तालिबान की केयरटेकर सरकार “ ठगों और कसाइयों का झुंड ” - अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम
तालिबान की अंतरिम सरकार बनने के बाद विश्व के अन्य देशों की प्रतिक्रियायें आना प्रारम्भ हो गईं हे। तालिबानी सरकार मूल रूप से अमेरिका और संयुक्त राष्ट्रसंघ की बडी तौहीन है। जो उनके यहां आतंकवादी एवं मोस्ट वान्टेड के रूप में दर्ज है,उन्हे तालिबान सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री बनाया है।
अमेरिका की चिंता
अमेरिका ने कहा है कि तालिबान ने जिस सरकार की घोषणा की है , उसमें सभी पुरुष हैं और यह चिंता की बात है। सरकार में शामिल सारे वे लोग हैं , जिनका संबंध अमेरिकी बलों पर हमले से है। मंगलावर को अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में तालिबान ने खुली गोलीबारी में तीन प्रदर्शनकारियों को मार दिया था। काबुल में भी मंगलवार को महिला प्रदर्शनकारियों के ख़लिफ़ हवा में गोलीबारी की गई थी।
अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने तालिबान की केयरटेकर सरकार को ठगों और कसाइयों का झुंड कहा है। रिपब्लिकन पार्टी के सीनियर सांसदों में लिंडसे उन कइयों में से एक है , जो अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के फ़ैसले के लिए राष्ट्रपति बाइडन की खुलकर आलोचना कर रहे हैं।
नई तालिबान सरकार से अमेरिका की बढ़ी चिंता
तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से ही अमन और शांति की बात कह रहा है। लेकिन ताबिलान की अफगानिस्तान में सरकार गठन के बाद ऐसा कुछ भी होता नजर नहीं आ रहा है। तालिबान ने सत्ता की बागडोर आतंकवादियों के हाथो में दे रखी है। ऐसे आतंकवादी जिनपर करोड़ों के ईनाम घोषित है। अफ़ग़ानिस्तान के नए गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक़्क़ानी पर तो अमेरिका ने 50 लाख डॉलर के ईनाम तक की घोषणा कर रखी थी।
अमेरिका
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, ’’हम सरकार में शामिल कई लोगों के अतीत को देखते हुए चिंतित हैं। अमेरिका तालिबान की कथनी और करनी में फ़र्क़ के आधार पर फ़ैसला करेगा। तालिबान ये सुनिश्चित करे कि उसकी ज़मीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश पर हमले के लिए नहीं होगा।’’
पाकिस्तानी अख़बार ’डॉन’ ने अपनी संपादकीय टिप्पणी में लिखा है कि तालिबान की असली चुनौती अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलना है। डॉन ने लिखा है कि तालिबान को यह सुनिश्चित करना होगा कि वो 1996-2001 वाला तालिबान नहीं है। उसे मौलिक और महिला के अधिकारों का सम्मान करना होगा। इसके साथ ही उसे अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन पर मौजूद आतंकवादी संगठनों के ख़लिफ़ भी कार्रवाई करनी होगी।
अफ़ग़ानिस्तान में नई सरकार की घोषणा के बाद चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माना जाने वाला अंग्रेज़ी दैनिक ग्लोबल टाइम्स लिखता है। ’’तालिबान की नई कैबिनेट के कुछ सीनियर नेता संयुक्त राष्ट्र की बैन लिस्ट में हैं। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता की बात है और इससे तालिबान की नई सरकार को मान्यता मिलने में भी मुश्किल होगी। चीन अभी स्थिति पर नज़र रखेगा और जब तक तालिबान अपना वादा पूरा नहीं करता है तब तक अपने रुख़ में कोई तब्दीली नहीं लाएगा।’’
अफगानिस्तान की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी जमीयत-ए-इस्लामी के प्रमुख सलाहुद्दीन रब्बानी ने तालिबान की कार्यवाहक सरकार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एक जातीय समूह से बनी सरकार लंबे समय तक नहीं चलेगी। खामा न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार सलाहुद्दीन रब्बानी ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि सत्ता का एकाधिकार अतीत में अनुभव किया गया है जो हार गया था और इस कैबिनेट के साथ तालिबान भी धूल खाएगा।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें