भाजपा को अजेय बतानें वाले प्रशांत किशोर कांग्रेस का चक्कर बार बार क्यों लगा रहे हैं ?

 


     कांग्रेस का चक्कर प्रशांत किशोर बार बार क्यों लगा रहे हैं ?

  डूबते जहाज का चक्कर प्रशांत किशोर बार बार क्यों लगा रहे हैं ?
Why is Prashant Kishor making rounds of Congress again and again?

कांग्रेस और प्रशांत किशोर में लगभग पिछले दो वर्षों से लगातार आंख मिचौली का खेल चल रहा है। सोसल मीडिया के जानकार और राजनैतिक स्थिती कर पूर्व अनुमान लगानें में होशियार प्रशांत किशोर निश्चित रूप से राजनैतिक दलों के प्रिय रह हैं, मगर वे चुनाव परिणाम बदलने में सक्षम नहीं हैं।  कुछ फायदा दिलवा सकते हैं । चुनाव की रणनीति उस प्रदेश के जनमानस पर ही आधारित रहती है। जिसे उस प्रदेश की नौकरशाही तुरंत पहचान लेती है और उसी तरह का व्यवहार करनें लगती है। लगभग प्रत्येक प्रदेश में चुनाव पूर्व यह आभास हो जाता है कि कौन चुनाव जीत रहा है। हवा का रूख किधर है। लगातार हवा के रूख के साथ अपनी गोटी बिठानें का काम प्रशांत किशोर करते रहे हैं। यही उनकी सफलता का कारण भी है। 

 
उन्होने संयुक्त राष्ट्र के लिये कार्य करते हुये विश्व स्तर पर अनकों देशों में होनें वाले चुनावों में अभिनव प्रयोगों को समझा और उसका प्रयोग भारत में किया जो सफल भी हुये। उनकी राजनैतिक दलों के साथ काम करनें की शिरूआत गुजरात से ही हुई और वे काफी समय तक माननीय नरेन्द्र मोदी जी की टीम में रहे। मोदीजी के केन्द्र में आगमन से पूर्व मनमोहनसिंह जी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार दो टर्म पूरे कर रही थी और अपनी लोकप्रियता खो चुकी थी।  इसके बाद वे पंजाब में कांग्रेस के अमरिन्दर सिंह के साथ जुडे, वहां भी दो बार से सरकार चला रहे अकालियों के खिलाफ माहौल था और तब कांग्रेस जीत गई , बिहार में उनका नितिश कुमार से गहरा रिस्ता है, वे उनकी पार्टी के नेता मानें जाते हैं।,आंध्र प्रदेश में वाईएसआर जगन मोहन रेड्डी के साथ काम किया और उन्हे भी भारी बहूमत से विजय मिली। इसी तरह हाल ही में वे बंगाल में ममता बनर्जी से जुडे थे और ममता को शानदार जीत हांसिल हुई क्यों कि वहां भाजपा बछी पार्टी बन तो रही थी मगर 3 विधायकों से वह कितनी बड सकती थी। सीधे 200 सीटों तक पहुंच ही नहीं सकती थी। बंगाल में अब भाजपा दूसरी बडी पार्टी बन गई है, अगले चुनाव में भाजपा और ममता में सीधी टक्कर रहनें वाली है। कुल मिला कर प्रदेश की नब्ज पहचानने में प्रशांत किशोर माहिर हैं।

पिछले एक साल में प्रशांत किशोर का यह दूसरा मौका है जब वे कांग्रेस प्रमुख से मिल चुके है। इससे पहले भी वे कांग्रेस के शीर्ष से मिले थे। वे कांग्रेस के बारे में वह कुछ कह चुके जिसे कांग्रेस के लोग सुनना तो नहीं चाहते मगर सुन चुके हैं।

जैसे कि - प्रशांत किशोर ने तब राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए कहा था । नेता इस धोखे में न रहें कि लोग मोदी से नाराज़ हैं और वो मोदी को हरा देंगे। हो सकता है कि वो मोदी को हरा दें, लेकिन बीजेपी कहीं नहीं जा रही है। पार्टी आने वाले कुछ दशकों तक राजनीति में बने रहने वाली है। राहुल गांधी के साथ शायद यही समस्या है कि उन्हें लगता है कि वक्त की बात है ,लोग आपको सत्ता से निकाल फेंकेंगे, ऐसा नहीं होने वाला है।

उन्होंने आगे कहा , जब तक आप मोदी को नहीं समझेंगे , उनकी ताकत को नहीं समझेंगे , आप उन्हें हराने की रणनीति नहीं तैयार कर सकेंगे। मैं जो समस्या देख रहा हूं वो ये है कि लोग न तो उनकी ताकत समझ रहे हैं और न ही ये कि वो क्या बात है जो उन्हें पॉपुलर बना रही है। जब तक आप ये नहीं जानेंगे आप उन्हें हरा नहीं सकते। वो यहीं नहीं रूके उन्होंने बीजेपी के बारे में कहा, बीजेपी भारतीय राजनीति का केंद्र बने रहने वाली है, वो जीते या हारे फ़र्क़ नहीं पड़ता। जैसा कांग्रेस के लिए 40 सालों तक था वैसे ही बीजेपी के लिए भी है, वो कहीं नहीं जा रही है। अगर आपने राष्ट्रीय स्तर पर 30 फीसदी वोट हासिल कर लिए हैं तो आप आसानी से नहीं जाएंगे।

प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद भाजपा ने पांच राज्यों के चुनावों में से चार राज्यों में शानदार विजय बिना प्रशांतकिशोर के ही प्राप्त की और किशोर का बयान भी लगभग सही ही साबित हुआ ।

फिर ये प्रश्न बार बार उठता है कि कांग्रेस रूपी डूबते जहाज का चक्कर प्रशांत किशोर बार बार क्यों लगा रहे हैं ?
सबाल यह भी उठ रहा है कि पीके कांग्रेस का चक्कर क्यों लगा रहे हैं। दूसरी बात क्या कांग्रेस पीके के सामनें झुक गई है।

हलांकी प्रशांत किशोर विवादों के घेरे में भी रहे हे। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीतिक दल को राजनीतिक दल की तरह ही चलाना चाहिए। ठेकेदार राजनीतिक पार्टी नहीं चला सकता है। बनर्जी की चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कंपनी (इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी) पर की गई इस टिप्पणी ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। गोवा में भी इसी तरह का विवाद सामनें आया था।

कुल मिला कर हताश कांग्रेस मरता क्या नहीं करता वाली स्थिती से गुजर रही है। इसलिये वह कुछ भी कर सकती है। आने वाले समय में स्थिती साफ होगी कि पीके और कांग्रेस में क्या क्या आगे बडेगा।

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