कांग्रेस की 370 वापसी की घोषणा, उसे लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान पहुंचाएगी ? Jammu kashmir 370

कांग्रेस की 370 वापसी की घोषणा का समर्थन करेंगे, कितने दल करेंगे  ? Jammu kashmir 370 


कांग्रेस राजकुमार राहुल गांधी नें भारत जोड़ो यात्रा के दौरान घोषणा की है कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो संविधान के अस्थाई एवं विभाजनकारी  अनुच्छेद 370 जिसे वर्तमान मोदी सरकार नें समाप्त कर दिया है, उसे फिरसे बहाल कर देंगे।

 कांग्रेस के द्वारा स्थापित इस अनुच्छेद का विरोध तब बाबा साहब भीमराव अंबेडकर नें किया था, एवं तत्कालीन भारतीय जनसंघ तब से ही इसको समाप्त करने के लिये आंदोलित रही है। इस प्रावधान का विरोध करते हुए तत्कालीन भारतीय जनसंघ के नेता एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डा श्यामाप्रासाद मुखर्जी नें अपना बलिदान दिया था।

जब इस प्रावधान को वर्तमान भारत सरकार नें हटाया तब भी अधिकांश राजनैतिक दल दवन जनमत मोदी सरकार के साथ था। सवाल यही है कि संयुक्त विपक्ष का नेता कांग्रेस को वे दल कैसे स्वीकार कर सकते हैं। क्यों कि देश कि जनता, देश का जनमत, देश के अधिकांश मतदाता इस फैसले पर मोदी सरकार के साथ है।

राहुल गांधी की घोषणा के समर्थन में जम्मू और कश्मीर के राजनैतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस और पी डी पी साथ भी दें, तब भी अन्य प्रदेशों के दल अपने आपको क्यों बेवजह फसाएंगे। 

क्यों की कांग्रेस की इस घोषणा के बाद, भाजपा और एन डी ए इसे जनमत संग्रह में भी बदल सकता है। तब गैर भाजपा दलों को भी अपने वोट का ध्यान रखना पड़ेगा।

पंजाब, राजस्थान, बिहार, बंगाल, ओड़िसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश , तेलंगाना, तमिलनाडु जैसे राज्यों की जनता समर्थन क्यों करेगी।

यदि 370 मुद्दा बनता है तो कॉंग्रेस को देश की जनता का विरोध भी सहना पड़ेगा और वह अलग थलग पड़ जायेगी।


....क्या कहा था राहुल गांधी ने... 

भारत की मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी के युवराज सांसद राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। इसी यात्रा के अंतिम पड़ाव में जम्मू कश्मीर पहुंचने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, "सबसे बड़ा मुद्दा आपका स्टेटहुड का मुद्दा है, उससे बड़ा कोई मुद्दा नहीं है। कांग्रेस पार्टी आपका और आपकी राज्य का पूरा समर्थन करेगी। राज्य का दर्जा बहाल कराने के लिए कांग्रेस पार्टी अपनी पूरी ताकत लगा देगी। "

ज्ञातव्य रहे कि भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर राज्य से आर्टिकल 370 को निरस्त करने और राज्य का विभाजन जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव पास किया गया था।
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तब का राजनैतिक परिदृश्य......

धारा 370 पर 12 दलों ने किया समर्थन,
जबकि कांग्रेस समेत यह नौ दल कर रहे हैं विरोध

06 Aug 2019

दो नए केंद्र शासित प्रदेशों में बंटा जम्मू-कश्मीर

केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाकर सबको अचंभित कर दिया है। देशभर में कहीं खुशी तो कहीं विरोध भी शुरू हो गया है। वहीं इस फैसले पर राज्यसभा में भी काफी हंगामा हुआ। कई दलों ने जहां इसका विरोध किया तो वहीं कई राजनीतिक दलों ने इसके लिए भाजपा को समर्थन भी दिया।

संसद में बीजद, एआईएडीएमके, शिवसेना, बसपा, वाईएसआर कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, आप समेत 12 दलों ने सरकार का समर्थन किया है। जबकि कांग्रेस, माकपा, राजद, सपा समेत 9 दलों ने विरोध किया। वहीं जेडीयू, टीएमसी ने वॉकआउट किया और एनसीपी के सांसद गैरहाजिर रहे। 

बहुजन समाज पार्टी ने भाजपा की धुर विरोधी होने के बाद भी इस फैसले का स्वागत किया। सांसद सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि हमारी पार्टी इस निर्णय का पूर्ण समर्थन करती है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि वे इस निर्णय का समर्थन करते हैं। उम्मीद है इससे घाटी में शांति और विकास होगा।

राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी ने कहा कि सरकार ने देश का सिर काट लिया। भाजपा ने एक राज्य का इतिहास ही खत्म कर दिया है। वह विरोध में धरने पर भी बैठ गए थे।
 
जेडीयू एक बार फिर एनडीए के खिलाफ एकला चलो की राह पर दिखाई दिया। बता दें कि बिहार में 17% मुस्लिम वोटर हैं और इन्हें जेडीयू का वोट बैंक कहा जाता है। ऐसे में पार्टी ने एनडीए में होने के बावजूद भी सदन से वॉकआउट किया।

टीएमसी ने मुस्लिम वोटबैंक जाने के डर से इस बिल का विरोध किया है। पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव हैं। राज्य में 27% मुस्लिम आबादी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

ओडिशा में चुनाव के दौरान भाजपा और बीजद में काफी संघर्ष देखने को मिला और बीजद ने भाजपा को ओडिशा विधानसभा चुनावों में हराया। पार्टी सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा कि आज सही मायनों में घाटी देश का अंग बनी।

समाजवादी पार्टी ने भी इस फैसले का विरोध किया है। पार्टी को कहीं न कहीं मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का डर है। यूपी में 19% मुस्लिम वोटर हैं। ऐसे में सपा ने अपने वोट बैंक को नाराज करने का जोखिम नहीं लिया।

शिवसेना ने सरकार के इस निर्णय का खुलकर समर्थन किया है। फैसले के बाद नेताओं ने मिठाई बांटी और ढ़ोल नगाड़ों से जश्न मनाया। महाराष्ट्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में फायदा उठाना चाहती है।

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