पूर्वाभास अतीन्द्रिय ज्ञान Purvabhasa
महान सनातन धर्मग्रंथ बाल्मीकि रामायण के बारे में यही प्रचलित है कि, महर्षि बाल्मिकी ज़ी को इसका पूर्वआभास था और उसी के आधार पर उन्होंने बाल्मीकी रामायण की पूर्व रचना कर दी थी, जिसका अवधी भाषा में लेखन गोस्वामी तुलसीदास ज़ी नें की है।
कुछ लोगों को पूर्वाभास कैसे हो जाता है? क्या पूर्वाभास का संबंध विज्ञान से है?
क्या मनुष्य वही देखता है, जो सामने परिलक्षित होता है। साधारण स्थिति में तो ऐसा ही होता देखा जाता है। नाक के ऊपर लगे हुए दो नेत्र गोलक केवल सामने की दिशा में और कुछ दांये-बायें एक नियत आकार-प्रकार—डायमेन्शन तक वस्तुएं देख सकते हैं। इसे फील्ड ऑफ विजन कहते हैं। सूक्ष्मदर्शी व दूरदर्शी यन्त्रों की मदद से इच्छानुसार वस्तुओं के आकार-प्रकार को बड़ा देखा जा सकता है चाहे वे समीपस्थ हों अथवा दूरस्थ। किन्तु यह दृश्य वर्तमान काल के ही हो सकते हैं, भूत या भविष्य के नहीं। टेलीविजन, फोटोग्राफी, चित्रों के माध्यम से भूतकाल की जानकारी हो सकती है। इतने भर से मनुष्य को सन्तुष्ट होना पड़ा है।
क्या भविष्य को प्रत्यक्ष आंखों के समक्ष देखा जा सकता है। प्रश्न उठ सकता है कि भविष्य का पूर्व निर्धारित रूप कैसे देखा जा सकता है। यदि भविष्य निश्चित है तो कर्म पुरुषार्थ की क्या आवश्यकता? अतः बुद्धि की अटकल, कम्प्यूटर सब कुछ के बावजूद भविष्य कथन की बात गले नहीं उतरती। बुद्धिवाद का युग है तो यह चिन्तन स्वाभाविक भी है।
किन्तु पूर्वाभास एवं भविष्य-कथन के अनेकों ऐसे घटनाक्रम दैनंदिन जीवन में प्रकाश में आते हैं, जिनका विज्ञान के पास कोई उत्तर नहीं। वे कालान्तर में सही भी होते पाये गये हैं। ऐसी एक नहीं, अनेकों घटनाएं हैं जिनमें सामान्य अथवा असामान्य व्यक्तियों में यह क्षमता अकस्मात उभरी या विकसित की गई एवं समय की कसौटी पर वे खरे उतरे।
प्रयत्नपूर्वक आत्मबल को बढ़ाना और सिद्धियों के क्षेत्र में प्रवेश करना यह एक तर्क और विज्ञान सम्मत प्रक्रिया है किन्तु कभी-कभी ऐसा भी देखने में आता है कि कितने ही व्यक्तियों में इस प्रकार की विशेषताएं अनायास ही प्रकट हो जाती हैं। उन्होंने कुछ भी साधन या प्रयत्न नहीं किया तो भी उनमें ऐसी क्षमताएं उभरीं जो अन्य व्यक्तियों में नहीं पाई जातीं। असामान्य को ही चमत्कार कहते हैं। अस्तु ऐसे व्यक्तियों को चमत्कारी माना गया। होता यह है कि किन्हीं व्यक्तियों के पास पूर्व संचित ऐसे संस्कार होते हैं जो परिस्थितिवश अनायास ही उभर आते हैं। वर्षा के दिनों अनायास ही कितनेक पौधे उपज पड़ते हैं, वस्तुतः उनके बीज जमीन में पहले से ही दबे होते हैं। यही बात उन व्यक्तियों के बारे में कही जा सकती है जो बिना किसी प्रकार की अध्यात्म साधनाएं किये ही अपनी अलौकिक क्षमताओं का परिचय देते हैं।
भविष्य दर्शन की विशेषता को अतीन्द्रिय क्षमता के अन्तर्गत ही गिना जाता है। इस विशेषता के कारण संसार भर में जिन लोगों ने विशेष ख्याति प्राप्त की है उनमें एण्डरसन, सेमबैन्जोन, पीटर हरकौस, फ्लोरेन्स फादर पियो आदि के नाम पिछले दिनों पत्र-पत्रिकाओं के पृष्ठों पर छाये रहे हैं।
पूर्वाभास में भविष्य-कथन के जो सही उदाहरण सामने आते रहते हैं उनका कारण क्या हो सकता है? उसका तथ्य संगत उत्तर एक ही हो सकता अध्यात्म स्तर की विशेषता। दिव्य दृष्टि। वह अदृश्य जगत की हाण्डी में पकती हुई भावी सम्भावनाओं का स्वरूप और समय जान सकता है। कर्म का प्रतिफल, समय साध्य है। इस मध्यवर्ती अवधि में यह पता चलाना कठिन पड़ता है कि किस कृत्य की परिणति कितने समय में किस प्रकार किस स्थान में होगी। इतने पर भी उसका स्वरूप बहुत कुछ इस स्थिति में होता है कि कोई दिव्य दर्शी उसका पूर्वाभास प्राप्त कर सके। यह सम्भावना है भी या नहीं, इस सन्दर्भ में कितनी ही महत्वपूर्ण साक्षियां समय-समय पर सामने आती रहती हैं।
प्रथम विश्वयुद्ध के दिन, पहली नवम्बर—आठ वर्षीय एण्डरसन घर की बैठक में खेल रहा था। सहसा वह रुका। मां के पास पहुंचा और उसका हाथ पकड़ उसे बैठक में ले गया, जहां उसके भाई नेल्सन की फोटो लगी थी। नेल्सन कनाडा की सेना में कप्तान था और मोर्चे पर था। एण्डरसन ने भाई की फोटो की ओर संकेत करते हुए मां से कहा—‘‘मां, देखो तो, भैया के चेहरे पर बन्दूक की गोली लग गई है और वे जमीन पर गिरकर मर गये हैं।’’
‘‘चुप मूर्ख! ऐसी अशुभ बात तेरे दिमाग में कहां से आई? अब कभी ऐसे कुछ न बोलना, न ऐसा सोचा करो।’’ मां ने झिड़का। पर एण्डरसन तो अपनी बात पर जिद-सी करने लगा। इस घटना के दो-तीन दिन बाद जब तार आया कि—‘‘1 नवम्बर 1918 को गोली लगने के कारण नेल्सन की मृत्यु हो गई है।’’ तो पूरा परिवार शोक में डूब गया। पर एण्डरसन की बातें याद कर वे सब विस्मय से भी भर उठे।
इसके बाद तो मुहल्ले-पड़ौस में उसने कई बार ऐसी भविष्य सम्बन्धी बातें बतायीं कि लोग उसे सिद्ध भविष्यवक्ता मानने लगे। घर वालों ने उसका ध्यान बंटाने के लिए उसे शीघ्र ही एक खान की नौकरी में लगा दिया। पर थोड़े ही दिनों में एण्डरसन ने यह कहते हुए इस नौकरी को छोड़ दिया कि—‘‘मैं उन्मुक्त आत्मा हूं। योग के संस्कार मुझ में हैं। निरन्तर आत्म-परिष्कार ही मेरा लक्ष्य है। भौतिक परिस्थितियों से पैसे रुपयों के लोभ से मैं बंधा नहीं रह सकता।’’
इसके बाद एण्डरसन व्यापारी जहाजों द्वारा विश्व-भ्रमण के लिए निकल पड़ा। इसी बीच उसने अपने शरीर का व्यायाम, योगाभ्यास, संयम और परिश्रम द्वारा विकास कर अतुलित बल अर्जित किया। लोहे की छड़ कन्धे पर रखकर उसमें 15-20 व्यक्तियों तक को लटकाकर चल फिर लेना, कार उठा लेना, शक्तिशाली गतिशील मोटर को हाथ से रोक देना, उन्मत्त और क्रुद्ध सांडों को पछाड़ देना आदि के करतब उसके लिए मामूली बात हो गई। उसने इनके सफल प्रदर्शन किये और ख्याति पाई।
लोग कहने लगे कि यह कोई पूर्व जन्म का योगी है। पूर्वजन्म में किये गये योगाभ्यास का प्रभाव और प्रकाश इसमें अब भी शेष है। 70 वर्ष से अधिक की आयु में भी एण्डरसन लोहे की नाल दोनों हाथ से पकड़कर सीधी कर देते हैं। शारीरिक शक्ति के साथ ही उन्होंने अतीन्द्रिय सामर्थ्य भी विकसित की और वे जीन डिक्सन, कीरो तथा टेनीसन से भी अधिक सफल भविष्यवक्ता माने जाते हैं। एण्डरसन भारत आकर योग एवं ज्योतिष सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं। यद्यपि उनकी यह आकांक्षा परिस्थितियोंवश पूर्ण नहीं हो सकी है।
इंगलैण्ड में ही सैमवैजोन नामक एक व्यक्ति हुआ है। उसे बाल्यावस्था से ही पूर्वाभास की शक्ति प्राप्त थी। सात वर्ष का था, तभी उसे यह पूर्वाभास हुआ कि बाहर गये पिताजी एक ट्राम से घर आ रहे हैं और वह ट्राम दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से वे घायल हो गये हैं। मां को वैजोन ने बताया तो मिली झिड़की। पर जब कुछ समय बाद आहत पिताजी घर आये और उन्होंने बताया कि ट्राम दुर्घटना से ही वे आहत हुए हैं तो दुःखी मां विस्मित भी हो उठी।
बाल्यावस्था में ही सैमवैजोन ने अनेकों बार पूर्वाभास की अपनी शक्ति का परिचय दिया। उसके घर में क्रिसमस पर प्रीतिभोज दिया गया। मित्रों, पड़ौसियों, परिजनों ने उपहार दिये। सबके जाने के बाद मां ने सैमवैजोन से उपहार का एक डिब्बा दिखाकर पूछा—‘‘तू बड़ा भविष्यदर्शी बनता है, बता इस डिब्बे में क्या है?’’ डिब्बा जैसा आया था, वैसा ही बन्द था। सैम ने वे सारी वस्तुएं गिन-गिनकर बता दीं जो उस डिब्बे में बन्द थीं।
बिना किसी ‘लेन्स’ या यन्त्र के डिब्बे के भीतर की वस्तु का यह ज्ञान इस तथ्य का द्योतक है कि विचारों और भावनाओं की दिव्य तथा सूक्ष्म शक्ति द्वारा बिना किसी माध्यम के गहन अन्तराल में छिपी वस्तुओं को भी देखा-जाना जा सकता है।
अपने एक परिचित पेन्टर के बारे में एक दिन आफिस में बैठे वैन्जोन ने सहसा चल-चित्रवत् दृश्य देखा कि वह एक दीवार की पेंटिंग करते समय सीढ़ियों से लुढ़ककर गिर पड़ा है। तीन दिन के भीतर ही यह दुर्घटना इसी रूप में हुई और मोहल्ले के एक मकान की दीवार की रंगाई के समय सीढ़ी से फिसलकर गिरने से उक्त पेंटर की मृत्यु हो गई। वैन्जोन का पूर्वाभास सत्य सिद्ध हुआ।
प्रख्यात भविष्यवक्ता पीटर हरकौस की विलक्षण अतीन्द्रिय शक्ति विश्व प्रसिद्ध है। वह घटनास्थल की किसी भी वस्तु को छूता और उसे उस स्थान से सम्बन्धित अतीत में घटी, वर्तमान में घट रही तथा भविष्य में घटित होने वाली घटनाएं स्पष्ट दिखने लगतीं।
पेरिस में कई शीर्षस्थ अधिकारियों की उपस्थिति में हरकौस का आह्वान किया गया कि वह अपनी अतीन्द्रिय सामर्थ्य का प्रदर्शन करें। पीटर हरकौस को कंघा, कैंची, घड़ी, लाइटर और बटुआ देकर कहा गया कि आप इनके आधार पर एक मामले का पता लगायें। पीटर ने पांचों को छुआ और ध्यानमग्न हो गया। उसने दो वस्तुओं को अनावश्यक कहकर लौटा दिया। फिर बटुए को हाथ में थामकर खोया हुआ-सा बोलने लगा—‘‘एक गंजा आदमी है। वह सफेद कोट पहने है। एक पहाड़ी के पास छोटे से मकान में वह रहता है, जिसके बगल से रेलवे लाइन गुजरती है। मकान से कुछ दूर एक गोदाम है। दोनों स्थानों के बीच एक शव पड़ा है। यह हत्या का मामला है। यह हत्या किसी निकोला नामक व्यक्ति द्वारा उसे जहर मिला दूध पिलाकर की गई है। लगता है यह सफेद कोटधारी गंजा ही निकोला है—जो इन दिनों जेल में है और वह शव एक महिला का है। निकोला भी मर गया है।
पीटर हरकौस की सभी बातें तो सही थी। पर जेल में बन्द निकोला जीवित था। तभी अधिकारियों को समाचार दिया गया कि दो घण्टे पहले निकोला ने आत्म हत्या कर ली है।
सन् 1950 में जब प्रसिद्ध संग्रहालय वेस्टमिनिस्टर एवी से ‘स्कोन’ नामक हीरा चोरी हो गया, तो पूरे ब्रिटेन में तहलका मच गया। गुप्तचरों और पुलिस की दौड़-धूप व्यर्थ गई। चोरी का सुराग तक नहीं मिला। तब पीटर हरकौस की सहायता ली गई। हरकौस लन्दन पहुंचा। एवे के दरवाजे की एक लोहे की चादर का टुकड़ा अपने हाथ में लेकर पीटर बताने लगा—पांच लड़कों ने ‘स्कोन’ को चुराया है और कार द्वारा ग्लासगो ले गये हैं। हीरा एक महीने में मिल जायेगा। ‘‘चोरों के भागने का रास्ता भी हरकौस ने नक्शे में बता दिया। अन्त में एक माह में हीरा मिला और हरकौस की हर बात सत्य निकली।
एम्सटरडम में एक बार एक फौजी कप्तान का लड़का समुद्र में गिर गया। शव मिल नहीं रहा था। पीटर हरकौस ने अपनी अन्तः दृष्टि से शव को तलाशने का स्थान बताया। वह मिल गया।
वेल्जियम के जार्ज कार्नेलिस के हत्यारों का पता भी हरकौस ने ही लगाया था। अमेरिकी डा. अन्डिया पूरिया के आमन्त्रण पर पीटर अमरीका गये। वहां उन पर कई प्रयोग किये गये।
पीटर हरकौस ने स्वयं ही ‘‘साइक’’ नाम से अपना संस्मरण संग्रह लिखा व प्रकाशित कराया है; जो उसकी अतीन्द्रिय शक्तियों पर प्रकाश डालता है।
पूर्वाभास की यह क्षमता कई व्यक्तियों में असाधारण तौर पर विकसित होती है। द्वितीय महायुद्ध में ऐसे लोगों का दोनों पक्षों ने उपयोग किया था। हिटलर के परामर्श मण्डल में पांच ऐसे ही दिव्यदर्शी भी थे। उनका नेतृत्व करते थे—विलियम क्राफ्ट।
इसी मण्डली के एक सदस्य श्री डी. व्होल ने तत्कालीन ब्रिटिश विदेश मन्त्री लार्ड हेली फिक्स को सर्वप्रथम एक भोज में अनुरोध किये जाने पर हिटलर की योजनाओं का पूर्वाभास दिया। वे सच निकलीं और श्री व्होल को फौज में कैप्टन का पद दिया गया। श्री डी. व्होल हिटलर की अनेक योजनाओं की जानकारी अपनी दिव्य दृष्टि से दे देते। ब्रिटेन तद्नुसार रणनीति बनाता। फौजी अफसरों को जिम्मेदारियां सौंपते समय भी उनके भविष्य-बावत श्री डी. व्होल से सलाह ली जाती। उन्हीं के परामर्श पर माउण्ट गुमरी को फील्ड मार्शल बनाया गया। उनकी सफलताएं सर्वविदित हैं। जापानी जहाजी बेड़े को नष्ट करने की योजना भी श्री व्होल की सलाह से बनी थी। महायुद्ध की समाप्ति के बाद श्री व्होल ने ब्रिटिश शासक को परामर्श देने का कार्य छोड़ दिया था और धार्मिक लेखन का अपना पुराना काम करने लगे थे।
न्यूजर्सी नगर की रहने वाली फ्लोरेन्स से उसके साथी नेबेल ने एक बार कहा कि ‘‘आप सबके बारे में भविष्य बताती ही रहती हैं। मेरे बारे में भी कुछ बताइये।’’ नेबेल प्रसारण-सेवा का कर्मचारी था। उसने माइक फ्लोरेन्स की ओर बढ़ाया तो फ्लोरेन्स ने उसे दाहिने हाथ में थाम लिया। 15-20 सैकिण्ड तक वह शान्त रही। फिर बोली—‘‘आप शीघ्र ही दूसरे राज्य का प्रसारण करेंगे।’’
नेबेल हंस पड़ा। उन्होंने कहा कि ‘‘आपसे मैं यह एक अच्छा मजाक कर बैठा। अब अगर हमारे इस कार्यक्रम को हमारी कम्पनी के किसी संचालक ने सुना होगा, तो दूसरे राज्य में जब जाऊंगा तब, यहां से अवश्य मेरा कार्यकाल समाप्त समझिये।
कुछ मिनटों बाद कन्ट्रोलरूम में फोन घनघना उठा। वह नेबेल के लिए ही फोन था। कम्पनी के जनरल मैनेजर ने उसे बताया कि शीघ्र ही न्यूयार्क से एक कार्यक्रम शुरू किया जायेगा। वहां तुम्हें ही भेजने का निर्णय लिया गया है। किन्तु यह घोषणा कल होगी। अभी इसे गुप्त ही रखना है। फ्लोरेन्स ने जो कुछ बताया है वह है तो सच, पर उसे यह बात कैसे ज्ञात हुई? यही आश्चर्य का विषय है।’’ नेबेल फलोरेन्स से यह भी नहीं कह पा रहा था कि आपकी भविष्यवाणी सच है।
फ्लोरेन्स ने अपनी पराशक्ति के बल पर खोये हुए व्यक्तियों, वस्तुओं और हत्या के मामलों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सम्बद्ध व्यक्तियों तथा पुलिस को आवश्यक जानकारी देकर मदद की।
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दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अतीन्द्रिय बोध किसी व्यक्ति की छठी इन्द्रिय है। अतीन्द्रिय बोध से प्राप्त जानकारी वर्तमान, भूत या भविष्य में से किसी भी काल की हो सकती है। सन् 1870 में जियोलॉजिकल सोसाइटी के फैलो सर रिचार्ड बर्टन ने सर्वप्रथम अतीन्द्रिय बोध शब्द का प्रयोग किया।
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