अमेरिका, हथियारों का मुंह पाकिस्तान की तरफ रखो, आतंकवाद नियंत्रित हो जायेगा - अरविन्द सिसौदिया
अमेरिका सहित तमाम विश्व के मानवतावादी देशों ने आज से 20 साल पहले हुई। विश्व की सबसे बडी आतंकी घटना न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुये भीषणतम आतंकी हमले को स्मरण किया एवं हताहतों का श्रृद्धासुमन अर्पित किये। तथा अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्वयं स्विकार किया कि “ चाहे कितना भी वक्त क्यों न बीत जाए लेकिन ये उस दर्द की याद ऐसी ही ताजा कर देते हैं जैसे कि आपको यह खबर कुछ सेकेंड पहले ही मिली हो......इसे विडंबना ही कहेंगे कि अफगानिस्तान पर फिर उन्हीं लोगों का कब्जा हो गया है जिन्होंने 11 सितंबर 2001 में हुए हमले के साजिशकर्ताओं को पनाह दी थी ।” साथ ही उन्होने अमेरिकी देशवासियों से आग्रह किया है कि “जो एक जुटता तब दिखाई थी वह अब भी बनी रहनी चाहिये। ”
जब यह हमला हुआ तब जो बाईडेन सीनेटर थे और अब वे राष्ट्रपति है। अफगानिस्तान से सेना की वापसी के निर्णय में जो भी त्रुटि रही , वह तो हो चुकी किन्तु अब आगे की रणनीति ही मुख्य विषय है। उन्होने संभवतः अल कायदा को तो आंतकी माना और तालिवान के प्रति उनके मन में नम्र भाव था। यह उनकी भूल ही रही है, आतंकवादी सभी एक जैसे ही होते है। जो मदद कर रहे थे, छुपा रहे थे वे उनके साथी नहीं है यह कैसे संभव हो सकता था। अन्य आतंकियों के भी नाम और गुट कुछ भी हो सबका मकसद निर्दोष और मानवतावादियों की भारी क्षति करना ही होता है। वे वहसीपन से ग्रस्त और खून की होली खेलने वालों के प्रति नम्रता ही नुकसान दायक होती है। जो कि अभी सामने आ ही गई है।
यह तो ठीक है कि स्वयं बाईडेन ने उन्हे 9/11 के आतंकी हमले के लिये जिम्मेवार अल कायदा को पनाह देने वाला तालिबान को माना है। किन्तु वह यह भी भूल रहे हैं कि विश्व में आतंकवाद की असली पनाहगृह पाकिस्तान ही है। याद रहे कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के ऐबटाबाद शहर में हुए अमरीकी सेना के अभियान में 2 मई 2011 को मारा गया था।
सवाल अब भी यही है कि आतंकवाद, बातों से नहीं उसके असली मददगारों को तबाह करने से ही मिटेगा। आंतंकी के हाथ में हथियार है मगर वह किसके धन से किसे सहयोग से है, उसे पहले पकडना होगा । असली जड पर बार किये बिना फसल को रोका नहीं जा सकता । जो भी आतंकवादियों का मददगार है उसकी गिरेवान तो पकडनी ही होगी। तभी वह काबू में आयेगा।
आतंकबादी फिलहाल मजबूत हुये हैं। उनके होंसले सातवे आसमान पर है। क्यों कि सीधे सीधे पाकिस्तान और अफगानिस्तान दो देश आतंकवादियों के पास हैं और चीन का खजाना है। काफी वैज्ञानिक संसाधन उनके पास हैं। आधुनिक हथियार भी है। पाकिस्तान के परमाणु बम तक इनकी पहुंच हो सकती है। ये कहीं भी कोई भी तबाही मचा सकते है। 20 साल पहले तो उन्होने 4 विमानों का अपहरण करके तबाही मचाई थी। अब तो हबाई जहाज भी हैं, एयरपोर्ट भी है । ईंधन भी है। अमेरिका को आगे पीछे सीधे टकरानें की ही रणनीति पर ही काम करना पडेगा। अन्यथा आतंकवाद के वर्तमान बुलंद होंसले उसे भी और विश्व को भी बहुत नुकसान पहुंचायेंगे।
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उस वीभत्स आतंकी हमले को समझनें के लिये एक समाचार पत्र की रिपोर्ट
9/11 आतंकी हमला : जब दहल उठा था अमेरिका, सहम गई थी पूरी दुनिया; जानें- कब क्या हुआ?
9/11 attack anniversary : आज से 20 साल पहले यानी 11 सितंबर 2001 को दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति अमेरिका पर आतंकी हमला हुआ था. न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया था. इस भीषणतम आतंकी हमले में 2,977 लोगों की जान चली गई थी.
Edited by प्रमोद कुमार प्रवीण, Updated: 11 सितम्बर, 2021
9/11 attack anniversary : आज से 20 साल पहले यानी 11 सितंबर 2001 को दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति अमेरिका पर आतंकी हमला हुआ था. न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया था. इस भीषणतम आतंकी हमले में 2,977 लोगों की जान चली गई थी. हमले की जिम्मेदारी अलकायदा ने ली थी. 9/11 के भीषण हमलों को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने अमेरिकी इतिहास का काला दिन कहा था.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
आतंकी संगठन अलकायदा ने 11 सितंबर 2001 (9/11 Terrorist Attack) को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (World Trade Centre) पर दो अपहृत विमानों के जरिये हवाई हमला बोला था. सुबह 8.30 बजे के वक्त 45 मिनट के भीतर ही 110 मंजिला वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की दो इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढेर होते देख दुनिया सन्न रह गई थी.
इससे पहले (911 Attacks) सुबह 7.59 और 8.42 बजे के बीच चार कॉमर्शियल फ्लाइट्स जिनमें से दो बॉस्टन, एक वाशिंगटन डीसी और एक नेवार्क से कैलिफोर्निया के लिए उड़ान भरे थे, उसे अलकायदा के आतंकियों ने अगवा कर लिया.
सुबह 8.46 बजे अपहरणकर्ता आतंकियों ने अमेरिकी विमान संख्या 11 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी टावर से टकरा (9/11 News) दिया. सुबह 9.03 बजे आतंकियों ने अगवा अमेरिकी विमान यूनाइटेड एयरलाइन्स की फ्लाइट संख्या 175 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटक के दक्षिणी टावर से टकरा दिया. इससे पूरा अमेरिका सन्न रह गया लेकिन दूसरी बार विमान के टक्कर से साफ हो गया था कि यह पूर्व नियोजित हमला है कोई हादसा नहीं.
उस दिन अमेरिकी राष्ट्रपति (US President) जॉर्ज बुश फ्लोरिडा के एक प्राथमिक विद्यालय में एक किताब का पाठ करने वाले थे, तभी उन्हें चीफ ऑफ स्टाफ एंड्रेयू कार्ड ने उन्हें वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से दूसरे विमान के टक्कर के बारे में सूचना दी और बताया कि अमेरिका पर आतंकी हमला हुआ है. इसके बाद 9.42 बजे अमेरिका विमान प्राधिकरण ने अमेरिका में सभी उड़ानें तत्काल प्रभाव से रोक दीं.
9.45 बजे के करीब सुरक्षाकर्मियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति के निवास व्हाइट हाउस (White House) और अमेरिकी संसद यूएस कैपिटॉल को खाली करवा लिया. बाद में अलकायदा आतंकियों ने दावा किया था कि उनका निशाना वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी संसद यूएस कैपिटॉल था.
9/11 anniversary : वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर दो विमान टकराने के बाद आतंकियों ने 10.03 बजे के करीब तीसरे विमान को वाशिंगटन डीसी के बाहर आर्लिंगटन, वर्जीनिया में अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन में टकरा दिया. आतंकियों ने चौथे विमान को वाशिंगटन डीसी की ओर टारगेट किया लेकिन विमान के कुछ यात्रियों एवं चालक दल द्वारा विमान पर कंट्रोल कर लेने की कोशिश में वह ग्रामीण पेंसिल्वेनिया में शैंक्सविले के पास एक खेत में क्रैश हो गया.
10.28 बजे के करीब वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का नार्थ टावर भरभराकर गिर गया. इसके गिरने के बाद आसमान धुएं और धूल के गुब्बारे से भर गया. इसकी वजह से दस हजार से ज्यादा लोगों को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ा. इनमें से कई लंबे समय से सांस की बीमारी झेल रहे हैं, जबकि कई लोग कैंसर के मरीज हो गए. 11.02 बजे के करीब धूल और धुएं को देखते हुए न्यूयॉर्क के मेयर ने लोवर मैनहट्टन को खाली कराने का आदेश दिया था.
सभी चारों उड़ानों में सवार सभी यात्री समेत चालक दल और अगवा करने वाले आतंकियों की मौत हो गई. इन हमलों में कुल 2996 लोगों की जान चली गई थीं, जिनमें 400 पुलिस अफसर और फायरफाइटर्स शामिल थे. मरने वालों में 57 देशों के लोग भी शामिल थे. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की पूरी इमारत करीब 2 घंटे में मलबे में तब्दील हो गई थी. मारे गए लोगों में केवल 291 शवों की ही पहचान की जा सकी थी.
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में लगी आग को काबू में करने और राहत-बचाव कार्य के लिए न्यूयॉर्क सिटी फायर डिपार्टमेंट के सैकड़ों कर्मी फौरन जुट गए. लेकिन लोगों की जान बचाते-बचाते इसमें 345 कर्मियों की मौत हो गई. अधिकांश की मौत मलबे में दबने से हुई. शाम में 5.20 बजे के करीब वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की बिल्डिंग नंबर 7, जो ट्विन टावर के बगल में थी, वह भी ट्विन टावर का मलवा गिरने की वजह से ढह गई. 9/11 के हमलों में 10 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए.
रात 8.30 पर राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने व्हाइट हाउस से जनता को संबोधित किया. इस दर्दनाक हमले के पीछे अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का हाथ था. अमेरिका ने कार्रवाई करते हुए 2 मई 2011 को पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था.
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