हिंदुत्व की अनेकों खोज, वैज्ञानिकों को आश्चर्य चकित कर देतीं हैँ?

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हिंदुत्व की अनेकों खोज, वैज्ञानिकों को आश्चर्य चकित कर देतीं हैँ?

-: बहुत ही सुंदर और गहरा विचार! हिंदुत्व की अनेकों खोज और उपलब्धियाँ वास्तव में वैज्ञानिकों को आश्चर्य चकित कर देती हैं।

हिंदुत्व की खोजों में से कुछ प्रमुख उदाहरण हैं:----

1. _शून्य की खोज_: भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट ने शून्य की खोज की थी, जो आधुनिक गणित की नींव है। जबकि भारत के लोग 84 लाख योनियों के रूप में प्राणियों, वनस्पतियों, जीव जंतुओं की गणना कर चुके थे। 

2. _पाई की खोज_: भारतीय गणितज्ञ माधव ने पाई की खोज की थी, जो एक महत्वपूर्ण गणितीय स्थिरांक है।

3. _आयुर्वेद_: आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है, जो प्राकृतिक एवं रासायनिक उपचारों पर आधारित है। लंका में उपचार करने वाले वैध को हनुमान जी द्वारा  लाना और चिकित्सा के देव धंन्वंतरि का समुद्र मंथन में निकलना इस बात का साक्ष्य है की भारत ही चिकित्सा पद्धति का जनक है।

4. _योग_: योग एक प्राचीन भारतीय अध्यात्मिक व्यायाम प्रणाली है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है। पतंजलि योग के जनक रहे। यही योग जर्मनी पहुंच कर बिश्व भर में छागया।

5. _विमान शास्त्र_: विमान शास्त्र एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है, जो उड़ान के सिद्धांतों और विमानों के निर्माण के बारे में बताता है। राम युग में पुष्पक विमान की मौजूदगी, हिन्दू संस्कृति को सर्व श्रेष्ठ बनाती है।

6..भारत में  लाखों साल पहले से नौ ग्रहों की पूजा होती है विज्ञान ने कुछ समय पहले ही पता लगाया कि नौ ग्रह होते हैं। हमारे यहां नौ ग्रहों की पूजा में लाल मसूर के दानों से मंगल ग्रह बनाया जाता है मंगल के लिए लाल मूंगा पहनाया जाता है विज्ञान ने अभी पता लगाया कि मंगल की मिट्टी लाल रंग की है। इसी तरह शनि ग्रह को निलांजन कहा गया, वह गहरे नीले रंग का है।

7.हमारे पंचांगों में काल गणना करके हजारो साल पहले और बाद में सूर्य या चंद्र ग्रहण कब पड़ेगा यह बताया जाता रहा है जो कि विज्ञान ने नासा की स्थापना के बाद जाना है और वह अभी भी हमारे ज्ञान से पीछे है।

8.सूर्य की किरणों में सात रंग होने के कारण भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े बताए गए हैं जो कि विज्ञान ने अभी पता किया है।

9. वृहस्पति ग्रह सूर्य की परिक्रमा 12 वर्ष में पूर्ण करता है यह हमें 3500 हजार साल पूर्व भी मालूम था इसलिए 12 वर्षों में महाकुम्भ लगता है जो कि विज्ञान को अभी पता चला है।

10. श्री राम चरित मानस में सुन्दरकाण्ड के पच्चीसवें दोहे में लिखा है "अट्टहास करि कपि गर्जा,हरि प्रेरित तेहि मरुत चले उनचास" मरुत अर्थात हवा यिज्ञान ने अभी पता किया कि पृथ्वी पर 49 प्रकार की हवाएं चलती हैं।

इन खोजों और उपलब्धियों से यह स्पष्ट होता है कि हिंदुत्व की ज्ञान परंपरा बहुत ही समृद्ध और विविधतापूर्ण है। यह विचार हमें अपनी ज्ञान परंपरा को समझने और उसका सम्मान करने के लिए प्रेरित करता है।
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हिंदू धर्म ग्रंथों में वर्णित आश्चर्यजनक वैज्ञानिक परिकल्पनाओं में समय की गति रुकने का संदेश 

- जैसे की time dilation (समय का फैलना अथवा सिकुड़ना) यह तब होता है जब कोई व्यक्ति या तो प्रकाश के समान गति से यात्रा करे अन्तरिक्ष में या फिर वह किसी ब्लैक होल के पास से (अधिक नज़दीकी से नहीं) होकर वापिस पृथ्वी पर वापिस आए थे सब भागवतम में वर्णित है।
- ऋग्वेद में अग्नि पर बहुत सारा लिखा गया है, भारत ही वह देश जिसने सृष्टि के संचालन के मूल नियंता अग्नि को पहचाना, विज्ञान अब इस समझ की ओर बढ़ रहा है कि जब यह सृजन बेहद ठंडा होकर सुकड़ते सुकड़ते एक घनीभूत पिंड में बदल जाता है, उसी में अनंत परमाणु शक्ति से विस्फोट होता है और इसी महा विस्फोट से उत्पन्न ऊर्जा और तापमान असंख्य सूर्य, चंद्र, ग्रह नक्षत्र, आकाशगंगाए और ब्लेक हॉल निर्मित करते हैँ। ऋग्वेद का अग्नि सिद्धांत और महाविस्फोट की जानकारी बेशकीमती ज्ञान के साथ महान अनुसंधान भी है। जिससे ही बिगबेंग थ्योरी तक आधुनिक वैज्ञानिक पहुंचे।

अनंत सृष्टि के तीन सबसे बड़े आयाम है पहला अग्नि यानि तापमान और दूसरा काल यानि समय/ टाइम और तीसरा सबसे बड़ा वह शक्तिमान है जो इनका स्वामी है जिसे हम परमेश्वर कहते हैँ। प्रत्येक सनातन हिन्दू को गौरवान्वित होना चाहिए कि यह सब उनके पूर्वजों ने अनुसंधान कर विश्व को बताया है।  पहला ज्ञानी विज्ञानी और अनुसंधाकर्ता सनातन हिंदुत्व ही है।

- भागवत में बहुतसा विज्ञान है  तो रामचरित्र मानस में समाज का व्यवस्थापन है 

राजनीती, लोकनीति, परिवार, कुटुंब, ग्राम, गुरुकुल, अर्थ व्यवस्था और समाज रक्षण एवं युद्ध सहित सभी क्षेत्रों में भारतीय ज्ञान और वैज्ञानिकता पूरे विश्व को प्रभावित करती है 
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प्राचीन भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का योगदान

यूनिवर्सल / ब्रह्माण्ड के संदर्भ में, प्राचीन भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में कई महत्वपूर्ण जानकारीयाँ हैं, जो आज के वैज्ञानिक सिद्धांतों को भी आश्चर्यचकित करती हैं। प्राचीन भारत में गणित, खगोल विज्ञान, रसायन विज्ञान, आयुर्वेद और भौतिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय विकास हुआ था।

गणित और शून्य का आविष्कार -
भारत ने शून्य (0) का अविष्कार किया, जो सिद्धांतों में एक क्रांतिकारी बदलाव लाया गया। यह अवधारणा केवल भारतीय गणितज्ञों के लिए नहीं बल्कि वैश्विक गणित के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण थी। शून्य की खोज ने विस्तारित प्रणालियों को सरल बनाया और जटिल गणनाओं को संभव बनाया।

ज्योतिष विज्ञान में योगदान -
प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्री ने सूर्य, चंद्रमा और अन्य नक्षत्रों की गति का अध्ययन किया। ऋग्वेद में खगोल विज्ञान का उल्लेख है, जिसमें बताया गया है कि उस समय के वैज्ञानिकों ने आकाशीय पिंडों की स्थिति पर विचार किया था। आर्यभट्ट जैसे विद्वान ने पृथ्वी के गोल आकार और अपने धुरी पर भ्रमण की अवधारणा को प्रस्तुत किया।

आयुर्वेद एवं चिकित्सा विज्ञान-
आयुर्वेद का विकास लगभग 800 ईसा पूर्व हुआ था और इसे चिकित्सा विज्ञान का एक प्रमुख अंग माना जाता है। आयुर्वेद में स्वास्थ्य, रोग निदान और उपचार के लिए प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया जाता है। चरक संहिता जैसे ग्रंथ इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

रसायन विज्ञान में नवीनता-
रसायन विज्ञान के क्षेत्र में भी प्राचीन भारत ने कई नाम हैँ । नागार्जुन जैसे विद्वान ने  पदार्थ के वैज्ञानिक गुणधर्मों पर गहन अध्ययन किया। उन्होंने पारे (बुध) का उपयोग करके अन्य धातु को सोने में बदलने की विधि विकसित की थी।

भौतिक और परमाणुवाद -
भारतीय सिद्धांतकारों ने भौतिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है । 600 ईसा पूर्व के सिद्धांतकारों ने परमाणु सिद्धांत (परमाणु सिद्धांत) पर विचार किया था, जो आधुनिक भौतिकी के लिए खोज का रास्ता निकला था।

इन सभी क्षेत्रों में प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली ने न केवल अपने समय में बल्कि वर्तमान समय में भी वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रभावित किया है। यह ज्ञान आज भी विभिन्न वैज्ञानिक शोधों और तकनीकी विकासों का आधार बना है।

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