मोक्ष ही मनुष्य का अंतिम लक्ष्य है, बाँकी सब माया के खेल moksha
मोक्ष ही मनुष्य का अंतिम लक्ष्य है, बाँकी सब माया के खेल,
क्यों ल फंसे हो धन दौलत में, आत्मा की उन्नति ही ईश्वर से मेल
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1. मोक्ष का अर्थ और महत्व
मोक्ष एक ऐसी स्थिति है जिसमें जीव आत्मा अपने सभी बंधनों से मुक्त होकर परम शांति और आनंद की प्राप्ति करती है। वह भिन्न भिन्न शरीरों में आवागमन से मुक्त हो जाती है। इसी अवस्था को मोक्ष कहा जाता है। यह एक आध्यात्मिक, भौतिक और वैज्ञानिक लक्ष्य है जिसे मानव जीवन का अंतिम उद्देश्य माना जाता है। संतों और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मोक्ष की प्राप्ति के बिना जीवन का कोई वास्तविक अर्थ नहीं है। यह स्थिति केवल ईश्वर के बताये सदमार्ग पर चलने से ही प्राप्त होती है।
2. माया महा ठगनी
संसार में सभी भौतिक सुख सुविधाएँ यहाँ तक कि यह शरीर तक अस्थाई साथी हैँ। धन -दौलत, भौतिक संपत्ति और वैभव सुख-सुविधाएँ केवल माया के खेल हैं। ये सभी पृथ्वी की संपत्ति है। समान्यतः व्यक्ति इन भौतिक विषयभोगों में ही फंसा रहता है, लोभ और मोह में फंसा व्यक्ति अपनी स्वयं की आत्मा तक को नहीं पहचान पाता, उसे अपना जीवन अमर लगता है, बुरे कामों को करने में भी वह नहीं हिचकता जैसे अमर आया है। वह अपनी आत्मा की उत्पत्ति को माया के प्रभाव में भूल जाता है। इसीलिए कहा गया है माया महाठगनी। इस प्रकार, ये भौतिक सुःख सुविधाएँ उसे सही मार्ग पर चलने से रोकते हैं।
3. आत्मा की उत्पत्ति और ईश्वर से मेल
आत्मा के विकास का अर्थ है अपने अंदर के दिव्य तत्व को पहचानना और उसका विकास करना। जब कोई व्यक्ति अपनी आत्मा की रचनात्मकता को प्राप्त करता है, तो वह ईश्वर से जुड़ने में सक्षम होता है। यह प्रक्रिया अंतर्मुखी साधना और निष्काम कर्म योग के माध्यम से होती है। गीता में भी कहा गया है कि निष्काम कर्म करने वाले व्यक्ति को निश्चित रूप से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. निष्कर्ष
इस प्रकार, मोक्ष ही मनुष्य का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए क्योंकि यही स्थिर शांति और आनंद का स्रोत है। धन-दौलत और भौतिक सुख सुविधाएँ केवल क्षणिक हैं और उदाहरण के लिए समय-परीक्षण करना आत्मा की उन्नति में बाधक बनता है। इसलिए, हमें अपने जीवन को संयमित, संतुष्टिकृत व आध्यात्मिक विकास पर केंद्रित करना चाहिए ताकि हम ईश्वर के साथ मिलन कर सकें।
1. भगवद गीता
भगवद गीता हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो जीवन के विभिन्न सिद्धांतों पर गहन ज्ञान प्रदान करता है। कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग जैसे शास्त्रों का वर्णन किया गया है जो मोक्ष प्राप्ति में सहायक होते हैं।
2. उपनिषद्
उपनिषद वेदों के अंतिम भाग जो अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को प्रस्तुत करते हैं। इनमें आत्मा और ब्रह्म (परमात्मा) के बीच संबंध में यथार्थवादी गहन विचार शामिल हैं।
3. संत कबीर दास
संत कबीर दास भारतीय संत थे। सामान्य लोगों से लेकर आध्यात्मिक ज्ञान तक में सहायक सामग्री। उन्होंने माया के खेल और मोक्ष की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे लोगों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिली।
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