अफगानिस्तान पर खुलकर सामने आ गया भारत, SCO मीटिंग में पीएम मोदी की चेतावनी
अफगानिस्तान पर खुलकर सामने आ गया भारत, SCO मीटिंग में पीएम मोदी की चेतावनी तो पढ़िए
Curated by दीपक वर्मा | Navbharat TimesUpdated: Sep 18, 2021,
PM Modi On Afghanistan Taliban: तालिबान को लेकर पूरी दुनिया को चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर अफगानिस्तान में 'अस्थिरता और कट्टरवाद'’ बना रहेगा तो पूरी दुनिया में आतंकवादी और अतिवादी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा।
do not rush into recognising taliban says pm modi at sco summit 2021 address
अफगानिस्तान पर खुलकर सामने आ गया भारत, SCO मीटिंग में पीएम मोदी की चेतावनी तो पढ़िए
जिस मुल्ला बरादर ने तालिबान को सत्ता तक पहुंचाया, रबड़ी बंटने लगी तो उसे मिलीं लात-घूंसे और गोलियां!
काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अफगानिस्तान पर पहली प्रतिक्रिया आई है। दुशांबे में हुई SCO के सदस्य देशों की बैठक में वर्चुअली हिस्सा लेते हुए मोदी ने भारत का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा कि तालिबान सरकार को मान्यता देने में जल्दबाजी न की जाए। मोदी ने कहा कि सत्ता-परिवर्तन ‘समावेशी’ नहीं है और बिना बातचीत के हुआ है। मोदी ने कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए न हो। उन्होंने सीमापार आतंकवाद और आतंकी फंडिंग पर नजर रखने के लिए एक कोड ऑफ कंडक्ट बनाने की बात की।
'बिना बातचीत के अफगानिस्तान में हुआ सत्ता-परिवर्तन'
मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के 21वें शिखर सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने अफगानिस्तान को मान्यता देने के मसले पर संयुक्त राष्ट्र की महती भूमिका की वकालत की। मोदी ने कहा कि जो नई सरकार बनी है, उसमें सभी समूहों का प्रतिनिधित्व नहीं है तथा अल्पसंख्यकों और महिलाओं को जगह नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि पहला मुद्दा अफगानिस्तान में सत्ता-परिवर्तन का है, जो 'समावेशी' नहीं है और बिना वार्ता के हुआ है। उन्होंने कहा, ‘इससे नई व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं। महिलाओं और अल्पसंख्यकों सहित अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व भी महत्वपूर्ण है।‘
तालिबान को सोच-समझकर मान्यता दे दुनिया: मोदी
नई व्यवस्था को मान्यता देने पर वैश्विक समुदाय सोच समझ कर और सामूहिक रूप से फैसला ले। अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम का सबसे अधिक प्रभाव हम जैसे पड़ोसी देशों पर होगा। और इसलिए इस मुद्दे पर क्षेत्रीय फोकस और सहयोग आवश्यक है।
पीएम मोदी
SCO में तालिबान के खतरे गिना गए मोदी
मोदी ने SCO बैठक में तालिबान को मान्यता के मुद्दे से इतर, अस्थिरता और कट्टरवाद से पैदा हुए आतंकवाद, ड्रग-तस्करी, अवैध हथियारों और मानवीय संकट को भी रेखांकित किया। मोदी ने कहा कि भारत अफगानिस्तान की मदद करने को तैयार है और इस दिशा में किसी क्षेत्रीय या वैश्विक पहल का समर्थन करेगा। मोदी ने कहा, ‘अन्य उग्रवादी समूहों को हिंसा के माध्यम से सत्ता पाने का प्रोत्साहन भी मिल सकता है। इससे ड्रग्स, अवैध हथियारों और मानव तस्करी का अनियंत्रित प्रवाह बढ़ सकता है। बड़ी मात्रा में आधुनिक हथियार अफगानिस्तान में रह गए हैं और इनके कारण पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा बना रहेगा।‘
साफ शब्दों में पूरी दुनिया को दी चेतावनी
पीएम मोदी ने कहा कि सीमापार आतंकवाद और आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने के लिए आचार संहिता होनी चाहिए। उन्होंने चेताया कि अगर अफगानिस्तान में 'अस्थिरता और कट्टरवाद' बना रहेगा तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और अतिवादी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा। मोदी ने कहा कि SCO के सदस्य देशों को इस विषय पर एक सख्त और सभी के लिए नियम कायदे बनाने चाहिए और वह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग का हिस्सा भी बन सकते हैं।
कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता भारत
मोदी का यह बयान ऐसे वक्त में आया है नई तालिबान सरकार से भारत की बातचीत की खबरें आ रही हैं। भारत ने तालिबान के एक बड़े नेता के साथ दोहा में मुलाकात की घोषणा की थी। तालिबान ने कभी सार्वजनिक रूप से नहीं कहा कि बैठक भारतीय राजदूत के साथ थी। मान्यता के मसले पर भारत अपनी स्थिति को रूस से अलग नहीं देखता, जो तालिबान के साथ काम करते हुए भी उसकी सरकार को मान्यता देने की जल्दबाजी में नहीं है। रूस यह देखेगा कि तालिबान आतंकवाद और ड्रग-तस्करी को लेकर अपने वादे पर खरा उतरना है या नहीं।
अफगानिस्तान, कट्टरपंथ का जिक्र कर इमरान को सुना गए मोदी!
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China In Afghanistan : कन्फ्यूशियस-इस्लाम के गठजोड़ से सभ्यताओं का संघर्ष .. जनरल रावत की चेतावनी, पढ़िए सैमुअल हंटिंगटन की भविष्यवाणी
Curated by अनिल कुमार | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Sep 16, 2021
भारत की चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने अफगानिस्तान के मसले पर पहली बार सार्वजनिक रूप से महत्वपूर्ण बयान दिया है। जनरल रावत ने सैमुअल हंटिंग्टन की पुस्तक 'क्लैश ऑफ सिविलाइजेशन' का जिक्र करते हुए पश्चिमी सभ्यता का मुकाबला करने के लिए चीनी सभ्यता और इस्लामी सभ्यता गठजोड़ कर सकती हैं।
हाइलाइट्स
जनरल रावत बोले- अफगानिस्तान में अभी और उथल-पुथल हो सकती है
ईरान और तुर्की से दोस्ती बढ़ाने के बाद अफगानिस्तान में सक्रिय हो रहा चीन
भारत से पहले ही अफगानिस्तान में 30 लाख डॉलर की सहायता भी भिजवाई
नई दिल्ली
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और नई सरकार के गठन के बीच चीन और पाकिस्तान परोक्ष रूप से ही सही काफी अहम भूमिका दिख रही है। चीन ने अफगानिस्तान में 30 लाख डॉलर की सहायता भी भिजवा दी है। अमेरिका की तरफ से संयुक्त राष्ट्र के जरिये अफगानिस्तान को 60 करोड़ डॉलर की सहायता की बात कही गई है। दूसरी तरफ, पाकिस्तान पहले ही तालिबान को एयर फोर्स के साथ ही जमीनी स्तर पर सैन्य सहायता दे रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री सार्वजनिक मंचों से खुलकर तालिबान का समर्थन कर चुके हैं।
इस्लामी सभ्यता से हाथ मिला लेगी चीनी सभ्यता
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने अफगानिस्तान के मसले पर पहली बार सार्वजनिक रूप से महत्वपूर्ण बयान दिया है। जनरल रावत ने सैमुअल हंटिंग्टन की पुस्तक 'क्लैश ऑफ सिविलाइजेशन' का जिक्र करते हुए पश्चिमी सभ्यता का मुकाबला करने के लिए चीनी सभ्यता और इस्लामी सभ्यता गठजोड़ कर सकती हैं। हालांकि, उन्होंने आगे कहा, 'ऐसा होने जा रहा है कि नहीं, इस बारे में समय ही बताएगा। लेकिन एक बात जो देखने में आ रही है है, वह यह है कि चीनी और इस्लामी सभ्यता एक दूसरे के करीब आ रही हैं। रावत ने कहा कि ईरान और तुर्की से नजदीकी बढ़ाने के बाद चीन तेजी से अफगानिस्तान में अपने पैर मजबूत कर रहा है। संभव है कि वह बहुत जल्द अफगानिस्तान में दखल देना भी शुरू कर दे।
सभ्यताओं के संघर्ष को लेकर सैम्युअल हंटिंगटन की भविष्यवाणी
सैम्युअल हंटिंगटन एक अमेरिकी राजनैतिक विज्ञानी, सलाहकार और एकेडमिशियन थे। उन्होंने 1993 में सभ्यताओं का संघर्ष (Clash of Civilization) का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत दिया था। यह सिद्धांत कोल्ड वॉर के बाद बनी नई विश्व व्यवस्था के संदर्भ में था। इसमें कहा गया था कि भविष्य के युद्ध देशों के बीच नहीं बल्कि संस्कृतियों के बीच लड़े जाएंगे। उन्होंने कहा था कि इस्लाम दुनिया पर पश्चिमी देशों के प्रभुत्व को कायम रखने में सबसे बड़ी बाधा बन जाएगा। 1996 में इस पर उनकी लिखी एक पुस्तक The Clash of Civilizations and the Remaking of World Order भी आई थी।
पश्चिम के खिलाफ होगी इस्लाम और चीनी सभ्यता
हंटिंगन ने यह पूर्वानुमान व्यक्त किया था कि इस्लामी और चीनी संस्कृति साझा दुश्मन के रूप में पश्चिम के खिलाफ गठजोड़ करेंगी। हंटिंगटन ने भविष्यवाणी की थी कि पूर्वी एशियाई देशों की आर्थिक सफलता और चीन की बढ़ी हुई सैन्य शक्ति के संयोजन का परिणामस्वरूप एक बड़ा विश्व संघर्ष हो सकता है। उन्होंने कहा था कि इस्लामी और चीनी सभ्यताओं के बीच गठजोड़ से यह संघर्ष और भी तेज होगा। हंटिंगटन ने अफगान युद्ध को सभ्यता युद्ध के रूप में व्याख्यायित किया। उन्होंने बताया कि इसे एक विदेशी शक्ति के पहले सफल प्रतिरोध के रूप में देखा गया। इसने इस्लामी दुनिया में कई लड़ाकों के आत्मविश्वास और ताकत को बढ़ाया।
अफगानिस्तान में अभी और उथल-पुथल हो सकती है
जनरल रावत ने कहा कि अफगानिस्तान में क्या होगा यह तो वक्त ही बताएगा। उन्होंने कहा कि किसी को उम्मीद नहीं थी कि तालिबान इतनी तेजी से देश पर कब्जा कर लेगा। जनरल रावत ने कहा कि अफगानिस्तान में अभी और भी उथल-पुथल हो सकती है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबानी आज भी वैसे ही हैं जो 20 साल पहले थे। मिडिल ईस्ट में जो भी हो रहा है भारत को उसकी जानकारी मिल रही है।
चीन का प्रॉक्सी है पाकिस्तान
जनरल रावत ने पाकिस्तान को चीन का 'प्रॉक्सी' करार दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में 'छद्म युद्ध' जारी रखेगा। यह पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में भी दिक्कतें पैदा करने की कोशिश कर रहा है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने उत्तरी सीमाओं पर चीन के आक्रामक रुख को रेखांकित करते हुए कहा, 'चाहे वह प्रत्यक्ष आक्रामकता हो या तकनीक के जरिए हो, हमें हर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा। यह तैयारी तभी हो सकती है जब हम साथ काम करेंगे।'
पाकिस्तान और चीन की चुनौती का जवाब रॉकेट फोर्स
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि दो पड़ोसी देश की चुनौती से निपटने के लिए भारत को एक एकीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र बनाने की जरूरत है। भारत की वायु शक्ति को मजबूत बनाने के कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ' हम रॉकेट फोर्स तैयार करने की तरफ देख रहे हैं।' हालांकि उन्होंने इस योजना के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी।
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Excellencies,
नमस्कार!
सबसे पहले मैं राष्ट्रपति रहमोन को SCO Council की सफल अध्यक्षता के लिए बधाई देता हूं। ताजिक प्रेसिडेंसी में चुनौतीपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय माहौल में इस संगठन का कुशलता से संचालन किया है। ताजिकिस्तान की आजादी की 30वीं वर्षगांठ के इस वर्ष में , मैं पूरे भारत की ओर से सभी ताजिक भाई-बहनों को और राष्ट्रपति रहमोन को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
Excellencies,
इस साल हम SCO की भी 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह खुशी की बात है कि इस शुभ अवसर पर हमारे साथ नए मित्र जुड़ रहे हैं। मैं ईरान का SCO के नए सदस्य देश के रूप में स्वागत करता हूं। मैं तीनों नए डायलॉग partners - साऊदी अरब, Egypt और Qatar - का भी स्वागत करता हूं। SCO का expansion हमारी संस्था का बढ़ता प्रभाव दिखाता है। नए member और डायलॉग partners से SCO भी और मजबूत और credible बनेगा।
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Excellencies,
SCO की 20वीं वर्षगांठ इस संस्था के भविष्य के बारे में सोचने के लिए भी उपयुक्त अवसर है। मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और trust deficit से संबंधित है।
और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ radicalization है ।अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है। इस मुद्दे पर SCOको पहल ले कर कार्य करना चाहिए। यदि हम इतिहास पर नजर डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र moderate और progressive culture और values का एक प्रकार का गढ़ रहा है, किला रहा है। सुफीवाद जैसी परंपरा यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैली।
इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं। मध्य एशिया की इस ऐतिहासिक धरोहर के आधार पर SCO को radicalization और extremismसे लड़ने का एक साझा template develop करना चाहिए। भारत में, और SCO के लगभग सभी देशों में इस्लाम से जुड़ी moderate, tolerant और inclusive संस्थाएं और परंपराएं हैं।
SCO को इनके बीच एक मजबूत network विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। इस संदर्भ में मैं SCO के RATS mechanism द्वारा किए जा रहे उपयोगी कार्य की प्रशंसा करता हूं। भारत में SCO-RATS कि अपनी अध्यक्षता के दौरान जो कैलेंडर of activities प्रस्तावित की है, उन पर हमें सभी SCO partners के सक्रिय सहयोग की अपेक्षा है।
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Excellencies,
Radicalization से लड़ाई क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी trust के लिए तो आवश्यक है ही, यह हमारी युवा पीढ़ियों के उज्जवल भविष्य के लिए भी जरूरी है।विकसित विश्व के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए हमारे क्षेत्र को उभरती टेक्नोलॉजी में stakeholder बनना होगा।
इसके लिए हमें अपने प्रतिभाशाली युवाओं को विज्ञान और Rational thinking की ओर प्रोत्साहित करना होगा। हम अपने entrepreneurs और start-ups को एक दूसरे से जोड़कर इस तरह की सोच, इस तरह की innovative sprit को बढ़ावा दे सकते हैं।इसी सोच से पिछले वर्ष भारत ने पहले SCO स्टार्ट-अप फोरम और युवा वैज्ञानिक सम्मेलन का आयोजन किया।
पिछले वर्षों में भारत ने अपनी विकास यात्रा में technology का सफल सहारा लिया है।चाहे financial inclusion बढ़ाने के लिए UPI और Rupay card जैसी technologies हों या COVID से लड़ाई में हमारे आरोग्य सेतु और COWIN जैसे digital platforms, इन सभी को हमने स्वेच्छा से अन्य देशों के साथ भी साझा किया है। हमें SCO partners के साथ भी इन open source टेक्नोलॉजी को share करने में और इसके लिए capacity building आयोजित करने में खुशी होगी
Excellencies,
Radicalization और असुरक्षा के कारण इस क्षेत्र का विशाल आर्थिक potential भी untapped रह गया है। खनिज संपदा हो या intra-SCO trade, इनका पूर्ण लाभ उठाने के लिए हमें आपसी connectivity पर जोर देना होगा। इतिहास में central एशिया की भूमिका प्रमुख क्षेत्रीय बाजारों के बीच एक connectivity ब्रिज की रही है। यही इस क्षेत्र की समृद्धि का भी आधार था।
भारत central एशिया के साथ अपनी connectivity बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि land locked central एशियाई देशों को भारत के विशाल बाजार से जुड़कर अपार लाभ हो सकता है। दुर्भाग्यवश, आज connectivity के कई विकल्प उनके लिए खुले नहीं हैं।ईरान के चाबहार port में हमारा निवेश, और International North-South Corridor के प्रति हमारा प्रयास, इसी वास्तविकता से प्रेरित है।
Excellencies,
कनेक्टिविटी की कोई भी पहल one - way street नहीं हो सकती।आपसी trust सुनिश्चित करने के लिए connectivity projects को consultative, पारदर्शी और participatory होना चाहिए। इनमें सभी देशों की territorial integrity का सम्मान निहित होना चाहिए।इन सिद्धांतों के आधार पर SCO को क्षेत्र में connectivity projects के लिए उपयुक्त norms विकसित करने चाहिए।इसी से हम इस क्षेत्र की पारंपरिक connectivity को पुनः स्थापित कर पाएंगे।और तभी connectivity projects हमें जोड़ने का काम करेंगी, न कि हमारे बीच दूरी बढ़ाने का।इस प्रयत्न के लिए भारत अपनी तरफ से हर प्रकार का योगदान देने के लिए तैयार है।
Excellencies,
SCO कि सफलता का एक मुख्य कारण यह है कि इसका मूल focus क्षेत्र की प्राथमिकताओं पर रहा है।Radicalization, connectivity और people-to-people; संबंधों पर मेरे सुझाव SCO की इसी भूमिका को और सबल बनाएंगे।अपनी बात समाप्त करने से पहले, मैं हमारे मेजबान राष्ट्रपति रहमोन का एक बार फिर धन्यवाद करता हूं।उन्होंने इस hybrid format की चुनौती के बावजूद इस सम्मेलन का बेहतरीन आयोजन और संचालन किया है। में आगामी अध्यक्ष उज्बेकिस्तान को भी शुभकामनाएं देता हूं और भारत के सहयोग का आश्वासन देता हूं।
बहुत बहुत धन्यवाद!
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