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मानसिक गुलामी से बाहर निकलें,अपना परम् पवित्र नव-वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा Hindu New Year Varsh Prtipada

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   यह नववर्ष विदेशी है, पाश्चात्य है। 99 प्रतिशत भारतीयों के मत का भी नहीं है। यह मात्र वेतन बांटने एवं प्रशासनिक कार्य करने तक ही सीमित है, इसका कोई देवत्व प्रभाव नहीं है। हमारे सभी देवी देवता तीज त्यौहार, महूर्त शुभकार्य आदि हमारे संवत सर से ही होते है। जो कि चैत्र शुक्ल एकम की वर्ष प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। वैज्ञानिक एवं खगोलीय गणना पर पूरी तरह से वैज्ञानिकता लिये हुये हमारा संवतसर अपना प्रभाव रखता है। उसमें देवत्व भी है और वैज्ञानिकता भी तथा अपनत्व भी !  *****************   चिन्तन   -       तनिक विचार कीजिये   *दीपावली मनाते हैं-         विक्रम संवत् के अनुसार* *रामनवमी मनाते हैं-       विक्रम संवत् के अनुसार* *कृष्ण जनमाष्टमी*        *मनाते हैं-*              विक्रम संवत् के अनुसार* *नवरात्र मनाते हैं-           विक्रम संवत् के अनुसार* *श्राद्ध मनाते हैं-            ...

चीन को ललकारते भारत को, हमेशा चीन के विरूद्ध तैयार रहना होगा - अरविन्द सिसौदिया Challenging China, India will always

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  चीन को ललकारते भारत को, हमेशा चीन के विरूद्ध तैयार रहना होगा . अरविन्द सिसौदिया हाल ही में दिसम्बर 2022 माह में भारत के विद्वान विदेश मंत्री एस जयशंकर के चीन को उसका आईना साइप्रस के लारनाका में भारतीय प्रवासियों के साथ अपनी बातचीत के दौरान और  संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में दिखाया है। भारत - चीन के लगभग 70 वर्ष से अधिक के इतिहास में चीन को जवाब देनें का साहस और साफ साफ तौर अपनी बात कहनें की हिम्मत 2014 के बाद के भारत ने ही दिखाई है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जैसे को तैसा की नीति से चीन को परेशानी तो होगी ही, निश्चित रूप से चीन एक बडा देश है, शक्ति सम्पन्न देश है। उससे युद्ध का खतरा है। हार का खतरा भी है,यह स्थितियां तो हमेशा ही रहनी है। इसलिये मेवाड की तरह  सिर पर केसरिया बांध कर युद्ध को तैयार तो रहना ही होगा। भारत को यह मान लेना चाहिये कि दिन प्रतिदिन चीन से टकराव होगा, हमें उससे जानबूझ कर भी बार बार टकराना चाहिये, इससे कोई नुकसान नहीं होना, किर किरी चीन की होगी । हमें चीन का प्रवल प्रतिद्वंदी बनना होगा । जितनी जल्दी हम चीन के मुकाबले अपनी ...

निर्धन का धन भगवान,मत करो उनका अपमान !

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निर्धन का सम्मान कीजिये -  युधिष्ठिर सिंह कौशिक एक निर्धन व्यक्ति था। वह नित्य भगवान विष्णुजी और लक्ष्मीजी की पूजा करता था। एक बार जब दीपावली के दिन उसने भगवती लक्ष्मी की श्रद्धाभक्ति से पूजा अर्चना की, तो उसकी आराधना से लक्ष्मी प्रसन्न होकर उसके सामने प्रकट हुईं और उसे एक अंगूठी भेंट देकर अदृश्य हो गईं। अंगूठी सामान्य नहीं थी। उसे पहनकर जैसे ही अगले दिन उसने धन पाने की कामना की तो उसके सामने धन का ढेर लग गया। वह ख़ुशी के मारे झूम उठा। इसी बीच उसे भूख लगी, तो मन में अच्छे पकवान खाने की इच्छा हुई। कुछ ही पल में उसके सामने पकवान आ गए। अंगूठी का चमत्कार मालूम पड़ते ही उसने अपने लिए आलीशान बंगला, नौकर-चाकर आदि तमाम सुविधाएं प्राप्त कर लीं।  वह भगवती लक्ष्मी की कृपा से प्राप्त उस अंगूठी के कारण अब सुख से रहने लगा। अब उसे किसी प्रकार का कोई दु:ख, कष्ट या चिंता नहीं थी। नगर में उसका बहुत नाम भी हो गया। एक दिन उस नगर में जोरदार तूफ़ान के साथ बारिश होने लगी। कई निर्धन लोगों के मकानों के छप्पर उड़ गए। लोग इधर-उधर भागने लगे।  तभी एक बुढ़िया उसके बंगले में आई। उसे देख वह व्यक्ति गरज ...