भारत को भी अमेरिका की तरह अजेय बनना होगा - अरविन्द सिसोदिया
भारत को भी अमेरिका की तरह अजेय बनना होगा - अरविन्द सिसोदिया हिंडेनबर्ग और उसके आकाओं की राष्ट्रहित में गहरी जांच हो - अरविन्द सिसौदिया
अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर ट्रंप की वापसी के साथ ही अमेरिका के विश्वनेता बनने की नई कोशिशेँ फिर से प्रारंभ होंगी, यह स्पष्ट और स्वाभाविक सत्य है। भारत पर पिछले 10 वर्षों में जीतने भी राजनैतिक और आर्थिक आक्रमण हुये हैँ। वे सभी अमेरिकी ताकतों के माध्यम से हुये हैँ। राहुल गाँधी की सोच के पीछे परोक्ष अपरोक्ष अमेरिकी ताकतें प्रगट होती रहीं हैँ। जार्ज सोरस सहित कई नाम हैँ। किसान आंदोलन के नाम से जो दिल्ली के लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने सहित दिल्ली को घेरने वाले व परेशान करने वाले अपरोक्ष ख़ालिस्तानी मूमेंट के प्रेरक तत्व अमेरिका - कनेड़ाई ही हैँ। डिसमेंटल ग्लोवल हिंदुत्व के माध्यम से पूरी दुनिया में हिंदुत्व के विरुद्ध झूठा और अपमानजनक प्रचार प्रसार का मुख केंद्र भी अमेरिका से ही जुडा है। जिसे भारत में राहुल गाँधी इस्तेमाल करते रहते हैँ। और इसी तरह अडानी ग्रुप के विरुद्ध झूठ फैलाकर बड़ा नुकसान करवाने वाली हींण्डेनवर्ग भी अमेरिका की ही है और अडानी पर मुकदमा चला कर उसे हानि पहुंचाने की कोशिशकर्ता भी अमेरिका है। मणिपुर में हो रही हिंसा में अमेरिका से ही समर्थन मिल रहा है। क्योंकि वहाँ आदिवासियों का एक गुट ईसाई धर्म मानने वाला है।
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हिंडेनबर्ग और उसके आकाओं की राष्ट्रहित में गहरी जांच हो - अरविन्द सिसौदिया
https://arvindsisodiakota.blogspot.com/2025/01/hindenburg.html
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भारत में हिन्दू एकता और संघ विचारधारा मूलतः ईसाई विस्तारवाद के अभियान की आँखों की किरकिरी है। ईसाई धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप एशिया महाद्वीप को ईसाई बनाने के लिये, भारत को उसकी चाबी मानते हैँ। यह अभिव्यक्ति आभी चुकी है।
भारत को ईसाई तभी बनाया जा सकता है जब हिन्दू कमजोर हो, भारत में आंतरिक संघर्ष हो और इसके लिये अभियान वहाँ से निरंतर चलते रहेंगें। आने वाले समय में इसमें कोई कमी नहीं आनी, क्योंकि अब ट्रंप का भी यह अंतिम कार्यकाल है और वे ईसाई विस्तारवाद को समर्थन ही देंगे, क्योंकि वे ज्यादा कटटर हैँ।
अर्थात भारत में राष्ट्रवादी ताकतों के सामने चुनौतियाँ बनी रहनी हैँ। विदेशी ताकतें हिन्दू, संघ और भाजपा को निरंतर निशांना बनाते रहेंगे। इसका मुकाबला भी हिन्दू एकता से ही होगा। अतः भारत को अब सैन्यशक्ति के रूप में भी विश्व विजेता जैसी शक्ति अर्जित करनी होगी। भारत को भी अजेय बनना होगा।
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