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आखिरी पांच ओवर,शानदार फील्डिंग और बालिंग के बल पर ही वर्ल्डकप जीता है T-20

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  भारत दक्षिण अफ्रीका फाईनल के आखिरी पांच ओवर - 30 रन 30 गेंद और 6 विकेट फिर भी हार गया दक्षिण अफ्रिका - भारत नें शानदार फील्डिंग और बालिंग के बल पर ही यह मैच जीता है - भारत के सभी खिलाडियों नें कडी मेहनत मैदान में की इसी से यी जीत मिली - मैच देख रहे सभी दर्शक भारत को हारा हुआ मान चुके थे, भारत की जीत की संभावना भी मात्र 5 प्रतिशत बताई जा रही थी, जबकि दक्षिण अफ्रिका की जीत की संभावना 95 प्रतिशत बताई जा रही थी। सूर्यकुमार के ऐतिहासिक कैच नें छक्के का आउट में बदल दिया और भारत की जीत की संभावनाओं को जगा दिया । इन 4 मोड़ से टीम इंडिया ने लिया यू-टर्न, जीत सामने थी फिर भी हाथ मलता रह गया दक्षिण अफ्रीका वर्ल्डकप फाइनल में भारत ने दक्षिण अफ्रीका से जीत छीन ली.वर्ल्डकप फाइनल में भारत ने दक्षिण अफ्रीका से जीत छीन ली. वैसे तो टीम इंडिया को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में पूरी टीम का योगदान रहा लेकिन फाइनल मुकाबले में इस चौकड़ी ने ऐन वक्त पर ---------------- मुकाबला कांटे का हो तो मैच का नतीजा किसी तरफ जा सकता है. टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल की बाजी भी कभी टीम इंडिया की तरफ जाती तो कभी दक्षिण अफ्रीका जीत की र

आरोपों के बजाये अपनी गिरेबान में झांके, शराबनीति में भ्रष्टाचार तो हुआ है - अरविन्द सिसोदिया

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  आरोपों के बजाये अपनी गिरेबान में झांके, शराबनीति में भ्रष्टाचार तो हुआ है - अरविन्द सिसोदिया आप पार्टी के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सहित कई नेता जेल में हैं, वे सभी न्यायालय के द्वारा जेल में हैं। किसी भी सरकारी एजेंसी को यह अधिकार नहीं कि वह बिना न्यायालय के किसी को जेल में भेज दे। जेल में भी वे न्यायालय के निर्णय से रहते हैं किसी एजेंसी के निर्णय से नहीं। यह बात आप पार्टी को राहुल गांधी की ही तरह नहीं समझनी तो मत समझो....! सत्य यही है कि कुछ तो है जिसके कारण आप पार्टी के नेतागण जेल में हैं। एक समय था जब सत्य हरिशचन्द्र बन कर अरविन्द केजरीवाल और बड़बोले संजय सिंह जम कर कांग्रेस सहित तमाम परिवारवादी दलों पर आरोपों की रेलगाडी चला कर इन्हे कोसते थे। बदतमीजी की सभी सीमायें लांघते थे। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ झूठ बोलना नहीं है, झूठ तो अपराध है! मगर आप पार्टी ने जिस तरह का छल कपट और पाखण्ड का इस्तेमाल राजनीति में किया , उससे एक बारगी जनता भ्रमित तो हुई मगर अब जब इनके अपराधों से नकाब उठ रहा है तो इनमें आरोप लगानें का पागलपन इस तरह छाया है कि वे यह भी भूल गये कि उनकी श

महामहिम राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का अभिभाषण

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महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संसद में दिया गया अभिभाषण केंद्र सरकार की कार्यनीतियों का सार होता है और भविष्य की योजनाओं का संकेत भी होता है, प्रत्येक राजनैतिक कार्यकर्ता को चाहे व पक्ष का हो विपक्ष का हो, इसे पढ़ना चाहिए, समझना चाहिए। इससे राजनैतिक परिपक्वता बढ़ती है, अपने विचार प्रगट करने में निपूर्णता आती है। माननीय महामहिम राष्ट्रपति महोदया का अभिभाषण का संपूर्ण पाठ प्रस्तुत है  महामहिम राष्ट्रपति का अभिभाषण भारत की महामहिम राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संसद के समक्ष अभिभाषण नई दिल्ली : 27.06.2024 माननीय सदस्यगण, 1. मैं 18वीं लोक सभा के सभी नव निर्वाचित सदस्यों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। आप सभी यहां देश के मतदाताओं का विश्वास जीतकर आए हैं। देशसेवा और जनसेवा का ये सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता है। मुझे पूरा विश्वास है, आप राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ अपना दायित्व निभाएंगे, 140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम बनेंगे। मैं श्री ओम बिरला जी को लोक सभा के अध्यक्ष की गौरवपूर्ण भूमिका के निर्वहन के लिए शुभकामनाएं देती हूं

संसद में गतिरोध, कांग्रेसी अहंकार की सामन्तशाही - अरविन्द सिसोदिया

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संसद में गतिरोध, कांग्रेसी अहंकार की सामन्तशाही - अरविन्द सिसोदिया  - देश की सत्ता पर नेहरू वंश के अलावा कोई स्वीकार नहीं की कांग्रेसी भावना ही असली समस्या है, यही असहिष्णुता भारत की मुख्य समस्या है। - समस्या यह है कि चाटुकार नेहरूवंश के बड़े नेताओं को समझाते ही यह हैँ कि भारत पर सत्ता का अधिकार, शासन का अधिकार केवल नेहरूवंश को है, इसलिए राहुल गाँधी अपने आपको सुप्रीम प्रधानमंत्री समझते हैँ और पीएम के विरुद्ध गाली जैसे शब्दों को बोलते हैँ, झूठ और भ्रामक बोलनें के तो सभी रिकार्ड टूट चुके हैँ। - राहुल गाँधी नेता प्रतिपक्ष बने हैँ किन्तु वे समझ रहे हैँ कि वे सुपर प्रधानमंत्री बन गये हैँ। सदन को भी अपने तरीके से चलाने पर आमादा हैँ। उनकी मुख्य समस्या उनका अपरिपक्व होना  है। - कांग्रेस को भारत में पुनः स्थापित करने में विदेशी रूचि अधिक है, कांग्रेस को सैम पेट्रोदा और जॉर्ज सोरस इसीलिए महत्वपूर्ण हैँ कि वे कांग्रेस को विदेशी बैकअप दिलाते हैँ। - राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में गतिरोध करना मूलतः महामहिम राष्ट्रपति के प्रति अवमानना है। अघोषित अपमान है यह भारतीय लोकतंत्र और एक आदिवा

श्री राममंदिर और अयोध्या पर फैलाये जारहे झूठ से सावधान रहें Ram Mandir Ayodhya

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कांग्रेस और उससे जुड़े कई सारे लोग इन दिनों झूठ फैलाने में लगे हुए हैँ। झूठे वीडियो, झूठी खबरें और झूठे प्रलोभनों कई बाढ़ सोसल मीडिया पर आई हुईं है। इसका एक मुख्यकारण सोसल मीडिया के मालिकों का हिन्दू विरोधी होना ही है। अमरीका - यूरोपियन कूटनीति किसी भी कीमती पर भारत को कमजोर और अहिंदू देखना चाहती हैँ। इसके लिए उनकी अपनी योजनाएँ हैँ। झूठ देखिए कि भाजपा अयोध्या विधानसभा से जीती है और फैजाबाद लोकसभा से हारी है। किन्तु मीडिया में प्रसारित हो रहा है अयोध्या हार गये, फैजाबाद शब्द गायब कर दिया गया, इसी तरह से राममंदिर के किसी निर्माणाधीन क्षेत्र में कोइ मामूली बरसात की समस्या हुईं होगी, उसे मीडिया में व्यापक मुद्दा बनाया जा रहा है। जबकि लगभग 20 साल रामलला टाट में भींगते रहे किसी नें चिंता नहीं की कभी मीडिया नें खबर नहीं बनाई। नीचे श्री राममंदिर ट्रस्ट के महामंत्री का कथन संलग्न है, इसे पढ़ना चाहिए और सच को समझना चाहिए। ---//--- * जय श्रीराम श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने के तथ्य —  1. गर्भगृह जहाँ भगवान रामलला विराजमान है, वहाँ एक भी बूंद पानी छत से न

कांग्रेसी विपक्ष संसद को बदतमीजी की दुकान न बनादे - अरविन्द सिसोदिया

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कांग्रेसी विपक्ष से सहयोग नहीं मिलेगा मोदी सरकार को - अरविन्द सिसोदिया  लोकसभा 18 का शुभारांभ सदन की पूर्व मर्यादा भंग से प्रारंभ हुआ है, शपथ के दौरान भी मनमानी परोसी गईं... लोकसभा अध्यक्ष के लिए इतिहास में दूसरीबार पक्ष और विपक्ष के नामांकन भरे गये। 1952 में पहलीबार लोकसभा अध्यक्ष का निर्वाचन हुआ था, तब से यह परम्परा चली आ रही थी कि लोकसभा अध्यक्ष सर्वसम्मती से बनाया जाये। अर्थात लोकसभा अध्यक्ष पद के लिये चुनाव नहीं होते थे। अब इतिहास में दूसरी बार यह चुनाव होने जा रहे हैं।  शपथ के दौरान फिलिस्तीन की जय ओबेशी द्वारा बोलना तो देश और संविधान दोनों का अपमान है। यह इस बात के संकेत हैँ कि सदन कहीं बदतमीजी की दुकान न बन जाएँ। क्योंकि लोकतान्त्रिक मर्यादाओं का पतन भी देश व लोकतंत्र का अपमान होता है और इसके खतरनाक संकेत मिल रहे हैँ। भारत को कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की जरूरत इसीलिए है कि कांग्रेस का क्रूरतापूर्वक नेहरू खानदान मालिक बना हुआ है और गाँधी परिवार भारत को उनकी व्यक्तिगत संपत्ती मात्र समझती है। कांग्रेस ने कई मौकों पर राष्ट्रहित से समझौता किया, जिसमें देश को नुकसान पहुंच

कांग्रेस का आपातकाल : जनता पर 10 तरह के अत्याचार black day of emergency & MISA

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आपातकाल की मार, सरकार ने जनता पर किए ये 10 वार Posted on: June 24, 2015 25 जून 1975 वो तारीख है जब भारतीय लोकतंत्र को 28 साल की भरी जवानी में इमरजेंसी के चाकू से हलाक कर दिया गया। ये चाकू किसी सैन्य जनरल के नहीं, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथ में था। नई दिल्ली। 25 जून 1975 वो तारीख है जब भारतीय लोकतंत्र को 28 साल की भरी जवानी में इमरजेंसी के चाकू से हलाक कर दिया गया। ये चाकू किसी सैन्य जनरल के नहीं, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथ में था। 1971 में बांग्लादेश बनवाकर शोहरत के शिखर पर पहुंचीं इंदिरा को अब अपने खिलाफ उठी हर आवाज एक साजिश लग रही थी। लाखों लोग जेल में डाल दिए गए। लिखने-बोलने पर पाबंदी लग गई। मीडिया पर सेंसरशिपः आपातकाल में सरकार विरोधी लेखों की वजह से कई पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया। उस समय कई अखबारों ने मीडिया पर सेंसरशिप के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की, पर उन्हें बलपूर्वक कुचल दिया गया। आपातकाल की घोषणा के बाद एक प्रमुख अखबार ने अपने पहले पन्ने पर पूरी तरह से कालिख पोतकर आपातकाल का विरोध किया। आपातकाल के दौर पर जेल में भेजे जाने वाले पत्रकारों में केवल र

याद रहे, लोकतंत्र की रक्षा का महाव्रत - अरविन्द सीसौदिया emergency

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  26 जून: आपातकाल दिवस के अवसर पर याद रहे, लोकतंत्र की रक्षा का महाव्रत - अरविन्द सीसौदिया      मदर इण्डिया नामक फिल्म के एक गीत ने बड़ी धूम मचाई थीः दुख भरे दिन बीते रे भईया, अब सुख आयो रे, रंग जीवन में नया छायो रे!     सचमुच 1947 की आजादी ने भारत को लोकतंत्र का सुख दिया था। अंग्रेजों के शोषण और अपमान की यातना से मातृभूमि मुक्त हुई थी, मगर इसमें ग्रहण तब लग गया जब भारत की सबसे सशक्त प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया, तानाशाही का शासन लागू हो गया और संविधान और कानून को खूंटी पर टांग दिया गया। इसके पीछे मुख्य कारण साम्यवादी विचारधारा की वह छाया थी जिसमें नेहरू खानदान वास्तविक तौर पर जीता था, अर्थात साम्यवाद विपक्षहीन शासन में विश्वास करता हैं, वहां कहने को मजदूरों का राज्य भले ही कहा जाये मगर वास्तविक तौर पर येन-केन प्रकारेण जो इनकी पार्टी में आगे बढ़ गया, उसी का राज होता है। भारतीय लोकतंत्र की धर्मजय     भारत की स्वतंत्रता के साठ वर्ष होने को आये। इस देश ने गुलामी और आजादी तथा लोकतंत्र के सुख और तानाशाही के दुःख को बहुत करीब से देखा। 25 जून 1975 की रात्री के 11 बजकर 45 मिनिट

26 जून आपातकाल का काला दिवस 26 june black day of emergency

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अरविन्द सीसौदिया 9414180151 26 जून: आपातकाल दिवस के अवसर पर याद रहे, लोकतंत्र की रक्षा का महाव्रत मदर इण्डिया नामक फिल्म के एक गीत ने बड़ी धूम मचाई थी: दुख भरे दिन बीते रे भईया, अब सुख आयो रे, रंग जीवन में नया छायो रे ! सचमुच 1947 की आजादी ने भारत को लोकतंत्र का सुख दिया था। अंग्रेजों के षोशण और अपमान की यातना से मातृभूमि मुक्त हुई थी, मगर इसमें ग्रहण तब लग गया जब भारत की सबसे सषक्त प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया, तानाषाही का षासन लागू हो गया और संविधान और कानून को खूंटी पर टांग दिया गया। इसके पीछे मुख्य कारण साम्यवादी विचारधारा की वह छाया थी जिसमें नेहरू खानदान वास्तविक तौर पर जीता था, अर्थात साम्यवाद विपक्षहीन षासन में विष्वास करता हैं, वहां कहने को मजदूरों का राज्य भले ही कहा जाये मगर वास्तविक तौर पर येनकेन प्रकारेण जो इनकी पार्टी में आगे बढ़ गया, उसी का राज होता है। 26 जून आपातकाल का काला दिवस यूं तो आपातकाल 25 जून को रात्रि 11 बज कर 45 मिनिट पर महामहिम राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद नें लगाया , इसलिये यह तारीख 25 जून कहलाती है। मगर सब कुछ 26 जून में ही हुआ ।