पवित्र रश्मओ रिवाज़, इवेंट माफियाओं की गिरफ्त में - अरविन्द सिसोदिया Wedding Events


पवित्र रश्मओ रिवाज़, इवेंट माफियाओं की गिरफ्त में अपवित्रता की गिरफ्त में  - अरविन्द सिसोदिया 

एक सामाजिक प्राणी होने के नाते मेरे मन मस्तिष्क में भी कुछ सवाल उठ रहे हैं,कृपया आप गौर करें :--
क्या मित्रों को बुलाकर दारू की पार्टी करना,अश्लीलता का प्रदर्शन करना,फूहड़ नाच-गाने करवाना आदि असामाजिक कृत्यों को विवाह कहते हैं ?

या फिर रिश्तेदारों और दोस्तों को इकट्ठा करके दारु की पार्टी करने,डीजे बजाने को विवाह कहते हैं,नाचते हुए लोगों पर बेन्ड-बाजे वाले जोकि अधिकांशतः जिहादी,विधर्मी या फिर सीधे-सीधे बताऊं कि मुस्लिमों को पैसा लुटाने को विवाह कहते हैं,आप न्यौछावर के पैसे को विवाह में वैदिक मंत्रों का उच्चारण करने वाले पंडित जी,किसी बहिन-बेटी या किसी हिन्दू गरीब को दे सकते हैं।

लेकिन विडम्बना देखिए!फैशन ऐसा बनाने की कोशिश की जा रही है कि दारू की 20-25 पेटी लग जाए उसको विवाह कहा जाता है।

वास्तव में विवाह बेदी के निकट मंडप के नीचे बैठे पंडित जी द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ देवताओं का आवाहन करके वैदिक रस्मों को पूरा कराने को ही कहते हैं।

लोग कहते हैं कि हम आठ 8 महीने से विवाह की तैयारी कर रहे हैं और पंडित जी जब सुपारी मांगते हैं तो कहते हैं,
कि अरे पण्डित जी वह तो हम भूल गए। जो सबसे जरूरी काम था वह आप भूल गए,विवाह की सामग्री भूल गए और वैसे आप 8 या 10 महीने से विवाह की  तैयारी कर रहे थे। आज आप दिखावा करना चाहते हो करो खूब करो लेकिन जो असली काम है जिसे सही मायने में विवाह कहते हैं उस काम पर गौर करें।

6 घंटे नाच-गाने में लगा देंगे,4 घंटे मेहमानो से मिलने में लगा देंगे,3 घंटे जयमाला में लगा देंगे 4 घंटे फोटो खींचने में लगा देंगे और पंडित जी के सामने आते ही कहेंगे पंडितजी जी कृपया जल्दी करो। पंडित जी भी बेचारे क्या करें जब आप बर्बाद होना चाहते हो,मतलब असली काम के लिए आपके पास समय नहीं है। खुशी-खुशी एक घोड़ी वाले को,बैंड-बाजे वाले को नर्तक-नर्तकियों को एक मोटी रकम लुटाते हो लेकिन पंडित जी को दक्षिणा देते समय कंजूसी करते हो जबकि यही एक कारण है अधिकांश विवाहों की असफलता का।

निसंदेह पंडितों को दी गई दक्षिणा जीवन में धन,लक्ष्मी, वैभव, ऐश्वर्य और संतति में बृद्धि का कारण सिद्ध होगी। अपने सभी नाते-रिश्तेदार,मित्रगण,भाई-बंधुओ से कहो कि आप कम से कम फेरों का संस्कार किसी मंदिर,गौशाला,आश्रम जैसे धार्मिक व पवित्र स्थान में ही करें।

जहां दारू पीई गई हों,हड्डियां फेंकी गई हों ऐसे मैरिज गार्डन,रिसोर्ट पैलेस या कंपलेक्स में देवता आशीर्वाद देने के लिए आयेंगे क्या?

आपको नाचना कूदना,खाना-पीना जो भी करना है वह विवाह वाले दिन से पहले या बाद में करे मगर विवाह का कोई एक मुहूर्त का दिन निश्चित करके उस दिन सिर्फ और सिर्फ विवाह से संबंधित रीति रिवाज होने चाहिए और यह शुभ कार्य ऐसे पवित्र स्थान पर करें। जहाँ गुरु-जन आये,घर के बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद मिले।

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