लोकतंत्र के सभी पाये, भारतमाता के लिये काम करें - अरविन्द सिसोदिया loktantr bhartmata ke liye
लोकतंत्र के सभी पाये, भारतमाता के लिये काम करें - अरविन्द सिसोदिया
सर्वोच्च न्यायालय को असीमित अधिकार नहीं, संसदीय प्रणाली की गरिमा की चिंता करना उनका भी कर्तव्य - अरविन्द सिसोदिया
लोकतंत्र के मंदिर, राजनीति के अखाड़े नहीं बनें - अरविन्द सिसोदिया
देश का स्वामित्व जनता को है, कोई भी दल इसका मालिक नहीं, सेवक मात्र है -अरविन्द सिसोदिया
पिठासीन पदाधिकारियों की जयपुर सम्मिट में जो बातें उभर कर आरहीँ हैं, उनका दर्द यही है की जनता के चुने हुये सदन द्वारा पारित कानून या विधि को न्यायालय में बैठा न्यायाधीश निरस्त कर देता है। अनर्गल टिप्पणीयां भी होती हैं।
भारत के संबिधान नें निश्चित रूप से न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाया है किन्तु स्वछंदता प्रदान नहीं की है। यही तथ्य लोकतंत्र के सभी पायों पर लागू होती है।
भारत में न्यायालय आतंकवादी के लिए आधीरात को खुलता है। सामान्य नागरिक को 10 / 15 साल तक सुना भी नहीं जाता।
हलांकि राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष 90 दिन से इस्तीफे लिये बैठे हैं, यह उनका आपराधिक पद दुरुउपयोग है। पीठासीन अधिकारीयों को भी असीमित अधिकार नहीं दिए जा सकते।
सदन संचालन की व्यवस्था संबधी नियम एवं प्रक्रिया को सदन की गरिमा प्रदान करने वाले होने चाहिए। समाज व देश में सदन का सम्मान सुरक्षित रखने वाला होना चाहिये। उसकी गरिमा सुनिश्चित करनेवाला होना चाहिए।
सदन में सदस्य अनुशासन में रहना चाहिए, सदन को राजनैतिक हुल्ल्डतंत्र नहीं बनाया जा सकता। लोकतंत्र का गला घोंटने का अधिकार विपक्ष या हुल्ल्डतंत्र तो कतई नहीं दिया जा सकता।
पीठासीन अधिकारीयों को सदन की गरिमा की चिंता करनी चाहिए।
इन दिनों सरकार और महामहिम राज्यपालों के बीच भी लगातार टकराव दिखता है, यह वास्तविक कम और प्रायोजित अधिक होता है।
राज्यपाल के रूप में पश्चिम बंगाल में और दिल्ली में लगातार विवाद देखा गया, तमिलनाडु में देखा गया है। जो कि दलगत स्वार्थ एवं अहम से प्रेरित ज्यादा है। यह अनुचित है।
लोकतंत्र के सभी पाये एक दूसरे के प्रति जिम्मेबार और जबावदेह हैं। न ये स्वतंत्र हैं, न ये स्वछंद हैं, बल्कि एक दूसरे की गरिमा व उच्चता को स्थापित करने के लिए हैं। सभी का कॉमन कर्तव्य है, भारतमाता को परम् वैभव पर आसीन करना।
इसलिए लोकतंत्र के सभी पाये अहम और वहम को छोड़ भारतमाता के लिये काम करें यही अच्छा होगा।
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