महान गौ रक्षक सतगुरु राम सिंह कूका The great cow protector,Guru Ram Singh Kuka

 महान गौ रक्षक सतगुरु राम सिंह कूका,

The great cow protector,Guru Ram Singh Kuka,

महान गौ रक्षक सतगुरु राम सिंह कूका - अरविन्द सिसौदिया

भारत की वर्तमान पीढ़ी को भारत का वह इतिहास अवश्य पढ़ना चाहिये,जिसमें भारत के लोगों ने विदेशी आक्रमणकारियों के अथाह साम्प्रदायिक जुल्मों को सहते हुये धर्म,आस्था एवं विश्वास की रक्षा करते हुये भारतीय वीरों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया है। महावीर कूका सम्प्रदाय के संस्थापक बाबा रामसिंह जी कूका इसी तरह के महान धर्मरक्षक एवं बलिदानी हैं जिन्होनें  गौ हत्याओं का विरोध करते हुये ब्रिटेन की इसाई सरकार की साम्प्रदायिक क्षुधापूर्ती के लिये अथाह जुल्मों के आगे महान वीरता का परिचय दिया और संर्घष किया, उनके शिष्यों को तोपों के सामनें खडा कर अंग्रेजों ने उडा दिया था। मगर वे झुके नहीं । उन्हे जेल में डाला गया निर्वासित जेल में डाला गया । उन्होने महान वीर का जीवन जिया । इसके लिये उन्हे मां भारती और भारत का हिन्दू समाज युगों युगों तक याद रखेगा।
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बाबा रामसिंह कूका (3 फरवरी, 1816 - 29 नवम्बर, 1885) भारत की आजादी के सर्वप्रथम प्रणेता (कूका विद्रोह), असहयोग आन्दोलन के मुखिया, सिखों के नामधारी पंथ के संस्थापक, तथा महान समाज-सुधारक थे। ... सन २०१६ में भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से सत्गुरु रामसिंह की २००वीं जयन्ती मनाने का निर्णय लिया था।

धार्मिक सुधार के कूका आंदोलन को फिरंगी सरकार के प्रति सशस्त्र आंदोलन में बदलने वाले सतगुरू राम सिंह कूका के जन्म के दो सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार दो सौ रुपये मूल्य वर्ग का स्मारक सिक्का जारी करने जा रही है। स्मारक सिक्का कभी प्रचलन में नहीं आएगा।

कोलकाता टकसाल ने तैयार किया सिक्का

200 रुपये मूल्य वर्ग का स्मारक सिक्का 35 ग्राम और 44 मिमी व्यास का होगा। इस सिक्के में 50 फीसद चांदी, 40 फीसद तांबा और पांच-पांच फीसद निकल व जस्ता धातु है। यह सिक्का कोलकाता टकसाल ने तैयार किया है। इसके साथ ही सरकार दस रुपये के मूल्य वर्ग में प्रचलन योग्य द्वि-धात्विक सिक्का भी जारी करेगी। इस सिक्के का वजन 7.71 ग्राम और व्यास 27 मिमी है।

200 रुपये के तीन सिक्के

200 रुपये मूल्य वर्ग का यह तीसरा स्मारक सिक्का है। इससे पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तात्या टोपे की 200वीं जयंती और पाइका विद्रोह के 200वें साल के उपलक्ष्य में इस मूल्य वर्ग का सिक्का जारी किया गया था।


सिख धर्म से संबंधित जारी होने वाला पांचवां सिक्का

सिक्कों के संग्राहक बीकानेर के सुधीर लूणावत बताते हैं कि सिख धर्म से संबधित जारी होने वाला यह पांचवां सिक्का होगा। इसके पहले गुरुता गद्दी के तीन सौ वर्ष, कूका आंदोलन के 150 वर्ष, गुरु गोबिंद सिंह के 350वें प्रकाश पर्व और गुरु नानकदेव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर भारत सरकार स्मारक सिक्का जारी कर चुकी है।
 

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गुरू रामसिंह कूका

वसंत पंचमी हमें गुरू रामसिंह कूका की भी याद दिलाती है। उनका जन्म 1816 ई. में वसंत पंचमी पर लुधियाना के भैणी ग्राम में हुआ था। कुछ समय वे महाराजा रणजीत सिंह की सेना में रहे, फिर घर आकर खेतीबाड़ी में लग गये, पर आध्यात्मिक प्रवृत्ति होने के कारण इनके प्रवचन सुनने लोग आने लगे। धीरे-धीरे इनके शिष्यों का एक अलग पंथ ही बन गया, जो कूका पंथ कहलाया।

गुरू रामसिंह, गोरक्षा, स्वदेशी, नारी उद्धार, अन्तरजातीय विवाह, सामूहिक विवाह आदि पर बहुत जोर देते थे। उन्होंने भी सर्वप्रथम अंग्रेजी शासन का बहिष्कार कर अपनी स्वतंत्र डाक और प्रशासन व्यवस्था चलायी थी। प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर भैणी गांव में मेला लगता था। 1872 में मेले में आते समय उनके एक शिष्य को मुसलमानों ने घेर लिया। उन्होंने उसे पीटा और गोवध कर उसके मुंह में गोमांस ठूंस दिया। यह सुनकर गुरू रामसिंह के शिष्य भड़क गये। उन्होंने उस गांव पर हमला बोल दिया, पर दूसरी ओर से अंग्रेज सेना आ गयी। अतः युद्ध का पासा पलट गया।

इस संघर्ष में अनेक कूका वीर शहीद हुए और 68 पकड़ लिये गये। इनमें से 50 को सत्रह जनवरी 1872 को मलेरकोटला में तोप के सामने खड़ाकर उड़ा दिया गया। शेष 18 को अगले दिन फांसी दी गयी। दो दिन बाद गुरू रामसिंह को भी पकड़कर बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया। 14 साल तक वहां कठोर अत्याचार सहकर 1885 ई. में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।
 

 

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