“ताइवान " पर अफगान वाली गलती न हो - अरविन्द सिसौदिया
अमेरिका एवं संयुक्त राष्ट्र संघ से “ताइवानः पर अफगान वाली गलती न हो - अरविन्द सिसौदिया
जब से अफगान में तालिबान का जबरिया कब्जा एवं जबरिया सरकार बनी है। तब से ही चीन के विस्तारवादी मंसूबे उफान मार रहे है। अफगान की जबरिया सरकार को अभी विश्व मान्यता नहीं मिली है। लेकिन चीन ने किसी की भी परवाह किये बिना ही बहुत बडी राशी उस सरकार को देने ंकी घोषणा कर दी है। उसी के साथ वह अब लगातार ताईबान की हवाई सीमा का जानबूझ कर उल्ल्ंघन कर रहा है। उसके लडाकू विमान जबरिया घुस रहे हैं। चीन अपनी विस्तारवादी हवस को प्रदर्शित कर रहा है। अमेरिका एवं संयुक्त राष्ट्र संघ को चीन की विस्तारवादी नियत पर अंकुश लगाना होगा । उसने मंसूबो को लगाम देनी होगी। अफगान वाली लचर भूमिका से पूरी तरह बाहर आकर अपनी शक्ति एवं सामर्थ्य का सर्वोच्च प्रदर्शन भी करना होगा । चीन महासागर में भी अपनी शक्ति दिखानी होगी। अब समय आ गया है कि अमेरिका और यूएनओ अपनी सर्वोच्चता को प्रदर्शित करें।
अमेरिका के अफगान से बोरिया बिस्तर समेटते ही, चीन अपने आप को स्वछंद मान रहा है। उसका व्यवहार स्वयं-भू जैसा हो गया है। वह अपने आप को विश्व की सर्वोच्च शक्ति के रूप में प्रदर्शित करने में लगा हुआ है। तिब्बत और हांगकांग को तो निगल ही चुका है , अब उसके पंजे ताइवान को जकड़ने को बेचैन हैं ।
चीन कभी ताइवान के हवाई क्षेत्र में अपने लड़ाकू विमान भेजकर उसे डराता है तो कभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पूरी बेशर्मी से उसके मुद्दों को अपने देश का अंदरूनी मामला बताता है। कोई अन्य देश ताइवान को एक देश के तौर पर संबोधित करता है तो ड्रेगन उसे ‘अपने आंतरिक मामलों में दखल’ देने से बाज आने की चेतावनी देता है। पिछले दिनों जापान को ताइवान को अलग देश कहने पर दो बार टोका।
लेकिन, ताइवान की स्वाभिमानी राष्ट्रपति त्साई इंग वेन पूरी दमदारी के साथ अपने देश की सीमा बढ़ाने को आतुर रहने वाले चीन को उसकी सही स्थिति से अवगत करा चुकी हैं और वायुसेना के माध्यम से ताइवान के आसमान में मंडराने की उसकी धमकियों का कड़ा जवाब दे चुकी हैं।
21 अगस्त को ताइवान ने एक और दमदार बयान दिया, रायटर के समाचार के अनुसार, ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा कि चीन तालिबान की तर्ज पर उनके देश को कब्जाना चाहता है। चीन एक लंबे वक्त से ताइवान पर दावा जताता आ रहा है और इस पर कब्जे का मन बनाए हुए है। आज अफगानिस्तान में उभरे हालात के बीच ताइवान में चीन के कुछ इसी तरह की हरकत करने की मंशा को लेकर बहस छिड़ी हुई है।
विस्तारवाद के नशे में डूबे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने फिलहाल दुनिया के 18 देशों की नाक में दम कर रखा है। अब सैटेलाइट इमेज से प्राप्त एक नक्शा ड्रैगन की नई खुराफात की तस्दीक कर रहा है।
उधर, चीन का मीडिया भी ऐसी बातें फैला रहा है कि काबुल का जो हाल हुआ है, उससे यह साफ है कि अमेरिका पर भरोसा करके ताइवान को कुछ हासिल नहीं होगा।
अमेरिकी विदेश विभाग ने पिछले दिनों चीन से कड़े शब्दों में कहा था कि वह ताइवान पर बेवजह दबाव बनाना बंद कर दे। अमेरिका के बयान के बाद ताइवान के विदेश मंत्री वू ने अमेरिका का धन्यवाद किया था। अब वू ने कहा कि चीन तालिबान की तरह ही ताइवान पर कब्जा करना चाहता है। हालांकि चीन की अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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