गहलोत सरकार में भ्रष्टता संरक्षण हेतु मीडिया सेंसरशिप, शेम शेम .. - अरविन्द सिसौदिया Media censorship for protection of corruption
गहलोत सरकार में भ्रष्टता संरक्षण हेतु मीडिया सेंसरशिप, शेम शेम ..
- अरविन्द सिसौदिया
Media censorship for protection of corruption in Gehlot government, shame shame .. - Arvind Sisodia
एक तरफ कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार पर राजस्थान को माफियाराज और भ्रष्टाचार का शासन देनें का आरोप लग रहे हैं, राजस्थान में एसीबी ने कदम कदम पर भ्रष्ट अधिकारीयां - कर्मचारीयों को पकडा है। पूरा राजस्थान भ्रष्टता में डूबा हुआ है। अब तो पास करनें और नौकरी देनें तक की भ्रष्टता सामने आ चुकी है। तो दूसरी तरफ गहलोत सरकार नें भ्रष्टता पर कठोर प्रहार करनें के बजाये, भ्रष्ट अधिकारीयों एवं कर्मचारियों को भ्रष्टाचार हेतु भयमुक्त करते हुये, उनके भ्रष्टाचार में पकडे़ जानें पर भी पूरी खबर छुपाई जा सकनें की व्यवस्था करदी है। इससे गहलोत सरकार के पांचवें साल में राजस्थान में अधिकारीयों व कर्मचारीयों को भयमुक्त होकर जम कर भ्रष्टाचार करनें की अपरोक्ष छूट मिल गई है। पकडे भी गये तो न किसी को खबर होगी और न बदनामी होगी।
गहलोत सरकार के भ्रष्टाचार रोकनें की घोषणा “जीरो करप्शन, जीरो टॉलरेंस” को अब “ भ्रष्टाचार कर जीरो जानकारी “ में बदल दिया है। यह आदेश अपने आपमें अजीब सा है, सरकारी अपराधियों के मानव अधिकारों की चिन्ता की जा रही है। तो यह अधिकार तो सामान्य नागरिक को भी देनें पडेंगे। उनके साथ भेदभाव कैसे कर सकते हैं।
सुन कर अजीब लगता है कि लोकतंत्र में जनता के द्वारा चुनी गई सरकार का कोई जिम्मेवार अफसर “सरकार की प्रतिष्ठा की चिन्ता नहीं कर रहा , नागरिकों के विश्वास की चिन्ता नहीं कर रहा, भ्रष्टता पर नियंत्रण की चिन्ता नहीं कर रहा, भ्रष्टाचारियों में भय हो इसकी चिन्ता नहीं कर रहा। चिन्ता कर रहा है तो यही कि भ्रष्टाचारियों के चेहरे कोई पहचान नहीं पाये। उनके पद के प्रतिष्ठा को आंच नहीं आये। वाह !! बडे ठसके से बदल दिया लोकतंत्र को लूटतंत्र में ।।
अभी तक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पूरी कार्रवाई की फोटोग्राफी के साथ वीडियोग्राफी कराती है। बाकायदा फुटेज और फोटो मीडिया को जारी भी करती थी। इसका मकसद यह होता था कि जिसे पकड़ा गया है, उसके कारनामे से अधिक से अधिक लोग वाकिफ हो सकें। जनता के बीच सत्य पहुंचे और भ्रष्टता पर अंकुश लगे। जनता के बीच आये फोटो-वीडियो एक तरह के साक्ष्य भी होते थे और उन्हे अदालत के सामनें प्रस्तुत करनें की जबावदेही बन जाती थी। उनमें हेरफेर करनें से जांचकर्ता डरते थे। अब बंद मुट्ठी है, चाहूं तो छुपाऊ, चाहूं तो बताऊ।। यानी की भ्रष्टाचार में भी भ्रष्टाचार का रास्ता बनाया गया है।
आपॉतकाल में मीडिया सेंसरशिप की बात सामनें आई थी। मगर तब भी किसी भ्रष्ट की इज्जत बचानें के लिये इस तरह के आदेश जारी नहीं किये गये थे। यह भ्रष्टाचारी के बचाव की पराकाष्ठा की निर्लज्ज्ता है। भ्रष्टता की खबरें उजागर होनें से राज्य सरकार के ईमानदार होनें के प्रति आम जनता का विश्वास बढ़ता है। कानून का राज्य है। भ्रष्ट अध्किारी को भी सजा मिलेगी । यह विश्वास होता है। अंग्रेजराज जैसी स्थिती की तरफ बड जाना औचित्यहीन लगता है।
अब भष्टाचारीयों की बल्ले बल्ले.....
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो , अब भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों को ट्रैप करने के बाद नाम और फोटो जारी नहीं करेगी। सिर्फ विभाग का नाम और पद की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। ऐसा आदेश डीजी, एसीबी का अतिरिक्त चार्ज लेते ही हेमंत प्रियदर्शी ने दिया है।
आदेश में साफ किया गया है कि जब तक आरोपी पर अपराध सिद्ध नहीं हो जाता, तब तक उसकी फोटो और नाम मीडिया में या किसी अन्य व्यक्ति को नहीं दिया जाएगा। साथ ही, जिस भी आरोपी को पकड़ा जाएगा, उसकी सुरक्षा और मानवाधिकार की जिम्मेदारी ट्रैप करने वाले अधिकारी की रहेगी।
सर्च तक की फोटो-वीडियो जारी होती थी
आरोपियों के घर-ऑफिस पर चल रहे सर्च तक की फोटो-वीडियो । ब्यूरो जारी करती थी। अब नए आदेश को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। सवाल उठने लगा है कि अभी तक जो हो रहा था, वह गलत हो रहा था। आरोपियों की फोटो और नाम छुपाकर । ब्यूरो क्या करना चाहती है। इसको लेकर कोई साफ जवाब नहीं मिल पा रहा है।
दैनिक भास्कर ने इस विषय पर जनता से ऑनलाईन वोटिंग करवाई है, जिसमें 84 प्रतिशत लोगों नें “भ्रष्टाचारियों को बचानें का रास्ता निकाला जा रहा है “ प्वांइट का समर्थन किया है। वहीं 12 प्रतिशत लोगों ने “ यह काम अदालत का है, एजेंसी का नहीं। “ प्वांइट का समर्थन किया है। वहीं 4 प्रतिशत लोगों ने “ ट्रायल से बचनें के लिए ये फैसला किया ”
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्ववीट कर एसीबी के आदेश को लेकर गहलोत सरकार पर निशाना साधा है। राठौड़ ने लिखा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तथाकथित मॉडल स्टेट राजस्थान में भ्रष्टाचारियों को अभयदान देने के लिए अब उनके फोटो व नाम को मीडिया में उजागर नहीं करने का तुगलकी फरमान निकालकर प्रेस की स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है।
राठौड़ ने लिखा- अपने नीतिगत दस्तावेज जनघोषणा पत्र के पेज 36 के बिन्दु संख्या 28 में “जीरो करप्शन, जीरो टॉलरेंस” के सिद्धांत पर काम करने के वादे को धूल में मिला चुकी गहलोत सरकार का यह आदेश इस बात का प्रमाण है कि एसीबी अब भ्रष्टाचारियों की ढाल बनकर काम करेगी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें