ईश्वर का भी स्पष्ट सन्देश है,सुरक्षा तो स्वयं ही करनी होगी - अरविन्द सिसोदिया

*मित्रों ! इस पोस्ट को "ध्यान" से एक बार अवश्य पढ़ें*

*"ध्यान" में अगर इतनी शक्ति होती तो महर्षि दयानंद जी न मारे जाते, स्वामी श्रद्धानंद जी गोली ना खाते और पं. लेखराम जी छुरा न खाते।*

*आचार्य रजनीश जी* से उनके एक अनुयायी ने प्रश्न किया।
प्रश्न - *कृपया बतायें जेहादियों द्वारा जब मकान और संपत्ति जलाई जा रही हों , हत्याएं की जा रही हों,तब हमें क्या करना चाहिए बशीर? हिन्दू मुस्लिम भाई भाई का प्रचार करना चाहिए या सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाना चाहिए , कृपया मार्गदर्शन करें।*

उत्तर - *तुम्हारा प्रश्न ही तुम्हारी मूर्खता को बता रहा है,भारत के इतिहास से तुमने कुछ सीखा हो ऐसा मुझे मालूम नहीं पड़ता। महमूद गजनबी ने जब सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया, तो सोमनाथ उस समय का भारत का सबसे बड़ा और धनी मंदिर था।  उस मंदिर में पूजा करने वाले 1200 हिन्दू पुजारियों का ख़याल था कि हम तो रातदिन "ध्यान" ,भक्ति ,पूजापाठ, में लगे रहते हैं।  इसलिए भगवान हमारी रक्षा करेगा। उन्होंने रक्षा का कोई इंतज़ाम नहीं किया, उल्टे जो क्षत्रिय अपनी रक्षा कर सकते थे, उन्हें भी मना कर दिया।*
*परिणाम क्या हुआ? महमूद गजनी ने उन हज़ारों निहत्थे हिन्दू पुरोहितो की निर्मम हत्या की, मूर्तियों ओर मंदिर को तोड़ा ओर अकूत धन संपत्ति, हीरे ,जवाहरात, सोना -चाँदी लूट कर ले गया।*
उन पंडितो का *ध्यान* भक्ति पूजा पाठ उनकी रक्षा न कर सका।

*आज सैकड़ों साल बाद भी वही मूर्खता  जारी है*, तुमने अपने महापुरूषों के जीवन से भी कुछ सीखा हो ऐसा मालूम नही पड़ता है। 

यदि "ध्यान" में इतनी शक्ति होती कि वो दुष्टों का ह्रदय परिवर्तन कर सके तो *रामचंद्र जी को हमेशा अपने साथ धनुष बाण रखने की जरूरत क्यों होती। ध्यान की शक्ति से ही वो राक्षस और रावण का हदय परिवर्तन कर देते उन्हें सुर-असुर भाई -भाई समझा देते और झगड़ा ख़त्म हो जाता लेकिन राम भी किसी को समझा न पाए और राम रावण युद्ध का फैसला भी अस्र शस्त्र से ही हुआ।*

ध्यान में यदि इतनी शक्ति होती कि वो दुसरो के मन को परिवतिर्त कर सके। तो *पूर्णावतार श्रीकृष्ण को कंस ओर जरासंघ का वध करने की जरूरत क्यों पड़ती*! ध्यान से ही उन्हें बदल देते।

ध्यान में यदि दूसरे के मन को बदलने की शक्ति होती तो *महभारत का युद्ध ही नहीं होता, कृष्ण अपनी ध्यान की शक्ति से दुर्योधन को बदल देते ओर युद्ध टल जाता। लेकिन उल्टे कृष्ण ने अर्जुन को जो कि ध्यान में जाना चाहता था रोका और उसे युद्ध में लगाया।*

*महाभारत का युद्ध इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध है जिसमें करोड़ों लोगों का नरसंहार हुआ*, पिछले 1200 सालों में भारत मे कितने महर्षि संत हुए ,गोरखनाथ से लेकर रैदास ओर कबीर तक; गुरुनानक से लेकर गुरु गोविंदसिंह तक; इन सबकी *ध्यान* की शक्ति भी मुस्लिम आक्रान्ताओं और अंग्रेज़ों को न रोक सकी इस दौरान करोड़ों हिन्दुओं का नरसंहार हुआ और ज़बरदस्ती तलवार की नोक पर उनका धर्म परिवर्त्तन करवाया गया। 

मार मार कर उन्हें मुसलमान बनाया गया। 
उन संतों की शिक्षा आक्रान्ताओं को बदल न सकी। गुरुनानक ने तो अपना धर्म दर्शन ही इस प्रकार दिया कि मुस्लमान उसे आसानी से समझ सकें, आत्मसात कर सकें । *लेकिन उसी गुरु परंपरा में गुरुगोविंद सिह को हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए, मुसलमानों के खिलाफ़ तलवार उठानी पड़ी। निहत्थे सिक्खों को शस्त्र उठाने पड़े।*

*इससे स्पष्ट हो जाता है कि ध्यान से स्वयं की ही चेतना का रूपांतरण हो सकता है,* 
*लेकिन पदार्थ (भौतिक शरीर ) की रक्षा हमें ख़ुद करनी होगी उसके लिए विज्ञान और टेक्नॉलॉजी का सहारा लेना होगा।*

*देश की 70% से अधिक समस्याओं का समाधान*

*भगवान श्रीकृष्ण ने 5 गाँव मांगे थे!*
*हम देशहित में 5 कानून मांग रहे हैं!!*

*समान शिक्षा*
*समान नागरिक संहिता*
*धर्मातंरण नियंत्रण*
*घुसपैठ नियंत्रण*
*जनसंख्या नियंत्रण*

ये पांच कानून नही आऐ तो पूरी दुनिया और भारत के नौ राज्यों की तरह सनातन पूरी तरह मिट जाऐगा।


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