भारतीय संस्कृति संरक्षण एवं संवर्धन बोर्ड की स्थापना हो - अरविन्द सिसोदिया

Arvind Sisodia: 9414180151

भारतीय संस्कृति नें ईश्वर को खोजा, आत्मा को, देवी देवताओं को खोजा, पुनर्जन्म को पहचाना, कालगणना खोजी, सौर मंडल ग्रह नक्षत्र और आकाशगंगा को समझा इनकी विराटता को पहचाना। इसे योजनावद्ध तरीके से समाप्त किया जा रहा है। इसके लिए अमेरिका में 50 विश्व विद्यालयों नें मिल कर डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुज्म के नाम से कॉन्फ्रेंस आयोजित की। यह हिंदुत्व पर एक बिश्व व्यापी हमला था। इसका उद्देश्य दुनिया से हिंदुत्व को उखाड़ फेंको है। 

इस कॉन्फ्रेंस का विरोध भले ही किया गया मगर यह अब निरंतर हिंदुत्व के बिरुद्ध चलने वाला अभियान है। कई कई रूपों में प्रगट व अप्रगट चलेगा। इससे मुकाबला भी करना होगा। इस क्षरण को रोकने के लिए कहीं तो कार्यक्रम आधारित विचार करना ही होगा। इसी विचार को सार्थक स्वरूप प्रदान करने भारतीय संस्कृति संरक्षण और संबर्धन बोर्ड, बनना चाहिए व इसकी योजनाओं पर विशेष निधि व्यय की जानी चाहिए।

कुछ को लिखने का प्रयास कर रहा हूँ मात्र 25 ही , किन्तु विचार करने का विचार भी भारतीय है
  1. विश्वविद्यालय - तक्षशिला ,नालंदा आदि
  2. शून्य -
  3. शतरंज का खेल
  4. शर्ट में बटन का प्रयोग सिंधु घाटी सभ्यता से ही होता रहा है
  5. शैम्पू - 18 वी शताब्दी में तब इसको चैम्पू बोलते थे
  6. साँप सीढ़ी का खेल
  7. आयुर्वेद
  8. योग
  9. भास्कराचार्य ने 7 वी शताब्दी में सूर्य व् पृथ्वी की जो दूरी बतायी आज भी वही सही मानी जाती है
  10. श्रुशुत ने आँखों के मोतियाबिंदु का इलाज दिया
  11. जगदीश चंद्र बोस ने पौधों में जीवन बताया
  12. U.S.B. केबल का आविष्कार भारतीय अजय भट्ट ने किया
  13. विनोद धाम ने चिप
  14. शक्कर का निर्माण
  15. कपास की खेती
  16. कुष्ठ रोग का इलाज
  17. चंद्रमा में पानी की खोज
  18. गणित में - त्रिकोणमिति ,बाइनरी ,अल्गोरिथम चक्रवाल ने , बीजगणित
  19. रमन इफेक्ट और रमन स्पेक्ट्रोग्राफी
  20. फाइबर ऑप्टिक्स नरिंदर सिंह
  21. स्टील व धात्विक प्रगलन - महरौली स्तम्भ गुप्त काल में बना और आज भी जंग नही लगी
  22. रेडियो और वायरलैश के लिये नोबेल तो मार्कोनी को मिला किन्तु सफल प्रयोग जगदीश बोस ने किया था
  23. स्याही का प्रयोग
  24. बौद्व व जैन धर्म
  25. रामानुजन महान गणितज्ञ
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कल्पनाओं से भी परे, उस समृद्ध भगवान के निकट जो पहुंचा वह सनातन हिन्दू है।

-: बहुत ही सुंदर और गहरा विचार! यह विचार हमें सनातन हिंदू धर्म की समृद्धि और गहराई को समझने के लिए प्रेरित करता है।

सनातन हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है जो हमें जीवन के मूल्यों और उद्देश्यों को समझने में मदद करता है। यह धर्म हमें ईश्वर के साथ जुड़ने और अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और सार्थक बनाने में मदद करता है।

आपके द्वारा उल्लिखित बात कि कल्पनाओं से भी परे, उस समृद्ध भगवान के निकट जो पहुंचा वह सनातन हिंदू है, यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह विचार हमें यह समझने के लिए प्रेरित करता है कि सनातन हिंदू धर्म हमें ईश्वर के साथ जुड़ने और अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और सार्थक बनाने में मदद करता है।

सनातन हिंदू धर्म की समृद्धि और गहराई को समझने के लिए, हमें इसके मूल सिद्धांतों और दर्शन को समझना होगा। यह धर्म हमें जीवन के मूल्यों और उद्देश्यों को समझने में मदद करता है और हमें ईश्वर के साथ जुड़ने में मदद करता है।

इसलिए, यह विचार हमें सनातन हिंदू धर्म की समृद्धि और गहराई को समझने के लिए प्रेरित करता है और हमें इसके मूल सिद्धांतों और दर्शन को समझने के लिए प्रोत्साहित करता है।

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भारतीय संस्कृति संरक्षण एवं संवर्धन बोर्ड की स्थापना और की भूमिका के लिए समृद्ध सनातन समुदाय का सहयोग

1. सांस्कृतिक जागरूकता और शिक्षा का प्रचार: भारतीय संस्कृति और युवाओं के मूल सिद्धांतों पर आधारित वीडियो, वाइस और प्रचार-प्रसार के लिए शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है।  विशेष पाठ्यक्रम विकसित किए जाना, जो नागरिकों को वैज्ञानिक एवं आधुनिक संदर्भ सहित भारतीय संस्कृति, इतिहास और धर्म के बारे में जानकारी प्रदान करने । इसके अलावा, ऑनलाइन वर्चुअल वेबसाइट पर वेबिनार, आश्रम और संस्थाएं आयोजित की जा सकती हैं।

2. धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना: भारत में कई पवित्र स्थल हैं जो भारत की प्राचीन वस्तु शिल्पीकारिता की समृद्धि के प्रतीक हैं। इन पर्यटन स्थलों पर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जा सकती हैं। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा बल्कि विदेशी संस्कृतियों को भी भारतीय संस्कृति से जोड़ने का अवसर मिलेगा।

3. सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन: सांस्कृतिक उत्सव, संगीत और प्रदर्शनों के आयोजनों में बहुअयामी संस्कृति की विविधताओं को दर्शाया जा सकता है। ये कार्यक्रम स्थानीय समूहों को जोड़ने और उन्हें अपने सांस्कृतिक नींव से जोड़ने में मदद करेंगे।

4. डिजिटल मीडिया का उपयोग: सोशल मीडिया, यूट्यूब चैनल और अन्य डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके डिजिटल सिद्धांतों और भारतीय संस्कृति की जानकारी साझा की जा सकती है। यह युवा पीढ़ी तक का एक प्रभावशाली तरीका होगा।

5. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:-  अन्य देशों में भारतीय नेटवर्क का सहयोग स्थापित करना महत्वपूर्ण है। विभिन्न देशों में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं जो वहां की समग्रता से अपना सामंजस्य बिठा सके ।

6. कला और साहित्य का संरक्षण: भारतीय कला, संगीत, नृत्य और साहित्य के विभिन्न सिद्धांतों का संरक्षण आवश्यक है। इसके लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जा सकता है जहां कलाकार अपनी कला प्रस्तुत करते हैं और नई पीढ़ी को शिक्षण सुविधाएं प्रदान करते हैं।

7. अनुसंधान एवं विकास: युवाओं पर शोध कार्य को बढ़ावा देना चाहिए ताकि इसके सिद्धांतों और सिद्धांतों पर गहन अध्ययन किया जा सके। इससे नया दृष्टिकोण सामने आएगा जो इसे वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने में मदद करेगा।

8. सामाजिक सेवा संस्थान: समाज सेवा संस्थान के माध्यम से भारतीय संस्कृति के मूल्यों जैसे सहिष्णुता, प्रेम और सेवा भाव को बढ़ावा दिया जा सकता है। यह लोगों में एकता की भावना पैदा हुई।

इन सभी उपायों के माध्यम से हम समृद्ध सनातन समुदाय से विश्व सहयोग बना सकते हैं और भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं संकल्प में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
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डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व कांन्फ्रेंस का हिंदू संगठनों ने क्यों किया विरोध?

हाल ही में अमेरिका में 'डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व' नाम से एक वर्चुअल कांफ्रेंस हुई. इस कांफ्रेंस में हिंदुत्व को नफरत से प्रेरित विचार बताया गया। दूसरी तरफ भारत से लेकर अमेरिका तक के हिंदू संगठनों ने कार्यक्रम का यह कह कर विरोध किया कि यह हिंदुओं को बदनाम करने की कोशिश है। तमाम विवादों के बीच यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसको लेकर सोशल मीडिया से लेकर मुख्यधारा के मीडिया में बहसें हुईं।

इस तरह के कांफ्रेंस की जरूरत क्यों पड़ी, इसका मकसद क्या था, इसे किसने आयोजित किया और इसे लेकर अब तक क्या क्या हुआ।

डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व कांफ्रेंस: इसे लेकर विवाद क्यों है, इसे बदनाम करने की साजिश क्यों माना जा रहा

 Sat, 11 Sep 2021

सार
'डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व सम्मेलन' शीर्षक से, वर्चुअली होने वाला सम्मेलन विवादों में घिर गया है। आयोजकों और मेहमानों पर इसमें शामिल नहीं होने का दबाव था।

विस्तार

अमेरिका में 50 से ज्यादा विश्वविद्यालयों का एक समूह 10 से 12 सितंबर तक एक सम्मेलन आयोजित कर रहा है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर नई बहस छिड़ी हुई है। बताया जा रहा है कि जैसे ही इस सम्मेलन के आयोजन की घोषणा हुई इसके तुरंत बाद, देश और विदेश में हिंदू संगठनों ने इसे "हिंदू फोबिक" बताया और इसे बंद करने की मांग की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके आयोजकों के खिलाफ एक ऑनलाइन अभियान भी चलाया जा रहा है। इस सम्मेलन के आयोजन से पहले ही इसमें हिस्सा लेने वाले वक्ताओं, शिक्षाविदों और विद्वानों को धमकी की भी दी जाने की रिपोर्ट्स मिली है। 

जबकि आयोजकों का कहना है कि ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व' के नाम से इस सम्मेलन का उद्देश्य "लिंग, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, जाति, धर्म, स्वास्थ्य और मीडिया में विशेषज्ञता रखने वाले दक्षिण एशिया के विद्वानों को एक मंच मुहैया कराना है और उनके नजरिए से हिंदुवादी विचारधार को समझना है। यह सम्मेलन हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, प्रिंसटन, कोलंबिया, बर्कले, शिकागो, पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी  समेत 50 से ज्यादा विश्वविद्यालयों ने मिलकर प्रायोजित की है।

आयोजकों और मेहमानों को धमकी देने का आरोप
मीडिया रिपोट्स में कहा गया है कि कार्यक्रम के आयोजकों ने इस बात की शिकायत की है कि विभिन्न संगठनों से उन्हें धमकियां मिली है। कार्यक्रम के आयोजकों के अनुसार, प्रतिभागियों और मेजबानों को यौन हिंसा और उनके परिवारों के खिलाफ हिंसा की धमकी दी गई है। सांता क्लारा यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर रोहित चोपड़ा ने मीडियो को बताया- "महिला प्रतिभागियों को घृणित तरीके से धमकियां दी गईं और दुर्व्यवहार का शिकार बनाया गया गया है। सम्मेलन से जुड़े धार्मिक अल्पसंख्यकों के सदस्यों को भद्दी भाषा में जातिवादी और सांप्रदायिक गालियां दी गई है। 

आयोजकों की सफाई, सम्मेलन के आयोजन को गलत समझा गया
आयोजकों की सफाई है कि सम्मेलन के विषय को हिंदू धर्म पर हमले के रूप में गलत तरीके से लिया गया है, जबकि वास्तव में इसका उद्देश्य हिंदुत्व को दक्षिणपंथी राजनीतिक आंदोलन के रूप में समझना है। सम्मेलन में हिंदुत्व के उदय, जाति-आधारित उत्पीड़न, इस्लामोफोबिया समेत कई मुद्दों पर चर्चा हो रही है।

साउथ एशिया स्कॉलर एक्टिविस्ट क्लेक्टिव की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "यह एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय विद्वानों का सम्मेलन है, जिसने भारत और अमेरिका दोनों के जाने-माने बुद्धिजीवी शामिल हो रहे हैं। अमेरिका में कई अलग-अलग विश्वविद्यालय विभागों और शैक्षणिक इकाइयों को इस सम्मेलन का समर्थन और सहयोग मिला है। कई स्वतंत्र शिक्षाविदों ने एक साथ आकर आयोजन के समर्थन में एक और बयान जारी किया। उन्होंने कहा, "वैश्विक हिंदुत्व सम्मेलन का उद्देश्य हिंदुत्व की वैश्विक घटना पर चर्चा करना है जिसमें दक्षिण एशियाई अध्ययन के प्रमुख विद्वान और भारतीय राजनीति पर समझ रखने वाले लोग एक साथ आ रहे हैं। 

धमकी के डर से कई प्रायोजक पीछे हटे
कार्यक्रम के आयोजकों ने एक बयान में कहा कि इस आयोजन को प्रायोजित करने वाले कई विश्वविद्यालय और विभागों पर इसे रद्द करने का "अत्यधिक दबाव" था। सम्मेलन में शामिल विश्वविद्यालयों के शीर्ष अधिकारियों को पत्र भेजकर कार्यक्रम रद्द करने की मांग करने का भी आरोप है। एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह ने बताया है कि कई प्रतिभागियों को इस डर से इस आयोजन से हटने के लिए मजबूर किया गया है कि यदि वे इसका हिस्सा बनते हैं तो उन्हें भारत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

संयुक्त राज्य अमेरिका में हिंदू समूहों, जिनमें विश्व हिंदू परिषद ऑफ अमेरिका (वीएचपीए), उत्तरी अमेरिका में हिंदुओं का गठबंधन (सीओएचएनए) और हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ)  ने कथित तौर पर कई विश्वविद्यालयों को 1.3 मिलियन से अधिक ईमेल भेज कर सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेने को कहा है। जिसके बाद रटगर्स और डलहौजी जैसे विश्वविद्यालय ने इस आयोजन से खुद को दूर कर लिया और आयोजकों से प्रचार सामग्री से अपने लोगो को हटाने के लिए कहा है।

हिंदू सिनेटर बने विरोध की प्रमुख आवाज
सम्मेलन के खिलाफ सबसे ज्यादा विरोध ओहियो के स्टेट  सीनेटर नीरज अंतानी माने जा रहे हैं। जो अमेरिका के इतिहास में सबसे कम उम्र के हिंदू प्रतिनिधि चुने गए थे। उन्होंने कहा, मैं 'वैश्विक हिंदुत्व सम्मेलन की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं।" “यह सम्मेलन अमेरिका में हिंदुओं के खिलाफ नस्लवाद और कट्टरता को बढावा देने के अलावा और कुछ नहीं है। मैं हिंदूफोबिया के खिलाफ हमेशा मजबूती से खड़ा रहूंगा।

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डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व कन्वेंशन क्या है?

'डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व कॉन्फ्रेंस' एक सांस्कृतिक सम्मेलन था जो 10 से 12 सितंबर 2021 के बीच आयोजित किया गया था। यह प्रमुख सम्मेलन अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के 50 से अधिक विश्वविद्यालयों के द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, प्रिंस्टन, कोलंबिया, बर्कले और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो जैसे नामी संस्थान शामिल थे। आयोजकों ने दावा किया कि इस सम्मेलन में 10,000 से अधिक लोगों ने लॉगइन किया और साढ़े सात हजार से अधिक लोग जुड़े। यह सम्मेलन दक्षिण एशियाई अध्ययन के विद्वानों को एक मंच प्रदान करता है ताकि वे युवाओं को सुविधा और उसके प्रभावों पर विचार कर सकें।

ये हिंदुत्व ख़त्म करना चाहते हैं ?

आयोजकों का मानना ​​है कि हिंदुत्व एक दक्षिणपंथी राजनीतिक आंदोलन है जो भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों, मुसलमानों और महिलाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। उनका उद्देश्य इस सिद्धांत का उदय और इसके वैश्वीकरण के प्रभावों को प्रभावित करना है। वे इसे असमानता पूर्ण असहमत कहते हैं जो समाज में विभाजन पैदा करता है।

सम्मलेन का विरोध करने वाले हिन्दू समुदाय का आरोप है कि यह सम्मलेन भारत और हिंदू धर्म की छवि को ख़राब करने के लिए आयोजित किया गया था। उन्होंने इसे "हिंदूफोबिक" बताया और इसके आयोजकों पर आरोप लगाया कि वे भारत में धार्मिक तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। 

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