अद्वितीय धरोहर पर्यटन दिवस भी घोषित हो - अरविन्द सिसौदिया

 - अरविन्द सिसौदिया

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 दुनिया के आश्चर्यो में से एक : एलोरा का कैलाश मंदिर

     विश्व पर्यटन दिवस और पर्यटन से जुड़े स्थानीय स्थलों के अनेकानेक चित्र अलग अलग तरीके से व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर पर प्रकाशित होते रहे। संभवतः भारत में अनकों प्रकार के पर्यटन स्थल विश्व स्तर के है । जिसको हमेशा ढक दिया जाता है दवा दिया जाता है नजरअंदाज कर दिया जाता है ।

        भारत एक अत्यंत पुरातन संसकित का देश है जिसमें ईश्वर की खोज का बहुत बडा अनुसंधान हुआ है। आध्यात्म के आधार पर यहां व्यापक धार्मिक एवं सांस्कृति पर्यटन सदियों से निरंतर बना हुआ है। यहां कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जिनका विश्व में कोई दूसरी सानी नहीं है । अत्यंत प्राचीन गुफायें है। दस तरह की शिल्पकला है जो मनुष्यों से संभव नहीं है। कुल मिला कर भारत अपना वैभवशाली वास्तु निर्माण रखता हैं ।

      जो  विश्व पर्यटन में सम्मिलित किया जा सकता है लेकिन सेकुलर एवं धर्मनिरपेक्षता ऐसे शब्दों की ओट से भारत के वास्तविक वैभव को कभी उभरा नहीं जाता है। इसलिए मेरा आग्रह है कि भारत की तरफ से यह होना चाहिए कि धर्म के विश्वास वाले पर्यटन स्थलों को लेकर एक दिन विशेष हो। इससे धार्मिक पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिले । भारत में धर्म और धार्मिक स्थल और इनकी पूजा पद्धति इत्यादि ही एक बड़ा भारी आस्था तंत्र है । यह सिर्फ विश्वास ही नहीं है बल्कि व्यापार विनिमय एवं पर्यटन का एक बहुत बड़ी निरंतरता है और इससे राज्यों की समृद्धि, स्थानीय नागरिकों की समृद्धि भी जुडी है। करोडों लोगों का इसी से रोजगार मिला हुआ है।
       एक बहुत बड़े अलौकिक और परिश्रमशील वास्तुशिल्प का भारत केंद्र है जो विश्व में इतनी बहुतरयतता से व्यापकता से विभिन्नता से कहीं और नहीं मिल सकता । इसलिए धार्मिक पर्यटन को लेकर के कि उच्चस्तरीय दिवस होना चाहिए और विशेषकर भारत में तो हमें एक आस्था और संस्कृति के पर्यटन के नाम से एक दिन विशेष घोषित किया जाना चाहिए । ताकि हमारी अद्वितीय धरोहर उजागर हो और उस तक पर्यटक पहुंचें।

कम्बोडिया के अंकोरवाट में एक विशालकाय हिन्दू मंदिर है जो भगवान विष्णु को समर्पित है।


भारत के आश्चर्यजनक निर्माण वास्तु स्थल


1- अमरनाथ गुफा जम्मू और कश्मीर 

2 -  जगन्नाथ मंदिर को सबसे ऊंचा मंदिर माना जाता है।
3 - त्रिदेवों में से एक भगवान विष्णु को समर्पित यह भव्य मंदिर भारत के तमिलनाडु प्रांत के तिरुचिरापल्ली जिले में श्रीरंगम में स्थित है इसीलिए इसे श्रीरंगनाथम स्वामी मंदिर भी कहा जाता है।
4 - स्वर्ण मंदिर, अमृतसर (हरमंदिर साहिब, पंजाब, भारत) : भारत के पंजाब प्रांत के अमृतसर शहर में स्वर्ण मंदिर स्थित है। यह सिख गुरुद्वारा है।
5 - कुतुब मीनार को पहले विष्णु स्तंभ कहा जाता था। इससे पहले इसे सूर्य स्तंभ कहा जाता था। इसके केंद्र में ध्रुव स्तंभ था जिसे आज कुतुब मीनार कहा जाता है। इसके आसपास 27 नक्षत्र के आधार पर 27 मंडल थे। इसे वराहमिहिर की देखरेख में बनाया गया था। चंद्रगुप्त द्वितिय के आदेश से यह बना था।
ज्योतिष स्तंभों के अलावा भारत में कीर्ति स्तम्भ बनाने की परंपरा भी रही है। खासकर जैन धर्म में इस तरह के स्तंभ बनाए जाते रहे हैं। आज भी देश में ऐसे कई स्तंभ है, लेकिन तथाकथित कुतुब मीनार से बड़े नहीं। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में ऐसा ही एक स्तंभ स्थित है।

6 - आगरा का ताजमहल किसने बनवाया यह एक विवाद का विषय हो सकता है, लेकिन वह है नायाब वास्तु का चमत्कार। भारतीय प्रदेश उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में स्थित यह महल शाहजहां की पत्नी मुमताज के मकबरें के नाम से विख्यात है, लेकिन कुछ इतिहासकार इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
उनका मानना है कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया था वह तो पहले से बना हुआ था। उसने इसमें हेर-फेर करके इसे मकबरें का लुक दिया था। बेशक ताजमहल एक मस्जिद या दरगाह नहीं है। माना जाता है कि यह राजा मानसिंह का 'तेजो महालय' था। हालांकि यह शोध का विषय है।
7-  कैलाश मानसरोवर : यहां साक्षात भगवान शिव विराजमान हैं। यह धरती का केंद्र है। दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित कैलाश मानसरोवर के पास ही कैलाश पर्वत और आगे मेरू पर्वत स्थित है। यह संपूर्ण क्षेत्र शिव और देवलोक कहा गया है। रहस्य और चमत्कार से परिपूर्ण इस स्थान की महिमा वेद और पुराणों में भरी पड़ी है।

8-  करनी माता का मंदिर : करनी माता का यह मंदिर जो बीकानेर (राजस्थान) में स्थित है, बहुत ही अनोखा मंदिर है। इस मंदिर में रहते हैं लगभग 20 हजार काले चूहे। लाखों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। करणी देवी, जिन्हें दुर्गा का अवतार माना जाता है, के मंदिर को ‘चूहों वाला मंदिर’ भी कहा जाता है।   
यहां चूहों को काबा कहते हैं और इन्हें बाकायदा भोजन कराया जाता है और इनकी सुरक्षा की जाती है।

9 - शनि शिंगणापुर : देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। विश्वप्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शनिदेव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है।   

10 - सोमनाथ मंदिर : सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। प्राचीनकाल में इसका शिवलिंग हवा में झूलता था, लेकिन आक्रमणकारियों ने इसे तोड़ दिया। माना जाता है कि 24 शिवलिंगों की स्थापना की गई थी उसमें सोमनाथ का शिवलिंग बीचोबीच था। इन शिवलिंगों में मक्का स्थित काबा का शिवलिंग भी शामिल है। इनमें से कुछ शिवलिंग आकाश में स्थित कर्क रेखा के नीचे आते हैं।
11 - कामाख्या मंदिर : कामाख्या मंदिर को तांत्रिकों का गढ़ कहा गया है। माता के 51 शक्तिपीठों में से एक इस पीठ को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह असम के गुवाहाटी में स्थित है। यहां त्रिपुरासुंदरी, मतांगी और कमला की प्रतिमा मुख्य रूप से स्थापित है। दूसरी ओर 7 अन्य रूपों की प्रतिमा अलग-अलग मंदिरों में स्थापित की गई है, जो मुख्य मंदिर को घेरे हुए है।   
12- अजंता-एलोरा के मंदिर : अजंता-एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित‍ हैं। ये गुफाएं बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। 29 गुफाएं अजंता में तथा 34 गुफाएं एलोरा में हैं। इन गुफाओं को वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया गया है। इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। इन गुफाओं के रहस्य पर आज भी शोध किया जा रहा है। इसका नाम कैलाश मंदिर है। यहां ऋषि-मुनि और भुक्षि गहन तपस्या और ध्यान करते थे।   
    सह्याद्रि की पहाड़ियों पर स्थित इन 30 गुफाओं में लगभग 5 प्रार्थना भवन और 25 बौद्ध मठ हैं। घोड़े की नाल के आकार में निर्मित ये गुफाएं अत्यंत ही प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व की हैं। इनमें 200 ईसा पूर्व से 650 ईसा पश्चात तक के बौद्ध धर्म का चित्रण किया गया है। इन गुफाओं में हिन्दू, जैन और बौद्ध 3 धर्मों के प्रति दर्शाई गई आस्था के त्रिवेणी संगम का प्रभाव देखने को मिलता है। दक्षिण की ओर 12 गुफाएं बौद्ध धर्म (महायान संप्रदाय पर आधारित), मध्य की 17 गुफाएं हिन्दू धर्म और उत्तर की 5 गुफाएं जैन धर्म पर आधारित हैं।

13-  खजुराहो का मंदिर : आखिर क्या कारण थे कि उस काल के राजा ने सेक्स को समर्पित मंदिरों की एक पूरी श्रृंखला बनवाई? यह रहस्य आज भी बरकरार है। खजुराहो वैसे तो भारत के मध्यप्रदेश प्रांत के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटा-सा कस्बा है लेकिन फिर भी भारत में ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है तो वह है खजुराहो। खजुराहो भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है।
चंदेल शासकों ने इन मंदिरों का निर्माण सन् 900 से 1130 ईसवीं के बीच करवाया था। इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है, वह अबू रिहान अल बरुनी (1022 ईसवीं) तथा अरब मुसाफिर इब्न बतूता का है। कला पारखी चंदेल राजाओं ने करीब 84 बेजोड़ व लाजवाब मंदिरों का निर्माण करवाया था, लेकिन उनमें से अभी तक सिर्फ 22 मंदिरों की ही खोज हो पाई है। ये मंदिर शैव, वैष्णव तथा जैन संप्रदायों से संबंधित हैं

14 - उज्जैन का काल भैरव मंदिर : हालांकि इस मंदिर के बारे में सभी जानते हैं कि यहां की काल भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है इसीलिए यहां मंदिर में प्रसाद की जगह शराब चढ़ाई जाती है। यही शराब यहां प्रसाद के रूप में भी बांटी जाती है। कहा जाता है कि काल भैरव नाथ इस शहर के रक्षक हैं। इस मंदिर के बाहर साल के 12 महीने और 24 घंटे शराब उपलब्ध रहती है।   
15 - ज्वाला मंदिर : ज्वालादेवी का मंदिर हिमाचल के कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता की जीभ गिरी थी। हजारों वर्षों से यहां स्थित देवी के मुख से अग्नि निकल रही है। इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी।

16 - एलीफेंटा की गुफा : मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित एक स्थल है, जो एलीफेंटा नाम से विश्वविख्यात है। यहां पहाड़ को काटकर बनाई गई इन सुंदर और रहस्यमय गुफाओं को किसने बनाया होगा? माना जाता है कि इसे 7वीं व 8वीं शताब्दी में राष्‍ट्रकूट राजाओं द्वारा खोजा गया था। 'खोजा गया था' का मतलब यह कि यह उन्होंने बनाया नहीं था। कई हजार वर्षों पुरानी इन गुफाओं की संख्या 7 हैं जिनमें से सबसे महत्‍वपूर्ण है महेश मूर्ति गुफा। एलीफेंटा को घारापुरी के पुराने नाम से जाना जाता है, जो कोंकणी मौर्य की द्वीप राजधानी थी।
इसका ऐतिहासिक नाम घारापुरी है। यह नाम मूल नाम अग्रहारपुरी से निकला हुआ है। एलीफेंटा नाम पुर्तगालियों ने दिया है। यहां हिन्दू धर्म के अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। यहां भगवान शंकर की 9 बड़ी-बड़ी मूर्तियां हैं, जो शंकरजी के विभिन्न रूपों तथा क्रियाओं को दिखाती हैं। इनमें शिव की त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे आकर्षक है। यह पाषाण-शिल्पित मंदिर समूह लगभग 6,000 वर्गफीट के क्षेत्र में फैला है।

 

27 सितंबर को मनाया जाएगा 'विश्व पर्यटन दिवस', मोदी सरकार ने टूरिजम सेक्टर  को लेकर किए हैं ये बड़े फैसले - Haribhoomi | DailyHunt 

 

विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष - Care of Media | DailyHunt 

 

 

विश्व पर्यटन दिवस (27 सितम्बर) – World Tourism Day (27 September)

विश्व पर्यटन दिवस (27 सितम्बर): (27 September: World Tourism Day in Hindi)

विश्व पर्यटन दिवस कब मनाया जाता है?

प्रत्येक वर्ष विश्व के विभिन्न देशों में 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। भारत में घूमने केे लिए अनेकों एेेतिहासिक इमारतें, मंदिर आदि हैं जो पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करते हैं जैसे ताजमहल, लाल किला, कुतुब मीनार, चारमीनार, अक्षरधाम मंदिर, गेटवे ऑफ इंडिया, वैष्णोदेवी मंदिर, हवा महल, इंडिया गेट, भानगढ़ किला, उम्मैद भवन पैलेस, मैसूर पैलेस, विक्टोरिया मेमोरियल, सूर्य कोणार्क मंदिर और जैसलमेर किला आदि। भारत सरकार द्वारा पर्यटकों का ध्‍यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए “अतुल्‍य भारत” योजना की भी शुरूआत की गई और यह योजना काफी सफल भी हुई है। भारत में प्रत्‍येक वर्ष लाखों की संख्‍या में पर्यटक आते हैंं। इन्‍हीं पर्यटकों काेे आकर्षित करने के लिए हर साल विश्‍व पर्यटन दिवस की एक थीम रखी जाती है।विश्व पर्यटन दिवस 2020 की थीम (विषय) “पर्यटन और ग्रामीण विकास” है।

विश्व पर्यटन दिवस का इतिहास:

विश्व पर्यटन दिवस की शुरुआत वर्ष 1980 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन के द्वारा हुई। इस तिथि के चुनाव का मुख्य कारण यह था क्योंकि इसी दिन वर्ष 1970 में विश्व पर्यटन संगठन का संविधान स्वीकार किया गया था।। इस मूर्ति को स्वीकारना वैश्विक पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास हेतु मील के पत्थर के रूप में देखा जाता है। इस्तांबुल टर्की में अक्टूबर 1997 को बारहवीं UNWTO महासभा ने यह फैसला लिया कि प्रत्येक वर्ष संगठन के किसी एक देश को हम विश्व पर्यटन दिवस मनाने के लिए सहयोगी रख सकते हैं इसी परिकल्पना में विश्व पर्यटन दिवस वर्ष 2006 में यूरोप में 2007 में साउथ एशिया में 2008 में अमेरिका में 2009 में अफ्रीका में तथा 2011 में मध्य पूर्व क्षेत्र यह देशों में मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा हर साल विश्व पर्यटन दिवस की विषय-वस्तु तय करती है।

विश्व पर्यटन दिवस का उद्देश्य:

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व में इस बात को प्रसारित तथा जागरूकता फैलाने के लिए हैं कि किस प्रकार पर्यटन वैश्विक रुप से, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा आर्थिक मूल्यों को बढ़ाने में तथा आपसी समझ बढ़ाने में सहायता करता है।

भारत में केवल गोवा, केरल, राजस्थान, उड़ीसा और मध्यप्रदेश में ही पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है, बल्कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पर्यटन को भी अच्छा लाभ पहुँचा है। हिमाचल प्रदेश में पिछले वर्ष 6.5 मिलियन पर्यटक गए थे। यह आंकड़ा राज्य की कुल आबादी के लगभग बराबर बैठता है। इन पर्यटकों में से 2.04 लाख पर्यटक विदेशी थे। आंकड़ों के लिहाज़ से देखें तो प्रदेश ने अपेक्षा से कहीं अधिक सफल प्रदर्शन किया।

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विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1980 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन के द्वारा हुई इस तिथि के चुनाव का मुख्य कारण यह था कि वर्ष 1970 में UNWTO की कानून को स्वीकारा गया था। इस मूर्ति को स्वीकारना वैश्विक पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास हेतु मील के पत्थर के रूप में देखा जाता है एवं इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व में इस बात को प्रसारित तथा जागरूकता फैलाने के लिए हैं कि किस प्रकार पर्यटन वैश्विक रूप से, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा आर्थिक मूल्यों को बढ़ाने में तथा आपसी समझ बढ़ाने में सहायता कर सकता है।


आठवीं विश्व पर्यटन दिवस के सत्र के उपलक्ष्य में कजाकिस्तान द्वारा जारी किया गया डाक टिकट
इस्तांबुल  टर्की में अक्टूबर 1997 को बारहवीं UNWTO महासभा ने यह फैसला लिया  कि प्रत्येक वर्ष संगठन के किसी एक देश को हम विश्व पर्यटन दिवस मनाने के लिए सहयोगी रख सकते हैं इसी परिकल्पना में विश्व पर्यटन दिवस वर्ष 2006 में यूरोप में 2007 में साउथ एशिया में 2008 में अमेरिका में 2009 में अफ्रीका में तथा 2011 में मध्य पूर्व क्षेत्र यह देशों में मनाया गया। वर्ष 2013 में इस कार्यक्रम का विषय पर्यटन और पानी, हमारे साझे भविष्य की रक्षा था और 2014 में पर्यटन और सामुदायिक विकास।

द लेट इग्नेशियस अमदुवा अतिगबी  नामक एक नाइजीरिया के राष्ट्र ने यह विचार दिया कि प्रत्येक वर्ष 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाए और वर्ष 2009 में उनके अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए इसे सहर्ष स्वीकार भी कर लिया गया।

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