राहुल की मुझे पीएम बनाओ यात्रा - अरविन्द सिसोदिया rahul ki pm bnao yatra
मुझे पीएम बनाओ यात्रा का लक्ष्य बेनक़ाब - अरविन्द सिसोदिया
यूं तो कांग्रेस नें जब भारत जोड़ो यात्रा प्रारंभ की तो कहा था कि यह गैर राजनैतिक यात्रा है। मगर जनता पहले दिन से ही जानती है कि राजनैतिक दलों में बिना राजनीति के कुछ नहीं होता।
कांग्रेस लगातार दो कार्यकाल से सत्ता से बाहर है। उसे 1984 से पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। मनमोहन सिंह भी प्रधानमंत्री इसलिए बनें कि भाजपा को सत्ता से दूर रखनें वाले दल कांग्रेस के साथ थे।
अब हालत यह है कि जो भी कांग्रेस के साथ चलता है, वही डूब जाता है, वहीं यह भी सत्य है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी बहुत सारे अवसरों पर हिन्दू विरोधी साबित हुए हैं। इस कारण कांग्रेस से हिन्दू वोट बैंक छिटका है। किन्तु अभी भी भाजपा से हिन्दू वोट बैंक उतना नहीं जुडा जितना जुड़ना चाहिए था।
हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे नें सामान विचार धारा के 21 दलों को निमंत्रण भेज कर 30 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम में सम्मिलित होनें का आग्रह किया है। पार्टी का बहुत स्पष्ट उद्देश्य है कि राहुल खान गांधी को यह 21 दल अपना नेता स्वीकार करें।
अर्थात कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का मूल उद्देश्य और लक्ष्य उजागर हो गया है। उनके युवराज को प्रधानमंत्री की कुर्सी चाहिए और संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार उन्हें बनाया जाये। विपक्ष के दल उन्हें अपना नेता स्वीकार करें। अन्य तमाम विपक्षी दल प्रधानमंत्री इन वोटिंग की लाइन में न लगें और उन्हें समर्थन करें।
कांग्रेस के सफ़ेद दाढ़ी युक्त युवा युवराज कि भारत जोड़ो यात्रा में अन्य दल, विचारक, प्रबुद्धजन स्वयं सम्मिलित होंगे इस तरह की मान्यता कांग्रेस हाइकमान की थी, मगर यह हुआ नहीं। मध्य और उत्तर भारत में उनके साथ चलने वाले लोगबाग उनकी ही पार्टी के प्रायोजित लोग रहे, अन्य दलों नें कोई खास रूचि नहीं दिखाई। कांग्रेस नें संदेश भेज कर भी कोशिश की, उसको भी विपक्षी दलों नें कोई विशेष भाव नहीं दिया।
कांग्रेस हर हालत में संयुक्त विपक्ष की लीडर दिखना चाहती है।अब उनकी और से फाइनल कोशिश यात्रा के समापन समारोह में विपक्षी दलों को सम्मिलित कर ताकत दिखाने की हो रही है। इसका परिणाम भी 30 जनवरी को सामने आ जायेगा। बहुत अच्छा परिणाम आता नहीं दिख रहा है।
जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर में 30 जनवरी को इस यात्रा का समापन होगा। इस दिन को खास बनाने की तैयारी कांग्रेस की ओर से है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने समान विचारधारा वाले 21 राजनीतिक दलों को श्रीनगर में 30 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
इन दलों के प्रमुखों को दवाब में लेनें सार्वजनिक रूप से लिखे पत्र में यह भी कहा कि उनकी उपस्थिति से यात्रा के सत्य, करुणा और अहिंसा रूपी संदेश को मजबूती मिलेगी। खरगे ने पत्र में लिखा है कि मैं आप लोगों को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित करता हूं कि श्रीनगर में 30 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में शामिल हों।
जिन दलों को लेटर लिखा गया है, उनमें टीएमसी, जेडीयू, शिवसेना, टीडीपी, एसपी, बीएसपी, डीएमके, सीपीआई, सीपीआईएम, जेएमएम,आरएलएसपी, हम, पीडीपी, एनसीपी, एमडीएमके, , आईयूएमएल, केएसएम, आरएसपी प्रमुख हैं। इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला व उमर अब्दुल्ला, आरजेडी से लालू यादव व तेजस्वी यादव और शरद यादव को भी बुलावा गया है।
अपने लेटर में खरगे ने लिखा कि भारत जोड़ो यात्रा अपने लक्ष्य का 3300 किमी की यात्रा पूरी कर चुकी है। यात्रा अपने साथ आपसी सद्भाव व समानता के उन्हीं मूल्यों को साथ लेकर चली हैं, जिनकी रक्षा के लिए सदियों से भारतीय लड़ते आए हैं और जिनके बारे में हमारा संविधान भी जोर देता है।
आज देश सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक चुनौतियों से गुजर रहा है। आज जब देश में विपक्ष की आवाज संसद व मीडिया में दबा दी जाती है तो ऐसे में यात्रा लाखों लोग से जुड़ रही है।
उन्होंने लिखा कि यात्रा के शुभारंभ के मौके पर भी हमने समान विचारधारा के दलों को बुलाया था। यात्रा में राहुल गांधी के साथ कई दलों के नेताओं ने साथ चलकर शिरकत की है।
अब तक डीएमके, शिवसेना, एनसीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों के नेता इस यात्रा में शिरकत कर चुके हैं।
वहीं खरगे ने लिखा कि समापन के मौके पर हम नफरत व हिंसा के खिलाफ अपनी लड़ाई और समाज में प्रेम, सत्य, अहिंसा की भावना फैलाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करेंगे।
आज जब लोगों के मुद्दों से ध्यान भटकाने का सोचा-समझा सिलसिला चल रहा है तो वहां यात्रा वहां आम लोगों से जुड़े मुद्दों को एक प्रभावशाली और मजबूत आवाज बनकर उभरी है।
खरगे ने सियासी दलों के नेताओं से अपील की कि उम्मीद है कि आप सब इसमें शामिल होकर यात्रा के संदेश और भावों को मजबूती प्रदान करेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे नें चिट्ठी को सार्वजनिक कर एक प्रकार की राजनैतिक दादागिरी की है। विपक्षी दलों को दबाव में लेनें का प्रयत्न किया है। क्योंकि हिंदी भाषी बेल्ट, जो पंजाब से पश्चिम बंगाल तक मानी जाती है, के विपक्षी दलों नें यात्रा को कोई भाव नहीं दिया है। बल्कि अघोषित दूरी बनाई हुई है।
कांग्रेस की पुरजोर कोशिश रहेगी कि सभी विपक्षी दल राहुल को नेता मानें। किन्तु विपक्ष के बहुतसारे दलों का दबी जुबान मानना है कि राहुल मोदी जी के सामनें बहुत बौना नाम है।
राहुल के रास्ते मोदीजी को एक तरफा जीत नहीं दी जा सकती। क्यों कि राहुल कि इमेज़ अभी भी हास्यकलाकार जैसी है।
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