खुद मरकर दूसरों को देश पर मरना सिखाना है - अमर शहीद मदनलाल धींगरा
अमर क्रांतिकारी मदनलाल धींगरा
मदनलाल धींगड़ा भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी थे। भारतीय स्वतंत्रता की चिनगारी को अग्नि में बदलने का श्रेय महान शहीद मदन लाल धींगरा को ही जाता है । भले ही मदन लाल ढींगरा के परिवार में राष्ट्रभक्ति की कोई ऐसी परंपरा नहीं थी किंतु वह खुद से ही देश भक्ति के रंग में रंगे गए थे ।
मदनलाल धींगड़ा (18 सितंबर 1883 — 17 अगस्त 1909) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी थे। भारतीय स्वतंत्रता की चिनगारी को अग्नि में बदलने का श्रेय महान शहीद मदन लाल धींगरा को ही जाता है । भले ही मदन लाल ढींगरा के परिवार में राष्ट्रभक्ति की कोई ऐसी परंपरा नहीं थी किंतु वह खुद से ही देश भक्ति के रंग में रंगे गए थे । वे इंग्लैण्ड में अध्ययन कर रहे थे जहाँ उन्होने विलियम हट कर्जन वायली नामक एक ब्रिटिश अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी। कर्जन वायली की हत्या के आरोप में उन पर 23 जुलाई, 1909 का अभियोग चलाया गया । मदन लाल ढींगरा ने अदालत में खुले शब्दों में कहा कि "मुझे गर्व है कि मैं अपना जीवन समर्पित कर रहा हूं।" यह घटना बीसवीं शताब्दी में भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की कुछेक प्रथम घटनाओं में से एक है।
आज़ादी का अमृत महोत्सव :
देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी मदन लाल ढींगरा को आज उनकी जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र का नमन। उन्होंने ब्रिटेन में क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेकर मातृभूमि की सेवा की थी।
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अमर शहीद मदन लाल ढींगरा के शब्द थे," धन और बुद्धि से हीन मेरे पास सिर्फ मेरा रक्त और जीवन है। उसे मैं भारतमाता की पवित्र बेदी पर समर्पित कर रहा हूँ। मौजूदा समय में केवल और केवल देश के लिए मरना सीखना है और खुद मरकर दूसरों को मरना सिखाना है। ईश्वर से बस यही प्रार्थना है। फिर उसी माँ की कोख से जन्म लूं। फिर उसी महान उद्देश्य के लिए जान दूँ। तब तक, जब तक देश आजाद न हो जाये।
सिविल सर्जन पिता के अंग्रेज भक्त सुविधा सम्पन्न परिवार में 18 फरवरी 1883 को अमृतसर में जन्मे मदन लाल ढींगरा ने बचपन से ही परिवार के विपरीत राष्ट्रवाद की राह पकड़ ली। ये राह त्याग - समर्पण की थी। विदेशी सत्ता से जूझने की । खतरे ही खतरे। जिसमे सिर्फ़ खोना ही खोना था। खुद का जीवन भी। मदन लाल ढींगरा जैसे सपूत बड़े मकसद के लिए पैदा हुए । उसी के लिए थोड़ी सी जिन्दगी जिये और फिर बड़ा काम कर युगों तक दोहराई जाने वाली गौरव गाथा छोड़ अमर हो गए।
लन्दन में धींगड़ा भारत के प्रख्यात राष्ट्रवादी विनायक दामोदर सावरकर एवं श्यामजी कृष्ण वर्मा के सम्पर्क में आये। वे लोग धींगड़ा की प्रचण्ड देशभक्ति से बहुत प्रभावित हुए। ऐसा विश्वास किया जाता है कि सावरकर ने ही मदनलाल को अभिनव भारत नामक क्रान्तिकारी संस्था का सदस्य बनाया और हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया। मदनलाल धींगड़ा इण्डिया हाउस में रहते थे जो उन दिनों भारतीय विद्यार्थियों के राजनैतिक क्रियाकलापों का केन्द्र हुआ करता था। ये लोग उस समय खुदीराम बोस, कन्हाई लाल दत्त, सतिन्दर पाल और काशी राम जैसे क्रान्तिकारियों को मृत्युदण्ड दिये जाने से बहुत क्रोधित थे। कई इतिहासकार मानते हैं कि इन्ही घटनाओं ने सावरकर और धींगड़ा को सीधे बदला लेने के लिये विवश किया।
माना जाता है कि अमर शहीद मदनलाल धींगरा ने लंदन के न्यायालय में बयान देते हुये कहा था कि " अंग्रेजों ने 50 साल में 8 करोड भारतीयों की हत्या की है। वे प्रतिवर्ष 10 करोड डालर की सम्पत्ती इग्लैण्ड ले आते है। भारत में अमानवीय शासन करने के अपराध में मेने कर्जन वायली को मारा है। देशभक्त धींगरा ने अदालत में कहा कि- मैं स्वीकार करता हूं मैंने कर्जन वायली की हत्या सोच समझकर की है। भारतीय युवकों को फांसी देने और काले पानी भेजने के अमानवीय यातनाओं का प्रतिशोध लेने के लिए ये कत्ल किया है। अंग्रेस सरकार की अदालत का मुझ पर कोई अधिकार नहीं है।"
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शहीद मदन लाल ढींगरा को 112 साल बाद मिलेगा अपना घर,
1909 में कर्जन वायली को गोली मार झूल गए थे फांसी के फंदे पर
अमृतसर। अंग्रेज को उसके घर में घुस कर मारने वाले पहले पंजाब के पहले शहीद मदन लाल ढींगरा को उनका अपना पुश्तैनी घर 112 साल बाद मिलने जा रहा है। यह पहला मौका है जब दशकों पहले जमींदोज कर दिए गए किसी स्वाधीनता सेनानी के घर को लंबे संघर्ष के बाद सरकार ने स्मारक के रूप में तैयार करने की योजना बनाई है। स्मारक बन जाने के बाद शासन-प्रशासन ने इसके रखरखाव का प्रस्ताव शहीद मदन लाल ढींगरा स्मारक समिति पर रखा है। प्रो. चावला का कहना है कि समिति यह जिम्मेदारी लेगी लेकिन उसके पास आर्थिक स्रोत नहीं है इसलिए सरकार को भी इसमें सहयोग करना होगा।
1909 में वायली को गोली मारी थी,
1976 में अस्थियां लाई गईं
- अमृतसर के कटड़ा शेर सिंह इलाके में किसी जमाने में ढींगरा अपार्टमेंट हुआ करता था।
- इसी में सर्जन पिता दित्ता मल के घर मदन लाल ढींगरा का जन्म 8 फरवरी 1887 को हुआ था। ढींगरा 1906 में इंग्लैंड गए थे और 1 जुलाई 1909 को अग्रेज कर्जन वायली को गोली मार कर 17 अगस्त 1909 को फांसी के फंदे पर झूल गए थे।
- कर्जन वायली की हत्या के बाद ढींगरा से पिता ने नाता तोड़ लिया। इसका असर यह हुआ कि लंबे समय तक उनकी अस्थियां बेगाने मुल्क में पड़ी रहीं।
- स्थानीय लोगों के आवाज बुलंद करने पर केंद्र सरकार की पहल से 1976 में उनकी अस्थियां वतन लाई गईं और 20 दिसंबर को उनका संस्कार किया गया और बाद में वहीं पर उनका बुत लगाया गया।
2012 में बिक गया घर, फिर ध्वस्त कर दिया गया
- ढींगरा अपार्टमेंट परिवार की बेरुखी तथा सरकारों की अनदेखी से खस्ता हाल होता गया। 2012 में इसे बेच दिया गया।
- इस मामले को भाजपा नेत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला और शहीद मदन लाल ढींगरा समिति ने उठाया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका और मकान को ध्वस्त कर दिया गया।
- इसी दौरान समिति ने प्रो. चावला की अगुवाई में टाउन हाल में ढींगरा का बुत स्थापित करवाया।
हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस दिया था
- प्रो. चावला और उनकी टीम ने ढींगरा के पुश्तैनी मकान को स्मारक बनाने की जंग जारी रखी।
- इसी दौरान ढींगरा के मकान को लैंड माफिया को बेचने और उसके कुछ हिस्से को गिराने के मामले में हाई कोर्ट ने सूबा सरकार को नोटिस जारी करते हुए अमृतसर के डीसी से रिपोर्ट तलब की थी।
अब नगर निगम शहीद के घर की 430 गज जमीन एक्वायर कर स्मारक बनाएगा
- मामले को लेकर प्रो. चावला ने सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी बात की थी और वहां से सकारात्मक आश्वासन मिला था लेकिन बाद में सरकार भूल गई।
- इसी साल चावला की टीम ने फिर विरोध जताया। खैर, अब नगर निगम ने सरकार के आदेश पर ढींगरा अपार्टमेंट वाली जगह पर 430 गज जमीन अधिग्रहीत करने का आदेश दे दिया है।
- निगम कमिश्नर सोनाली गिरी ने बताया- जमीन को अधिग्रहीत करने का काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा।
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