पवित्र गंगा मैय्या का कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा अपमान, राजनैतिक गिरावट की पराकाष्ठा - अरविन्द सिसोदिया
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे नें मोक्षदायनी पवित्र गंगा पर महज वोटबैंक खुश करने की ओछी राजनीती के तहत गैरज़रूरी बयान दिया है। जो धार्मिक आस्था का अपमान है। हिन्दुओं की आस्था पर इस तरह के बयान ओर अपमानजनक टिप्पणीयां राजनैतिक फैसन बन गया है। जो पूरी तरह निंदनीय है।
कांग्रेस को भाजपा के विरुद्ध प्रतिस्पर्धा के कारण आलोचना का पूरा अधिकार है किन्तु वह भाजपा की आलोचना करते करते हिंदुत्व की आलोचना करती है, जो गलत है। इससे वह भाजपा विरोधी नहीं बल्कि वह भारत विरोधी और भारत के हिन्दू समाज की विरोधी बन जाती है।
मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,
ना मानो तो बहता पानी,
जो स्वर्ग ने दी धरती को,
में हूँ प्यार की वही निशानी,
मानो तो मैं गंगा माँ हूँ,
ना मानो तो बहता पानी।
- कांग्रेस के खरगे जी के बयान से कुछ नहीं होता, करोड़ों कटोड़ों हिन्दू जिस तरह गंगा जी में डुबकी लगाने पहुंच रहे है, यह सजीव हिंदुत्व का प्रमाण है।
गंगाजल ही अपनी पवित्रता का प्रमाण देती है
भारत में हिमालय की गंगोत्री से प्रारंभ होकर गंगासागर तक बहनें वाली विशाल पवित्र नदी गंगा, पूरे विश्व में एक मात्र इस तरह की नदी है जो अपनी पवित्रता को प्रमाणित करती है। इसका जल वर्षो वर्षो तक एक पात्र में रह कर भी खराब नहीं होता है। गंगा जल हमेशा अपनी पवित्रता को प्रमाणित करती है।
गंगा वह नदी है जो देवलोक से पृथ्वी पर आती है। यह इस बात का वैज्ञानिक आधार भी प्रदान करती है कि पृथ्वी से परे अन्य ग्रहों पर भी जल है। इस तरह से भारत के विराट ब्रह्माण्ड ज्ञान को भी प्रमाणित करती है।
1- गंगा मैय्या की महिमा और महत्व के बारे में बात करते समय, हमें उनकी पवित्र कथा को याद रखना चाहिए। गंगा का पृथ्वी पर अवतरण राजा सगर के वंशज भगीरथ की तपस्या के माध्यम से हुआ था ¹।
2- भगीरथ ने गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के लिए भगवान शिव की आराधना की, ताकि गंगा का वेग सहन किया जा सके। गंगा को "पवित्र नदी" है, और यह मोक्षदायनी है ।
3- गंगा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत पवित्र एवं पूज्यनीय है और यह सत्य सनातन हिन्दू धर्म की श्रेष्ठ परप्राओं को धारण करती है। गंगा को मोक्ष दायनी माना जाता है और इसका जल पवित्र माना जाता है।
4- कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के बयान को धार्मिक आस्था का अपमान है और यह वोटबैंक की राजनीति का एक और उदाहण है। ऐसे बयानों से हमें सावधान रहना चाहिए और धार्मिक आस्था का सम्मान करना चाहिए।
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गंगा नदी के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का विश्लेषण
1- गंगा नदी, जिसे अक्सर “गंगा मैया” या माँ गंगा के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म में बहुत ज़्यादा धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है। इसे एक पवित्र नदी माना जाता है जो पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है। पवित्र गंगा के प्रति श्रद्धा हिंदू धर्मग्रंथों, पौराणिक कथाओं और परंपराओं में गहराई से निहित है।
2- गंगा का धार्मिक महत्व
क - हिंदू धर्मग्रंथों में पवित्रता : वेदों, पुराणों और महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों जैसे प्राचीन हिंदू ग्रंथों में गंगा का व्यापक रूप से उल्लेख किया गया है। ऐसा माना जाता है कि यह नदी मानवता को शुद्ध करने के लिए भगवान शिव की जटाओं से उत्पन्न हुई थी। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और आध्यात्मिक मुक्ति (मोक्ष) की प्राप्ति होती है।
ख - अनुष्ठानों में भूमिका : गंगाजल को शुद्ध माना जाता है और इसका उपयोग विभिन्न धार्मिक समारोहों जैसे पूजा, विवाह और अंतिम संस्कार में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि गंगाजल छिड़कने से कोई भी स्थान या वस्तु पवित्र हो जाती है।
ग - मोक्ष से जुड़ाव : यह विश्वास कि मृत व्यक्तियों की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने से उनकी आत्मा की मुक्ति सुनिश्चित होती है, यह संपूर्ण भारतीय सभ्यता के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके किनारे बसे प्रमुख तीर्थ स्थल भी हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है।
घ - इसके किनारे मनाए जाने वाले त्यौहार : गंगा दशहरा जैसे त्यौहार देवी गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का जश्न मनाते हैं। पवित्र आयोजनों एवं अवसरों पर करोड़ों लोग पवित्र गंगा में स्नान करने के लिए हरिद्वार, ऋषिकेश, प्रयागराज (इलाहाबाद) और वाराणसी जैसे स्थानों पर एकत्रित होते हैं।
ड - सांस्कृतिक महत्व
भारतीय सभ्यता का प्रतीक : गंगा बेसिन हज़ारों सालों से भारतीय सभ्यता का उद्गम स्थल रहा है। इसके किनारे बसे शहर संस्कृति, शिक्षा, व्यापार और आध्यात्मिकता के केंद्र के रूप में विकसित हुए हैं।
च - कला और साहित्य के लिए प्रेरणा : नदी ने सदियों से कला, कविता, संगीत और नृत्य के अनगिनत कार्यों को प्रेरित किया है। यह जीवनदायी पोषण और आध्यात्मिक नवीनीकरण का प्रतीक है।
छ - पर्यावरणीय भूमिका : अपने धार्मिक महत्व के अलावा, नदी लाखों लोगों को पीने, कृषि और उद्योग के लिए जल उपलब्ध कराकर उनका भरण-पोषण करती है।
निष्कर्ष -
माँ गंगा के प्रति श्रद्धा केवल प्रतीकात्मकता से परे है; यह भारत और उसके बाहर के, करोड़ों लोगों के लिए आस्था, परंपरा, पारिस्थितिकी और पहचान का संगम है। इसके बारे में किसी भी चर्चा को लोगों के जीवन में इसके गहन महत्व के प्रति संवेदनशीलता के साथ देखा जाना चाहिए।
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जल शक्ति मंत्रालय (भारत सरकार)
यह सरकारी निकाय भारत में जल संसाधन प्रबंधन से संबंधित पहलों की देखरेख करता है, जिसमें नमामि गंगे मिशन जैसे कार्यक्रमों के तहत गंगा जैसी नदियों के संरक्षण के प्रयास शामिल हैं।
यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र
यूनेस्को, गंगा जैसी नदियों से जुड़ी सांस्कृतिक प्रथाओं को उनके वैश्विक महत्व के कारण अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत रूपरेखा के अंतर्गत मान्यता देता है।
हिंदू धार्मिक ग्रंथ (वेद और पुराण)
प्राचीन धर्मग्रंथ इस बात की आधारभूत जानकारी प्रदान करते हैं कि क्यों गंगा जैसी नदियाँ हिंदू धर्म के ब्रह्माण्ड विज्ञान और अनुष्ठानों में अद्वितीय महत्व रखती हैं।
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