मातायें पुत्र की लंबी आयु के लिए रखती हैं, वच्छ बारस का व्रत

 

 


कल सुबह पढ़ लें ये कथा, जन्म-जन्मान्तर के पापों से मिलेगी मुक्ति | Hari  Bhoomi

 पुत्र की लंबी आयु के लिए रखती हैं, वच्छ बारस का व्रत 


 प्रति वर्ष जन्माष्टमी के 4 दिन बाद भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस का पर्व मनाया जाता है ।  धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गाय और बछड़े की पूजा की जाती है। मान्यता हैं कि गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है और इस दिन गाय की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आर्शीवाद मिलता है। मूलतः यह व्रत महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए रखती हैं.

बछ बारस की पूजन विधि
जन्माष्टमी के बाद मनाए जाने वाले इस पर्व का भी अपना ही अलग महत्व है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सवेरे स्नान करके साफ वस्त्र पहनती हैं। इसके बाद गाय और उसके बछड़े को दोनों के माथे पर तिलक लगाएं । इसके बाद एक तांबे के पात्र में अक्षत, तिल, जल, सुगंध और फूलों आदि से पूजन अर्चन करें एवं मनोकामना अर्पित करें। गाय माता में विराजमान देवता मनोकामना पूर्ण करते हें ।

भारतीय धार्मिक पुराणों में गौमाता में समस्त तीर्थ होने की बात कहीं गई है। पूज्यनीय गौमाता हमारी ऐसी मां है जिसकी बराबरी न कोई देवी-देवता कर सकता है और न कोई तीर्थ। गौमाता के दर्शन मात्र से ऐसा पुण्य प्राप्त होता है जो बड़े-बड़े यज्ञ, दान आदि कर्मों से भी नहीं प्राप्त हो सकता।

इस अवसर पर संभव होतो उपरोक्त मंत्र का उच्चारण भी करें। मंत्र का उच्चारण करते हुए गौ प्रक्षालन करें।

’क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नमः॥’


 गौ माता के पैरों में लगी मिट्टी से अपने माथे पर तिलक लगाएं। बछ बारस की कथा सुनें और दिनभर व्रत रखें । रात को अपने इष्ट और गौ माता की आरती करके व्रत खोलें और भोजन करें। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गाय के दूध, दही और गेंहूं चावल आदि नहीं खाने चाहिए. ज्वार मक्का बाजरे की रोटी खाएं ।

Pacific Press - Galerie - Women celebrates Bach Baras festival in Rajasthan

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