कांग्रेस की निर्णयहीनता, फूट और अनैतिकता को ही उजागर किया पंजाब एपीसोड नें - अरविन्द सिसौदिया
कांग्रेस की निर्णयहीनता , फूट और अनैतिकता को ही उजागर किया पंजाब एपीसोड नें - अरविन्द सिसौदिया
भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में 4 बार अलग-अलग मुख्यमंत्री बदले, कहीं कोई विरोध या विद्रोह जैसी बात समानें नहीं आई। इसमें सबसे ताजा घटनाक्रम गुजरात का रहा जहां मुख्यमंत्री के साथ पूरा मंत्रिमंडल भी बदल दिया गया। पूरी तरह अनुशासित एवं बिना बयानवाजी के हो गया।
इसी की प्रेरणा लेते हुए कांग्रेस ने भी पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने जा रही थी कि राजनीति का लम्बा अनुभव रखने वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने ट्रंप कार्ड खेलते हुये खुद मन्त्रिमण्डल सहित राज्यपाल को त्यागपत्र दे दिया और सारे खेल के कर्ताधर्ता नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष नवज्योत सिंह सिद्धू की पाकिस्तान परस्ति उजागर कर राष्ट्र के लिए खतरा बता कर कटघरे कर दिया। मेरा मानना है कि सिंह ने कांग्रेस से ससम्मान अपना रियाटरमेंट ले लिया। वे आगे शरद पंवार और ममता बर्नजी की तरह अलग दल भी बना सकते है। आप उन्हे लीडर बनायेगी नहीं, भाजपा में वे स्वयं अभी जायेंगे नहीं। शिरामणी अकाली दल में वे बहुत नीचे रहेंगे इसलिये वहां जानें की संभावनाये बहुत कम है। इस समय वे बेचारे जैसी स्थिती में हैं जिसका लाभ राजनिति में मिलता है। साहस कर के अलग पार्टी बनाते है,,तो कांग्रेस पंजाब में साफ हो जायेगी।
केप्टन सिंह के इस्तीफें के बाद पर्यवेक्षकों के सामने दो प्रमुख नाम थे, 40 विधायकों ने समर्थन के साथ सुनील जाखड़ व 20 विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा के पक्ष में थे। माना जाता है कि सुनील जाखड़ को सीएम बनाने के लिए पर्यवेक्षकों ने अपनी सहमति दी थी।
पंजाब में मुख्यमंत्री के निर्णय को लेकर के कहीं ना कहीं सोनिया गांधी और राहुल गांधी में मतभेद जैसी बात अपरोक्ष रूप से लगातार प्रगट होती रही है। क्योंकि सबसे पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड का नाम सामनें आया था, जाखड़ नेता प्रतिपक्ष का भी रोल निभाया। वे डॉ॰ बलराम जाखड़ जो कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष,मध्यप्रदेश के राज्यपाल के पुत्र भी हैं। मगर वे मुख्यतः सिद्धू की नापशंद थे। इसलिये राहुल उन के नाम पर राजी नहीं हुये।
लगता यही है कि सोनियां गांधी ने ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेत्री अंबिका सोनी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाये जानें की बात को आगे बढ़ाया, वे लगभग मुख्यमंत्री बन ही गईं थीं इसीलिये नाम मीडिया में भी आ गया, लेकिन कहीं ना कहीं राहुल गांधी के मन में कुछ और चल रहा था। संभवतः इसीलिए अंबिका सोनी ने पचडे में पडने के बजाये अपने बचाव की सूक्षबूक्ष का परिचय दिया और मात्र कुछ महीने के लिए डमी मुख्यमंत्री बनने से इंकार कर दिया।
इसके बाद नये नाम के रूप में 62 वर्षीय विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा जिनको पर्यवेक्षकों के सामने 20 विधायकों का समर्थन था का नाम तय कर दिया गया। वे सिद्धू समर्थक थे। इनके घर मिठाईयां बंट गईं । राज्यपाल से मिलने का समय लेने की बात भी सामनें आगई। कॉफी देर तक वे भावी मुख्यमंत्री के रूप में घूमते भी रहे। इस बीच कुछ खबर इस तरह की आई कि राहुल गांधी , सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे है। यह भी बात चली कि स्वयं सिद्धू मुख्यमंत्री बनने का दावा कर रहे है। फिर खबर चली की पेंच फंस गया और कुल मिला कर रंधावा को भी ड्रॉप कर दिया गया । यानि कि विधायक दल ने जिन दो लोगों को अपना भावी मुख्यमंत्री माना था , उन्हे हाई कमान ने स्विकार नहीं किया।
इस सारे घटनाक्रम में ऐसा लग रहा था कि सोनिया एवं राहुल एकमत नहीं है और कहीं ना कहीं दोनों के बीच में मत भिन्नता है और इसी का नतीजा यह रहा कि नवजोत सिंह सिद्धू ने स्वयं को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश की और उसे संभवतः सोनिया जी ने नहीं माना और अन्ततः चरणजीत सिंह चन्नी की लॉटरी लग गई । उन्हे कोई विषेशण तो देना ही था। सो दलित - दलित कह कर प्रचारित किया गया । जबकि सिंखों में सब बराबर होते है, कोई स्वर्ण या दलित नहीं होता । जल्दबाजी इतनी कि यह भी भूल गये कि पंजाब की एक महिला आईएएस ने चन्नी पर गम्भीर आरोप लगाए थे। उनका एक फोटो महिला से छेडछाड करते हुये भी टिविट्रर पर काफी चर्चित हो रही है।
इसी तरह उपमुख्यमंत्री पद पर लगातार नाम चलने के बाद सबसे वरिष्ठ मंत्री 8 बार से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने ब्रह्म मोहिंदरा का नाम अंतिम समय में , पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से नजदीकी होने से कट गया। फिर उपमुख्यमंत्री विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा एवं ओ पी सोनी को बनाया गया।
तमाशा यहीं नहीं थमा , कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत जो कि स्वयं अपना - अपना भविष्य सुरक्षित रखनें की राजनीति में फूंक-फूंक पर कदम रख रहे हैं उन्होंने घोषणा कर दी कि अगला चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। उन्होंने अपने संबोधन में यह नहीं कहा कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी के नेतृत्व में लड़ा जायेगा । प्रदेश प्रभारी रावत के इस बयान पर कांग्रेस के ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने गंभीर प्रश्न उठाए हैं और ट्वीट के माध्यम से भी अपनी बात खुल कर रखी है ।
जाखड ने प्रश्न किया है कि “ मुख्यमंत्री के रूप में चरणजीत चन्नी के शपथ ग्रहण के दिन ही यह बयान चौंकाने वाला है। यह मुख्यमंत्री के अधिकार को कमजोर करने की संभावना है। साथ ही उनके चयन को भी नकारता है ।”
रावत के बयान आने के बाद यह तय हो गया कि वर्तमान मुख्यमंत्री चन्नी सिर्फ नाइटवॉचमैन की तरह है। जो सिर्फ कुछ महीने के लिए सरकार को आगे बढ़ाने का काम करेंगे, वह भी सिद्धू के नेतृत्व में अर्थात कुल मिलाकर मनमोहन सिंह जैसी स्थिति वाला मुख्यमंत्री होगा । इसी प्रश्न से मायावती ने कहा है कि दलितों के वोट ठगने के लिए ही कुछ समय के लिए चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया है।
मायावती ने सोमवार को लखनऊ में बयान जारी कर कहा कि बेहतर होता यदि कांग्रेस पंजाब में दलित वर्ग से पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बनाती। अब कुछ समय के लिए कमान दलित वर्ग के चरणजीत सिंह चन्नी के हाथ में देना केवल चुनावी हथकंडा ही है। कांग्रेस के इस कदम से साफ है कि वह पंजाब में अकाली दल और बसपा के गठबंधन से घबराई हुई है। पंजाब का दलित वर्ग इनके बहकावे में बिल्कुल भी आने वाला नहीं है।
कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी ने अपने केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक बहुत बड़ा फेरबदल करके नए मंत्रियों को जगह दी और कई सीनियर्स को बदल दिया और इसी तरह कुछ प्रदेशों में मुख्यमंत्री बदल दिए और गुजरात में तो पूरा मंत्रिमंडल बदल दिया। लेकिन इस दौरान कहीं भी एक जगह भी कोई अनुशासनहीनता , कोई प्रतिक्रिया, कोई विरोध जैसी बात सामने नहीं आई । जबकि वहीं कांग्रेस में एक मुख्यमंत्री बदलते में ही उनकी अनिर्णय की स्थिती, उनकी अनुशासनहीनता और उनकी पार्टी के अंदर की आपसी फूट स्पष्टता से उजागर हो गई है। वहीं उनकी चयन प्रक्रिया पर भी अनेकों सवाल खड़े हो गए हैं तिसने अपनों को ही अपामनित किया।
भारतीय जनता पार्टी के द्वारा इतने सारे बदलाव किए गए। जिनमें किसी एक पर भी कोई सवाल नहीं हुआ । लेकिन पंजाब में जैसे ही मुख्यमंत्री का बदलाव हुआ तो प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर भी सवाल खड़े हुए और नवनियुक्त मुख्यमंत्री चन्नी पर भी राष्ट्रीय महिला आयोग ने बड़े गंभीर आरोप लगाए हैं और इतना ही नहीं उनका एक चित्र भी इस वक्त सोसल मीडिया पर बड़ा लोकप्रिय हो रहा है । जिसे महिला से छेड़छाड़ कर रहे हैं । इस तरह से कुल मिलाकर के कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी की नकल करना भारी पड गया है।
( सोशल मीडिया पर पंजाब के नए CM चन्नी की यह आपत्तिजनक फोटो वायरल हो रही है।)
अनुशासन के मुद्दे पर भी चरित्र के मुद्दे पर भी स्थिरता के मुद्दे पर भी भाजपा के सामने कहीं भी नहीं देख पाई है बल्कि कुल मिलाकर के उनकी हाईकमान से लेकर के और प्रदेश तक में जो फ्रूट है वह उजागर हो गई है ।
....................................
मीटू पर घेरा: महिला आयोग ने पंजाब के नए सीएम से मांगा इस्तीफा, सोनिया गांधी से की हटाने की मांग
पीटीआई, नई दिल्ली Published by: सुरेंद्र जोशी Updated Mon, 20 Sep 2021
सार
#MeToo allegations: 2018 में देश में चले मीटू आंदोलन के दौरान पंजाब के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी का भी नाम आने को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उनका इस्तीफा मांगा है।
राष्ट्रीय महिला आयोग के चेयरपर्सन रेखा शर्मा - फोटो : ANI
विस्तार
पंजाब के सीएम बनते की चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ 'मीटू' का जिन्न निकल आया है। रविवार को उनके नेता निर्वाचित होते ही भाजपा ने उन्हें इस मामले में घेरा था। सोमवार को अब राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इस मामले को उठाते हुए चन्नी के इस्तीफे की मांग की।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने बताया कि 2018 में मीटू मूवमेंट के दौरान चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ आरोप लगाए गए थे। राज्य महिला आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और उन्हें हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। आज उन्हें एक महिला के नेतृत्व वाली पार्टी ने पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया है। यह विश्वासघात है। आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने कहा, 'चन्नी महिला सुरक्षा के लिए खतरा हैं। उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए। वह मुख्यमंत्री बनने के लायक नहीं है। मैं सोनिया गांधी से उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने का आग्रह करती हूं।'
रेखा शर्मा ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि यह शर्मनाक है कि मीटू के आरोपी को पंजाब का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया है।
एनसीडब्ल्यू प्रमुख ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि ऐसा व्यक्ति पंजाब का सीएम रहे और उसके कारण किसी अन्य महिला को उन्हीं अनुभवों व प्रताड़ना से गुजरना पड़े, जैसी कि महिला आईएएस ने झेली थी। चन्नी को जिम्मेदारी समझते हुए सीएम पद से इस्तीफा देना चाहिए। शर्मा ने सवाल किया कि जब एक महिला आईएएस को न्याय नहीं मिला तो यह कैसे उम्मीद की जा सकती है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार आम महिलाओं के साथ न्याय करेगी। ऐसे में महिला सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
बता दें, इससे पहले रविवार को भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने चन्नी पर यही आरोप लगाते हुए उन्हें व कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निशाना बनाया था।
......................................
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें