भारत - अरविन्द सिसोदिया 9414180151 कर्तव्य और समर्पण जिसके पहिये, ईश्वर स्वयं जिसके सारथी, यही सनातन भारत है, जिसकी विश्व उतारे आरती। ---1--- जहाँ धर्म जीवन का आलोक है, अर्थ का साधन भी पुण्य मार्ग है, कर्तव्य , साधना का स्वरूप है, और मोक्ष उस यात्रा का ध्येय अनूप है। ---2--- यह वह भूमि है जहाँ सत्य केवल शब्द नहीं, जीवन का प्रण है, अहिंसा केवल नीति नहीं, अस्तित्व की पहचान है। जहाँ सेवा में ईश्वर बसता है, दया और करुणा ही समग्र सृष्टि है। --3-- यह वही भारत है — जो वेदों की ऋचाओं में गूंजता है, गीता के श्लोकों में जीवन का मर्म सिखाता है, उपनिषदों में आत्मा की अनुभूति कराता है। ---4--- यहाँ परंपराएँ जड़ नहीं, चेतना का प्रवाह हैं, संस्कार यहाँ बंधन नहीं, उत्थान की सीढ़ियाँ हैं। जहाँ त्याग में बल है, और बल में विनम्रता, जहाँ पुरुषार्थ और परमार्थ का समन्वय है। ---5--- यही तो वह सनातन भारत है, जो समय से परे, युगों से अमर, जिसकी धड़कन में मानवता का स्वर, जिसकी आत्मा में विश्वकल्याण का संकल्प। --- समाप्त ----
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