता सिरे से ख़ारिज कर चुकी है.

 

कांग्रेस पार्टी भूल जाती है कि सबसे ज्यादा दंगे अगर किसी के शासन में हुए तो वो कांग्रेस पार्टी के शासन में हुए हैं। पीछे मुड़कर देखें तो नवंबर 1966 की वो घटना कैसे कोई भूल सकता है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने संसद के बाहर बैठे निहत्थे हिंदू साधुओं पर गोलियां चलवा दी थीं, जिनकी मात्र यही मांग थी कि भारत में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया जाए. राजीव गाँधी के उन पीड़ादायी शब्दों को कौन भूल सकता है जब इंदिरा गाँधी की मौत के बाद हजारों निर्दोष सिखों के कत्लेआम पर उन्होंने कहा था कि-‘जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है.’ 1969 में गुजरात, दंगा, 1980 में मुरादाबाद दंगा, 1984 में भिवंडी दंगा, 1987 में मेरठ दंगा, 1980 के दशक में कश्मीर घाटी में हिंदुओं के खिलाफ विभिन्न घटनाएं, 1989 में भागलपुर दंगा, 1994 में हुबली दंगा- इस प्रकार कांग्रेस शासन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा की लंबी सूचि है. 2013 में मुजफ्फरपुर दंगे या 2012 में असम दंगे किस सरकार के तहत हुए? 2013 के दंगे के लिए तो सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी.         

 

देश में आज आत्मविश्वास, प्रगति और नई ऊर्जा का माहौल है। लेकिन विपक्षी दल डरे हुए हैं, क्योंकि उनकी साम्प्रदायिक राजनीति का अंत हो गया है। वो इसलिए डरे हुए हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वो जो भ्रष्टाचार करते थे, उस राजनीति का अंत हो चुका है। बांटने और तुष्टिकरण की राजनीति. जो देश के विपक्षी पार्टियों के डीएनए में है, उसका अब खात्मा हो चुका है.

 

हाल में, देश के विभिन्न हिस्सों में हुए चुनावों में जिस प्रकार जनता ने अपना आशीर्वाद देते हुए भाजपा को प्रचंड जीत दिलाई, वह इंगित करती है कि माननीय प्रधानमंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के काम काज से जनता कितनी संतुष्ट है. इसी का नतीजा है कि पहले देश जहां एंटी इन्केम्बेंसी महसूस कर रहा था, वह अब प्रो- इन्केम्बेंसी में तब्दील हो चुका है.माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश विकास के पथ पर अग्रसर है. देश के पास युवा है, ऊर्जा है, सोच है, ईमानदारी है और कुशल नेतृत्व है और देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. अगर विपक्ष इस विकास की राह में रोड़े अटकाने की कोशिश करेगा तो जनता उसे करारा जवाब देगी. भारत देश अब रुकने वाला नहीं है.

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने सामाजिक न्याय पखवाड़ा आज समर्पित स्वच्छ भारत मिशन का विस्तार से जिक्र करते हुए कहा कि यह मिशन महज एक सोच नहीं बल्कि भारत को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाने का माध्यम भी है. माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने बापू जी के सपनों को साकार करते हुए करोड़ों भारतीयों का जीवन बदला और उन्हें सम्मान दिया. 2 अक्टूबर, 2014 को परम श्रद्धेय महात्मा गांधी जी के जन्मदिन पर स्वच्छ भारत मिशन को प्रधानमंत्री मोदी जी ने आगे बढ़ाया और देश को समर्पित किया। मिशन के तहत, भारत में सभी गांवों, ग्राम पंचायतों, जिलों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण करके 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर स्वयं को "खुले में शौच से मुक्त" (ओडीएफ) घोषित किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि खुले में शौच न करने की प्रथा स्थायी रहे, कोई भी वंचित न रह जाए, मिशन अब अगले चरण ओडीएफ-प्लस की ओर अग्रसर है।

 

स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत देश में अब तक 11.5 करोड़ से ज्यादा घरों को शौचालय मिल चुके हैं जबकि  58 हजार गांव और 3,300 से अधिक शहर ओडीएफ प्लस योजना से लाभान्वित हुए हैं। घरों तक ही नहीं बल्कि सार्वजनिक स्थलों पर सामुदायिक स्वच्छता परिसर बनाना सुनिश्चित किया गया. गाँवों और शहरों में 8.2 लाख से ज्यादा सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के निर्माण हो चुका है. स्वतंत्रता के बाद से 2014 तक जितने शौचालय और सार्वजनिक स्वच्छता परिसर देश में नहीं बने, उससे ज्यादा विगत 8 वर्षों में बनाये गए हैं, जो अपने आप में अभूतपूर्व है. यह इसलिए भी संभव हो पाया कि विपक्ष ने जिस मिशन का मजाक उड़ाया, वह मिशन जन-आन्दोलन बन गया. शौचालय निर्माण के माध्यम से, जिसे इज्जत घर भी कहते हैं, देश की महिलाओं को सम्मान देने का काम किया गया.

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वच्छ भारत अभियान के लिए बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से ‘ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने पुरस्कार को 130 करोड़ भारतीयों को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि ये सम्मान उन भारतीयों को समर्पित है जिन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को एक जनआंदोलन में बदला। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ की है। ‘स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)’ के स्वास्थ्य लाभों पर अपने अध्ययन में डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस कार्यक्रम से तीन लाख से अधिक लोगों की जिंदगियां बच सकती हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2014 में स्वच्छ भारत मिशन शुरू होने से पहले स्वच्छता नहीं होने से हर साल डायरिया के 19.9 करोड़ मामले सामने आते थे। ये धीरे-धीरे अब घट रहे हैं। अध्ययन में पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता सेवाओं, व्यक्तिगत स्वच्छता में सुधार का सबूत मिला जिसका सकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव रहा।

 

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के लिए 2022-23 के बजट में 7,192 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। स्वच्छ भारत मिशन शहरी के लिए 2021 से 2026 यानि 5 साल की अवधि में 1,41,678 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे जो माननीय प्रधानमंत्री जी की स्वच्छ भारत मिशन के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है. माननीय प्रधानमंत्री जी का मूल मंत्र यही है कि आम नागरिक किस तरह सम्मानपूर्वक समाज की मुख्यधारा से जुड़कर देश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाये. स्वच्छ भारत मिशन देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाने वाला मिशन है. इसलिए नहीं कि करोड़ों घरों में शौचालय बने, सार्वजनिक स्वच्छता परिसर बने या फिर  हर घर नल से जल पहुंचा बल्कि इसलिए कि इन मूलभूत सुविधाओं के पहुँचने से लोगों का जीवन बेहतर हुआ.   

(महेंद्र पांडेय)

कार्यालय सचिव


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