विश्व पुस्तक दिवस,मानव सभ्यता की प्रथम पुस्तक “ ऋग्वेद ” की चर्चा के बिना अधूरा

 
" विश्व पुस्तक दिवस,मानव सभ्यता की प्रथम पुस्तक “ ऋग्वेद ” की चर्चा के बिना अधूरा
"World Book Day" is incomplete without the discussion of the first book of human civilization "Rigveda".

  Arvind Sisodia

                                              Arvind Sisodia

 विश्व पुस्तक दिवस, विश्व की प्रथम लीपीबद्ध पुस्तक “ ऋग्वेद ”  की चर्चा के बिना “भारत” में नहीं मनाया जा सकता। क्यों कि यह पृथ्वी की मानव सभ्यता के प्रारम्भ, ज्ञान, विज्ञान,पुरूर्षाथ,परिश्रम और सामाजिक व्यवस्था के उदभव के एतिहासिक तथ्यों एवं इतिहास की स्थिती से हमें परिचित करवाती है,बताती है। जिसमें धर्म,आध्यात्म,दर्शन,नीति , ज्ञान, विज्ञान, भूगोल, समाज व्यवस्था की मानव सभ्यता की प्रथमतः साहस और उपलब्धियों का परिचय हमें होता है। 


World Book Day cannot be celebrated in "India" without the discussion of the world's first scripted book "Rigveda". Because it acquaints us with the historical facts and history of the origin of human civilization of the earth, knowledge, science, manhood, labor and social system. In which we get to know first of all the courage and achievements of human civilization of religion, spirituality, philosophy, policy, knowledge, science, geography, social system.


वेदों की अति प्राचीनता है, इन्हे भगवान बृम्हाजी द्वारा अवतरित किया गया माना जाता है। वेदों को ईश्वरीय प्रेरणा माना जाता है। विश्व को भी यह दृष्टि और स्मरण भारतीयों को देना चाहिये। वेदों की रचना सृष्टि के प्रारम्भ से ही मानी जाती है। अर्थात भारतीय मान्यताओं के अनुसार इनकी पुरातनता करोडों वर्ष पूर्व की है।


The Vedas are very ancient, they are believed to have been incarnated by Lord Brimhaji. The Vedas are considered to be divine inspiration. The world should also give this vision and remembrance to Indians. The composition of the Vedas is believed to be from the very beginning of creation. That is, according to Indian beliefs, their antiquity is crores of years ago.


आज विश्व भी, वेदों को अत्यंत प्राचीन एवं मानव सभ्यता के प्रथम लिपिबद्ध पुस्तकों में मानता है। इनसे पूर्व कोई अन्य पुस्तक वर्तमान मानव सभ्यता में लिखी हुई नहीं थी। इनका धार्मिक ही नहीं ज्ञान की सम्पूर्णता के रूप में स्विकृति है। 


Today the world also considers the Vedas to be very ancient and among the first written books of human civilization. Prior to this, no other book was written in the present human civilization. They are accepted not only as religious but as the completeness of knowledge.

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World Book Day & Copyright Day
Theme History Significance Quotes Celebration
यूनेस्को द्वारा हर साल 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। किताबें हमारे सबसे अच्छे दोस्त, मार्गदर्शक और दार्शनिक हैं। 23 अप्रैल को 1616 में Cervantes, Shakespeare, और Inca Garcilaso de la Vega की मृत्यु हो गई थी। इसलिए इस दिन को महान साहित्यकारों को श्रद्धांजलि देने के लिए विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।

वर्ष 1995 में यूनेस्को ने 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस और कॉपीराइट दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया और तब से साहित्य के इतिहास में इस तिथि को प्रमुखता मिली है और हर साल विश्व पुस्तक दिवस और कॉपीराइट दिवस मनाया जा रहा है।

विश्व पुस्तक दिवस 2022 थीम
गाम्बिया और वैश्विक समुदाय ने इस वर्ष के विश्व कॉपीराइट और पुस्तक दिवस की थीम 'आर यू ए रीडर' रखी है। प्रत्येक वर्ष, यूनेस्को और अंतर्राष्ट्रीय संगठन पुस्तक उद्योग के तीन प्रमुख क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें प्रकाशक, बुकसेलर, और पुस्तकालय को शामिल किया जाता है। अपनी स्वयं की पहल के माध्यम से एक साल की अवधि के लिए विश्व पुस्तक राजधानी का चयन करते हैं। यूनेस्को के अनुसार, जॉर्जिया में त्बिलिसी शहर को 2021 के लिए विश्व पुस्तक राजधानी के रूप में चुना गया था। जबकि इस वर्ष गाम्बिया को चुना गया है।  
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विश्व विरासत ऋग्वेद

भारत द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ी विरासत और इसे 2007 में मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल करने की सिफ़ारिश की गई।

वेदों को सामान्यतः हिंदू समुदाय के धर्मग्रंथों के रूप में जाना जाता है। हालांकि, मानव जाति के इतिहास में प्रथम साहित्यिक दस्तावेजों में से एक होने के नाते, वे अपनी धर्मग्रंथों के रूप पहचान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। चार वेदों में सबसे पुराना ऋग्वेद, अपनी सभी अभिव्यक्तियों में तथाकथित आर्य संस्कृति का उत्त्पत्ति स्रोत है, जो भारतीय उपमहाद्वीप से लेकर दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के बड़े हिस्सों के साथ-साथ मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में फैली हुई है। प्राचीन दुनिया के इस बहुमूल्य खज़ाने को भारत में पांडुलिपियों के रूप में संरक्षित किया गया है, और सदियों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी सौंपा गया है।

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विश्व विरासत बना ऋग्वेद
    
ऋग्वेद
ऋग्वेद को मानव सभ्यता का सबसे पुराना लिखित दस्तावेज़ भी माना जाता है

यूनेस्को ने
2007 में ऋग्वेद की 1800 से 1500 ईसा पूर्व की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है.

इस सूची में 37 अन्य दस्तावेज़ भी शामिल किए गए हैं ताकि इन्हें भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके.

वेदों को हिंदू धर्म का सबसे पुराना धर्म ग्रंथ माना जाता है. वैसे ये भी मान्यता है कि वेद मानव सभ्यता के सबसे पुराने लिखित साहित्यिक दस्तावेज़ हैं.

वेदों की 28 हज़ार पांडुलिपियाँ भारत में पुणे के 'भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट' में रखी हुई हैं.

इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में 2007
में शामिल किया है.

सूची

यूनेस्को ने ऋग्वेद के साथ 37 और दस्तावेज़ों को इस विरासत सूची में शामिल किया है.    
इस सूची में दुनिया की पहली फ़ीचर- लेंथ फ़िल्म, स्वीडन के उद्योगपति अल्फ़्रेड नोबेल के परिवार के अभिलेख और दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले नेता नेल्सन मंडेला पर चलाए गए मुक़दमे के कागज़ात शामिल हैं.

इन दस्तावेज़ों को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की तरफ से बनाए गए 'मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड रजिस्टर' में जगह दी गई है.यूनेस्को के महानिदेशक कूचिरो मत्सूरा ने इन दस्तावेज़ों को 'मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड रजिस्टर' में शामिल करने की घोषणा की.

मत्सूरा ने कहा कि उन्होंने 'मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड प्रोग्राम' के तहत बनी अंतरराष्ट्रीय सलाहकार समिति की सिफ़ारिशों पर अपनी सहमति दी है.

रजिस्टर में ऐसे दस्तावेज़ों की संख्या 158 तक पहुँच गई है.

सन् 1992 में दुनिया के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को संरक्षित करने और विशेषज्ञों को जानकारी उपलब्ध कराने के मकसद से ये कार्यक्रम शुरू किया गया था.इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन दस्तावेज़ों को भी सुरक्षित रखना है जिनका अस्तित्व ख़तरे में है.

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