हिमालय की चोटी से चीन को ललकारता भारत माता का वीर सपूत “ डॉ. इंद्रेश कुमार ” Indresh Kumar

हिमालय की चोटी से चीन को ललकारता भारत माता का वीर सपूत " डॉ. इंद्रेश कुमार " 

 (Indresh Kumar )

ये किस्मत  फ़िल्म 1943 की पंक्तियाँ हैं, जिन्हे सुप्रसिद्ध देशभक्त कवि पंडित प्रदीप नें लिखा था, इस गीत के कारण तत्कालीन ब्रिटिश सरकार नाराज हो गईं थी, गीतकार के विरुद्ध वारंट जारी कर दिये गये थे और  उन्हें भूमिगत होना पढ़ा था।किन्तु आजादी  की आवाज बना यह गीत  आज भी बेहद लोकप्रिय हैं और राष्ट्ररक्षा का आव्हान करता है। जब जब राष्ट्रभक्ति गीत बजते हैं तो इसे भी बजाया जाता है।

" आज हिमालय की चोटी  से फिर हमने ललकारा है, दूर हटो ए दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है। "

हिन्दू कुश पर्वत से प्रारंभ होकर सुदूर बाली  सुमात्रा तक जानें  वाली  इस विशाल पर्वत श्रृंखला के दोनों और रहने वाली सभ्यता हिन्दू कहलाती है। 

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तिब्बत कभी भी चीन का नहीं था,चीन हिमालय को हड़पना चाहता है  - इंद्रेश कुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य एवं प्रचारक माननीय इन्द्रेश कुमार जी भी इसी तरह का नाम हैं, जिन्होंने हिमालय पर खडे हो कर राष्ट्रहित के सभी प्रमुख संदर्भों को बड़ी दृड़ता और मजबूती से भारत की बात को देश दुनिया के सामनें रखा हैं।

इनके असाधारण मार्गदर्शन और संयोजन ने अनेक सामाजिक और राष्ट्रीय विचारधारा से ओत-प्रोत संगठनों को नवजीवन दिया है। जिनमें हिमालय की सुरक्षा को प्रेरित करता हिमालय परिवार और चीन को ललकारता भारत तिब्बत सहयोग मंच है। यूं तो उनके मार्गदर्शन में राष्ट्रहित भाव के अनेको संगठन आगे बढ़ रहे हैं.

ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध संगठन हैं—मुसलिम राष्ट्रीय मंच, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच भी हैं। 

माननीय इंद्रेश जी नें कई बार दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने वाले वक्तव्य दिये हैं, जो भविष्य की दिशा का भान करवाते हैं।

1- तिब्बत कभी भी चीन का हिस्सा नहीं था - इंद्रेश कुमार

भारत तिब्बत सहयोग मंच के सम्मेलन में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं मंच के मार्गदर्शक डॉ. इंद्रेश कुमार  ने कहा कि " दुनिया के कई प्रभावशाली देश अन्य देशों को अपने में मिलाकर मजबूत बनाने का काम किया है, किंतु भारत ऐसा देश है जिसने अपने क्षेत्रफल में से अन्य देशों को जन्म देने का काम किया। एक तरफ चीन ऐसा देश है, जिसने जबरन तिब्बत पर कब्जा किया, वहीं दूसरी तरफ भारत तिब्बत की आजादी के लिए पूरे विश्व में जन जागरण का काम कर रहा है। "

उन्होंने कहा कि " सदियों से भारतीय संस्कृति में सद्भाव की परंपरा रही है, 1959 में परम पावन दलाई लामा अपने समर्थकों के साथ भारत आये और भारत ने उन्हें शरण देने का काम किया। चीन ने 12 लाख तिब्बतियों का कत्लेआम कर वहां की सभ्यता एवं संस्कृति को बर्बाद करने का काम किया है। जबकि सच्चाई तो यह है तिब्बत कभी चीन का हिस्सा था ही नही।  

भारत तिब्बत सहयोग मंच के कार्यकर्ता तिब्बत की आजादी के लिए लगातार संघर्ष करते रहेंगे। एक दिन ऐसा जरूर आएगा, जब चीन के खूनी चंगुल से तिब्बत आजाद होगा और तिब्बत की आजादी के साथ चीन के कब्जे से कैलाश मानसरोवर भी मुक्त हो जाएगा।

2- पीओजेके (पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर) भारत का था और फिर से भारत में होगा - इंद्रेश कुमार

( pok का सही नाम poj&k  है ) 

पीओजेके (पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर) भारत का था और फिर से भारत में होगा। इसके लिए क्या कदम उठेंगे कैसे कदम उठेंगे वो तो भविष्य में अपने आप ही सामने आता रहेगा परन्तु दवा से दुआओं में ताकत ज्यादा होती है इसलिए मैं जम्मू-कश्मीर के हर नागरिक सहित भारतवर्ष की जनता से अपील करता हूं कि वह हर रोज भगवान से प्रार्थना करें कि इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए जरूरी है कि पीओजे भारत का था और फिर से भारत का हो।

उन्होंने कहा कि "  हर आदमी चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, मजहब, पंथ या फिर राजनीतिक दल से हो हर रोज भगवान से, अल्लाह से, प्रभु से वाहेगुरु से प्रार्थना करें कि कैलाश मानसरोवर पुनः भारत में हो और पीओजेके भारत का था और फिर से भारत में हो मैं सभी से इसका निवेदन और आह्वान करता हूं। "

3 चीन  हिमालय को हड़पना चाहता है  -  इंद्रेश कुमार

उन्होंने कहा कि चीन की जो लगातार हिमालय के अक्रांता की स्थिति है उसका भारत डटकर मुकाबला करने में सक्षम है।

वैसे तो चीन इस समय अपने मुश्किल हालात से गुजर रहा है, उसने जो दो तीन हमले मानव जाति पर किए जिनमें पहला हमला था सस्ती व बिना टिकाऊ वस्तुओं की मार्केट तैयार कर दुनिया की मार्केट पर कब्जा करने की कोशिश जिसका परिणाम यह हुआ कि चीन दिवालिया हो गया।

दूसरा तिब्बत हड़पने के बाद भारतीय हिमालय को हड़पना, दुनिया पर कहीं न कहीं ठेडी नजर रखना। चीन साम्राज्यवाद का विस्तारवाद है और लगभग विश्व की सभी मानवीय ताकतें इसका विरोध कर रहीे हैं।

तीसरा उसने कोविड नाम का वायरस बनाया जिसने भारत सहित दुनिया के ८० लाख लोगों की जान ले ली और टारगेट तो उसका बहुत बड़ा था परन्तु उसको रास्ते में मानवजाति का रक्षक बनकर भारत खड़ा मिला।

कोविट के इस हाहाकार को मिटाने में यहां एक ओर विश्व के सब देश लगभग असफल रहे वहीं भारत ने इसके खिलाफ पहला कदम आयुर्वेद, यूनानी, प्राणायाम और योग के रूप में उठाया जिससे विश्व को लगा की अब बच सकेंगे।

दूसरा लॉक डाउन कार्यक्रम के साथ हौसला और उम्मीद दी और अंत में वैक्सीन बनाई। 73  देशों को बुलाकर अपनी वैक्सीन बताई और बेस्ट वैक्सीन साबित होने पर उसे विश्व के देशों को निशुल्क दिया। इस मामले में भी भारत ने मानव जाति का अद्भुत उदाहरण पेश किया। इसलिए चीनी विस्तारवाद का भारत उसके सामने बड़ी चुनौती बनकर खड़ा है।

उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर की पुरानी सरकारों ने जब यहां लोग मर रहे थे, उजड़ रहे थे तो उन्हें उजडने से रोकने के लिए क्या कदम उठाये। युवाओं को पत्थरवाज बनने से रोकने के लिए क्या काम किया। बल्कि अलगाव के नाम पर राजनीतिक रोटीया सेंकी और आज वो कौन से पुर्नवास की बात कर रहे हैं और उन्होंने कौन सा हक खोया है। हक तो इन्होंने जरूरत से ज्यादा प्राप्त किया और कश्मीर को कैंसर बनाकर रख दिया इसके लिए उन्हें न तो जनता माफ कर रही है और न ही उपर वाला। आज जम्मू-कश्मीर शांति और विकास की ओर पूरी ताकत से बढ़ चुका है और वह दिन दूर नहीं है जब यहां आतंक के पूरी तरह खात्मे के साथ ही स्थायी शांति बहाल होगी। कश्मीर घाटी में हिन्दुओं की टारगेट किलिंग पर उन्होंने कहा कि जान भी बचेगी, नौकरी भी बचेगी और पुुर्नवास भी होगा।
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तिब्बत की स्वतंत्रता भारत को बनाएगी एक सुरक्षित राष्ट्र - इंद्रेश कुमार

संरक्षक और संस्थापक भारत तिब्बत सहयोग मंच और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति सदस्‍य आरएसएस इंद्रेश कुमार ने "एक संप्रभु गणराज्य और एक नई सामाजिक व्यवस्था के रूप में तिब्बत की पहचान" विषय पर विचार रखे।

 उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक तिब्बत एक संप्रभु गणराज्य नहीं बन जाता, तब तक हमारी उत्तरी सीमा सुरक्षित नहीं है। तिब्बत बौद्ध धर्म का स्थल है जो कि अहिंसा का मूर्त रूप है।

वर्तमान विश्व में अहिंसा ही सभी सामाजिक राजनीतिक समस्याओं का एकमात्र समाधान है।

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प्रखर वक्ता और ओजस्वी संगठक के रूप में विख्यात श्री इंद्रेश कुमार बाल्यकाल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं। कैथल (हरियाणा) में जन्मे  इंद्रेश जी ने इंजीनियरिंग स्नातक की उपाधि गोल्ड मेडल के साथ अर्जित की। पढ़ाई पूरी होने के पश्चात् आजन्म देशसेवा का व्रत लिया। दिल्ली में वे नगर प्रचारक, जिला प्रचारक, विभाग प्रचारक और फिर प्रांत प्रचारक बने। उन्हें हिमाचल प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर प्रांतों (तत्कालीन हिमगिरि प्रांत) में प्रांत प्रचारक के रूप में कार्य करने का सुअवसर मिला।  बाद में संपूर्ण उत्तर भारत के प्रचार/संपर्क प्रमुख, फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-संपर्क प्रमुख रहे।

 कश्मीर घाटी में आतंक को रोकने के लिए विभिन्न धर्मयात्राओं को प्रारंभ करने के उनके अभियान को भारी जन सहयोग मिला और कालांतर में ये धर्मयात्राएँ एक विराट जन आंदोलन के रूप में उभरकर सामने आईं।

दिल्ली के प्रसिद्ध झंडेवाला देवी मंदिर की जमीन का आंदोलन हो, जम्मू-कश्मीर में ग्राम समितियों का गठन हो, भारत जोड़ो अभियान हो, अंदमान की स्वराज यात्रा हो अथवा तिब्बत मुक्ति आंदोलन—इंद्रेशजी के मार्गदर्शन में अनेकानेक कार्यक्रमों ने सहज ही विराट जन आंदोलन का रूप ले लिया।

इनके असाधारण मार्गदर्शन और संयोजन ने अनेक सामाजिक और राष्ट्रीय विचारधारा से ओत-प्रोत संगठनों को नवजीवन दिया है। ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध संगठन हैं—मुसलिम राष्ट्रीय मंच, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच, हिमालय परिवार और भारत तिब्बत सहयोग मंच। संप्रति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य।

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