याद रहे गहलोतजी ,स्वयं नेहरूजी ने गणतंत्र दिवस परेड में संघ को सम्मिलित होनें बुलाया था - अरविन्द सिसौदिया
याद रहे,स्वयं नेहरूजी ने गणतंत्र दिवस की परेड में संघ को सम्मिलित होनें बुलाया था - अरविन्द सिसौदिया
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परमपूज्य सरसंघचालक माननीय मोहन भागवत जी नें 10 से 15 साल में भारत के अखण्ड होनें की संभावना क्या व्यक्त की अनेकों दलों एवं लोगों को लगता है कि “बुरा लगा “ अथवा पेट दर्द हुआ। ये क्यों हुआ यह भी वे ही बता सकते हैं। संभावनाओं पर दुनिया जिन्दा है। लक्ष्य और उद्देश्य सामनें रखनें में कोई बुराई नहीं है। उन्होनें अपने उसी देश को अखण्ड बनानें की संभावना व्यक्त की है जिसे कांग्रेस बंटवा चुकी है, खण्डित कर चुकी है।
कांग्रेस के राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिवसेना सांसद संजय राऊत के बयान सामनें आये है। जबकि बयान पाकिस्तान का आना चाहिये था। चलो पाकिस्तान के शुभचिंतक बयान बहादुर भारत में भी हैं ! कांग्रेस में तो पहले से ही लगातार कोई न कोई पाकिस्तान परस्ती करता ही रहता है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी का बयान कुछ अजीब सा है और भ्रमक भी है। क्यों कि संघ ही एकमात्र वह संगठन है जहां आप जातीय व्यवस्था का एक अंश मात्र भी नहीं ढूंढ सकते । जो भी महापुरूष संघ की शाखा में गया वह आश्चर्य चकित रह जाता है कि वहां नाम के प्रथम शब्द के बाद जी लगा कर सब कुछ समाप्त हो जाता है। जैसे कि दिनेश जी, राजेन्द्र जी, कैलाश जी, महेश जी ....आदि आदि । संघ में स्वयंसेवक के नाम तक को जाति तक नहीं पहुंचने दिया जाता । वहां आप यह पता ही नहीं लगा सकते कि कौन स्वयंसेवक किस जाती का है। अमीर गरीब है। किसी भी तरह का भेदभाव संघ को लगभग एक शताब्दी की आयु में छू तक नहीं सका है।
भारत में संघ ही एकमात्र वह संगठन है जो पूरी तरह से समता युक्त भेदभाव रहित है। जहां तक विश्व भर के हिन्दू समाज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्विकृति एवं मान्यता का प्रश्न है तो वह नेतृत्वकर्ता के रूप में पूर्ण रूपेण स्विकार्य संस्था है। जो स्थान इसाई समुदाय में पोप की पवित्रता और सर्वोच्चता की है, वही स्थान हिन्दू समाज में संघ की है। हिन्दू समाज के लिये संघ सर्वोच्च स्विकार्यता के साथ परमपवित्र संगठन है।
जहां तक स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी समाज में व्याप्त अनेकों कुरीतियों का है, भेदभावों का है, असमानता का है। उसके लिये राजनैतिक सरकारें और दलों को अपनी विफलता से दूर नहीं भागना चाहिये। संघ शासन नहीं करता वह समाज को श्रैष्ठता के लिये समाज के शिक्षिण और सदगुण विकास की साधना कर रहा है। उनके सदकार्यों के कारण ही देश आत्मविश्वास और आत्म गौरव से परिपूर्ण हुआ है।
जहां तक संघ पर प्रतिबंध सरदार पटेल के द्वारा लगाने का तथ्य है वह भा्रमक है बल्कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरूजी के दवाब में प्रतिबंध लगवाया गया था, जिसे तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने संघ को निर्दोष बता कर हटवाया था । सरदार पटेल ने जम्मू और कश्मीर का विलय भारत में करवानें के लिये संघ के ही तत्कालीन सरसंघचालक परमपूज्य गुरू जी को महाराजा हरीसिंह जी के पास सरकारी हवाई जहाज से भेजा था। सरदार पटेल तो संघ का विलय कांग्रेस में कराना चाहते थे, जिसका विरोध नेहरूजी ने किया था। संघ देश भक्त लोगों का संगठन है यह सरदार पटेल ने ही कहा था। स्वयं नेहरूजी ने गणतंत्र दिवस की परेड में संघ को सम्मिलित होनें बुलाया था और संघ के स्वयंसेवक पूर्ण गणवेष में 1963 की परेड में सम्मिलित हुये थे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी तत्कालीन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट से हथियाई है और वे तब से ही असुरक्षित चल रहे हैं, उनकी हलती डुलती कुर्सी को स्थिरता देनें के लिये उन्हे हाई कमान की पशंद के बयान देनें पडते हैं। यह उनकी मजबूरी भी है। गहलोत के बयानों को कोई ध्यान नहीं देता , सब जानते हैं कि यह उनका अंतिम कार्यकाल है। जनता उन्हे विदा करनें आतुर है।
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