" लव और मानव अंगों की तस्करी " पर व्यापक जनजागरण होना चाहिए
There should be a wide public awareness on "Love and Human Organ Trafficking"
लड़कियां विशेष ध्यान दें। क्या आप जानते है।
*बॉडी पार्ट्स आते कहाँ से है???*
आपने सुना होगा कि 40 लाख देकर किडनी बदलवा लो। वो भी 16 - 25 आयु के आसपास की मजबूत किडनी..
अब सोचो आखिर ये बॉडीपार्ट्स कहाँ से आते है...?
मुर्दाघरो में पड़ी लाशो से या एक्सीडेंट में मरने वालो से...?? एक जगह और है। वो है...
भारत में मिडिल क्लास फैमिली की लड़कियां...!!!
ये लड़कियां सिगरेट, गुटखा या शराब नही यूज करती।
इनके दाँत, हड्डी, आँते, चमडा़, दिल, लीवर, किडनी, सब सही और ट्रांसप्लांट के लिए अच्छे होते है..._
इन लडकियों को *प्यार में फसाकर* या *नौकरी का झांसा* देकर कहीं भी ले जाना आसान होता है...
इसलिए सुन्दर स्मार्ट हीरोटाइप
लडके इन लड़कियों को जाल में फंसाते हैं...
ये लडके वास्तव में *प्रोफेशनल क्रिमिनल* होते हैं,,
ये पैसे के लिए कुछ भी कर सकते है।
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हर साल *फरवरी के अंत तक मिडिल क्लास फैमिली की 2 से 4 लाख लडकियां घर से गायब* हो जाती हैं...
व्यौरा दिया जाता है कि...
*आशिकी में घर से भाग गयी..,*ना तो कोई *केस* बनता है, ना कोई *खोजता* है...
बाद में उनका कोई पता नहीं चलता ..*जरा सोचिये, *ये लडकिया कहाँ पहुँच जाती है??*
अब आप अच्छी तरह समझ सकते हो...,
असल में पहले तो *इन बच्चियों का भरपूर शारीरिक शोषण किया जाता है। उसके बाद इनकी हत्या कर दी जाती है और शरीर के अंग बेचकर कमाई की जाती है..*
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अभी आप गूगल पर ' *Black market price of human body parts* सर्च करके अंगो के भाव देखिएगा.. फिर *Organ Transplant Rate in India* सर्च करके अंग प्रत्यारोपण का खर्च देखना...
अगर एक *लडकी की बॉडी के अंगों की सही कीमत लगे, तो कम से कम 5 करोड़ आराम से* मिल जाता है,,।
इसीलिए *लव और मानव तस्करी पर ना तो कभी कोई कानून बनता है, और ना ही कोई बनने देता है...।*
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एक बात और
**ये घटनाये ज्यादातर उन्हीं लडकिया के साथ होती हैं, जिनके परिवार कमजोर होते है या जिनके कोई राजनितिक या क़ानूनी Approach/पकड़ नही* होती...।
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2015 में UP से *4000 लडकिया गायब* हुई थी, वही 2017 से 2018 तक 7000 लड़कियां गायब हुई थी। औऱ ये घटनायें अधिकतर लखनऊ, दिल्ली, मुम्बई जैसे बड़े सहरो में अधिक पाई गई है।
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माना कि हमारी लाड़ली बहिन बेटियां *सब जानती* हैं, लेकिन *क्रिमिनल मार्केटिंग* और *अंग प्रत्यारोपण* के लिए *सही और असली अंग आते कहाँ से हैं...* ये नही जानती,,,
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अपनी बहिन बेटियों का ध्यान दें, क्योंकि,
*जो बाहर हो रहा है, वो हमारे घर में कभी भी हो सकता है...!* औऱ लोगो की सही सलाह ले। किसी के झांसे में न आये।
कृपया, पढ़कर अपने संपर्क में सभी को शेयर कीजिये जिससे *किसी की बहन-बेटी इस तरह के षड़यंत्र का शिकार ना हो!*
परिवार में, घर में, दोस्तों में, *चर्चा करने *बहिन-बेटी की अनमोल जान* बचा सकेगी
आइये हम अपना नैतिक दायित्व निभाएं
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1- इंसानी अंगों का व्यापार करने वाली कंपनियों को आम तौर पर 'बॉडी ब्रोकर' कहा जाता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने पिछले दिनों खबर दी कि दो डच अस्पताल अमेरिकी कंपनियों से मानव अंग खरीदना बंद कर रहे हैं.
इसकी वजह एक तरफ इस तरह के कारोबार को लेकर नैतिक चिंताएं हैं, तो दूसरी तरफ इससे जुड़ी कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही हैं. अधिकारियों का कहना है कि यह बात स्पष्ट होनी जरूरी है कि जिन अंगों का कारोबार हो रहा है उन्हें किसने और कैसे दान दिया है.
डच कानून में इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि शरीर का कोई भी अंग बिना इजाजत के ना लिया जाए और अंग दान देने वाले परिवार को पता रहे कि उसका उपयोग मुनाफे कमाने के लिए होगा या नहीं.
2-मानव अंग तस्करी में भारत, चीन और पाक सबसे आगे
बीजिंग: दुनिया में 4 करोड़ से ज्यादा लोग एक नई किस्म की गुलामी का शिकार हो रहे हैं जिसमें इंसानों की तस्करी कर उनके अंगों को निकाला जा रहा है और फिर उसकी तस्करी की जा रही है।
ग्लोबल स्लेवरी इंडैक्स-2018 की रिपोर्ट के अनुसार आधुनिक गुलामी का भयानक रूप यह है कि इंसानों की तस्करी की जाती है और उनके अंगों को निकाल कर विकासशील देशों में बेचा जाता है। पाकिस्तान में भी इंसानी अंगों को गैर-कानूनी तौर पर निकालने और दूसरे व्यक्ति में लगाने का काम जारी है। मानव अंग तस्करी के इस गैर-कानूनी व्यापार में चीन, भारत, पाक, कोसोवो व फिलीपींस सबसे ऊपर हैं।
चीन के मानव अंग प्रत्यारोपण प्रोग्राम की जांच करने वाले एक अधिकारी के अनुसार चीन में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के कुछ मामलों में मारे और फांसी चढ़ाए गए कैदियों के अंग लगाए जा रहे हैं। आरोप यह भी है कि कई मामलों में तो कैदी के पूरी तरह से मरने से पहले ही उसके अंग निकाल लिए जाते हैं।
इसकी वजह एक तरफ इस तरह के कारोबार को लेकर नैतिक चिंताएं हैं, तो दूसरी तरफ इससे जुड़ी कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही हैं. अधिकारियों का कहना है कि यह बात स्पष्ट होनी जरूरी है कि जिन अंगों का कारोबार हो रहा है उन्हें किसने और कैसे दान दिया है.
डच कानून में इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि शरीर का कोई भी अंग बिना इजाजत के ना लिया जाए और अंग दान देने वाले परिवार को पता रहे कि उसका उपयोग मुनाफे कमाने के लिए होगा या नहीं.
2-मानव अंग तस्करी में भारत, चीन और पाक सबसे आगे
बीजिंग: दुनिया में 4 करोड़ से ज्यादा लोग एक नई किस्म की गुलामी का शिकार हो रहे हैं जिसमें इंसानों की तस्करी कर उनके अंगों को निकाला जा रहा है और फिर उसकी तस्करी की जा रही है।
ग्लोबल स्लेवरी इंडैक्स-2018 की रिपोर्ट के अनुसार आधुनिक गुलामी का भयानक रूप यह है कि इंसानों की तस्करी की जाती है और उनके अंगों को निकाल कर विकासशील देशों में बेचा जाता है। पाकिस्तान में भी इंसानी अंगों को गैर-कानूनी तौर पर निकालने और दूसरे व्यक्ति में लगाने का काम जारी है। मानव अंग तस्करी के इस गैर-कानूनी व्यापार में चीन, भारत, पाक, कोसोवो व फिलीपींस सबसे ऊपर हैं।
चीन के मानव अंग प्रत्यारोपण प्रोग्राम की जांच करने वाले एक अधिकारी के अनुसार चीन में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के कुछ मामलों में मारे और फांसी चढ़ाए गए कैदियों के अंग लगाए जा रहे हैं। आरोप यह भी है कि कई मामलों में तो कैदी के पूरी तरह से मरने से पहले ही उसके अंग निकाल लिए जाते हैं।
3-गृह मंत्रालय ने मानव अंग तस्करी को लेकर किया अहम खुलासा,
प्रत्यारोपण की आड़ में बढ़ा काला कारोबार
भले ही पिछले दो दशक में दिल से लेकर गुर्दे और लिवर तक के प्रत्यारोपण कर मरीजों को बचाए जाने के मामले जबरदस्त तरीके से बढ़े हों, लेकिन इसकी आड़ में मानव अंग तस्करी में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है।
ये जानकारी गृह मंत्रालय से स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गई एनसीआरबी की एक रिपोर्ट में हुआ है, जिसमें अकेले पिछले 4 साल में ही 60 लोगों को मानव अंग की तस्करी करते हुए गिरफ्तार किया गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इस मामले में सख्ती बरतने को कहा है। साथ ही मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 2010 (थोटा) के तहत अस्पतालों और लोगों को अंगों के गोरखधंधे के बारे में जागरूक करने को भी कहा गया है।
मंत्रालय के एक संयुक्त निदेशक ने बताया कि कुछ समय पहले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से मानव अंग तस्करी की जानकारी मांगी गई थी। वहां से मिली रिपोर्ट में वर्ष 2014 में 2, 2015 में 15, 2016 में 7, 2017 में 10 और जुलाई 2018 तक एक अवैध गुर्दा प्रत्यारोपण का मामला दर्ज किया गया, जबकि वर्ष 2015 में 14, 2016 में 32 और वर्ष 2017 में 14 लोगों को पुलिस ने अंग तस्करी में गिरफ्तार किया है। हालांकि ब्यूरो के पास भी स्पष्ट और विस्तृत जानकारी नहीं है। इसलिए मंत्रालय ने उससे विस्तार से दोबारा जानकारी मांगी है।
थोटा कानून को सख्ती से लागू कराने की तैयारी
सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों को पत्र लिखकर अपने यहां थोटा कानून के उपबंधों को सख्ती से लागू कराने का जोर दे रहा है। खासतौर पर उन राज्यों पर नजर रखी जाएगी, जहां अवैध प्रत्यारोपण की शिकायत ज्यादा है। बता दें कि थोटा कानून के तहत मानव अंगों की तस्करी में पकड़े जाने पर दस वर्ष की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
भले ही पिछले दो दशक में दिल से लेकर गुर्दे और लिवर तक के प्रत्यारोपण कर मरीजों को बचाए जाने के मामले जबरदस्त तरीके से बढ़े हों, लेकिन इसकी आड़ में मानव अंग तस्करी में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है।
ये जानकारी गृह मंत्रालय से स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गई एनसीआरबी की एक रिपोर्ट में हुआ है, जिसमें अकेले पिछले 4 साल में ही 60 लोगों को मानव अंग की तस्करी करते हुए गिरफ्तार किया गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इस मामले में सख्ती बरतने को कहा है। साथ ही मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम 2010 (थोटा) के तहत अस्पतालों और लोगों को अंगों के गोरखधंधे के बारे में जागरूक करने को भी कहा गया है।
मंत्रालय के एक संयुक्त निदेशक ने बताया कि कुछ समय पहले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से मानव अंग तस्करी की जानकारी मांगी गई थी। वहां से मिली रिपोर्ट में वर्ष 2014 में 2, 2015 में 15, 2016 में 7, 2017 में 10 और जुलाई 2018 तक एक अवैध गुर्दा प्रत्यारोपण का मामला दर्ज किया गया, जबकि वर्ष 2015 में 14, 2016 में 32 और वर्ष 2017 में 14 लोगों को पुलिस ने अंग तस्करी में गिरफ्तार किया है। हालांकि ब्यूरो के पास भी स्पष्ट और विस्तृत जानकारी नहीं है। इसलिए मंत्रालय ने उससे विस्तार से दोबारा जानकारी मांगी है।
थोटा कानून को सख्ती से लागू कराने की तैयारी
सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों को पत्र लिखकर अपने यहां थोटा कानून के उपबंधों को सख्ती से लागू कराने का जोर दे रहा है। खासतौर पर उन राज्यों पर नजर रखी जाएगी, जहां अवैध प्रत्यारोपण की शिकायत ज्यादा है। बता दें कि थोटा कानून के तहत मानव अंगों की तस्करी में पकड़े जाने पर दस वर्ष की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
4- मानव ऊतकों, अंगों, और शरीर के अन्य हिस्सों को अंग तस्करी या प्रत्यारोपण के उद्देश्य के लिए व्यापार किया जाता है। अंग प्रत्यारोपण कई ज़िंदगी बचाता है, तो वहीं व्यक्ति के रक्त समूह के मेल न खाने के कारण ये चिंता का विषय भी बन जाता है, क्योंकि यह अवैध तस्करी के कारण दाता के साथ-साथ प्राप्तकर्ता के स्वास्थ को भारी नुकसान पहुँचा सकता है। जिसके कारण उसकी मत्यु संभव हैं।
2017 के रिपोर्ट के अनुसार, चीन, इंडोनेशिया, भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों में अंग प्रत्यारोपण के दस्तावेजी मामलों में वृद्धि हुई है। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि खासकर किडनी प्रत्यारोपण के लिए लगभग 123,000 लोग (महिलाएं, पुरुष और बच्चे) दाता की सूची में शामिल थे तथा वैध या अवैध रूप से अंग प्राप्त करने के लिए हर दिन लगभग 25 लोगो की जान चली जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा साझा की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 में काले बाजार में मनुष्यों के लगभग 11,000 अंग पाए गए थे। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, औसतन 1 अंग प्रतिदिन हर एक घंटे में बेचा जाता है।
इससे यह पता चलता है कि मानव अंगों की मांग और आवश्यकता कितनी अधिक बढ़ गई है। ज्यादातर मामलों में अंगों की बढ़ती मांग काले बाजार में शामिल लोगों द्वारा अन्य लोगों की हत्या करने का कारण बन जाती है।
हालांकि यह माना जाता है कि अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देश अंग तस्करी में शामिल नहीं हैं, रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के कुछ बड़े अस्पतालों को भी अंगों की अवैध तस्करी करने में लिप्त पाया गया था।
हालांकि यू.एस. में अंगों के दान को वैध बनाया गया है, वहीं उन देशों को जिन्हें विकासशील या अविकसित माना जाता है, वहां के कमजोर लोगों को अपहरण कर गैरकानूनी तरीको से उनके अंग निकाल लिए जाते हैं और काले बाजार में बेचे दिये जाते हैं।
2017 के रिपोर्ट के अनुसार, चीन, इंडोनेशिया, भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों में अंग प्रत्यारोपण के दस्तावेजी मामलों में वृद्धि हुई है। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि खासकर किडनी प्रत्यारोपण के लिए लगभग 123,000 लोग (महिलाएं, पुरुष और बच्चे) दाता की सूची में शामिल थे तथा वैध या अवैध रूप से अंग प्राप्त करने के लिए हर दिन लगभग 25 लोगो की जान चली जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा साझा की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 में काले बाजार में मनुष्यों के लगभग 11,000 अंग पाए गए थे। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, औसतन 1 अंग प्रतिदिन हर एक घंटे में बेचा जाता है।
इससे यह पता चलता है कि मानव अंगों की मांग और आवश्यकता कितनी अधिक बढ़ गई है। ज्यादातर मामलों में अंगों की बढ़ती मांग काले बाजार में शामिल लोगों द्वारा अन्य लोगों की हत्या करने का कारण बन जाती है।
हालांकि यह माना जाता है कि अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देश अंग तस्करी में शामिल नहीं हैं, रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के कुछ बड़े अस्पतालों को भी अंगों की अवैध तस्करी करने में लिप्त पाया गया था।
हालांकि यू.एस. में अंगों के दान को वैध बनाया गया है, वहीं उन देशों को जिन्हें विकासशील या अविकसित माना जाता है, वहां के कमजोर लोगों को अपहरण कर गैरकानूनी तरीको से उनके अंग निकाल लिए जाते हैं और काले बाजार में बेचे दिये जाते हैं।
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